SC के ताज़ा फैसले

पर्यवेक्षी क्षमता में कार्यरत कर्मचारी औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत कर्मचारी नहीं: सुप्रीम कोर्ट
पर्यवेक्षी क्षमता में कार्यरत कर्मचारी औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत 'कर्मचारी' नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कोई कर्मचारी औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (जैसा कि 2010 में संशोधित किया गया) की धारा 2(एस) के तहत "कर्मचारी" की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है, क्योंकि वह पर्यवेक्षी क्षमता में कार्यरत था और 10,000/- रुपये प्रति माह से अधिक वेतन प्राप्त कर रहा था।संक्षिप्त तथ्यसंक्षिप्त तथ्यों के अनुसार, अंग्रेजी में समाचार पत्र प्रकाशित करने वाली संस्था मेसर्स एक्सप्रेस के कर्मचारी को शुरू में जूनियर इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया गया। बाद में 1998 में उसके पद की पुष्टि की गई।इसके बाद...

BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने Intoxicating Liquor शब्द के अंतर्गत औद्योगिक अल्कोहल को विनियमित करने का राज्यों का अधिकार बरकरार रखा
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने 'Intoxicating Liquor' शब्द के अंतर्गत औद्योगिक अल्कोहल को विनियमित करने का राज्यों का अधिकार बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ ने 8:1 बहुमत से कहा कि राज्यों के पास 'विकृत स्प्रिट या औद्योगिक अल्कोहल' को विनियमित करने का अधिकार है।बहुमत ने यह निष्कर्ष निकाला कि संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची II (राज्य सूची) की प्रविष्टि 8 में "Intoxicating Liquor" (मादक शराब) शब्द में औद्योगिक अल्कोहल शामिल होगा।बहुमत ने कहा कि "मादक शराब" शब्द की व्याख्या संकीर्ण रूप से केवल मानव उपभोग के लिए उपयुक्त अल्कोहल को शामिल करने के लिए नहीं की जा सकती। यह माना गया कि ऐसे तरल पदार्थ जिनमें अल्कोहल...

BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने BCCI के साथ समझौते के आधार पर Byju के खिलाफ दिवालियेपन की प्रक्रिया बंद करने के NCLAT का आदेश खारिज किया
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने BCCI के साथ समझौते के आधार पर Byju के खिलाफ दिवालियेपन की प्रक्रिया बंद करने के NCLAT का आदेश खारिज किया

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें एड-टेक कंपनी Byju (थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड) के खिलाफ दिवालियेपन की कार्यवाही बंद कर दी गई थी। इसमें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के साथ करीब 158 करोड़ रुपये के समझौते को स्वीकार किया गया था।कोर्ट ने माना कि NCLAT ने NCLAT नियम 2016 के नियम 11 के तहत अपनी अंतर्निहित शक्तियों का इस्तेमाल करके दिवालियेपन के आवेदन को वापस लेने की अनुमति देकर गलती की। जब दिवालियेपन के आवेदनों को वापस...

UP Madarsa Education Act | किसी समुदाय की संस्था को विनियमित करने वाला कानून धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध नहीं: सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा
UP Madarsa Education Act | 'किसी समुदाय की संस्था को विनियमित करने वाला कानून धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध नहीं': सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (21 अक्टूबर) को 'उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004' को रद्द करने की चुनौती पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि किसी धार्मिक समुदाय की शैक्षणिक संस्थाओं को विनियमित करने वाले कानूनों को केवल इस तथ्य से धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन नहीं माना जा सकता।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के 22 मार्च के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 'उत्तर प्रदेश मदरसा...

ट्रेडिंग एसेट के रूप में जाने पर बैंक HTM प्रतिभूतियों पर टूटी अवधि के ब्याज के लिए टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
ट्रेडिंग एसेट के रूप में जाने पर बैंक HTM प्रतिभूतियों पर टूटी अवधि के ब्याज के लिए टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक परिपक्वता तक रखी गई (HTM) सरकारी प्रतिभूतियों पर टूटी अवधि के ब्याज के लिए टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं, यदि उन्हें ट्रेडिंग एसेट के रूप में रखा जाता है।कोर्ट ने कहा,इसलिए तथ्यों के आधार पर यदि यह पाया जाता है कि HTM प्रतिभूति को निवेश के रूप में रखा जाता है तो टूटी अवधि के ब्याज का लाभ उपलब्ध नहीं होगा। यदि इसे ट्रेडिंग एसेट के रूप में रखा जाता है, तो स्थिति अलग होगी।”जस्टिस अभय ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने कहा कि HTM प्रतिभूतियों को निवेश के रूप में रखा...

Specific Relief Act | संयुक्त स्वामित्व के तहत संपत्ति बेचने के समझौते में सभी सह-स्वामियों की सहमति प्राप्त करने की जिम्मेदारी वादी की: सुप्रीम कोर्ट
Specific Relief Act | संयुक्त स्वामित्व के तहत संपत्ति बेचने के समझौते में सभी सह-स्वामियों की सहमति प्राप्त करने की जिम्मेदारी वादी की: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि जब वादी किसी संपत्ति (जो कई व्यक्तियों के संयुक्त स्वामित्व में है) को बेचने के समझौते के विशिष्ट निष्पादन की मांग करता है तो यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी वादी की है कि अनुबंध के निष्पादन के लिए उसकी तत्परता और इच्छा को साबित करने के लिए सभी आवश्यक सहमति और भागीदारी सुरक्षित हैं।जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने मामले की सुनवाई की, जिसमें वादी ने संपत्ति को बेचने के समझौते के विशिष्ट निष्पादन का दावा किया, जो पांच व्यक्तियों...

BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 की धारा 3 और 5 को निरस्त करने वाला फैसला वापस लिया
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 की धारा 3 और 5 को निरस्त करने वाला फैसला वापस लिया

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (अक्टूबर) को यूनियन ऑफ इंडिया बनाम गणपति डीलकॉम प्राइवेट लिमिटेड में अपने 2022 का फैसला वापस लिया, जिसमें बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 की धारा 3(2) और 5 को असंवैधानिक करार दिया गया था।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका स्वीकार करते हुए फैसले को वापस ले लिया।पीठ ने कहा कि मूल कार्यवाही में असंशोधित बेनामी लेनदेन अधिनियम के प्रावधानों की...

असम को अलग करना तर्कसंगत; कट-ऑफ तिथि मनमानी नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने माना- नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करती
'असम को अलग करना तर्कसंगत; कट-ऑफ तिथि मनमानी नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने माना- नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करती

नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए, जिसने असम समझौते को मान्यता दी थी, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेा डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत ( जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस मनोज मिश्रा और स्वयं के लिए) द्वारा लिखित बहुमत के फैसले ने माना है कि धारा 6ए अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करती है। जस्टिस जेबी पारदीवाला, जिन्होंने अकेले असहमति जताई, ने अन्यथा माना है।संक्षिप्त पृष्ठभूमि के अनुसार, नागरिकता संशोधन अधिनियम, 1985 के माध्यम से जोड़ी गई धारा 6ए ने 1 जनवरी, 1966 से 24...

BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने असम समझौते को मान्यता देने वाले नागरिकता अधिनियम की धारा 6A की वैधता बरकरार रखी
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने असम समझौते को मान्यता देने वाले नागरिकता अधिनियम की धारा 6A की वैधता बरकरार रखी

सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 बहुमत से नागरिकता अधिनियम (Citizenship Act) 1955 की धारा 6A की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी, जो असम समझौते को मान्यता देती है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की 5-जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया।जस्टिस पारदीवाला ने धारा 6A को असंवैधानिक ठहराने के लिए असहमतिपूर्ण फैसला दिया।सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि असम समझौता अवैध प्रवास की समस्या का राजनीतिक समाधान था और...

BREAKING| बेंचमार्क दिव्यांगता का अस्तित्व मात्र उम्मीदवार को MBBS कोर्स से अयोग्य नहीं ठहराएगा: सुप्रीम कोर्ट
BREAKING| बेंचमार्क दिव्यांगता का अस्तित्व मात्र उम्मीदवार को MBBS कोर्स से अयोग्य नहीं ठहराएगा: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेंचमार्क दिव्यांगता का अस्तित्व मात्र किसी व्यक्ति को मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने से रोकने का आधार नहीं है, जब तक कि दिव्यांगता मूल्यांकन बोर्ड द्वारा यह रिपोर्ट न दी जाए कि उम्मीदवार MBBS पाठ्यक्रम का अध्ययन करने में अक्षम है।दिव्यांगता की मात्र मात्रा निर्धारित करने से उम्मीदवार को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। कोर्स को आगे बढ़ाने की क्षमता की जांच विकलांगता मूल्यांकन बोर्ड द्वारा की जानी चाहिए।कोर्ट ने कहा कि दिव्यांगता मूल्यांकन बोर्ड की नकारात्मक राय अंतिम नहीं है।...

बिक्री अनुबंध नहीं; अचल संपत्ति नाबालिग को हस्तांतरित करने पर कोई रोक नहीं : सुप्रीम कोर्ट
बिक्री अनुबंध नहीं; अचल संपत्ति नाबालिग को हस्तांतरित करने पर कोई रोक नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेल डीड के माध्यम से नाबालिग के पक्ष में अचल संपत्ति हस्तांतरित करने पर कोई रोक नहीं है।कोर्ट के अनुसार, नाबालिग सेल डीड के माध्यम से हस्तांतरिती/स्वामी बन सकता है। भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 की धारा 11 के तहत निर्धारित शर्तें नाबालिग की अनुबंध करने की क्षमता को चुनौती देने के आड़े नहीं आएंगी, क्योंकि बिक्री को अनुबंध नहीं कहा जा सकता।जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने टिप्पणी की,“हालांकि बिक्री के लिए किया गया समझौता बिक्री का अनुबंध है, लेकिन...

Juvenile Justice Act | दोषसिद्धि और सजा के अंतिम होने के बाद भी किशोर होने की दलील दी जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट
Juvenile Justice Act | दोषसिद्धि और सजा के अंतिम होने के बाद भी किशोर होने की दलील दी जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति के खिलाफ दोषसिद्धि और सजा के फैसले और आदेश के अंतिम होने के बाद भी किशोर होने की दलील दी जा सकती है।जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की बेंच ने ऐसा कहते हुए हत्या के मामले में आरोपी को बरी किया, जिसने अपने खिलाफ दोषसिद्धि और सजा के आदेश के बाद किशोर होने की दलील दी थी।कोर्ट ने कहा,“हालांकि (किशोर होने के लिए) आवेदन इस न्यायालय द्वारा दिए गए दोषसिद्धि के आदेश के बाद दायर किया गया, हम इस न्यायालय के ऊपर दिए गए फैसले और आपराधिक अपील संख्या 64/2012...

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्या मामले में सुनाया फ़ैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्या मामले में सुनाया फ़ैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में आरोपी मुन्ना शुक्ला (पूर्व बिहार विधायक) और मंटू तिवारी की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी। कुल 8 आरोपियों में से, जबकि दो की ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषसिद्धि बरकरार रखी गई, कोर्ट ने 6 अन्य को संदेह का लाभ दिया और पटना हाईकोर्ट द्वारा उन्हें बरी करने के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार किया।जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने हत्या के मामले में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, मुन्ना शुक्ला और अन्य को...

BREAKING| TOLA ने इनकम टैक्स पुनर्मूल्यांकन की समयसीमा बढ़ाई; पुरानी व्यवस्था के तहत 2021 के बाद भी जारी किए जा सकेंगे नोटिस : सुप्रीम कोर्ट
BREAKING| TOLA ने इनकम टैक्स पुनर्मूल्यांकन की समयसीमा बढ़ाई; पुरानी व्यवस्था के तहत 2021 के बाद भी जारी किए जा सकेंगे नोटिस : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (3 अक्टूबर) को हाईकोर्ट के उन निर्णयों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया कि कराधान और अन्य कानून (कुछ प्रावधानों में छूट और संशोधन अधिनियम) (TOLA) 2021 इनकम टैक्स एक्ट के तहत पुनर्मूल्यांकन के लिए नोटिस जारी करने की समयसीमा नहीं बढ़ाएगा।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने हाईकोर्ट द्वारा पारित विभिन्न आदेशों के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा दायर 727 अपीलों को स्वीकार करते हुए निर्णय सुनाया।निर्णय के निष्कर्ष इस...

BREAKING| कैदियों को जाति के आधार पर काम देने की प्रथा समाप्त की जाए, जेल रजिस्टर में जाति का कॉलम हटाया जाए : सुप्रीम कोर्ट
BREAKING| कैदियों को जाति के आधार पर काम देने की प्रथा समाप्त की जाए, जेल रजिस्टर में जाति का कॉलम हटाया जाए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में जाति के आधार पर भेदभाव और श्रम विभाजन की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए।कोर्ट ने कई राज्यों के जेल मैनुअल के उन प्रावधानों को खारिज किया, जिनके अनुसार जेलों में उनकी जाति के आधार पर काम दिए जाते थे। कोर्ट ने कहा कि वंचित जातियों को सफाई और झाड़ू लगाने का काम और उच्च जाति के कैदियों को खाना पकाने का काम देना जातिगत भेदभाव और अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है।कोर्ट ने यूपी जेल मैनुअल के उन प्रावधानों पर आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया कि साधारण कारावास में जाने वाले...

BREAKING | निर्माण लागत पर GST इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया जा सकता, यदि भवन निर्माण किराए पर देने जैसी सेवाओं की आपूर्ति के लिए आवश्यक है: सुप्रीम कोर्ट
BREAKING | निर्माण लागत पर GST इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया जा सकता, यदि भवन निर्माण किराए पर देने जैसी सेवाओं की आपूर्ति के लिए आवश्यक है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि भवन का निर्माण किराए पर देने जैसी सेवाओं की आपूर्ति के लिए आवश्यक है तो यह CGST Act की धारा 17(5)(डी) के "प्लांट" अपवाद के अंतर्गत आ सकता है, जो यह प्रावधान करता है कि अचल संपत्ति निर्माण के लिए निर्माण सामग्री (प्लांट या मशीनरी के अलावा) के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं किया जा सकता।कोर्ट ने कहा,“यदि भवन का निर्माण किराए पर देने या लीज पर देने जैसी सेवाओं की आपूर्ति या भवन या उसके भाग के संबंध में अन्य लेन-देन की गतिविधि को अंजाम देने के लिए आवश्यक था, जो CGST...

S. 37 Arbitration Act | अपीलीय न्यायालय का दृष्टिकोण बेहतर होने पर ही किसी निर्णय को रद्द नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
S. 37 Arbitration Act | अपीलीय न्यायालय का दृष्टिकोण बेहतर होने पर ही किसी निर्णय को रद्द नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 (A&C Act) की धारा 34 के तहत उल्लिखित अवैधता से ग्रस्त न हो, तब तक अधिनियम की धारा 37 के तहत अपीलीय न्यायालयों द्वारा किसी निर्णय में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता या उसे रद्द नहीं किया जा सकता।जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने कहा कि निर्णय केवल इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता, क्योंकि अपीलीय न्यायालय का दृष्टिकोण आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के दृष्टिकोण से बेहतर है। इस निर्णय को तब तक नहीं छुआ जा सकता जब तक कि यह कानून...

BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पदों पर महिलाओं के लिए आरक्षण का आदेश दिया
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पदों पर महिलाओं के लिए आरक्षण का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में पदों पर महिलाओं के लिए आरक्षण होना चाहिए।कोर्ट ने निर्देश दिया कि DHCBA की आम सभा की बैठक यथाशीघ्र आयोजित की जाए, 10 दिन से अधिक नहीं। जी.बी. कोषाध्यक्ष का पद महिला सदस्यों के लिए आरक्षित करने की वांछनीयता पर विचार करेगी। कोषाध्यक्ष का पद आरक्षित करने के अलावा जी.बी. महिला सदस्यों के लिए बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों का एक और पद आरक्षित करने की वांछनीयता पर विचार करने के लिए स्वतंत्र होगी।इसके अलावा, कोर्ट ने आदेश दिया कि कार्यकारी...