SC के ताज़ा फैसले
BREAKING | अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (12 जुलाई) को शराब नीति मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) के तहत दर्ज मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी। साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को बड़ी बेंच को भेज दिया।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने केजरीवाल की याचिका को बड़ी बेंच को भेज दिया, जिससे इस सवाल की जांच की जा सके कि गिरफ्तारी की जरूरत या अनिवार्यता को PMLA Act की धारा 19 में एक शर्त के रूप में पढ़ा जाना...
PC Act | धारा 319 CrPC के तहत लोक सेवक को अतिरिक्त आरोपी के रूप में बुलाने के लिए मंजूरी आवश्यक : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि अभियोजन स्वीकृति के अभाव में न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत लोक सेवक द्वारा किए गए अपराध का संज्ञान नहीं ले सकता।कोर्ट ने कहा कि यह शर्त दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत लोक सेवक को अतिरिक्त आरोपी के रूप में बुलाने पर भी लागू होती है।कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) की धारा 19 की अनिवार्य आवश्यकता का पालन किए बिना आरोपी को धारा 319 सीआरपीसी (अब BNSS की धारा 358) के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए नहीं बुलाया जा सकता।जस्टिस सुधांशु...
लीज पेंडेंस सिद्धांत संपत्ति क्रेता को मुकदमे में पक्षकार बनने से नहीं रोकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि रजिस्टर्ड सेल्स डीड केवल इसलिए शून्य नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसे संपत्ति के संबंध में मुकदमे के लंबित रहने के दौरान निष्पादित किया गया। संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम 1882 की धारा 52 के तहत लीज पेंडेंस का सिद्धांत पेंडेंट लाइट हस्तांतरण को शून्य नहीं बनाता।कोर्ट ने यह भी माना कि मुकदमे के लंबित रहने के दौरान रजिस्टर्ड सेल्स डीड के माध्यम से मुकदमे की संपत्ति खरीदने वाले हस्तांतरी को पक्षकार बनाने पर कोई रोक नहीं है।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हस्तांतरी को अंतर्निहित मुकदमे...
सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा की गई अवैध नीलामी बिक्री को अनुच्छेद 226 के तहत रद्द किया जा सकता है; रिट कोर्ट सीपीसी के आदेश 21 नियम 90 से बाध्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक अधिकारी द्वारा कानून के अनिवार्य प्रावधानों का घोर उल्लंघन करके की गई नीलामी बिक्री से व्यथित व्यक्ति को नीलामी बिक्री रद्द करने के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (सीपीसी) के आदेश XXI नियम 90 में निर्धारित दोहरी शर्तों को स्थापित करने के लिए नहीं कहा जा सकता।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा,“हमारा विचार है कि ऐसे मामलों में, जैसे कि वर्तमान में, जिसमें राज्य द्वारा अपने अधिकारियों के माध्यम से की गई नीलामी बिक्री की वैधता और औचित्य पर...
तीन तलाक द्वारा अवैध रूप से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं धारा 125 CrPC के तहत भरण-पोषण की मांग कर सकती हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि तीन तलाक के माध्यम से अवैध रूप से तलाकशुदा मुस्लिम महिला दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के अनुसार अपने पति से भरण-पोषण की मांग करने की हकदार है।यह अधिकार मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 के तहत दिए गए उपाय के अतिरिक्त है, जो निर्दिष्ट करता है कि महिला, जिसे तीन तलाक के अधीन किया गया, वह अपने पति से निर्वाह भत्ता का दावा करने की हकदार होगी।गौरतलब है कि 2019 अधिनियम ने तीन तलाक की प्रथा को आपराधिक बना दिया, जिसे 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने अमान्य...
राज्य सरकार की अनुमति के बिना CBI मामले की जांच नहीं कर सकती : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 (DSPE Act) की योजना से पता चलता है कि इसकी देखरेख केंद्र सरकार करती है।उक्त अधिनियम से केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को अपना अधिकार प्राप्त होता है।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि DSPE (विशेष पुलिस बल) के गठन से लेकर केंद्र शासित प्रदेशों से परे इसकी शक्तियों के विस्तार तक केंद्र सरकार की गहरी चिंता है।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने CBI द्वारा मामले दर्ज करने को लेकर केंद्र के खिलाफ पश्चिम बंगाल राज्य के मुकदमे की...
आईपीसी की धारा 300 की अन्य शर्तें पूरी होने पर चाकू से हुई मौत को भी हत्या माना जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने (08 जुलाई को) आरोपी/वर्तमान अपीलकर्ता की सजा बरकरार रखते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि यदि भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 300 की अन्य शर्तें पूरी होती हैं तो एक चाकू से हुई मौत को भी हत्या माना जा सकता है।जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ अपीलकर्ता द्वारा दायर आपराधिक अपील पर फैसला कर रही थी, जिसे 'शराब विरोधी आंदोलन' के सदस्य की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़ित और अन्य सदस्यों ने लोगों को शराब पीना छोड़ने के...
BREAKING| मुस्लिम महिला CrPC की धारा 125 के तहत पति से भरण-पोषण मांग सकती है : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिला को दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत अपने पति के खिलाफ भरण-पोषण के लिए याचिका दायर करने का अधिकार है।जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने मुस्लिम व्यक्ति द्वारा धारा 125 सीआरपीसी के तहत अपनी तलाकशुदा पत्नी को अंतरिम भरण-पोषण देने के निर्देश के खिलाफ दायर याचिका खारिज की।न्यायालय ने कहा कि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986 धर्मनिरपेक्ष कानून पर हावी नहीं होगा।जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस मसीह ने...
सह-प्रतिवादियों के बीच हितों का टकराव होने पर उनके बीच रेस-ज्युडिकेटा का सिद्धांत लागू होगा: सुप्रीम कोर्ट
यह देखते हुए कि रेस-ज्युडिकेटा का सिद्धांत न केवल वादी और प्रतिवादियों के बीच बल्कि सह-प्रतिवादियों के बीच भी लागू होता है, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सह-प्रतिवादियों के बीच रेस-ज्युडिकेटा के सिद्धांत को लागू करने के लिए शर्त यह है कि सह-प्रतिवादियों के बीच हितों का टकराव होना चाहिए।जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने कहा कि जब तक सह-प्रतिवादियों के बीच हितों का टकराव नहीं होता, तब तक रेस-ज्युडिकेटा का सिद्धांत लागू नहीं होगा।सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 11 के तहत निहित रेस...
दिव्यांग व्यक्तियों का अपमान करने वाले 'Disabling Humour' को 'Disability Humour' से अलग किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग व्यक्तियों (PwD) के अधिकारों पर महत्वपूर्ण फैसले में दृश्य और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर रचनाकारों द्वारा उनके संवेदनशील चित्रण को सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए। कोर्ट ने 'Disabling Humour' और 'Disability Humour' के बीच अंतर पर भी प्रकाश डाला, जिसे अक्सर मीडिया रचनाकारों द्वारा अनदेखा कर दिया जाता है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच सोनी पिक्चर्स द्वारा निर्मित फिल्म 'आंख मिचोली' में दिव्यांगों के...
न्यायालय को हमेशा विदेशी अभियुक्तों के लिए जमानत की शर्त लगाने की आवश्यकता नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्यायालयों को विदेशी अभियुक्तों के लिए जमानत की शर्त लगाने की आवश्यकता नहीं है, जिसमें उन्हें अपने देश के दूतावास/उच्चायोग से यह आश्वासन प्राप्त करना आवश्यक हो कि वे भारत नहीं छोड़ेंगे और आवश्यकतानुसार न्यायालय के समक्ष उपस्थित होंगे।जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने नाइजीरियाई नागरिक की उस अपील को स्वीकार किया, जिसमें उस पर लगाई गई ऐसी शर्त को चुनौती दी गई थी।न्यायालय ने कहा,“इसलिए यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक मामले में जहां NDPS मामले में...
सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग व्यक्तियों के चित्रण के लिए मीडिया को दिशा-निर्देश जारी किए, कहा- उनका मजाक नहीं उड़ाया जाना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग व्यक्तियों के सम्मानजनक चित्रण को सुनिश्चित करने के लिए दृश्य मीडिया को दिशा-निर्देशों का सेट जारी किया। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि दिव्यांग व्यक्तियों के बारे में नकारात्मक रूढ़िवादिता वाले चित्रण उनकी गरिमा को प्रभावित करेंगे और उनके खिलाफ सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा देंगे।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ सोनी पिक्चर्स द्वारा निर्मित फिल्म 'आंख मिचोली' को दिए गए प्रमाणन को चुनौती देने वाली सुनवाई कर...
BREAKING| पुलिस को लगातार आरोपी की गतिविधियों पर नज़र रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती: सुप्रीम कोर्ट
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी ज़मानत की शर्त नहीं लगाई जा सकती, जो पुलिस को लगातार आरोपी की गतिविधियों पर नज़र रखने और वस्तुतः आरोपी की निजता में झांकने की अनुमति दे।जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ इस बात की जांच कर रही थी कि क्या ज़मानत की शर्त के तहत आरोपी को गूगल मैप्स पर पिन डालना होगा, जिससे जांच अधिकारी उसकी लोकेशन देख सके और यह व्यक्ति की निजता के अधिकार का उल्लंघन है।कोर्ट ने ज़मानत की शर्त को खारिज कर दिया, जिसके तहत आरोपी को अपने मोबाइल डिवाइस में मौजूद गूगल...
आजीवन कारावास की सजा तभी निलंबित किया जा सकता है जब दोषसिद्धि टिकाऊ न हो: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आजीवन कारावास की सजा पाने वाले दोषी को सजा के निलंबन का लाभ केवल तभी दिया जा सकता है, जब प्रथम दृष्टया ऐसा लगे कि दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं है और दोषी के पास दोषसिद्धि के खिलाफ अपील में सफल होने की उच्च संभावना है। कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि दोषसिद्धि कानून में टिकाऊ नहीं है तो दोषी को सजा के निलंबन का लाभ नहीं दिया जा सकता।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने कहा कि कोर्ट निश्चित अवधि की सजा के निलंबन की...
हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट भूल गए कि सजा के तौर पर जमानत नहीं रोकी जा सकती: सुप्रीम कोर्ट
देश भर की अदालतों को महत्वपूर्ण संदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस बात पर अफसोस जताया कि हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट भूल गए हैं कि सजा के तौर पर जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने कहा,"समय के साथ ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट कानून के एक बहुत ही सुस्थापित सिद्धांत को भूल गए हैं कि सजा के तौर पर जमानत नहीं रोकी जा सकती।"खंडपीठ पाकिस्तान से जाली मुद्रा की कथित तस्करी के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA Act) के तहत गिरफ्तार...
'अब हीट-वेव इसलिए है क्योंकि हमने हरियाली खो दी है': सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और DDA को फिर से पेड़ लगाने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को निर्देश दिया कि वे भीषण गर्मी के बीच राष्ट्रीय राजधानी में हरियाली बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाएं, जिससे जनता परेशान है।कोर्ट ने दिल्ली रिज में पेड़ों की अवैध कटाई के मुद्दे पर विचार करने के लिए 16 मई को नियुक्त 3 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को लागू करने का भी निर्देश दिया।जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की वेकेशन बेंच DDA के वाइस चेयरमैन पांडा के खिलाफ कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर पेड़ों की कटाई के लिए स्वत:...
Judicial Service | जज की पदोन्नति के कारण उत्पन्न रिक्ति प्रत्याशित रिक्ति नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (25 जून) को न्यायिक अधिकारी द्वारा दायर याचिका खारिज की। उक्त याचिका में जिला जज की हाईकोर्ट में पदोन्नति के बाद उत्पन्न रिक्ति पर पदोन्नति की मांग की गई थी।हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जज की पदोन्नति के कारण उत्पन्न रिक्ति को प्रत्याशित रिक्ति नहीं कहा जा सकता।जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस एसवीएन भट्टी की वेकेशन बेंच हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा के न्यायिक अधिकारी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।...
S.138 NI Act - चेक डिसऑनर की शिकायत आरोपी के कहने पर ट्रांसफर नहीं की जा सकती : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (NI Act) की धारा 138 के तहत चेक डिसऑनर के अपराध के लिए मामले का ट्रांसफर आरोपी के कहने पर नहीं किया जा सकता।जस्टिस एएस ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की वेकेशन बेंच ने NI Act की धारा 138 के तहत अपराध में शामिल आरोपी के कहने पर मांगी गई ट्रांसफर याचिका खारिज की।जस्टिस ओक ने टिप्पणी की कि आरोपी व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट मांग सकता है, लेकिन उसके द्वारा ट्रांसफर याचिका दायर नहीं की जा सकती।बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा,"आरोपी के कहने पर हम NI Act की...
DDA द्वारा ज्यूडिशियल ऑफिसर को कानूनी सलाहकार नियुक्त करने पर सुप्रीम कोर्ट हैरान, कहा- यह न्यायिक स्वतंत्रता का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (24 जून) को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा के सेवारत ज्यूडिशियल ऑफिसर को कानूनी सलाहकार नियुक्त करने की प्रथा पर हैरानी जताई।यह देखते हुए कि इस तरह की प्रथा न्यायिक स्वतंत्रता और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन करती है, कोर्ट ने DDA से इसे बंद करने को कहा। कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट से उचित कार्रवाई के लिए मामले पर गौर करने का भी आग्रह किया।जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस जस्टिस उज्जल भुइयां की वेकेशन बेंच सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का...
मूल निवासियों को भर्ती परीक्षाओं में अतिरिक्त अंक नहीं दे सकेगी हरियाणा सरकार, हाईकोर्ट के फैसले से सुप्रीम कोर्ट सहमत
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (24 जून) को हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (SSC) द्वारा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर याचिका खारिज की, जिसमें 2022 की अधिसूचना खारिज कर दी गई थी, जिसमें "सामाजिक-आर्थिक" मानदंडों के आधार पर कुछ पदों पर भर्ती में हरियाणा के मूल निवासियों को 5% अतिरिक्त अंक दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि राज्य सरकार की नीति महज 'लोकलुभावन उपाय' है।जस्टिस एएस ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की वेकेशन बेंच 31 मई को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के...