SC के ताज़ा फैसले

न्यायिक अधिकारी के रूप में अनुभव को सिविल जज परीक्षाओं के लिए तीन साल की प्रैक्टिस में नहीं गिना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
न्यायिक अधिकारी के रूप में अनुभव को सिविल जज परीक्षाओं के लिए 'तीन साल की प्रैक्टिस' में नहीं गिना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल की प्रैक्टिस नियम पर अपने पहले के आदेश में संशोधन करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार किया। उक्त आदेश में कहा गया था कि न्यायिक अधिकारी के अनुभव को एक प्रैक्टिसिंग वकील के समकक्ष माना जाए। कोर्ट ने कहा कि इससे भानुमती का पिटारा खुल जाएगा।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ हाल ही में आए उस फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें न्यायिक सेवा में प्रवेश स्तर के पदों के लिए आवेदन करने हेतु उम्मीदवार के लिए...

BREAKING| वोटर लिस्ट से हटाए गए लोगों की सूची प्रकाशित करें, नाम हटाने का कारण भी बताएं: सुप्रीम कोर्ट का ECI को निर्देश
BREAKING| वोटर लिस्ट से हटाए गए लोगों की सूची प्रकाशित करें, नाम हटाने का कारण भी बताएं: सुप्रीम कोर्ट का ECI को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (14 अगस्त) को भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) को निर्देश दिया कि वह बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के बाद प्रकाशित वोटर लिस्ट से हटाए गए लगभग 65 लाख मतदाताओं की जिलावार सूची जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइटों पर प्रकाशित करे। न्यायालय ने यह भी कहा कि नाम हटाने के कारण जैसे मृत्यु, प्रवास, दोहरा पंजीकरण आदि, स्पष्ट किए जाने चाहिए।यह जानकारी बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर भी प्रदर्शित की जानी चाहिए। दस्तावेजों को EPIC नंबरों के आधार पर सर्च किया...

मध्यस्थता कार्यवाही में हस्ताक्षर न करने वालों को भाग लेने का कोई अधिकार नहीं, उनकी उपस्थिति गोपनीयता का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट
मध्यस्थता कार्यवाही में हस्ताक्षर न करने वालों को भाग लेने का कोई अधिकार नहीं, उनकी उपस्थिति गोपनीयता का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (13 अगस्त) को कहा कि मध्यस्थता समझौते पर हस्ताक्षर न करने वाला पक्ष मध्यस्थता कार्यवाही में भाग नहीं ले सकता, क्योंकि मध्यस्थता समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले पक्ष केवल मध्यस्थता कार्यवाही में उपस्थित रहने के हकदार हैं।जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर की खंडपीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया, जिसमें मध्यस्थता समझौते पर हस्ताक्षर न करने वालों को अपने वकीलों की उपस्थिति में मध्यस्थता कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति दी गई थी।इस प्रकार, न्यायालय ने इस...

निश्चित अवधि के आजीवन कारावास की सजा पूरी करने वाला दोषी बिना छूट के रिहाई का हकदार: सुप्रीम कोर्ट
निश्चित अवधि के आजीवन कारावास की सजा पूरी करने वाला दोषी बिना छूट के रिहाई का हकदार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (12 अगस्त) को कहा कि बिना छूट के निश्चित अवधि के आजीवन कारावास की सजा पाने वाला दोषी बिना छूट के स्वतः रिहाई का हकदार है।यह कहते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने यह देखते हुए 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड के एक दोषी सुखदेव यादव को रिहा करने का आदेश दिया कि उसने बिना छूट के 20 साल की कारावास की निर्धारित अवधि पूरी कर ली है। न्यायालय ने कहा कि एक बार दोषी द्वारा सजा पूरी कर लेने के बाद सजा समीक्षा बोर्ड के समक्ष छूट के लिए आवेदन करने की कोई...

चीफ जस्टिस अन्य जजों से सीनियर नहीं, अन्य बेंच के आदेशों पर पुनर्विचार नहीं कर सकते: सीजेआई बीआर गवई
चीफ जस्टिस अन्य जजों से सीनियर नहीं, अन्य बेंच के आदेशों पर पुनर्विचार नहीं कर सकते: सीजेआई बीआर गवई

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ऋतु छाबड़िया बनाम भारत संघ मामले में 2023 के फैसले को वापस लेने के लिए दायर आवेदन पर सवाल किया। इस फैसले में कहा गया था कि जब जांच एजेंसी अधूरी चार्जशीट दाखिल करती है, तो आरोपी का डिफ़ॉल्ट ज़मानत मांगने का अधिकार समाप्त नहीं हो जाता।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने यह भी कहा कि चीफ जस्टिस की बेंच अन्य बेंचों द्वारा पारित आदेशों में बदलाव नहीं कर सकती।हालांकि, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस सीटी...

सुपीम कोर्ट ने दिल्‍ली NCR के सभी अवारा कुत्तों को डॉग शेल्टर में भेजने का निर्देश दिया, रोकने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
सुपीम कोर्ट ने दिल्‍ली NCR के सभी अवारा कुत्तों को डॉग शेल्टर में भेजने का निर्देश दिया, रोकने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 अगस्त) को एक महत्वपूर्ण आदेश में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अधिकारियों को सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को डॉग शेल्टर में पहुंचाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को उठाने से अधिकारियों को रोकता है, तो उसे कानूनी परिणाम भुगतने होंगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर आवारा कुत्तों को उठाना ज़रूरी हुआ, तो अधिकारी बल प्रयोग भी कर सकते हैं।कोर्ट ने निर्णय में कुत्तों के काटने और रेबीज़ के खतरे पर गंभीर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने...

एनरोलमेंट के दौरान बार काउंसिल ऑप्शनल फी के रूप में कोई राशि नहीं ले सकतीं: सुप्रीम कोर्ट
एनरोलमेंट के दौरान बार काउंसिल "ऑप्शनल फी" के रूप में कोई राशि नहीं ले सकतीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि इंडिया बार काउंसिल (BCI) या राज्य बार काउंसिल एनरोलमेंट के लिए लीगल फीस के अतिरिक्त "वैकल्पिक शुल्क" के रूप में कोई फीस नहीं ले सकतीं।कोर्ट ने कहा गया,"हम स्पष्ट करते हैं कि वैकल्पिक जैसा कुछ नहीं है। कोई भी राज्य बार काउंसिल या भारतीय बार काउंसिल वैकल्पिक रूप से किसी भी राशि का कोई भी शुल्क नहीं लेगी। उन्हें इस न्यायालय द्वारा मुख्य निर्णय में जारी निर्देशों के अनुसार ही शुल्क लेना होगा।"न्यायालय ने गौरव कुमार बनाम भारत संघ (2024) के अपने निर्णय की...

BREAKING| चीफ जस्टिस के अनुरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट जज को आपराधिक क्षेत्राधिकार से हटाने का निर्देश वापस लिया
BREAKING| चीफ जस्टिस के अनुरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट जज को आपराधिक क्षेत्राधिकार से हटाने का निर्देश वापस लिया

सुप्रीम कोर्ट ने एक असामान्य घटनाक्रम में शुक्रवार (8 अगस्त) को 4 अगस्त को पारित अपने अभूतपूर्व आदेश को वापस ले लिया। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज को उनकी रिटायरमेंट तक आपराधिक क्षेत्राधिकार से हटा दिया जाना चाहिए और उन्हें एक अनुभवी सीनियर जज के साथ बैठाया जाना चाहिए।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के जज जस्टिस प्रशांत कुमार द्वारा पारित आदेश पर आपत्ति जताते हुए यह असामान्य आदेश पारित किया था, जिसमें आपराधिक शिकायत को इस आधार...

चीफ जस्टिस को आंतरिक जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजते हुए जज को हटाने की सिफ़ारिश करने का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट
चीफ जस्टिस को आंतरिक जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजते हुए जज को हटाने की सिफ़ारिश करने का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट

अघोषित नकदी विवाद में जस्टिस यशवंत वर्मा को दोषी ठहराने वाली आंतरिक समिति की रिपोर्ट के ख़िलाफ़ दायर रिट याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) को जज को हटाने की सिफ़ारिश करते हुए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को रिपोर्ट भेजने का अधिकार है।न्यायालय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तैयार की गई आंतरिक प्रक्रिया में वह प्रावधान (पैराग्राफ 7(ii)) "कानूनी और वैध" है, जिसके तहत चीफ जस्टिस को समिति की रिपोर्ट के साथ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को रिपोर्ट भेजने की आवश्यकता...

पहली तलाक से प्राप्त गुजारा भत्ता, दूसरे विवाह से प्राप्त गुजारा भत्ता निर्धारित करने में अप्रासंगिक: सुप्रीम कोर्ट
पहली तलाक से प्राप्त गुजारा भत्ता, दूसरे विवाह से प्राप्त गुजारा भत्ता निर्धारित करने में अप्रासंगिक: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले तलाक के बाद प्राप्त गुजारा भत्ता, दूसरे विवाह के तलाक के बाद देय गुजारा भत्ता निर्धारित करने में प्रासंगिक कारक नहीं है।न्यायालय ने पति के इस तर्क को खारिज कर दिया कि पत्नी गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है, क्योंकि उसे अपने पहले तलाक से उचित समझौता मिला था।न्यायालय ने कहा,"अपीलकर्ता-पति का दावा है कि दूसरी प्रतिवादी-पत्नी को पहले तलाक से गुजारा भत्ता के रूप में उचित समझौता मिला था; जो, जैसा कि हम शुरू में पाते हैं, वर्तमान विवाद के निर्णय में अप्रासंगिक...

सेशन कोर्ट CrPC की धारा 193 के तहत अतिरिक्त अभियुक्तों को सुनवाई के लिए बुला सकता है: सुप्रीम कोर्ट
सेशन कोर्ट CrPC की धारा 193 के तहत अतिरिक्त अभियुक्तों को सुनवाई के लिए बुला सकता है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 193 के तहत सेशन कोर्ट द्वारा सुनवाई के लिए अतिरिक्त अभियुक्त को सुनवाई के लिए बुलाने में कुछ भी गलत नहीं है।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि न्यायालय "अपराध" का संज्ञान लेता है, न कि "अपराधी" का और यदि न्यायालय को अपनी कार्यवाही के दौरान अन्य अभियुक्तों की संलिप्तता का पता चलता है तो उसे उन्हें भी बुलाने का अधिकार है।न्यायालय ने कहा,"यद्यपि मामला प्रतिबद्ध है, फिर भी संज्ञान अपराध का होता...

चेक बाउंस केस वहीं दर्ज होगा, जहां लाभार्थी का बैंक खाता होगा: सुप्रीम कोर्ट
चेक बाउंस केस वहीं दर्ज होगा, जहां लाभार्थी का बैंक खाता होगा: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत चेक अनादरण के अपराध के लिए शिकायत के लिए क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार उस स्थान पर न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के साथ है जहां आदाता अपना बैंक खाता रखता है जिसके माध्यम से संग्रह के लिए चेक दिया गया था।क्षेत्राधिकार वह नहीं है जहां खाते के माध्यम से नकदीकरण के लिए चेक भौतिक रूप से प्रस्तुत किया गया था, बल्कि उस स्थान पर जहां खाता बनाए रखा जाता है। जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस एससी शर्मा की खंडपीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को...

PCB प्रदूषणकारी संस्थाओं पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगा सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
PCB प्रदूषणकारी संस्थाओं पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगा सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (4 अगस्त) को फैसला सुनाया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) अपने वैधानिक अधिकार क्षेत्र के तहत प्रदूषणकारी संस्थाओं पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाने के लिए अधिकृत हैं।जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने कहा,"पर्यावरण नियामक, यानी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जल और वायु अधिनियमों के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए संभावित पर्यावरणीय क्षति को रोकने के लिए निश्चित राशि के रूप में क्षतिपूर्ति लगा सकते हैं या पूर्व-निर्धारित उपाय के रूप में बैंक गारंटी प्रस्तुत...

दिल्ली हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट डेजिग्नेशन नहीं पा सकें अन्य राज्यों के रिटायर जज, सुप्रीम कोर्ट ने नियम को चुनौती देने वाली याचिका की खारिज
दिल्ली हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट डेजिग्नेशन नहीं पा सकें अन्य राज्यों के रिटायर जज, सुप्रीम कोर्ट ने नियम को चुनौती देने वाली याचिका की खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के नियम को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें अन्य राज्यों के रिटायर जजों को दिल्ली में सीनियर एडवोकेट डेजिग्नेशन के लिए आवेदन करने से रोका गया था।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली विजय प्रताप सिंह द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज की, जिसमें संबंधित नियम बरकरार रखा गया था।यह चुनौती दिल्ली हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट डेजिग्नेशन के नियम, 2024 के नियम 9बी को लेकर...

सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को 2025-26 के लिए शिक्षा में 3% OBC आरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को 2025-26 के लिए शिक्षा में 3% OBC आरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए शैक्षणिक सीटों में 3% OBC आरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया।केंद्र सरकार द्वारा न्यायालय को यह सूचित किए जाने के बाद कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में OBC आरक्षण प्रदान करने के लिए अधिनियम एक सप्ताह के भीतर अधिसूचित किया जाएगा, यह आदेश दिया गया।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन तथा जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा चंडीगढ़ के सरकारी मेडिकल कॉलेज के MBBS में एडमिशन में OBC...

एक ही मुद्दे पर दीवानी मामला लंबित होने और आपराधिक तत्व अनुपस्थित होने पर आपराधिक मामला रद्द किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
एक ही मुद्दे पर दीवानी मामला लंबित होने और आपराधिक तत्व अनुपस्थित होने पर आपराधिक मामला रद्द किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि आपराधिक तत्व के अभाव में एक ही मुद्दे पर दीवानी और आपराधिक दोनों मामलों को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह विधि प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा, जिसके लिए न्यायालय को आपराधिक कार्यवाही रद्द करने हेतु हस्तक्षेप करना होगा।न्यायालय ने कहा,“आपराधिक तत्व के अभाव में यदि दीवानी और आपराधिक दोनों मामलों को जारी रहने दिया जाता है तो यह निश्चित रूप से न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा, जिसे न्यायालयों ने हमेशा ऐसी किसी भी आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाकर रोकने का...

सुरक्षित और वाहन-योग्य सड़कों का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा: सुप्रीम कोर्ट
सुरक्षित और वाहन-योग्य सड़कों का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा: सुप्रीम कोर्ट

यह देखते हुए कि सुरक्षित, सुव्यवस्थित और वाहन-योग्य सड़कों के अधिकार को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के एक हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त है, सुप्रीम कोर्ट ने याद दिलाया कि सड़क निर्माण का ठेका किसी निजी कंपनी को देने के बजाय राज्य को सीधे अपने नियंत्रण में आने वाली सड़कों के विकास और रखरखाव की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए।अदालत ने कहा,“मध्य प्रदेश राजमार्ग अधिनियम, 2004... राज्य में सड़कों के विकास, निर्माण और रखरखाव में राज्य की भूमिका को दोहराता है। चूंकि देश के किसी भी...

कार्यस्थल पर आवागमन के दौरान होने वाली घातक दुर्घटनाएं कर्मचारी मुआवज़ा अधिनियम के अंतर्गत आती हैं: सुप्रीम कोर्ट
कार्यस्थल पर आवागमन के दौरान होने वाली घातक दुर्घटनाएं कर्मचारी मुआवज़ा अधिनियम के अंतर्गत आती हैं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में मंगलवार (29 जुलाई) को कहा कि किसी कर्मचारी के कार्यस्थल पर आवागमन के दौरान होने वाली घातक दुर्घटनाएं कर्मचारी मुआवज़ा अधिनियम, 1923 ("कर्मचारी मुआवज़ा अधिनियम") के तहत मुआवज़े के लिए पात्र हो सकती हैं।जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने मृतक चौकीदार के पक्ष में फैसला सुनाया, जो आधी रात को अपने कार्यस्थल पर जा रहा था, जब कार्यस्थल से 5 किलोमीटर दूर एक दुर्घटना का शिकार हो गया। इससे उसकी मृत्यु हो गई। न्यायालय ने कहा कि यदि आवागमन और...

BREAKING| Bihar SIR : सुप्रीम कोर्ट ने वोटर लिस्ट के प्रकाशन पर रोक लगाने से किया इनकार, ECI से आधार और वोटर आईडी कार्ड पर विचार करने का किया आग्रह
BREAKING| Bihar SIR : सुप्रीम कोर्ट ने वोटर लिस्ट के प्रकाशन पर रोक लगाने से किया इनकार, ECI से आधार और वोटर आईडी कार्ड पर विचार करने का किया आग्रह

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (28 जुलाई) को भारत के चुनाव आयोग (ECI) को विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के लिए अधिसूचित कार्यक्रम के अनुसार 1 अगस्त को बिहार के लिए मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित करने से रोकने से इनकार किया।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने विस्तृत सुनवाई नहीं की, क्योंकि जस्टिस कांत को दोपहर में चीफ जस्टिस के साथ एक प्रशासनिक बैठक में भाग लेना था। याचिकाकर्ताओं को आश्वासन देते हुए कि मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की जाएगी, जस्टिस कांत ने वकीलों से कल बहस के लिए आवश्यक...

S. 156(3) CrPC| शिकायतकर्ता ने धारा 154(3) के तहत उपाय नहीं अपनाने पर मजिस्ट्रेट द्वारा FIR दर्ज करने का आदेश अमान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
S. 156(3) CrPC| शिकायतकर्ता ने धारा 154(3) के तहत उपाय नहीं अपनाने पर मजिस्ट्रेट द्वारा FIR दर्ज करने का आदेश अमान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (25 जुलाई) को CrPC की धारा 156(3) के तहत पुलिस जांच का निर्देश देने वाला मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द करने से इनकार कर दिया, क्योंकि शिकायतकर्ता ने धारा 154(3) के तहत वैकल्पिक उपाय नहीं अपनाए थे।न्यायालय ने कहा कि पुलिस जाँच का निर्देश देने वाला मजिस्ट्रेट का आदेश अनियमित हो सकता है, लेकिन अगर शिकायत में संज्ञेय अपराध का खुलासा होता है। मजिस्ट्रेट ने जांच का आदेश देने से पहले अपने विवेक का इस्तेमाल किया है तो उसे अवैध नहीं कहा जा सकता। इसलिए आदेश में कोई त्रुटि नहीं...