राजस्थान हाईकोर्ट ने डीएम को निर्देश दिया कि वे प्रसव के दौरान पत्नी की देखभाल के लिए कैदी के पैरोल आवेदन पर 4 दिन के भीतर निर्णय लें
Amir Ahmad
22 Jan 2025 6:08 AM

राजस्थान हाईकोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट दौसा को निर्देश दिया है कि वे पत्नी के प्रसव के उद्देश्य से कैदी के पैरोल के आवेदन पर 4 दिन के भीतर निर्णय लें।
जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने कहा कि राजस्थान कैदियों की पैरोल पर रिहाई नियम 2021 के नियम 23 के अनुसार आवेदन प्राप्ति की तिथि से 4 दिन की अवधि के भीतर तय किया जाना चाहिए था।
कोर्ट ने कहा,
“बिना किसी उचित कारण के याचिकाकर्ता द्वारा दायर आवेदन पर जिला मजिस्ट्रेट/जिला समिति द्वारा निर्णय नहीं लिया गया। अधिकारियों का उपरोक्त कार्य नियम 2021 के नियम 23 के तहत निहित अनिवार्य प्रावधानों के अनुरूप नहीं है।”
याचिकाकर्ता ने जेल अधीक्षक के समक्ष नियमों के तहत पैरोल के लिए आवेदन दायर किया, जिसे दिसंबर,2024 में जिला मजिस्ट्रेट को भेज दिया गया। हालांकि, काफी समय बीत जाने के बाद भी आवेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए याचिकाकर्ता की पत्नी की डिलीवरी की तारीख तेजी से नजदीक आ रही है, इसलिए याचिका अदालत के समक्ष पेश की गई।
रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद अदालत ने राय दी कि याचिकाकर्ता को नियम 11(1)(v) के आधार पर आकस्मिक पैरोल दी जा सकती है और नियम 23 के अनुसार, पैरोल के आवेदन पर जिला समिति द्वारा आवेदन प्राप्त होने की तारीख से 4 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाना चाहिए।
इस प्रकाश में अदालत ने राय दी कि अधिकारियों की कार्रवाई नियम 23 के अनिवार्य प्रावधान के अनुरूप नहीं थी। याचिकाकर्ता की पत्नी की तेजी से नजदीक आ रही डिलीवरी की तारीख को देखते हुए जिला मजिस्ट्रेट को आदेश से 4 दिनों के भीतर लंबित आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया।
“मामले की तात्कालिकता को देखते हुए तथा इस तथ्य को देखते हुए कि याचिकाकर्ता की पत्नी की डिलीवरी की नियत तिथि 29.01.2025 है तथा डिलीवरी किसी भी समय हो सकती है, इसलिए इन परिस्थितियों में जिला मजिस्ट्रेट दौसा को निर्देश जारी किया जाता है कि वे लंबित आवेदन पर यथाशीघ्र आज से चार दिनों की अवधि के भीतर निर्णय लें तथा उचित आदेश पारित करें।”
तदनुसार याचिका का निपटारा कर दिया गया।
केस टाइटल: हिम्मत सिंह बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य।