विज्ञापन में अधिसूचित आरक्षण को बाद में रोस्टर में बदलाव करके रद्द नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

15 April 2025 10:37 AM

  • विज्ञापन में अधिसूचित आरक्षण को बाद में रोस्टर में बदलाव करके रद्द नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

    यह दोहराते हुए कि 'खेल के नियम' को बीच में नहीं बदला जा सकता, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महिला की याचिका स्वीकार की, जिसका पुलिस उपाधीक्षक (DSP) के पद पर चयन, एससी स्पोर्ट्स (महिला) के लिए आरक्षित होने के कारण रोस्टर के तहत बदल दिया गया, जो भर्ती विज्ञापन जारी होने के बाद प्रभावी हुआ था।

    जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने उस मामले की सुनवाई की, जिसमें अपीलकर्ता-उम्मीदवार ने 11.12.2020 के मूल विज्ञापन के आधार पर DSP के पद के लिए आवेदन किया था, जिसमें "एससी स्पोर्ट्स (महिला)" के लिए एक डीएसपी पद आरक्षित था।

    अपीलकर्ता ने एससी स्पोर्ट्स (महिला) श्रेणी में परीक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त किया, लेकिन उसके चयन को इस आधार पर चुनौती दी गई कि पंजाब सिविल सेवा (महिलाओं के लिए पदों का आरक्षण) नियम, 2020 (2020 नियम) में किए गए बाद के संशोधनों ने 29.01.2021 को रोस्टर प्रणाली शुरू की, जिसमें एससी स्पोर्ट्स (महिला) के लिए डीएसपी पद आरक्षित नहीं किया गया।

    प्रतिवादी ने एक DSP पद पर महिलाओं के आरक्षण को चुनौती दी, जिसमें तर्क दिया गया कि विज्ञापन की तिथि के बाद 2020 के नियमों में किए गए संशोधन के माध्यम से नए शुरू किए गए रोस्टर के तहत DSP पद महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं होना चाहिए था।

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अपीलकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया; हालांकि, डिवीजन बेंच ने प्रतिवादी के लेटर्स पेटेंट अपील पर मामले को एकल पीठ द्वारा पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया, जिससे अपीलकर्ता को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष के. मंजूश्री बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (2008) और तेज प्रकाश पाठक बनाम राजस्थान हाईकोर्ट (2025) पर भरोसा करते हुए, जिसमें नियमों में बीच में बदलाव पर रोक लगाई गई, अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि भर्ती प्रक्रिया 11.12.2020 के मूल विज्ञापन द्वारा शासित होनी चाहिए, जिसमें एससी स्पोर्ट्स (महिला) के लिए DSP पद आरक्षित किया गया।

    जबकि प्रतिवादी, जिसने पुरुष वर्ग में परीक्षा में टॉप किया, ने डिवीजन बेंच के फैसले का समर्थन करते हुए तर्क दिया कि रोस्टर को पूर्वव्यापी संचालन दिया जाना चाहिए और शीर्षक वाला पद महिला के लिए आरक्षित नहीं होना चाहिए।

    डिवीजन बेंच का फैसला खारिज करते हुए जस्टिस धूलिया द्वारा लिखे गए फैसले में कहा गया कि चूंकि रोस्टर को भर्ती विज्ञापन के बाद अधिसूचित किया गया, इसलिए विज्ञापन के बाद किए गए बदलाव मूल विज्ञापन के तहत तय की गई भर्ती शर्तों को पूर्वव्यापी रूप से नहीं बदल सकते।

    दूसरे शब्दों में, न्यायालय ने कहा कि भर्ती प्रक्रियाएं उनके प्रारंभ में मौजूद नियमों द्वारा शासित होती हैं।

    अदालत ने कहा,

    "हम एकल न्यायाधीश के निष्कर्षों से इस कारण सहमत हैं कि एक बार जब नए विज्ञापन यानी विज्ञापन संख्या 14 दिनांक 11.12.2020 के माध्यम से पात्रता मानदंड घोषित कर दिया गया तो उसे भर्ती प्रक्रिया के बीच में नहीं बदला जा सकता, क्योंकि यह 'खेल खेले जाने के बाद खेल के नियमों को बदलने' के समान होगा, जैसा कि इस न्यायालय ने के. मंजूश्री बनाम आंध्र प्रदेश राज्य, (2008) 3 एससीसी 512 में कहा है।"

    न्यायालय ने कहा,

    "मौजूदा मामले में निर्णायक तारीख 11.12.2020 का विज्ञापन है। यह विज्ञापन 2020 के नियमों का पालन करता है, जिसमें प्रत्येक सरकारी पद पर महिलाओं के लिए 33% आरक्षण किया जाना था। इस प्रकार, DSP एससी स्पोर्ट्स महिलाओं के लिए आरक्षित था। इसका उल्लेख 11.12.2020 के विज्ञापन में किया गया। इस विज्ञापन या 2020 के नियमों को कभी चुनौती नहीं दी गई। प्रतिवादी अब 11.12.2020 के बाद की घटना का हवाला देकर गलत नहीं कह सकते, जहां तथाकथित रोस्टर प्रणाली अस्तित्व में आई। हमने सिद्धांत रूप में इस रोस्टर की वैधता की जांच करने की आवश्यकता पर भी विचार नहीं किया है। हमारे उद्देश्य के लिए यह मानना ​​पर्याप्त होगा कि 11.12.2020 के बाद कोई बदलाव नहीं किया जा सकता।"

    तदनुसार, न्यायालय ने अपील को अनुमति दी।

    केस टाइटल: प्रभजोत कौर बनाम पंजाब राज्य और अन्य।

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