SC के ताज़ा फैसले

National Uniform Public Holiday Policy
दिल्‍ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में किए अपराधों की जांच के ‌लिए सीबीआई को उस राज्य ‌‌की सहमति की जरूरत नहीं, जहां अभियुक्त कार्यरत होः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेंट्रल ब्यूरो एजेंसी (सीबीआई) किसी अ‌‌भियुक्त द्वारा किसी अन्य राज्य में किए गए अपराध की जांच के संबंध में, सबंध‌ित राज्य की अनुमति के बिना, किसी केंद्र शासित प्रदेश में भी जांच कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक मामले में अभ‌ियुक्त ने सवाल उठाया था कि क्या बिहार सरकार के मामलों के संबंध में नियोजित लोक सेवकों के खिलाफ सीबीआई को मामला दर्ज का अधिकार है। कथित तौर पर धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी अभियुक्त की तर्क था कि आईएएस ऑफिसर होने के कारण बिहार सरकार के मामलों के...

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NDPS-मिश्रण में तटस्‍थ पदार्थ की मात्रा को दवा के वास्तविक वजन के साथ विचार किया जाना च‌ा‌हिए, ताकि छोटी या व्यावसाय‌िक मात्रा तय हो सकेः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 के तहत नशीली दवाओं या साइकोट्रोपिक पदार्थ के मिश्रण में तटस्थ पदार्थों की मात्रा को, 'छोटी या व्यावसायिक मात्रा' निर्धारित करते हुए अपराधी दवा के वास्तविक वजन के साथ ध्यान दिया जाना चाहिए। तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने इसी दृष्टिकोण पर 2008 के ई माइकल राज बनाम इंटेलिजेंस ऑफिसर, नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के मामले में दिए निर्णय को रद्द कर दिया, जिसमें माना गया था कि एनडीपीएस एक्ट के तहत...

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बीमा अनुबंध में संशय की स्थिति में छूट के खंड को बीमाकर्ता के खिलाफ माना जाएः सुप्रीम कोर्ट

मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति मामले में द‌िए एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीमा अनुबंधों में ‌उत्तरदाय‌ित्व खंड में छूट की अस्‍पष्टता को बीमा कंपनी के खिलाफ माना जाए। मामले में जस्टिस आरएफ नरीमन और एस रवींद्र भट की बेंच ने कोंट्रा प्रोफरेंटेम (contra proferentum) सिद्धांत का उपयोग कर फैसला दिया और न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की देनदारी को बहाल किया, जिसमें एक मोटर दुर्घटना में लगभग 37.6 लाख रुपए के मुआवजा और ब्याज के भुगतान का आदेश दिया गया। 23 साल पुरानी दुर्घटना...

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याचिका में दावा-लॉकडाउन में गंभीर रोगियों की चिकित्सा सेवाओं में कमी, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द करते हुए कहा-एक खबर के आधार पर नोटिस नहीं दे सकते

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका, जिसमें सरकारी दिशानिर्देशों के अप्रभावी कार्यान्वयन की शिकायत की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे नागरिकों को, जिन्हें तत्काल/सुसंगत चिकित्सा की आवश्यकता होती है (जैसे कि कैंसर रोगी और गर्भवती महिलाएं) को मुश्किल उठानी पड़ी थी, को खारिज कर दिया गया है। ज‌स्टिस एनवी रमना, संजय किशन कौल और बीआर गवई की खंडपीठ ने कहा कि एक समाचार रिपोर्ट के आधार पर नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है, इसलिए जनहित याचिका को खारिज किया जाता है। वरिष्ठ अधिवक्ता सोनिया माथुर याचिकाकर्ता...

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ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 की धारा 3 (बी) (i) के तहत मेड‌िकल ऑक्सीजन आईपी और नाइट्रस ऑक्साइड आईपी भी 'दवाएं' हैं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि 'मेडिकल ऑक्सीजन आईपी' और 'नाइट्रस ऑक्साइड आईपी' भी ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 की धारा 3 (बी) (i) के अर्थ में 'दवा' हैं। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि इन गैसीय पदार्थों पर आंध्र प्रदेश मूल्य वर्धित कर अधिनियम 2005 की अनुसूची V की प्रविष्टि 88 के तहत 'दवाओं' के रूप में कर लगाया जाए। बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से दायर अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि ये पदार्थ अनुसूची IV के तहत दवाओं के...

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों/ UT को   देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान रिहा किए कैदियों को सुरक्षित परिवहन देने को कहा 
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों/ UT को  देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान रिहा किए कैदियों को सुरक्षित परिवहन देने को कहा 

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जेलों से रिहा किए गए कैदियों को सुरक्षित परिवहन प्रदान किया जाए ताकि वे कोरोनावायरस (COIDID-19) के प्रकोप के परिणामस्वरूप देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनज़र अपने घरों तक पहुंच सकें।भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और वरिष्ठ वकील और एमिकस क्यूरी दुष्यंत दवे की टिप्पणियों को संज्ञान में लिया और भीड़भाड़ के परिणामस्वरूप महामारी के चलते...

कोरोना : जेलों में बंद कैदियों की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पैनल के गठन का निर्देश दिया
कोरोना : जेलों में बंद कैदियों की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पैनल के गठन का निर्देश दिया

कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की जेलों में कैदियों की संख्या को कम करने के लिए राज्यों से उन कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने के लिए विचार करने पर कहा है जो अधिकतम 7 साल की सजा काट रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने राज्य सरकारों को उच्च शक्ति समिति का गठन करने को कहा है जो यह निर्धारित करेगी कि कौन सी श्रेणी के अपराधियों को या मुकदमों के तहत पैरोल या अंतरिम जमानत दी जा सकती है। सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्यों...

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हाईकोर्ट रिट अधिकार का उपयोग कर कानूनी कल्पना पर प्रतिबंध लगा सकता है, बशर्ते वह कल्पना संचालन में न आ चुकी होः सुप्रीम ‌कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दिए गए अधिकारों का उपयोग करते हुए कानून में शामिल की गई कानूनी कल्पना पर प्रतिबंध लगा सकता है, बशर्ते उक्त कानूनी कल्पना संचालन में न आ चुकी हो। जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नवीन सिन्हा की खंडपीठ ने दोहराया कि अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय की शक्ति को किसी क़ानून के विपरीत प्रावधान के ज‌रिए वापस लिया या संकुचित किया नहीं जा सकता है। कानून और तथ्यमुंबई नगर निगम कानून की धारा 5 बी के अनुसार उम्मीदवार को नामांकन पत्र दाखिल...

(COVID 19) : सुप्रीम कोर्ट में शुरू होगी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, 24 घंटे उपलब्ध होगी ई फाइलिंग
(COVID 19) : सुप्रीम कोर्ट में शुरू होगी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, 24 घंटे उपलब्ध होगी ई फाइलिंग

नॉवेल कोरोना वायरस COVID-19 के फैलने का मुकाबला करने के लिए सुप्रीम कोर्ट लोगों के संपर्क से बचने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालती कार्यवाही शुरू करेगा।मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे ने देश में कोरोना प्रकोप के मद्देनजर न्यायालयों के कामकाज के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा करने के लिए रविवार शाम एक तत्काल बैठक बुलाई । जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस यू.यू. ललित, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल नागेश्वर राव इस बैठक में शामिल हुए। देश के प्रमुख डॉक्टर जैसे एम्स के डॉक्टर...

COVID 19 : सुप्रीम कोर्ट ने वायरस फैलने की चेतावनी के मद्देनज़र एहतियात के तौर पर उपाय जारी किए
COVID 19 : सुप्रीम कोर्ट ने वायरस फैलने की चेतावनी के मद्देनज़र एहतियात के तौर पर उपाय जारी किए

भारत सरकार द्वारा नोवेल कोरोनोवायरस (COVID19) संक्रमण के फैलने बचने के लिए सामूहिक सभा/भीड़ एकत्रित होने पर जारी की गई चेतावनी के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित एहतियात के तौर पर उपाय जारी किए हैं। 1. विभागीय कैंटीन सहित सभी कैफेटेरिया को अगले आदेश तक बंद रहने की सलाह दी जा रही है। सभी कर्मचारी सदस्य इस संबंध में अपनी व्यवस्था करेंगे। 2. सभी स्टाफ सदस्यों को सलाह दी जाती है कि वे खुद को किसी भी वायरस के संपर्क में आने से बचाने के लिए अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। 3. सभी...

चेक बाउंस मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए रिट याचिका दर्ज की
चेक बाउंस मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए रिट याचिका दर्ज की

सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए एक मैकेनिज़्म विकसित करने के लिए स्वत: संज्ञान लेते हुए एक रिट याचिका दर्ज की है। शीर्ष अदालत पंद्रह साल पहले दायर चेक अनादर की शिकायत के एक मामले पर दर्ज विशेष अनुमति याचिका पर विचार कर रही थी। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने टिप्पणी की: "एक ऐसा मामला, जिसे छह महीने में ट्रायल कोर्ट द्वारा निपटाया जाना चाहिए, इस मामले को ट्रायल कोर्ट के स्तर पर निस्तारित करने में सात साल लग गए। विभिन्न अदालतों में...

कोर्ट दस्तावेजों की प्रतियां आरटीआई कानून के बजाय, कोर्ट नियमों के तहत आवेदन करके पाई जा सकती हैंः सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट दस्तावेजों की प्रतियां आरटीआई कानून के बजाय, कोर्ट नियमों के तहत आवेदन करके पाई जा सकती हैंः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि न्यायिक पक्ष में सूचनाओं की प्राप्य/ प्रमाणित प्रतियों को हाईकोर्ट नियमों के तहत प्रदान किए गए तंत्र के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा और ऐसी सूचनाओं को पाने के लिए आरटीआई एक्ट के प्रावधानों का सहारा नहीं लिया जाएगा। जस्टिस भानुमती, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने मुख्य सूचना आयुक्त बनाम गुजरात हाईकोर्ट व अन्य के मामले में कहा कि अदालत के दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां प्राप्त करने के लिए अदालत के नियमों के तहत आवेदन करना चाहिए। मामले...

अनुच्छेद 370 : सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों का पीठ ही करेगी सुनवाई, बड़ी पीठ को संदर्भित करने से इनकार
अनुच्छेद 370 : सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों का पीठ ही करेगी सुनवाई, बड़ी पीठ को संदर्भित करने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को निरस्त करने के लिए 5 और 6 अगस्त को अनुच्छेद 370 के तहत जारी किए गए राष्ट्रपति के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी पीठ को संदर्भित करने की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने कहा कि संविधान पीठ के दो पुराने फैसलों में कोेई विरोधाभासी टिप्पणी नहीं है और वर्तमान पीठ इस मामले की सुनवाई के लिए सक्षम है। हालांकि पीठ ने कोई तारीख सुनवाई के लिए तय नहीं की है। जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस एस के कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी...

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वादी को वाद दायर करने का कारण हासिल हो जाता है जब उसका कोई अधिकार स्पष्ट और जाहिर तौर पर खतरे में हो : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वादी को वाद दायर करने का कारण तब मिल जाता है जब उसके अधिकार के स्पष्ट और जाहिर तौर पर हनन का खतरा होता है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की खंडपीठ ने यह टिप्पणी हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखते हुए की, जिसमें कहा गया था कि ज़ी टेलीफिल्म्स लिमिटेड एवं अन्य के खिलाफ वादियों के वाद निश्चित समय सीमा से प्रतिबंधित नहीं थे। इस मामले में फिल्म निर्माण, वितरण और सिनेकला प्रदर्शन के व्यवसाय से जुड़े वादियों ने बचाव पक्ष द्वारा नामित चार व्यक्तियों को...

शाहीन बाग धरना :वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद रिपोर्ट दाखिल की, 26 फरवरी को सुनवाई
शाहीन बाग धरना :वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद रिपोर्ट दाखिल की, 26 फरवरी को सुनवाई

सीएए के विरोध में शाहीन बाग सड़क पर चल रहे प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट अब 26 फरवरी को सुनवाई करेगा। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वार्ताकार नियुक्त वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने सील कवर में अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी। जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की बेंच ने कहा कि वो इस रिपोर्ट पर गौर करने के बाद सुनवाई करेंगे। अदालत ने ये भी साफ किया कि ये रिपोर्ट सिर्फ कोर्ट के लिए है और इसे रिकॉर्ड पर भी नहीं लिया गया है।17 फरवरी को शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन के कारण सड़क...

बीमा पॉलिसी के लाभार्थी भी उपभोक्ता, भले ही वो पार्टी न होंः सुप्रीम कोर्ट
बीमा पॉलिसी के लाभार्थी भी 'उपभोक्ता', भले ही वो पार्टी न होंः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीमाधारक द्वारा ली गई बीमा पॉलिसी के लाभार्थी भी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत 'उपभोक्ता' हैं, भले ही वे बीमा अनुबंध के पक्षकार न हों। इस मामले में, किसानों ने श्रीदेवी कोल्ड स्टोरेज नामक एक साझेदारी फर्म के तहत संचालित कोल्ड स्टोर में अपनी उपज का भंडारण किया था। कोल्ड स्टोरेज फर्म का बीमा यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के साथ किया गया था। राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी द्वारा कोल्ड स्टोर के दावे को निरस्त करने के खिलाफ किसानों द्वारा दायर...