SC के ताज़ा फैसले
तीसरा पक्ष आपराधिक कार्यवाही रद्द करने के खिलाफ अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिका दायर कर सकता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि तीसरा पक्ष आपराधिक कार्यवाही रद्द करने के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिका दायर कर सकता है।राष्ट्रीय महिला आयोग बनाम दिल्ली राज्य एवं अन्य 2010) 12 एससीसी 599 6 और अमानुल्लाह एवं अन्य बनाम बिहार राज्य एवं अन्य (2016) 6 एससीसी 699 के उदाहरणों पर भरोसा करते हुए कोर्ट ने कहा कि निजी व्यक्ति द्वारा की गई अपील पर संयम से और उचित सतर्कता के बाद विचार किया जा सकता है।न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि पी.एस.आर. साधनांथम बनाम अरुणाचलम एवं अन्य (1980) 3...
राज्य प्राइवेट सिटीजन की संपत्ति पर प्रतिकूल कब्जे का दावा नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि राज्य प्राइवेट सिटीजन की संपत्ति पर प्रतिकूल कब्जे का दावा नहीं कर सकता।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की खंडपीठ ने कहा,"राज्य को प्रतिकूल कब्जे के माध्यम से निजी संपत्ति पर कब्जा करने की अनुमति देना नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करेगा और सरकार में जनता का विश्वास खत्म करेगा।"यह टिप्पणी हरियाणा राज्य द्वारा प्राइवेट सिटीजन की संपत्ति के खिलाफ प्रतिकूल कब्जे का दावा करने वाली अपील को खारिज करते हुए किए गए फैसले में की गई।निजी पक्षों ने 1981 में...
अनुकंपा नियुक्ति कोई निहित अधिकार नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अनुकंपा नियुक्ति कोई निहित अधिकार नहीं है, जिसे किसी भी तरह की जांच या चयन प्रक्रिया के बिना दिया जा सकता है।कोर्ट ने दोहराया कि अनुकंपा नियुक्ति हमेशा विभिन्न मापदंडों की उचित और सख्त जांच के अधीन होती है।जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ऐसे व्यक्ति द्वारा दायर अपील पर फैसला कर रही थी, जिसके पिता, जो पुलिस कांस्टेबल थे, उसकी मृत्यु के कारण अनुकंपा नियुक्ति के लिए दावा खारिज कर दिया गया।याचिकाकर्ता के पिता की मृत्यु...
सरकार जज नहीं बन सकती, किसी व्यक्ति को दोषी ठहराकर उसकी संपत्ति को ध्वस्त करके उसे दंडित नहीं कर सकती : सुप्रीम कोर्ट
'बुलडोजर मामले' में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कार्यपालिका द्वारा कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी आरोपी के घर को ध्वस्त करना 'शक्ति का दुरुपयोग' माना जाएगा। यदि वह इस तरह की मनमानी कार्रवाई करती है तो कार्यपालिका कानून के सिद्धांतों को ताक पर रखकर मनमानी करने की दोषी होगी, जिससे 'कानून के कठोर हाथ' से निपटना होगा।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने कहा,"जब अधिकारी प्राकृतिक न्याय के बुनियादी सिद्धांतों का पालन करने में विफल रहे और...
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने 'बुल्डोज़र जस्टिस' पर कहा: केवल आपराधिक आरोपों/दोषसिद्धि के आधार पर संपत्तियां नहीं गिराई जा सकतीं
"बुलडोजर न्याय" की प्रवृत्ति के खिलाफ कड़ा संदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (13 नवंबर) को कहा कि कार्यपालिका केवल इस आधार पर किसी व्यक्ति के घर नहीं गिरा सकती कि वह किसी अपराध में आरोपी या दोषी है।कार्यपालिका द्वारा ऐसी कार्रवाई की अनुमति देना कानून के शासन के विपरीत है और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का भी उल्लंघन है, क्योंकि किसी व्यक्ति के अपराध पर फैसला सुनाना न्यायपालिका का काम है।न्यायालय ने कहा,"कार्यपालिका किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहरा सकती। केवल आरोप के आधार पर यदि...
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने AMU का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखा
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की पीठ ने (4:3 बहुमत से) एस. अजीज बाशा बनाम भारत संघ के मामले में 1967 के फैसला खारिज किया। उक्त फैसले में कहा गया था कि कानून द्वारा गठित कोई संस्था अल्पसंख्यक संस्था होने का दावा नहीं कर सकती। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखा।अब यह मुद्दा कि AMU अल्पसंख्यक संस्था है या नहीं, बहुमत के इस दृष्टिकोण के आधार पर नियमित पीठ द्वारा तय किया जाना...
POCSO के तहत यौन उत्पीड़न मामले को 'समझौते' के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला खारिज किया, जिसमें शिक्षक (पीड़िता के स्तन को रगड़ने के आरोपी) के खिलाफ 'यौन उत्पीड़न' की शिकायत खारिज कर दी गई थी। हाईकोर्ट ने पीड़िता के पिता और शिक्षक के बीच 'समझौते' के आधार पर मामला खारिज कर दिया था।सुप्रीम कोर्ट ने कहा,"हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि हाईकोर्ट इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा कि इस मामले में पक्षों के बीच विवाद है, जिसे सुलझाया जाना है। साथ ही सद्भाव बनाए रखने के लिए एफआईआर और उससे जुड़ी सभी आगे की कार्यवाही को खारिज कर दिया जाना...
BREAKING| DRI अधिकारी कस्टम एक्ट के तहत कारण बताओ नोटिस जारी कर सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) के अधिकारियों को कस्टम एक्ट, 1962 (Customs Act) के तहत शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार है, जिससे वे कारण बताओ नोटिस जारी कर सकें और शुल्क वसूल सकें।कोर्ट ने माना कि DRI अधिकारी कस्टम एक्ट, 1962 की धारा 28 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए "उचित अधिकारी" हैं।कोर्ट ने माना,"फैसले में की गई टिप्पणियों के अधीन, राजस्व खुफिया निदेशालय, कस्टम-निवारक आयुक्तालय, केंद्रीय उत्पाद शुल्क खुफिया महानिदेशालय और केंद्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्तालय और...
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने रिसॉल्यूशन योजना के विफल होने पर जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया, क्योंकि "विचित्र और चिंताजनक" परिस्थिति यह है कि रिसॉल्यूशन योजना (Resolution Plan) को पांच वर्षों से क्रियान्वित नहीं किया गया।न्यायालय ने NCLAT के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें नकदी संकट से जूझ रही जेट एयरवेज के स्वामित्व को Resolution Plan के अनुसार पूर्ण भुगतान किए बिना सफल समाधान आवेदक (SRA) को हस्तांतरित करने की अनुमति दी गई थी।न्यायालय ने NCLT की मुंबई पीठ को...
BREAKING| LMV ड्राइविंग लाइसेंस धारक को 7500 किलोग्राम से कम भार वाले परिवहन वाहन चलाने के लिए अलग से प्राधिकरण की आवश्यकता नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हल्के मोटर वाहन (LMV) के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति बिना किसी विशेष अनुमोदन के, 7500 किलोग्राम से कम भार वाले परिवहन वाहन को चला सकता है।यदि वाहन का कुल भार 7500 किलोग्राम से कम है तो LMV लाइसेंस वाला चालक ऐसे परिवहन वाहन को चला सकता है। कोर्ट ने कहा कि उसके समक्ष ऐसा कोई अनुभवजन्य डेटा नहीं लाया गया है, जो यह दर्शाता हो कि परिवहन वाहन चलाने वाले LMV लाइसेंस धारक सड़क दुर्घटनाओं का महत्वपूर्ण कारण हैं।मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (MV Act) के प्रावधानों की...
संविधान के मूल ढांचे के उल्लंघन के आधार पर किसी क़ानून को रद्द नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 (Uttar Pradesh Board of Madarsa Education Act, 2004) से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी क़ानून की संवैधानिक वैधता को केवल इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि उसने संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन किया।सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इस आधार पर क़ानून को रद्द करने पर असहमति जताई कि उसने धर्मनिरपेक्षता की मूल संरचना विशेषता का उल्लंघन किया।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज...
सुप्रीम कोर्ट ने UP Madarsa Education Act की वैधता बरकरार रखी
सुप्रीम कोर्ट ने 'उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004' (Uttar Pradesh Board of Madarsa Education Act 2004) की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी और इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला खारिज कर दिया, जिसने पहले इसे खारिज कर दिया था।सुप्रीम कोर्ट ने कहा,हाईकोर्ट ने इस आधार पर अधिनियम खारिज करने में गलती की कि यह धर्मनिरपेक्षता के मूल ढांचे के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। किसी क़ानून को तभी खारिज किया जा सकता है, जब वह संविधान के भाग III के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता हो या विधायी क्षमता से संबंधित...
BREAKING| सभी निजी संपत्ति 'समुदाय के भौतिक संसाधन' नहीं, जिन्हें राज्य को अनुच्छेद 39(बी) के अनुसार समान रूप से वितरित करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने 8:1 के बहुमत से माना कि सभी निजी संपत्तियां 'समुदाय के भौतिक संसाधनों' का हिस्सा नहीं बन सकती , जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के अनुसार समान रूप से पुनर्वितरित करने के लिए राज्य बाध्य है।कोर्ट ने कहा कि कुछ निजी संपत्तियां अनुच्छेद 39(बी) के अंतर्गत आ सकती हैं, बशर्ते वे भौतिक हों और समुदाय की हों।9 जजों की पीठ में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस बी.वी. नागरत्ना, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस...
पर्यवेक्षी क्षमता में कार्यरत कर्मचारी औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत 'कर्मचारी' नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कोई कर्मचारी औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (जैसा कि 2010 में संशोधित किया गया) की धारा 2(एस) के तहत "कर्मचारी" की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है, क्योंकि वह पर्यवेक्षी क्षमता में कार्यरत था और 10,000/- रुपये प्रति माह से अधिक वेतन प्राप्त कर रहा था।संक्षिप्त तथ्यसंक्षिप्त तथ्यों के अनुसार, अंग्रेजी में समाचार पत्र प्रकाशित करने वाली संस्था मेसर्स एक्सप्रेस के कर्मचारी को शुरू में जूनियर इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया गया। बाद में 1998 में उसके पद की पुष्टि की गई।इसके बाद...
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने 'Intoxicating Liquor' शब्द के अंतर्गत औद्योगिक अल्कोहल को विनियमित करने का राज्यों का अधिकार बरकरार रखा
सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ ने 8:1 बहुमत से कहा कि राज्यों के पास 'विकृत स्प्रिट या औद्योगिक अल्कोहल' को विनियमित करने का अधिकार है।बहुमत ने यह निष्कर्ष निकाला कि संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची II (राज्य सूची) की प्रविष्टि 8 में "Intoxicating Liquor" (मादक शराब) शब्द में औद्योगिक अल्कोहल शामिल होगा।बहुमत ने कहा कि "मादक शराब" शब्द की व्याख्या संकीर्ण रूप से केवल मानव उपभोग के लिए उपयुक्त अल्कोहल को शामिल करने के लिए नहीं की जा सकती। यह माना गया कि ऐसे तरल पदार्थ जिनमें अल्कोहल...
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने BCCI के साथ समझौते के आधार पर Byju के खिलाफ दिवालियेपन की प्रक्रिया बंद करने के NCLAT का आदेश खारिज किया
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें एड-टेक कंपनी Byju (थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड) के खिलाफ दिवालियेपन की कार्यवाही बंद कर दी गई थी। इसमें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के साथ करीब 158 करोड़ रुपये के समझौते को स्वीकार किया गया था।कोर्ट ने माना कि NCLAT ने NCLAT नियम 2016 के नियम 11 के तहत अपनी अंतर्निहित शक्तियों का इस्तेमाल करके दिवालियेपन के आवेदन को वापस लेने की अनुमति देकर गलती की। जब दिवालियेपन के आवेदनों को वापस...
UP Madarsa Education Act | 'किसी समुदाय की संस्था को विनियमित करने वाला कानून धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध नहीं': सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (21 अक्टूबर) को 'उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004' को रद्द करने की चुनौती पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि किसी धार्मिक समुदाय की शैक्षणिक संस्थाओं को विनियमित करने वाले कानूनों को केवल इस तथ्य से धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन नहीं माना जा सकता।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के 22 मार्च के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 'उत्तर प्रदेश मदरसा...
ट्रेडिंग एसेट के रूप में जाने पर बैंक HTM प्रतिभूतियों पर टूटी अवधि के ब्याज के लिए टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक परिपक्वता तक रखी गई (HTM) सरकारी प्रतिभूतियों पर टूटी अवधि के ब्याज के लिए टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं, यदि उन्हें ट्रेडिंग एसेट के रूप में रखा जाता है।कोर्ट ने कहा,इसलिए तथ्यों के आधार पर यदि यह पाया जाता है कि HTM प्रतिभूति को निवेश के रूप में रखा जाता है तो टूटी अवधि के ब्याज का लाभ उपलब्ध नहीं होगा। यदि इसे ट्रेडिंग एसेट के रूप में रखा जाता है, तो स्थिति अलग होगी।”जस्टिस अभय ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने कहा कि HTM प्रतिभूतियों को निवेश के रूप में रखा...
Specific Relief Act | संयुक्त स्वामित्व के तहत संपत्ति बेचने के समझौते में सभी सह-स्वामियों की सहमति प्राप्त करने की जिम्मेदारी वादी की: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि जब वादी किसी संपत्ति (जो कई व्यक्तियों के संयुक्त स्वामित्व में है) को बेचने के समझौते के विशिष्ट निष्पादन की मांग करता है तो यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी वादी की है कि अनुबंध के निष्पादन के लिए उसकी तत्परता और इच्छा को साबित करने के लिए सभी आवश्यक सहमति और भागीदारी सुरक्षित हैं।जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने मामले की सुनवाई की, जिसमें वादी ने संपत्ति को बेचने के समझौते के विशिष्ट निष्पादन का दावा किया, जो पांच व्यक्तियों...
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 की धारा 3 और 5 को निरस्त करने वाला फैसला वापस लिया
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (अक्टूबर) को यूनियन ऑफ इंडिया बनाम गणपति डीलकॉम प्राइवेट लिमिटेड में अपने 2022 का फैसला वापस लिया, जिसमें बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 की धारा 3(2) और 5 को असंवैधानिक करार दिया गया था।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका स्वीकार करते हुए फैसले को वापस ले लिया।पीठ ने कहा कि मूल कार्यवाही में असंशोधित बेनामी लेनदेन अधिनियम के प्रावधानों की...