SC के ताज़ा फैसले

वयस्क अविवाहित बेटी, यदि किसी शारीरिक या मानसिक असमानता से पीड़ित नहीं है, तो धारा 125 सीआरपीसी के तहत पिता से भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती : सुप्रीम कोर्ट
वयस्क अविवाहित बेटी, यदि किसी शारीरिक या मानसिक असमानता से पीड़ित नहीं है, तो धारा 125 सीआरपीसी के तहत पिता से भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि वयस्क हो चुकी अव‌िवाहित बेटी, यदि वह किसी शारीरिक या मानसिक असामान्यता/चोट से पीड़ित नहीं है तो धारा 125 सीआरपीसी की कार्यवाही के तहत, अपने पिता से भरण-पोषण का दावा करने की हकदार नहीं है।तीन जजों की बेंच, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस अशोक भूषण ने की, ने कहा कि हिंदू दत्तक एवं भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 20 (3) पर भरोसा करें तो एक अविवाहित हिंदू बेटी अपने पिता से भरण-पोषण का दावा कर सकती है, बशर्ते कि वह यह साबित करे कि वह अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है, जिस अधिकार के...

सुप्रीम कोर्ट COVID-19 महामारी के बीच रजिस्ट्री अधिकारियों, वकीलों और वादियों के लिए मेंटल अवेयरनेस वर्कशॉप आयोजित करेगा
सुप्रीम कोर्ट COVID-19 महामारी के बीच रजिस्ट्री अधिकारियों, वकीलों और वादियों के लिए 'मेंटल अवेयरनेस' वर्कशॉप आयोजित करेगा

सर्वोच्च न्यायालय ने एक प्रेस नोट जारी किया है जिसमें संकेत दिया गया है कि कोरोना महामारी के बीच एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, जिसमें अधिकारियों, रजिस्ट्री अधिकारियों और वकीलों का समग्र कल्याण सुनिश्चित करने और उनमें अपने काम के प्रति जागरूकता पैदा करने के साथ उन्हें काम के दौरान होने वाले तनाव, भय और चिंताओं से निपटने में सक्षण बनाया जा सके। सुप्रीम कोर्ट के जनसंपर्क कार्यालय की ओर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है,"... एक संवादात्मक कार्यशाला 'MIND MATTERS' का आयोजन निदेशक, मानव...

 हम रेखा कहां खींचे : सुप्रीम कोर्ट ने कट-ऑफ तारीख के बाद 14 साल की सेवा पूरी करने वाली सेना की महिला अफसरों को स्थायी कमीशन के विस्तार की याचिका खारिज की
" हम रेखा कहां खींचे" : सुप्रीम कोर्ट ने कट-ऑफ तारीख के बाद 14 साल की सेवा पूरी करने वाली सेना की महिला अफसरों को स्थायी कमीशन के विस्तार की याचिका खारिज की

 सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 17 फरवरी को दिए फैसले में लागू की गई कट-ऑफ की तारीख के बाद 14 साल की सेवा पूरी करने वाली महिला अधिकारियों की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सेना में महिलाओं को उनकी सेवा की परवाह किए बिना सभी दस धाराओं में स्थायी कमीशन दिया जाना चाहिए। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा ​​की पीठ ने कहा कि स्थायी कमीशन का लाभ उठाने के लिए पात्रता हासिल करने के लिए मार्च 2020 में 14 साल पूरा कर चुकी अधिकारियों के एक बैच के लिए राहत...

जुड़वा बच्चों के साथ गर्भवती महिला की एक भ्रूण का गर्भपात करने की याचिका : सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड में भ्रूण विशेषज्ञ शामिल कर रिपोर्ट देने को कहा
जुड़वा बच्चों के साथ गर्भवती महिला की एक भ्रूण का गर्भपात करने की याचिका : सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड में भ्रूण विशेषज्ञ शामिल कर रिपोर्ट देने को कहा

जुड़वा बच्चों के साथ गर्भवती होने वाली महिला को कुछ राहत देते हुए एक भ्रूण को समाप्त‌ करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सर जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के डीन द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड में एक अतिरिक्त सदस्य जोड़ने का निर्देश दिया है, जो अच्छी तरह से योग्य और सक्षम भ्रूण विशेषज्ञ हो और रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है कि क्या एक भ्रूण का गर्भपात दूसरे भ्रूण के जीवन और मां के जीवन को प्रभावित करेगा। न्यायमूर्ति आर बानुमति, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ​​और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने 33...

National Uniform Public Holiday Policy
दुर्घटना मुआवजाः सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कर्मचारी की आय का निर्धारण, भत्तों की कटौती के बिना, उसकी एन्टाइटल्मन्ट से हो

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2010 मंगलौर एयर क्रैश से संबंधित एक व्यक्तिगत मामले में 7,64,29,437 का मुआवजा दिया। त्रिवेणी कोडकनी बनाम एयर इंडिया लिमिटेड व अन्य के फैसले में राष्ट्रीय बीमा कंपनी लिमिटेड बनाम प्रणय सेठी में निर्धारित मुआवजे की गणना से संबंधित सिद्धांतों की चर्चा की गई और लागू किया गया। मामले के तथ्य जीटीएल ओवरसीज के मध्य पूर्वी क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक के रूप में कार्यरत एक प्रवासी की 22 मई, 2010 को एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। एयर इंडिया एक्सप्रेस की वह उड़ान दुबई...

सुप्रीम कोर्ट ने J&K में 4G बहाली का आदेश देने से इनकार किया, विशेष समिति का गठन कर याचिकाकर्ताओं के उठाए मुद्दों की जांच करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने J&K में 4G बहाली का आदेश देने से इनकार किया, विशेष समिति का गठन कर याचिकाकर्ताओं के उठाए मुद्दों की जांच करने को कहा

जम्मू और कश्मीर में 4 जी स्पीड इंटरनेट सेवाओं की बहाली के लिए किसी भी सकारात्मक दिशा-निर्देश को पारित करने से परहेज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों की जांच के लिए एक "विशेष समिति" का गठन करे। ये समिति केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में होनी चाहिए पीठ ने आदेश के भाग को निम्नानुसार पढ़ा: "इस अदालत को राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकारों के बीच संतुलन को सुनिश्चित करना है। हम यह स्वीकार करते हैं कि UT संकट में...

कांग्रेस नेता जयराम रमेश की सभी के लिए भोजन सुरक्षा की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार
कांग्रेस नेता जयराम रमेश की सभी के लिए भोजन सुरक्षा की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को COVID-19 महामारी के दौरान सभी के लिए खाद्य सुरक्षा के सार्वभौमिक कवरेज को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और निर्देश दिया कि संबंधित अधिकारियों के समक्ष इस मुद्दे को उठाया जाना चाहिए। कांग्रेस नेता ने अदालत से निर्देश देने की मांग की थी कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीए) में राशन की आपूर्ति के लिए राशन कार्ड की आवश्यकता को COVID -19 के मद्देनजर कुछ अवधि तक विराम दिया जाए ताकि भोजन की...

लॉकडाउन उल्लंघन के लिए IPC 188 के तहत दर्ज FIR रद्द करने की UP के पूर्व DGP की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 
लॉकडाउन उल्लंघन के लिए IPC 188 के तहत दर्ज FIR रद्द करने की UP के पूर्व DGP की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ विक्रम सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें लॉकडाउन दिशानिर्देशों के कथित उल्लंघन के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट के पंजीकरण को अवैध बताते हुए रद्द करने की मांग की गई थी। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा कि उन्हें हैरानी है कि सुप्रीम कोर्ट में कैसी- कैसी याचिकाएं दाखिल की जा रही हैं। पीठ ने कहा कि अगर FIR दर्ज नहीं की जाएंगी तो लॉकडाउन का...

COVID-19 :  मकान मालिकों द्वारा छात्र / श्रमिक वर्ग के किरायेदारों से किराया मांगने से रोकने की MHA की एडवाइजरी लागू करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 
COVID-19 :  मकान मालिकों द्वारा छात्र / श्रमिक वर्ग के किरायेदारों से किराया मांगने से रोकने की MHA की एडवाइजरी लागू करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को COVID ​​-19 लॉकडाउन के दौरान मकान मालिकों को परिसर खाली करने और एक महीने के लिए किराया मांगने से रोकने के लिए गृह मंत्रालय के आदेश को लागू करने के लिए केंद्र को निर्देश देने से इनकार कर दिया।जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने यह कहते हुए वकील-याचिकाकर्ताओं पवन प्रकाश पाठक और ए के पाण्डेय की याचिका को खारिज कर दिया कि शीर्ष अदालत सरकार के आदेशों को लागू नहीं कर सकती है।जस्टिस कौल ने कहा, "ये मुश्किल समय हैं और सामान्यीकृत...

ग्रेच्युटी कानून की धारा 4 (5) तभी लागू होती है, जब कर्मचारी पास कानून और अनुबंध के तहत विकल्प हों: सुप्रीम कोर्ट
ग्रेच्युटी कानून की धारा 4 (5) तभी लागू होती है, जब कर्मचारी पास कानून और अनुबंध के तहत विकल्प हों: सुप्रीम कोर्ट

ग्रेच्युटी कानून के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 की धारा 4 (5) तभी लागू होगी, जब कानून के तहत कर्मचारी के लिए विकल्प हो और अनुबंध की शर्तों के तहत कर्मचारी के साथ हो। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी किसी भी पैकेज को पूरा ले और दोनों विकल्पों के तहत शर्तों का 'समुच्‍चय' नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पाण‌ियां बीसीएच इलेक्ट्रिक लिमिटेड बनाम प्रदीप मेहरा के मामले में की है, जस्टिस यूयू ललित और संजीव खन्ना की खंडपीठ ने क्‍लेम...

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‌जिन माता-पिता के पास मुलाकात का हक, लॉकडाउन की अवधि में प्रत्यक्ष मुलाकात के बजाय वीडियो कॉल से करें बच्‍चों से मुलाकात

राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण तलाक के मामलों में माता या पिता की मुलाकात अपने बच्चों से नहीं हो पा रही है, जिसे ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निर्देश दिया कि ऐसे मामलों में इलेक्ट्रॉनिक साधनों का सहारा लिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुलाक़ात का अधिकार पा चुके सभी माता-पिता लॉकडाउन की अवधि में प्रत्यक्ष मुलाकातों के बजाय वीडियो कॉल आदि का प्रयोग अप्रत्यक्ष मुलाकातों का लाभ उठा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ तनुज धवन की...

(यौन शोषण) समय पर जांच से इनकार करना पीड़‌ित के मौलिक अधिकारों का उल्‍लंघन, सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को पूर्व रॉ कर्मचारी को मुआवजा देने को कहा
(यौन शोषण) समय पर जांच से इनकार करना पीड़‌ित के मौलिक अधिकारों का उल्‍लंघन, सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को पूर्व रॉ कर्मचारी को मुआवजा देने को कहा

रॉ की एक पूर्व कर्मचारी की यौन उत्पीड़न की शिकायत को 'उचित तरीके से हैंडल' नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्त‌ि जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का हनन होने के कारण एक लाख रुपए का 'संवैधानिक मुआवजा' देने का निर्देश दिया है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को यौन उत्पीड़न की श‌िकायत के बाद "असंवेदनशील और अनिच्छुक परिस्थितियों" का सामना करना पड़ा। संगठन ने विसाखा और अन्य बनाम राजस्थान राज्य और अन्य में निर्धारित...

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सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की दिल्ली हाईकोर्ट के पदोन्नति मानदंडों के खिलाफ दायर याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट के उन प्रस्तावों और नियमों की संवैधानिक वैधता को दी गई चुनौती को खारिज कर दिया, जिनके तहत न्यायिक अधिकारी को जिला और सत्र न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किए जाने के मानदंडों को रेखांकित किया गया था। जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुजाता कोहली की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में कहा गया था कि पदोन्नति के लिए उन पर न्यायपूर्ण और उचित तरीके से विचार नहीं किया गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि...

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दिल्‍ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में किए अपराधों की जांच के ‌लिए सीबीआई को उस राज्य ‌‌की सहमति की जरूरत नहीं, जहां अभियुक्त कार्यरत होः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेंट्रल ब्यूरो एजेंसी (सीबीआई) किसी अ‌‌भियुक्त द्वारा किसी अन्य राज्य में किए गए अपराध की जांच के संबंध में, सबंध‌ित राज्य की अनुमति के बिना, किसी केंद्र शासित प्रदेश में भी जांच कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक मामले में अभ‌ियुक्त ने सवाल उठाया था कि क्या बिहार सरकार के मामलों के संबंध में नियोजित लोक सेवकों के खिलाफ सीबीआई को मामला दर्ज का अधिकार है। कथित तौर पर धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी अभियुक्त की तर्क था कि आईएएस ऑफिसर होने के कारण बिहार सरकार के मामलों के...

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NDPS-मिश्रण में तटस्‍थ पदार्थ की मात्रा को दवा के वास्तविक वजन के साथ विचार किया जाना च‌ा‌हिए, ताकि छोटी या व्यावसाय‌िक मात्रा तय हो सकेः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 के तहत नशीली दवाओं या साइकोट्रोपिक पदार्थ के मिश्रण में तटस्थ पदार्थों की मात्रा को, 'छोटी या व्यावसायिक मात्रा' निर्धारित करते हुए अपराधी दवा के वास्तविक वजन के साथ ध्यान दिया जाना चाहिए। तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने इसी दृष्टिकोण पर 2008 के ई माइकल राज बनाम इंटेलिजेंस ऑफिसर, नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के मामले में दिए निर्णय को रद्द कर दिया, जिसमें माना गया था कि एनडीपीएस एक्ट के तहत...

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बीमा अनुबंध में संशय की स्थिति में छूट के खंड को बीमाकर्ता के खिलाफ माना जाएः सुप्रीम कोर्ट

मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति मामले में द‌िए एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीमा अनुबंधों में ‌उत्तरदाय‌ित्व खंड में छूट की अस्‍पष्टता को बीमा कंपनी के खिलाफ माना जाए। मामले में जस्टिस आरएफ नरीमन और एस रवींद्र भट की बेंच ने कोंट्रा प्रोफरेंटेम (contra proferentum) सिद्धांत का उपयोग कर फैसला दिया और न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की देनदारी को बहाल किया, जिसमें एक मोटर दुर्घटना में लगभग 37.6 लाख रुपए के मुआवजा और ब्याज के भुगतान का आदेश दिया गया। 23 साल पुरानी दुर्घटना...

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याचिका में दावा-लॉकडाउन में गंभीर रोगियों की चिकित्सा सेवाओं में कमी, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द करते हुए कहा-एक खबर के आधार पर नोटिस नहीं दे सकते

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका, जिसमें सरकारी दिशानिर्देशों के अप्रभावी कार्यान्वयन की शिकायत की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे नागरिकों को, जिन्हें तत्काल/सुसंगत चिकित्सा की आवश्यकता होती है (जैसे कि कैंसर रोगी और गर्भवती महिलाएं) को मुश्किल उठानी पड़ी थी, को खारिज कर दिया गया है। ज‌स्टिस एनवी रमना, संजय किशन कौल और बीआर गवई की खंडपीठ ने कहा कि एक समाचार रिपोर्ट के आधार पर नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है, इसलिए जनहित याचिका को खारिज किया जाता है। वरिष्ठ अधिवक्ता सोनिया माथुर याचिकाकर्ता...