SC के ताज़ा फैसले

सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति वंशानुगत आधार पर नहीं की जा सकती : सुप्रीम कोर्ट
सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति वंशानुगत आधार पर नहीं की जा सकती : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सार्वजनिक सेवा में वंशानुगत नियुक्तियों के खिलाफ फैसला सुनाया।कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति वंशानुगत आधार पर नहीं की जा सकती और ऐसी नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करती है।जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ ने ऐसा मानते हुए पटना हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा, जिसमें चौकीदारों के पद पर वंशानुगत सार्वजनिक नियुक्तियों की अनुमति देने वाले राज्य सरकार के नियम को असंवैधानिक करार दिया गया था।बिहार चौकीदारी संवर्ग (संशोधन) नियम, 2014...

BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में पश्चिम बंगाल SSC द्वारा की गई 25 हजार कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला बरकरार रखा
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में पश्चिम बंगाल SSC द्वारा की गई 25 हजार कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा, जिसमें 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल चयन आयोग (SSC) द्वारा की गई करीब 25000 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को अमान्य करार दिया गया।कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस निष्कर्ष को मंजूरी दी कि चयन प्रक्रिया में धोखाधड़ी की गई और उसे सुधारा नहीं जा सकता। कोर्ट ने नियुक्तियों को रद्द करने के हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ सरकारी स्कूलों में नियुक्तियों को रद्द करने के...

केवल गलत आदेश पारित करने के आधार पर अर्ध-न्यायिक अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्ट
केवल गलत आदेश पारित करने के आधार पर अर्ध-न्यायिक अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व तहसीलदार के खिलाफ शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही रद्द की। कोर्ट इस मामले में यह फैसला दिया कि दुर्भावना या बाहरी प्रभाव के आरोपों के बिना गलत अर्ध-न्यायिक आदेश अकेले अनुशासनात्मक कार्रवाई को उचित नहीं ठहरा सकते।कोर्ट ने कहा कि जब आदेश सद्भावनापूर्वक (हालांकि गलत) पारित किया गया तो यह अर्ध-न्यायिक अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का औचित्य नहीं रखता, जब तक कि आदेश बाहरी कारकों या किसी भी तरह के रिश्वत से प्रभावित न हो।जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस ए.जी....

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी प्राधिकरण को अवैध विध्वंस के लिए 60 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी प्राधिकरण को अवैध विध्वंस के लिए 60 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को उन छह व्यक्तियों को प्रत्येक को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है, जिनके घरों को अवैध रूप से ध्वस्त कर दिया गया था, और इस कार्रवाई को "अमानवीय और गैरकानूनी" करार दिया है।कोर्ट ने कहा, "प्राधिकरणों और विशेष रूप से विकास प्राधिकरण को यह याद रखना चाहिए कि आश्रय का अधिकार भी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अभिन्न अंग है… अनुच्छेद 21 के तहत अपीलकर्ताओं के अधिकारों के उल्लंघन में की गई इस अवैध तोड़फोड़ को ध्यान में रखते हुए, हम प्रयागराज...

75 साल पुराने गणतंत्र को इतना अस्थिर नहीं होना चाहिए कि शायरी या कॉमेडी से शत्रुता पैदा होने लगे: सुप्रीम कोर्ट
75 साल पुराने गणतंत्र को इतना अस्थिर नहीं होना चाहिए कि शायरी या कॉमेडी से शत्रुता पैदा होने लगे: सुप्रीम कोर्ट

कलात्मक अभिव्यक्ति और असहमतिपूर्ण विचारों के खिलाफ आपराधिक कानून के बढ़ते दुरुपयोग की कड़ी निंदा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संवैधानिक संरक्षण व्यक्त किए गए विचारों की लोकप्रिय स्वीकृति पर निर्भर नहीं है।सोशल मीडिया पर साझा की गई एक ग़ज़ल को लेकर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR खारिज करते हुए कोर्ट ने अफसोस जताया कि आजादी के 75 साल बाद भी हमारी पुलिस मशीनरी संवैधानिक गारंटियों से अवगत नहीं...

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 3 महीनों में महानगरों में हुई मैनुअल सीवर क्लीनर्स की मौतों के लिए 4 सप्ताह के भीतर 30 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 3 महीनों में महानगरों में हुई मैनुअल सीवर क्लीनर्स की मौतों के लिए 4 सप्ताह के भीतर 30 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया

मैला ढोने और सीवर की सफाई पर प्रतिबंध लगाने के बारे में असंतोषजनक हलफनामों पर प्रमुख शहरों (दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद और बेंगलुरु) के अधिकारियों को तलब करने के अपने पिछले आदेश के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (27 मार्च) को कहा कि नए हलफनामों को अनुपालन की झूठी धारणा बनाने के लिए चतुराई से लिखा गया है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगली सुनवाई में उचित हलफनामा दाखिल न करने पर स्वतः संज्ञान लेकर अवमानना ​​कार्यवाही की जाएगी। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ मैला ढोने और खतरनाक सफाई पर...

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के सभी जिला बार एसोसिएशनों में कोषाध्यक्ष और 30 फीसदी EC/काउंसिल पद महिला वकीलों के लिए आरक्षित किए
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के सभी जिला बार एसोसिएशनों में कोषाध्यक्ष और 30 फीसदी EC/काउंसिल पद महिला वकीलों के लिए आरक्षित किए

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (24 मार्च) को कर्नाटक राज्य के सभी जिला बार संघों में कोषाध्यक्ष का पद तथा कार्यकारी समिति/शासी परिषद के 30% पद महिला वकीलों के लिए आरक्षित कर दिए। जस्टिस सूर्यकांत तथा जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह आदेश पारित किया, जब यह प्रार्थना की गई कि अधिवक्ता संघ बेंगलुरु के मामले में महिला वकीलों के लिए पद आरक्षित करने के आदेश को राज्य के सभी जिला बार संघों तक बढ़ाया जाए।यह टिप्पणी करते हुए कि न्यायालय "चाहता है कि यह आंदोलन पूरे भारत में फैल जाए", जस्टिस कांत ने इस प्रकार...

स्टूडेंट आत्महत्याएं | कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया
स्टूडेंट आत्महत्याएं | कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (24 मार्च) को छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने और उच्च शिक्षण संस्थानों (एचआईई) में आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए नेशनल टास्क फोर्स के गठन का निर्देश दिया।कोर्ट ने यह भी माना कि कैंपस में आत्महत्या जैसी किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना की स्थिति में, उचित अधिकारियों के पास तुरंत एफआईआर दर्ज कराना संस्थान का स्पष्ट कर्तव्य बन जाता है।कोर्ट ने जातिगत भेदभाव, रैगिंग और छात्रों को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले...

शिकायतकर्ता ने पहले पुलिस से संपर्क नहीं किया तो मजिस्ट्रेट CrPC की धारा 156(3) के तहत FIR दर्ज करने का निर्देश नहीं दे सकता : सुप्रीम कोर्ट
शिकायतकर्ता ने पहले पुलिस से संपर्क नहीं किया तो मजिस्ट्रेट CrPC की धारा 156(3) के तहत FIR दर्ज करने का निर्देश नहीं दे सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि किसी शिकायतकर्ता को CrPC की धारा 156(3) के तहत FIR दर्ज करने और संज्ञेय अपराध की जांच करने के लिए मजिस्ट्रेट से निर्देश मांगने से पहले उन्हें पहले CrPC की धारा 154(1) और 154(3) के तहत उपायों का इस्तेमाल करना चाहिए।CrPC की धारा 154(1) के तहत किसी व्यक्ति को अपराध की सूचना पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी को देनी चाहिए, जिसे इसे लिखित रूप में दर्ज करना होगा, इसे सूचना देने वाले को वापस पढ़ना होगा और उनके हस्ताक्षर प्राप्त करने होंगे।यदि पुलिस शिकायत दर्ज करने से इनकार करती...

BREAKING| न्यायालय में केवल शारीरिक रूप से उपस्थित और बहस करने वाले वकीलों की उपस्थिति दर्ज की जाएगी : सुप्रीम कोर्ट
BREAKING| न्यायालय में केवल शारीरिक रूप से उपस्थित और बहस करने वाले वकीलों की उपस्थिति दर्ज की जाएगी : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट में वकीलों की उपस्थिति दर्ज करने के संबंध में आदेश पारित किए।न्यायालय ने कहा कि केवल सीनियर एडवोकेट या एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड या एडवोकेट, जो मामले की सुनवाई के समय न्यायालय में शारीरिक रूप से उपस्थित हों और बहस कर रहे हों तथा ऐसे वकील की सहायता के लिए न्यायालय में एक-एक वकील/एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड सीनियर एडवोकेट, एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड या एडवोकेट, जैसा भी मामला हो, की उपस्थिति कार्यवाही के रिकॉर्ड में दर्ज की जाएगी।न्यायालय ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उपस्थिति सुप्रीम कोर्ट नियम...

न्यायालय को केवल प्रत्यक्ष बातचीत के आधार पर बच्चे की निर्णय लेने की क्षमता के बारे में विशेषज्ञ की राय को खारिज नहीं करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
न्यायालय को केवल प्रत्यक्ष बातचीत के आधार पर बच्चे की निर्णय लेने की क्षमता के बारे में विशेषज्ञ की राय को खारिज नहीं करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि बाल हिरासत के मामलों में जब बच्चे की स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता के बारे में अनिश्चितता होती है, तो दिव्यांगता की पुष्टि करने वाले विशेषज्ञ की राय को बच्चे के साथ प्रत्यक्ष बातचीत से निकाले गए निष्कर्षों पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए।न्यायालय ने दिव्यांग व्यक्तियों की स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता निर्धारित करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सा आकलन पर भरोसा करने के महत्व पर जोर दिया। इसने फैसला सुनाया कि जब किसी विशेषज्ञ की विशेषज्ञ राय बच्चे की स्वतंत्र निर्णय लेने...

कस्टम अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं, उन्हें गिरफ़्तारी से पहले विश्वास करने के कारणों की उच्च सीमा को पूरा करना होगा: सुप्रीम कोर्ट
'कस्टम अधिकारी' 'पुलिस अधिकारी' नहीं, उन्हें गिरफ़्तारी से पहले 'विश्वास करने के कारणों' की उच्च सीमा को पूरा करना होगा: सुप्रीम कोर्ट

कस्टम एक्ट (Custom Act) के दंडात्मक प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'कस्टम अधिकारी' 'पुलिस अधिकारी' नहीं हैं। उन्हें किसी आरोपी को गिरफ़्तार करने से पहले 'विश्वास करने के कारणों' की उच्च सीमा को पूरा करना होगा।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कस्टम एक्ट, CGST/SGST Act आदि में दंडात्मक प्रावधानों को CrPC और संविधान के साथ असंगत बताते हुए चुनौती देने वाली 279 याचिकाओं के एक समूह पर...

GST Act के तहत अपराध के बारे में पर्याप्त निश्चितता होने पर टैक्स देयता के अंतिम निर्धारण के बिना भी गिरफ्तारी की जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट
GST Act के तहत अपराध के बारे में पर्याप्त निश्चितता होने पर टैक्स देयता के अंतिम निर्धारण के बिना भी गिरफ्तारी की जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट

वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम (GST Act) और सीमा शुल्क अधिनियम (Customs Act) के तहत गिरफ्तारी की शक्तियों से निपटने वाले अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि गिरफ्तारी करने के लिए टैक्स देयता का क्रिस्टलीकरण अनिवार्य नहीं है। कुछ मामलों में जब इस बात की पर्याप्त निश्चितता होती है कि टैक्स चोरी की गई राशि अपराध है तो आयुक्त सामग्री और साक्ष्य के आधार पर विश्वास करने के लिए "स्पष्ट" कारण दर्ज करने के बाद गिरफ्तारी को अधिकृत कर सकता है।कोर्ट ने कहा,"हम स्वीकार करेंगे कि सामान्य रूप से मूल्यांकन...

अभियुक्त की पहचान करने वाले गवाह से ट्रायल के दौरान पूछताछ न किए जाने पर TIP साक्ष्य मूल्य खो देता है : सुप्रीम कोर्ट
अभियुक्त की पहचान करने वाले गवाह से ट्रायल के दौरान पूछताछ न किए जाने पर TIP साक्ष्य मूल्य खो देता है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आरोपी को यह देखते हुए बरी कर दिया कि Test Identification Parade (TIP) के दौरान अभियुक्त को देखने वाले व्यक्ति से ट्रायल के दौरान पूछताछ नहीं की गई।कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि जब तक TIP के दौरान अभियुक्त को देखने वाले व्यक्ति से ट्रायल के दौरान पूछताछ नहीं की जाती, तब तक TIP रिपोर्ट जो गवाह की पुष्टि या खंडन करने के लिए उपयोगी हो सकती है, पहचान के प्रयोजनों के लिए अपना साक्ष्य मूल्य खो देगी।अदालत ने कहा,इस प्रकार, यदि TIP में किसी व्यक्ति या वस्तु की पहचान करने वाले...

गलत तरीके से बर्खास्तगी के खिलाफ कुछ मामलों में पिछले वेतन के साथ बहाली की तुलना में एकमुश्त मुआवजा बेहतर उपाय हो सकता है: सुप्रीम कोर्ट
गलत तरीके से बर्खास्तगी के खिलाफ कुछ मामलों में पिछले वेतन के साथ बहाली की तुलना में एकमुश्त मुआवजा बेहतर उपाय हो सकता है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ मामलों में गलत तरीके से बर्खास्तगी के मामले में पिछले वेतन के साथ बहाली की तुलना में एकमुश्त मुआवजा देना अधिक उचित उपाय हो सकता है। ऐसे मुआवजे का निर्देश देते समय अदालतों को कर्मचारी और नियोक्ता के हितों को ध्यान में रखते हुए अपने दृष्टिकोण को उचित ठहराना आवश्यक है।दीपाली गुंडू सुरवासे बनाम क्रांति जूनियर अध्यापक महाविद्यालय, (2013) 10 एससीसी 324 सहित कई मामलों पर भरोसा करते हुए कोर्ट ने कहा कि बर्खास्त कर्मचारी को पिछले वेतन का भुगतान करने का आदेश देना स्वतः राहत...

ACP लाभ पाने वाले न्यायिक अधिकारी LLM योग्यता प्राप्त करने पर अतिरिक्त वेतन वृद्धि के भी हकदार: सुप्रीम कोर्ट
ACP लाभ पाने वाले न्यायिक अधिकारी LLM योग्यता प्राप्त करने पर अतिरिक्त वेतन वृद्धि के भी हकदार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि वार्षिक कैरियर प्रगति (ACP) का लाभ पाने वाले न्यायिक अधिकारी उच्च योग्यता प्राप्त करने के कारण अतिरिक्त वेतन वृद्धि के भी हकदार हैं।मणिपुर के न्यायिक अधिकारी ने अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आवेदन दायर कर यह स्पष्टीकरण मांगा कि क्या न्यायिक अधिकारी प्रत्येक सुनिश्चित कैरियर प्रगति (ACP) चरण में उच्च योग्यता भत्ते के हकदार हैं।जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि यह मुद्दा 4 जनवरी, 2024 को अखिल भारतीय...