बिलकिस बानो केस | सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा; केंद्र, गुजरात से रिकॉर्ड तैयार करने को कहा

Avanish Pathak

12 Oct 2023 2:28 PM GMT

  • बिलकिस बानो केस | सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा; केंद्र, गुजरात से रिकॉर्ड तैयार करने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गुजरात में 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान बिलकिस बानो सहित कई हत्याओं और सामूहिक बलात्कार के लिए आजीवन कारावास की सजा पाए 11 दोषियों को सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषियों को रिहा कर दिया गया था, जिससे काफी विवाद खड़ा हो गया था।

    अगस्त में शुरू हुई 11 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। साथ ही अदालत ने गुजरात और केंद्र सरकार को उनके पास उपलब्ध मूल रिकॉर्ड जमा करने का निर्देश दिया।

    आदेश में कहा गया,

    "जहां तक जवाबी दलीलों का सवाल है, हमने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों को सुना। हमने गुजरात राज्य के विद्वान वकील से मूल रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के लिए कहा है। यह प्रस्तुत किया गया है कि मूल रिकॉर्ड गुजराती में हैं। इसलिए सोमवार तक मूल रिकॉर्ड के साथ अंग्रेजी अनुवाद भी उपलब्ध करा दिए जाएंगे। यूनियन ऑफ इंडिया को सोमवार को मूल रिकॉर्ड भी जमा करना है। फैसला सुरक्षित रखा गया।"

    एडवोकेट शोभा गुप्ता बलात्कार पीड़िता बिलकिस की ओर से पेश हुईं, जबकि सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह और एडवोकेट वृंदा ग्रोवर, अपर्णा भट, निजामुद्दीन पाशा और प्रतीक आर बॉम्बार्डे ने विभिन्न जनहित याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया।

    अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल एसवी राजू गुजरात राज्य और यूनियन ऑफ इंडिया दोनों की ओर से उपस्थित हुए। अब रिहा किए गए दोषियों का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा, ऋषि मल्होत्रा, एस गुरु कृष्णकुमार, एडवोकेट सोनिया माथुर और अन्य ने किया।

    केस टाइटलः बिलकिस याकूब रसूल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य | रिट याचिका (आपराधिक) संख्या 491 2022

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