BREAKING| Delhi-NCR में पटाखों पर पूरे साल के लिए लगा प्रतिबंध, ग्रीन पटाखों की ऑनलाइन बिक्री भी हुई बैन
Shahadat
3 April 2025 9:55 AM

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (3 अप्रैल) को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (Delhi-NCR) में पटाखों के उपयोग, निर्माण, बिक्री और भंडारण पर एक साल के लिए प्रतिबंध लगाने का आदेश पारित किया।
कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी की खराब होती वायु गुणवत्ता को देखते हुए हर साल केवल 3-4 महीने के लिए इस तरह का प्रतिबंध लगाना प्रभावी नहीं है। Delhi-NCR में व्याप्त असाधारण स्थिति के कारण कोर्ट ने कहा कि ग्रीन पटाखों के लिए भी कोई अपवाद नहीं दिया जा सकता। यहां तक कि पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर भी प्रतिबंध रहेगा।
जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने पटाखा निर्माताओं द्वारा उठाए गए तर्कों को खारिज कर दिया कि प्रतिबंध से उनके व्यापार और आजीविका के अधिकार पर असर पड़ेगा।
खंडपीठ ने कहा,
"वायु प्रदूषण का स्तर काफी लंबे समय तक चिंताजनक बना रहा। आम आदमी पर वायु प्रदूषण के प्रभाव की कल्पना की जा सकती है, क्योंकि हर कोई अपने घर या कार्यस्थल पर एयर प्यूरीफायर नहीं लगवा सकता। आबादी का एक वर्ग सड़कों पर काम करता है और वे इस प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। आखिरकार स्वास्थ्य का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का अनिवार्य हिस्सा है, इसलिए प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार भी इसका एक हिस्सा है।"
खंडपीठ ने कहा कि प्रतिबंध को कुछ महीनों तक सीमित रखने से कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि पटाखे पूरे साल बिकेंगे और प्रतिबंध अवधि के दौरान उनका भंडारण और उपयोग किया जाएगा। ग्रीन पटाखों के संबंध में न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, उनका उत्सर्जन पारंपरिक पटाखों की तुलना में केवल 30% कम है।
न्यायालय ने कहा कि जब तक यह नहीं दिखाया जाता कि "तथाकथित ग्रीन पटाखों" से होने वाला प्रदूषण न्यूनतम है, तब तक उन्हें छूट देने का कोई सवाल ही नहीं है। न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 51ए के तहत पटाखा व्यापारियों का भी यह दायित्व है कि वे सुनिश्चित करें कि दिल्ली प्रदूषण मुक्त रहे।
न्यायालय एमसी मेहता मामले के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में प्रदूषण प्रबंधन की निगरानी कर रहा है, जिसमें पटाखों पर प्रतिबंध, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाना, वाहनों से होने वाला प्रदूषण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन आदि पर ध्यान केंद्रित किया गया।
केस टाइटल- एमसी मेहता बनाम भारत संघ