राज�थान हाईकोट
राजस्थान हाईकोर्ट ने शिल्पा शेट्टी के खिलाफ SC/ST Act का मामला खारिज किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के खिलाफ 2013 के एक टेलीविजन साक्षात्कार में "भंगी" शब्द का इस्तेमाल करने के लिए SC/ST Act के खिलाफ शिकायत को खारिज कर दिया है।जस्टिस अरुण मोंगा ने कहा कि "आईपीसी की धारा 153 A के तहत अपराधों के लिए आवश्यक अवयवों की अनुपस्थिति, धारा 196 सीआरपीसी के तहत अनिवार्य प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं का पालन करने में विफलता और एससी / एसटी अधिनियम की प्रयोज्यता की कमी के प्रकाश में, एफआईआर स्पष्ट रूप से अवैध है और रद्द करने के योग्य है। आरोप न तो उद्धृत अपराधों के...
किसी मुकदमे का मूल्यांकन दावा की गई राहत की प्रकृति पर आधारित होता है, संपत्ति के बाजार मूल्य पर नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया
एक संपत्ति की बिक्री से संबंधित विवाद की सुनवाई करते हुए, जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि यह केवल दावा की गई राहत की प्रकृति और मूल्यांकन था जिसके आधार पर सूट का मूल्यांकन और अदालत शुल्क निर्धारित किया गया था और किसी भी संपत्ति का बाजार मूल्य नहीं था।जस्टिस रेखा बोराना अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के एक आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थीं, जिसमें भले ही मुकदमा खारिज करने के लिए एक आवेदन खारिज कर दिया गया था, लेकिन याचिकाकर्ताओं को मुकदमे का पुनर्मूल्यांकन करने और अदालत की फीस का...
REET | यदि राज्य सरकार की एक एजेंसी उम्मीदवार को योग्य घोषित करती है तो दूसरी सरकारी एजेंसी उसे अयोग्य घोषित नहीं कर सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि एक बार राज्य सरकार की एक एजेंसी यानी शिक्षा बोर्ड ने किसी अभ्यर्थी को REET लेवल-I परीक्षा उत्तीर्ण प्रमाणित कर दिया, तो दूसरी एजेंसी यानी शिक्षा विभाग के लिए यह अधिकार नहीं है कि वह यह कहकर उसकी उम्मीदवारी खारिज कर दे कि उसने परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है। जस्टिस फरजंद अली की पीठ राज्य शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित सहायक अध्यापक लेवल-I की भर्ती के एक अभ्यर्थी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसकी उम्मीदवारी इस आधार पर खारिज कर दी गई थी कि उसके 82/150...
आपराधिक मामले में 'सम्मानजनक' बरी न होने पर अवसर से वंचित करना समाज में पुनः एकीकरण के सिद्धांत के विरुद्ध: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता की कांस्टेबल पद के लिए उम्मीदवारी को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर में उसे बरी करना सम्मानजनक नहीं था, बल्कि सबूतों के अभाव में ऐसा किया गया था। जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने फैसला सुनाया कि बरी होना, चाहे किसी भी आधार पर हो, बरी होना ही है, जिससे याचिकाकर्ता की कानून का पालन करने वाले नागरिक के रूप में स्थिति बहाल होती है। यह माना गया कि केवल एफआईआर के आधार पर याचिकाकर्ता को नियुक्ति...
38 साल के बेदाग रिकॉर्ड वाले कांस्टेबल को जाली मार्कशीट जमा करने के लिए सेवा से हटाया जाना अनुपातहीन: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने कांस्टेबल के खिलाफ सेवा से हटाने की सजा खारिज की, जिस पर सेवा में प्रवेश के समय जाली मार्कशीट जमा करने का आरोप लगाया गया यह फैसला देते हुए कि याचिकाकर्ता के 38 साल के बेदाग सेवा रिकॉर्ड और कदाचार की प्रकृति को देखते हुए सजा अनुपातहीन और अत्यधिक थी।जस्टिस विनीत कुमार माथुर की पीठ पुलिस अधीक्षक भ्रष्टाचार निरोधक बोर्ड (ACB) के आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही, जिसमें याचिकाकर्ता को सेवा से हटाने और रिटायरमेंट की वास्तविक तिथि के बाद उसे दिए गए...
3 साल से अधिक की देरी के बाद कलेक्टर का संदर्भ अमान्य: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने एक भूमि पार्सल से संबंधित कलेक्टर के 20 साल पुराने संदर्भ आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि चूंकि भूमि एक देवता डोली मंडित श्री ठाकुर जी पुरोहित की थी, इसलिए इसे मूल मालिक के नाम पर दर्ज नहीं किया जा सकता था, जिससे याचिकाकर्ताओं ने बाद में जमीन खरीदी थी।इसने राजस्व बोर्ड के आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसने याचिकाकर्ताओं से संबंधित भूमि की म्यूटेशन प्रविष्टियों को रद्द कर दिया, जिन्होंने मूल मालिक के बेटे से जमीन खरीदी थी, जबकि कलेक्टर का संदर्भ लंबित था।...
राजस्थान हाईकोर्ट ने दुर्घटना में वाहन के उधारकर्ता की मृत्यु पर मुआवज़ा देने का आदेश दिया, कहा- वह मालिक की जगह पर था और बीमा द्वारा कवर किया गया
सुप्रीम कोर्ट के परस्पर विरोधी निर्णयों का सामना करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने मृतक के दावेदारों को मुआवज़ा देते हुए पुष्टि की कि ऐसे मामलों में जहां मृतक उधार लिए गए वाहन को चला रहा था, वह मालिक की जगह पर था और इस प्रकार बीमा अनुबंध के अनुसार व्यक्तिगत दुर्घटना कवर के लिए मुआवज़े का हकदार होगा, यदि व्यक्तिगत दुर्घटना कवर के लिए मालिक से प्रीमियम लिया गया ।जस्टिस नुपुर भाटी की पीठ मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल के निर्णय के विरुद्ध मृतक के दावेदारों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें...
मुकदमे के कम मूल्यांकन या अपर्याप्त फीस कोर्ट के आधार पर दायर मुकदमा खारिज करने का आवेदन खारिज करने में कोई गलती नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने सिविल जज द्वारा आदेश 7 नियम 11 CPC के तहत मुकदमा खारिज करने के उनका आवेदन खारिज करने के आदेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता की चुनौती खारिज की, जो इस आधार पर दायर की गई थी कि मुकदमे का मूल्यांकन कम किया गया और अपर्याप्त फीस कोर्ट का भुगतान करने के बाद दायर किया गया।जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की पीठ ने फैसला सुनाया कि भले ही कम मूल्यांकन या अपर्याप्त फीस कोर्ट का भुगतान किया गया हो, ट्रायल कोर्ट मुकदमे के अंतिम चरण में इस आपत्ति पर विचार कर सकता है। इसलिए सिविल जज द्वारा...
यह मानना बेतुका है कि जज आदेश पारित करते समय गलती नहीं कर सकते: राजस्थान हाईकोर्ट ने 9 साल बाद एडीजे की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को खारिज किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पर 2015 में लगाई गई अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा को खारिज कर दिया है। न्यायाधीश ने हत्या के आरोपी की दूसरी जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया था, जबकि उन्हें इस बात की जानकारी थी कि पहली जमानत याचिका हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई थी और हाईकोर्ट के समक्ष स्थानांतरण याचिका लंबित थी। जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस कुलदीप माथुर की खंडपीठ ने कहा कि जांच न्यायाधीश को इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई सामग्री नहीं मिली कि दूसरी जमानत याचिका में...
कलेक्टर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अभियोजन स्वीकृति के मसौदे को साइक्लोस्टाइल नहीं कर सकते, उन्हें स्वतंत्र विचार रखना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि अभियोजन स्वीकृति प्रदान करना महज औपचारिकता नहीं है और स्वीकृति देने वाले प्राधिकारी को मामले के तथ्यों की पूरी जानकारी होने के बाद ही अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस रेखा बोराणा की खंडपीठ ने आगे कहा कि स्वीकृति का पालन पूरी सख्ती के साथ किया जाना चाहिए, जिसमें जनहित और जिस आरोपी के खिलाफ स्वीकृति मांगी गई। उसे उपलब्ध सुरक्षा को ध्यान में रखा जाना चाहिए।न्यायालय एकल जज के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कलेक्टर द्वारा...
राजस्थान हाईकोर्ट ने अतिक्रमण मामले में तत्कालीन जोधपुर कलेक्टर, एसडीओ, तहसीलदार को पक्ष बनाया
भूमि पर अतिक्रमण से संबंधित अवमानना मामले में राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने याचिकाकर्ता को तत्कालीन संबंधित कलेक्टर, उपखंड अधिकारी और तहसीलदार को पक्ष बनाने का निर्देश दिया, जिससे उनका पक्ष जाना जा सके साथ ही उन्हें चेतावनी दी कि यदि वे न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें जेल की सजा सहित दंड दिया जा सकता है।चीफ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ याचिकाकर्ता द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जिला कलेक्टर, जोधपुर द्वारा...
मध्यस्थता खंड के तहत मध्यस्थ की नियुक्ति प्रत्यक्ष रूप से वैध न होने पर धारा 11(6) के तहत न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को रोका नहीं जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस सुदेश बंसल की पीठ ने पुष्टि की कि जब तक मध्यस्थ की नियुक्ति प्रत्यक्ष रूप से वैध न हो और ऐसी नियुक्ति मध्यस्थता अधिनियम की धारा 11(6) के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने वाले न्यायालय को संतुष्ट न करे, तब तक धारा 11(6) के तहत अधिकार क्षेत्र को रोकने के लिए ऐसी नियुक्ति को तथ्य के रूप में स्वीकार करना कानून में मान्य नहीं हो सकता।संक्षिप्त तथ्यआवेदक द्वारा मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 (A&C Act) की धारा 11(5) एवं (6) के अंतर्गत 'श्री माहेश्वरी समाज' के संविधान...
[राजस्थान पुलिस सेवा नियम] वरिष्ठता-सह-योग्यता मानदंड, वहां निंदा दंड पदोन्नति में बाधा नहीं बन सकता: हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने फिर से पुष्टि की कि जहां पद के लिए चयन मानदंड केवल योग्यता पर आधारित नहीं है बल्कि इसमें वरिष्ठता का भी एक घटक है, वहां निंदा दंड पदोन्नति में बाधा नहीं है।जस्टिस फरजंद अली की पीठ सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य सरकार को 2015-16 की रिक्ति के बजाय 2008-09 की रिक्ति के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक के पद पर उनकी पदोन्नति पर विचार करने का निर्देश देने की मांग की गई।याचिकाकर्ता का मामला यह था कि उसे 2005 में पदोन्नति की...
राज्य सरकार ही तय कर सकती है कि किसी विशेष कर्मचारी की सेवाओं की आवश्यकता है या नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने संविदा दंत चिकित्सा अधिकारियों की याचिका खारिज की
राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार द्वारा अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए चिकित्सा अधिकारियों (दंत चिकित्सा) की ओर से दायर एक याचिका को खारिज कर दिया। राज्य सरकार ने उनकी सेवाएं समाप्त कर दी थीं। राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने फैसला सुनाया कि उनके यहां काम करने वाले किसी व्यक्ति को नौकरी पर रखने का फैसला करना सरकार का अधिकार क्षेत्र है। ऐसा करते हुए न्यायालय ने पाया कि अधिकारियों की नियुक्ति केवल तत्काल अस्थायी आधार पर की गई थी, जिसे राज्य द्वारा अपनी सेवाओं के अनुसार बढ़ाया गया...
NEET | कॉलेज आवंटन के लिए मेरिट ही एकमात्र मानदंड, तकनीकी औपचारिकताएं मेधावी उम्मीदवारों के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकतीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) को निर्देश दिया कि वह NEET UG 2024 (NEET) में उनकी योग्यता के आधार पर कॉलेज आवंटन के लिए याचिकाकर्ताओं की उम्मीदवारी पर विचार करें, जिसे केंद्र ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता निर्धारित प्रारूप में कुछ हलफनामे/प्रमाणपत्र समय पर जमा नहीं कर पाए।जस्टिस समीर जैन की पीठ ने कहा कि सबसे पहले आवंटन प्रक्रिया दिवाली, 2024 के कारण छुट्टियों की अवधि के बीच आयोजित की गई। उसमें भी उम्मीदवारों को दस्तावेज जमा करने के लिए प्रदान की गई...
राजस्थान हाईकोर्ट ने आपराधिक मामले में आरोपी महिला को पढ़ाई के लिए विदेश लौटने की अनुमति दी, साथ ही उसकी बेटी की विदेशी नागरिकता रद्द होने से भी रोका
राजस्थान हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी एक महिला की याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें उसने अपना पासपोर्ट वापस लेने और अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए कनाडा लौटने तथा 180 दिनों से अधिक समय तक दूसरे देश में रहने के कारण अपनी बेटी की कनाडाई नागरिकता रद्द होने से रोकने की अनुमति मांगी है। जस्टिस फरजंद अली की पीठ न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने याचिकाकर्ता के विदेश जाने और पासपोर्ट जारी करने की अनुमति मांगने वाले आवेदन को खारिज कर दिया था। ...
पहला बन्दूक का बड़ा आकार दूसरे हथियार के लिए लाइसेंस मांगने का आधार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने व्यक्ति का आवेदन खारिज करने वाले सक्षम प्राधिकारी के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया। दूसरा बंदूक लाइसेंस इस आधार पर मांगा गया था कि उसके पास जो पहली लाइसेंसी बंदूक थी वह 12 बोर की बंदूक है जो उसके लिए ले जाने के लिए बहुत भारी थी।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने कहा कि भारत में हथियार रखने का अधिकार संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और यूनाइटेड किंगडम (UK) के इस अधिकार की तुलना में पूरी तरह से अलग है। यह माना गया कि किसी को भी हथियार रखने का मौलिक अधिकार नहीं है, खासकर तब जब...
भंगी', 'नीच', 'भिखारी', 'मंगनी' जातिसूचक शब्द नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने SC/ST Act के तहत आरोप हटाये
राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने कुछ व्यक्तियों को संबोधित करते समय 'भंगी', 'नीच', 'भिखारी', 'मंगनी' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने के आरोपी चार लोगों के खिलाफ SC/ST Act के तहत आरोप हटाये। कोर्ट ने कहा कि ये शब्द जातिसूचक नहीं हैं और न ही ऐसा कोई आरोप है कि चारों व्यक्ति बाद वाले की जाति जानते हैं।ऐसा करते हुए न्यायालय ने यह भी पाया कि जांच के बाद पुलिस ने आरोप को सत्य नहीं पाया। हालांकि न्यायालय ने कहा कि लोक सेवकों को उनके सार्वजनिक कर्तव्य के निर्वहन में बाधा डालने के आरोप में आपराधिक मुकदमा...
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की बिगड़ती स्थिति पर स्वतः संज्ञान लिया, कहा- अस्पताल जीवन से नहीं खेल सकते
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य में अस्पतालों की ओर से घोर लापरवाही सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की बिगड़ती स्थिति पर स्वतः संज्ञान लिया। कोर्ट ने केंद्र तथा राज्य मंत्रालय से वर्तमान स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार के लिए उठाए जा रहे प्रभावी कदमों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने कहा कि भले ही भारत के संविधान द्वारा स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार को आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी गई लेकिन सम्मान का अधिकार जो अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार में शामिल है,...
राजस्थान हाईकोर्ट ने NDPS आरोपी के साथ यात्रा करने वाली महिला को जमानत दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में NDPS Act के तहत आरोपित महिला को जमानत दी, जब वह उस कार में मुख्य आरोपी के साथ बैठी पाई गई, जिसमें से 77 किलोग्राम प्रतिबंधित पदार्थ बरामद किया गया।जस्टिस फरजंद अली की पीठ ने याचिकाकर्ता की इस दलील पर विचार किया कि उसके पास प्रतिबंधित पदार्थ का कोई विशेष और सचेत कब्जा नहीं था। वह केवल मुख्य आरोपी के साथ कार में थी, जबकि उसे कार में प्रतिबंधित पदार्थ की मौजूदगी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।न्यायालय ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि आरोप पत्र में कहीं भी यह नहीं...













![[राजस्थान पुलिस सेवा नियम] वरिष्ठता-सह-योग्यता मानदंड, वहां निंदा दंड पदोन्नति में बाधा नहीं बन सकता: हाईकोर्ट [राजस्थान पुलिस सेवा नियम] वरिष्ठता-सह-योग्यता मानदंड, वहां निंदा दंड पदोन्नति में बाधा नहीं बन सकता: हाईकोर्ट](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2024/04/08/500x300_532723-justicefarjandalijodhpurbenchrajasthanhighcourt.jpg)





