SC के ताज़ा फैसले

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को मानव-वन्यजीव संघर्ष को प्राकृतिक आपदा मानने पर विचार करने का निर्देश दिया, पीड़ितों को 10 लाख रुपये देने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को मानव-वन्यजीव संघर्ष को 'प्राकृतिक आपदा' मानने पर विचार करने का निर्देश दिया, पीड़ितों को 10 लाख रुपये देने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को मानव-वन्यजीव संघर्ष को "प्राकृतिक आपदा" के रूप में वर्गीकृत करने पर सक्रिय रूप से विचार करने और ऐसी घटनाओं में हुई प्रत्येक मानव मृत्यु के लिए 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने कहा कि यह एकसमान मुआवज़ा अनिवार्य है, जैसा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वन्यजीव आवासों के एकीकृत विकास की सीएसएस योजना के तहत निर्धारित किया गया है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस एएस...

ज़मानत याचिका खारिज होने के बाद हिरासत में लिए गए अभियुक्तों की रिहाई के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका जारी नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्ट
ज़मानत याचिका खारिज होने के बाद हिरासत में लिए गए अभियुक्तों की रिहाई के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका जारी नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक अभियुक्त को उसकी लगातार चार ज़मानत याचिकाएं खारिज होने के बाद बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के माध्यम से रिहा करने का निर्देश दिया गया। जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के दृष्टिकोण को "कानून की दृष्टि से पूरी तरह से अज्ञात" और "इस न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोरने वाला" बताते हुए राज्य की अपील स्वीकार कर ली।यह मामला भोपाल में 2021 में दर्ज धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के एक मामले में आरोपी...

रिट कार्यवाही का लंबित रहना वैकल्पिक वैधानिक उपायों का लाभ न उठाने का कोई आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट
रिट कार्यवाही का लंबित रहना वैकल्पिक वैधानिक उपायों का लाभ न उठाने का कोई आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिट याचिका के लंबित रहने मात्र से वादियों को विशेष कानूनों के तहत प्रदान किए गए वैकल्पिक समयबद्ध उपायों का उपयोग करने के उनके दायित्व से मुक्ति नहीं मिलती।जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की खंडपीठ ने एक वादी द्वारा दायर अपील खारिज की, जिसने अपनी संपत्ति की नीलामी को चुनौती देने के लिए तमिलनाडु राजस्व वसूली अधिनियम, 1864 के तहत वैकल्पिक वैधानिक उपाय होने के बावजूद, एक रिट याचिका के माध्यम से मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प चुना। अपीलकर्ता ने...

केंद्र सरकार को बेनामी अधिनियम के मामलों की समीक्षा की अनुमति देने वाला 2024 का आदेश गणपति डीलकॉम के आधार पर लिया गया निर्णय गलत: सुप्रीम कोर्ट
केंद्र सरकार को बेनामी अधिनियम के मामलों की समीक्षा की अनुमति देने वाला 2024 का आदेश 'गणपति डीलकॉम' के आधार पर लिया गया निर्णय गलत: सुप्रीम कोर्ट

यह देखते हुए कि किसी पूर्व उदाहरण को बाद में खारिज करना समीक्षा का आधार नहीं है, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिसमें गणपति डीलकॉम मामले में 2022 के फैसले के आधार पर पारित आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी, जिसमें बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया गया था।2022 के फैसले को बाद में अक्टूबर, 2024 में भारत संघ बनाम मेसर्स गणपति डीलकॉम प्राइवेट लिमिटेड (आर.पी.(सी) संख्या 359/2023) मामले में तीन जजों की पीठ द्वारा समीक्षा के लिए...

S.138 NI Act | चेक बाउंस मामलों के निपटारे के लिए लगने वाले खर्च पर दामोदर प्रभु फैसले में दिशानिर्देश बाध्यकारी नहीं: सुप्रीम कोर्ट
S.138 NI Act | चेक बाउंस मामलों के निपटारे के लिए लगने वाले खर्च पर 'दामोदर प्रभु फैसले' में दिशानिर्देश बाध्यकारी नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 (NI Act) की धारा 138 के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति पर बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा लगाया गया जुर्माना रद्द कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता को समझौते पर कोई आपत्ति नहीं थी और अपीलकर्ता राशि का भुगतान करने में असमर्थ था।जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि दामोदर एस. प्रभु बनाम सैयद बाबालाल एच. फैसले में दिए गए दिशानिर्देश, जो NI Act में मामले के निपटारे के चरण के आधार पर जुर्माने लगाने का प्रावधान...

दक्षता और लाभ बढ़ाने के लिए सॉफ़्टवेयर ख़रीदने वाली कंपनी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता नहीं: सुप्रीम कोर्ट
दक्षता और लाभ बढ़ाने के लिए सॉफ़्टवेयर ख़रीदने वाली कंपनी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत "उपभोक्ता" नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (13 नवंबर) को फैसला सुनाया कि लाभ कमाने से जुड़े 'व्यावसायिक उद्देश्य' से उत्पाद ख़रीदने वाले व्यक्ति को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत उपभोक्ता नहीं माना जा सकता।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने अपीलकर्ता-सॉफ़्टवेयर कंपनी द्वारा प्रतिवादी-विक्रेता के विरुद्ध दायर उपभोक्ता शिकायत खारिज करने का फ़ैसला बरकरार रखा, जिसमें अपीलकर्ता द्वारा अपनी व्यावसायिक प्रक्रियाओं के स्वचालन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दोषपूर्ण सॉफ़्टवेयर लाइसेंस को...

NDPS Act - वाणिज्यिक मात्रा में मादक पदार्थों के मामलों में धारा 37 की शर्तें पूरी न होने पर लंबी हिरासत और ट्रायल में देरी ज़मानत का आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट
NDPS Act - वाणिज्यिक मात्रा में मादक पदार्थों के मामलों में धारा 37 की शर्तें पूरी न होने पर लंबी हिरासत और ट्रायल में देरी ज़मानत का आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि NDPS Act की धारा 37 के तहत अनिवार्य दोहरी शर्तों के पूरा न होने पर, मादक पदार्थों की वाणिज्यिक मात्रा से जुड़े मामलों में मुकदमे में देरी या लंबी कैद अपने आप में ज़मानत देने का औचित्य नहीं ठहरा सकती। कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के दो आदेशों को रद्द कर दिया, जिनमें राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) द्वारा जांच की गई कोकीन और मेथामफेटामाइन की बड़ी ज़ब्ती के आरोपी विगिन के. वर्गीस को ज़मानत दी गई।जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की खंडपीठ ने मामले को नए सिरे...

एग्जीक्यूटेशन याचिका में जजमेंट डेब्टर द्वारा उल्लंघन दर्शाने का दायित्व डिक्रीधारक का: सुप्रीम कोर्ट
एग्जीक्यूटेशन याचिका में जजमेंट डेब्टर द्वारा उल्लंघन दर्शाने का दायित्व डिक्रीधारक का: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (12 नवंबर) को कहा कि किसी भी डिक्री का एग्जीक्यूटिव केवल पूर्वधारणा के आधार पर नहीं किया जा सकता। यह साबित करने का दायित्व डिक्रीधारक का है कि निर्णय ऋणी द्वारा डिक्री की शर्तों का उल्लंघन किया गया।जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की खंडपीठ ने एक ऐसे मामले की सुनवाई करते हुए कहा, जिसमें एग्जीक्यूटिव कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में भगवान संगलप्पा स्वामी मंदिर के पूजा अधिकारों और प्रबंधन के संबंध में अपीलकर्ताओं और प्रतिवादियों के बीच 1933...

S.304 IPC | इरादा और जानकारी कैसे तय करते हैं कि अपराध सदोष मानव वध है, जो हत्या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने समझाया
S.304 IPC | 'इरादा' और 'जानकारी' कैसे तय करते हैं कि अपराध सदोष मानव वध है, जो हत्या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने समझाया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (10 नवंबर) को एक व्यक्ति की दोषसिद्धि को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 के तहत हत्या के बजाय धारा 304 के भाग I के तहत सदोष मानव वध में बदल दिया। कोर्ट ने कहा कि दोषी का मृतक की हत्या करने का कोई इरादा नहीं था, हालांकि उसे पता था कि चोट लगने से उसकी मौत हो सकती है।जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की खंडपीठ ने 1998 में अहमदाबाद में हुई एक घटना से संबंधित मामले की सुनवाई की, जिसमें अपीलकर्ता एक विवाद के बाद मृतक लुइस विलियम्स के घर गया, गालियां दीं और चाकू...

BREAKING| Nithari Killings : सुरेंद्र कोली हुए बरी, सुप्रीम कोर्ट ने एकमात्र बची हुई दोषसिद्धि खारिज की
BREAKING| Nithari Killings : सुरेंद्र कोली हुए बरी, सुप्रीम कोर्ट ने एकमात्र बची हुई दोषसिद्धि खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निठारी हत्याकांड से जुड़े आखिरी बचे मामले में सुरेंद्र कोली की दोषसिद्धि खारिज कर दी।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के 2011 के फैसले के खिलाफ कोली द्वारा दायर सुधारात्मक याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें एक मामले में उसकी दोषसिद्धि की पुष्टि की गई थी। कोली ने बारह अन्य मामलों में बाद में बरी होने के आधार पर सुधारात्मक याचिका की मांग की थी।जस्टिस नाथ ने आदेश सुनाते हुए कहा कि कोली को आरोपों से बरी...

अचल संपत्ति में स्वामित्व हस्तांतरण पर सर्विस टैक्स नहीं लगता: सुप्रीम कोर्ट
अचल संपत्ति में स्वामित्व हस्तांतरण पर सर्विस टैक्स नहीं लगता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल बिक्री के माध्यम से अचल संपत्ति में स्वामित्व हस्तांतरण से संबंधित गतिविधि को वित्त अधिनियम, 1994 के तहत "सर्विस" नहीं माना जा सकता। परिणामस्वरूप, ऐसे लेनदेन सर्विस टैक्स के दायरे से बाहर हैं।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने इलाहाबाद स्थित साझेदारी फर्म मेसर्स एलिगेंट डेवलपर्स के खिलाफ सेवा कर आयुक्त, नई दिल्ली द्वारा दायर अपील खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। राजस्व विभाग ने कस्टम, एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स अपीलीय न्यायाधिकरण...

पितृत्व के प्रश्न का अपराध से कोई संबंध न होने पर DNA Test का आदेश देना अनुचित: सुप्रीम कोर्ट
पितृत्व के प्रश्न का अपराध से कोई संबंध न होने पर DNA Test का आदेश देना अनुचित: सुप्रीम कोर्ट

विवाह के भीतर जन्मे बच्चों की वैधता की धारणा की पवित्रता को दोहराते हुए एक महत्वपूर्ण फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पितृत्व का निर्धारण करने के लिए डीएनए परीक्षण का निर्देश स्वाभाविक रूप से नहीं दिया जा सकता, खासकर जब इससे बच्चे के अवैध होने का खतरा हो और व्यक्तिगत निजता का हनन हो।न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि डीएनए प्रोफाइलिंग जैसे वैज्ञानिक उपकरणों का इस्तेमाल "फ़िशिंग इंक्वायरी" के लिए नहीं किया जा सकता और इसका इस्तेमाल केवल अत्यंत आवश्यक मामलों में ही किया जाना चाहिए, जहां इसके...

भारतीय वन अधिनियम के तहत केवल नोटिस जारी करने से महाराष्ट्र अधिनियम के तहत निजी वनों का स्वामित्व नहीं हो जाएगा: सुप्रीम कोर्ट
भारतीय वन अधिनियम के तहत केवल नोटिस जारी करने से महाराष्ट्र अधिनियम के तहत निजी वनों का स्वामित्व नहीं हो जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

महाराष्ट्र के निजी वन भूमि स्वामियों को एक बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया, जिसमें केवल भारतीय वन अधिनियम के तहत नोटिस जारी करने के आधार पर निजी वन भूमि का स्वामित्व राज्य सरकार को सौंप दिया गया था। न्यायालय ने निजी वन भूमि का स्वामित्व उसके स्वामियों को वापस कर दिया।न्यायालय ने माना कि हाईकोर्ट का यह निर्णय गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड बनाम महाराष्ट्र राज्य (2014) 3 एससीसी 430 के मामले में दिए गए उदाहरण के विपरीत है, जिसमें यह स्पष्ट किया...

भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत अधिग्रहित भूमि के बदले नौकरी का अधिकार नहीं: सुप्रीम कोर्ट
भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत अधिग्रहित भूमि के बदले नौकरी का अधिकार नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने लगभग तीन दशक पहले अधिग्रहित भूमि के बदले रोजगार की मांग करने वाली याचिका खारिज की। कोर्ट ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 में ऐसा कोई अधिकार प्रदान नहीं किया गया और मुआवजे का भुगतान राज्य के दायित्व को पूरी तरह से पूरा करता है।जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ एक व्यक्ति द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसकी पारिवारिक भूमि 1998 में भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत अधिग्रहित की गई। याचिकाकर्ता, जिसका अधिग्रहण के समय जन्म भी नहीं...

RTE Act के तहत निर्धारित समय-सीमा के भीतर TET उत्तीर्ण करने वाले शिक्षकों को नियुक्ति के समय योग्यता न होने के कारण बर्खास्त नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
RTE Act के तहत निर्धारित समय-सीमा के भीतर TET उत्तीर्ण करने वाले शिक्षकों को नियुक्ति के समय योग्यता न होने के कारण बर्खास्त नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन शिक्षकों ने बच्चों के निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act) के तहत निर्धारित समय-सीमा के भीतर शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) उत्तीर्ण की है, उन्हें केवल इसलिए बर्खास्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि उनकी प्रारंभिक नियुक्ति के समय उनके पास यह योग्यता नहीं थी।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने दो सहायक अध्यापकों, उमा कांत और एक अन्य की अपील स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया। इन सहायक अध्यापकों को 2012 में...

देशभर की सड़कों से हटाए जाए आवारा जानवर: सुप्रीम कोर्ट ने आश्रयों में भेजने का दिया आदेश
देशभर की सड़कों से हटाए जाए आवारा जानवर: सुप्रीम कोर्ट ने आश्रयों में भेजने का दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने आज राष्ट्रीय और राज्य प्राधिकरणों को आदेश दिया कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से तुरंत आवारा जानवरों, जिनमें मवेशी भी शामिल हैं, को हटाएं।न्यायालय ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे उन राजमार्गों और सार्वजनिक स्थानों की पहचान करें जहां आवारा जानवर अक्सर दिखाई देते हैं और उन्हें कानून के अनुसार निर्दिष्ट आश्रयों में स्थानांतरित करें। साथ ही, कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि राजमार्गों और समान स्थलों पर नियमित अंतराल पर हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित...

BREAKING| कुत्तों के काटने के मामलों में खतरनाक वृद्धि: सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों, अस्पतालों, बस अड्डों आदि के परिसरों से आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया
BREAKING| 'कुत्तों के काटने के मामलों में खतरनाक वृद्धि': सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों, अस्पतालों, बस अड्डों आदि के परिसरों से आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया

"कुत्तों के काटने की घटनाओं में खतरनाक वृद्धि" को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया कि हर शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, सार्वजनिक खेल परिसरों, बस अड्डों और डिपो, रेलवे स्टेशनों आदि में आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए उचित बाड़ लगाई जाए।संबंधित स्थानीय स्व-सरकारी संस्थानों की ज़िम्मेदारी होगी कि वे ऐसे संस्थानों/क्षेत्रों से आवारा कुत्तों को उठाएं और पशु जन्म नियंत्रण नियमों के अनुसार टीकाकरण और नसबंदी के बाद उन्हें निर्दिष्ट कुत्ता आश्रयों में पहुंचाएं। कोर्ट ने आगे आदेश दिया...

कानूनी उत्तराधिकारी का नाम रिकॉर्ड में दर्ज न किए जाने पर सुनवाई से पहले मृत पक्षकार के पक्ष में पारित निर्णय अमान्य: सुप्रीम कोर्ट
कानूनी उत्तराधिकारी का नाम रिकॉर्ड में दर्ज न किए जाने पर सुनवाई से पहले मृत पक्षकार के पक्ष में पारित निर्णय अमान्य: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (6 नवंबर) को कहा कि किसी ऐसे पक्षकार के पक्ष में दिया गया निर्णय, जिसकी सुनवाई से पहले ही मृत्यु हो गई हो, कानूनी रूप से लागू नहीं होता और कानून में उसका कोई प्रभाव नहीं होता।दूसरे शब्दों में, यदि अपीलकर्ता की अपील की सुनवाई से पहले ही मृत्यु हो जाती है तो अपील रद्द हो जाती है।जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस ए.एस. चंदुरकर की खंडपीठ ने उस मामले की सुनवाई की, जिसमें दो प्रतिवादियों ने वादी के पक्ष में पारित ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए प्रथम अपील दायर की थी।...

गिरफ्तारी के लिखित आधार गिरफ्तार व्यक्ति की समझ में आने वाली भाषा में प्रस्तुत न किए जाने पर गिरफ्तारी और रिमांड अवैध: सुप्रीम कोर्ट
गिरफ्तारी के लिखित आधार गिरफ्तार व्यक्ति की समझ में आने वाली भाषा में प्रस्तुत न किए जाने पर गिरफ्तारी और रिमांड अवैध: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी समझ में आने वाली भाषा में गिरफ्तारी के लिखित आधार उपलब्ध न कराने पर गिरफ्तारी और उसके बाद रिमांड अवैध हो जाती है।कोर्ट ने कहा,"गिरफ्तार व्यक्ति द्वारा न समझी जाने वाली भाषा में आधारों का केवल संप्रेषण ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 22 के तहत संवैधानिक आदेश को पूरा नहीं करता। गिरफ्तार व्यक्ति द्वारा समझी जाने वाली भाषा में ऐसे आधार प्रदान न करने से संवैधानिक सुरक्षा उपाय भ्रामक हो जाते हैं और भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 के तहत प्रदत्त...