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भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 12: संघ की कार्यपालिका और राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया
भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 12: संघ की कार्यपालिका और राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया

पिछले आलेख में भारत के संविधान के अंतर्गत राज्य की नीति के निदेशक तत्व के संबंध में चर्चा की गई थी, इस आलेख में भारत के संविधान के भाग 5 संघ की कार्यपालिका जिसमें राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का उल्लेख सर्वाधिक महत्वपूर्ण है पर चर्चा की जा रही है।संघ की कार्यपालिकाजैसा कि पूर्व के आलेख में यह उल्लेख किया गया है भारत के संविधान के अंतर्गत संघ का अर्थ केंद्र है और राज्य का अर्थ प्रांत है। भारत राज्यों का एक संघ है। राज्यों के पास अपनी पृथक शक्तियां हैं और संघ के पास अपनी पृथक शक्तियां हैं परंतु फिर...

भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 11: भारत के संविधान में राज्य की नीति के निदेशक तत्व ( Directive Principles of State Policy)
भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 11: भारत के संविधान में राज्य की नीति के निदेशक तत्व ( Directive Principles of State Policy)

पिछले आलेख में भारत के संविधान से संबंधित अनुच्छेद 32 के अंतर्गत मूल अधिकारों के उपचार के संबंध में चर्चा की गई थी, इस आलेख में भारत के संविधान के भाग 4 राज्य की नीति के निदेशक तत्व का अध्ययन किया जा रहा है।राज्य की नीति के निदेशक तत्वभारत के संविधान के भाग 3 के अंतर्गत मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया है, इसके ठीक बाद भाग 4 में राज्य की नीति के निदेशक तत्व का उल्लेख किया गया है। भाग 4 के अनुच्छेद 36 से लेकर अनुच्छेद 51 तक राज्य की नीति के निदेशक तत्व समाविष्ट किये गए हैं। राज्य की नीति के...

भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 10: भारत के संविधान के अंतर्गत सांविधानिक उपचारों का अधिकार
भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 10: भारत के संविधान के अंतर्गत सांविधानिक उपचारों का अधिकार

पिछले आलेख में भारत के संविधान के अंतर्गत अनुच्छेद 25 धर्म की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का अध्ययन किया गया था, इस आलेख में संविधान की मूल आत्मा कहे जाने वाले अनुच्छेद 32 के अंतर्गत सांविधानिक उपचारों के अधिकार के संबंध में अध्ययन किया जा रहा है।संवैधानिक उपचारभारत के संविधान में केवल संविधान में मौलिक अधिकारों की ही घोषणा नहीं की है अपितु न्यायालय द्वारा इन मौलिक अधिकारों को प्रवर्तन कराने का रास्ता भी बताया है। संविधान निर्माताओं का ऐसा मानना था कि यदि संविधान के मौलिक अधिकारों को प्रवर्तनीय...

भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 9: भारत के संविधान के अंतर्गत धर्म की स्वतंत्रता
भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 9: भारत के संविधान के अंतर्गत धर्म की स्वतंत्रता

पिछले आलेख में भारत के संविधान से संबंधित बन्दीकरण विरोध से संबंधित संवैधानिक संरक्षण के संदर्भ में अनुच्छेद 22 का उल्लेख किया गया था, इस आलेख में भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के अंतर्गत प्राप्त धर्म की स्वतंत्रता के संबंध में उल्लेख किया जा रहा है।धर्म की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकारभारत के संविधान के अनुच्छेद 25 से लेकर 28 तक धर्म की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के संबंध में उल्लेख किया गया है। संविधान में पंथनिरपेक्ष राज्य शब्द को अभिव्यक्त रूप से उल्लेखित नहीं किया गया है परंतु इस बात का कोई...

भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 8: भारत के संविधान के अंतर्गत व्यक्ति को बंदी बनाए जाने के विरुद्ध मूल अधिकार
भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 8: भारत के संविधान के अंतर्गत व्यक्ति को बंदी बनाए जाने के विरुद्ध मूल अधिकार

पिछले आलेख में भारत के संविधान से संबंधित अनुच्छेद-21 के अंतर्गत प्राण और दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार के संबंध में चर्चा की गई थी, इस आलेख में भारत के संविधान के अंतर्गत अनुच्छेद-22 में प्राप्त 'बन्दीकरण के विरुद्ध अधिकार' के संबंध में चर्चा की जा रही है।बन्दीकरण के विरुद्ध संवैधानिक संरक्षण-भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का उल्लेख किया गया है। मेनका गांधी के प्रकरण में प्राण और दैहिक स्वतंत्रता के संबंध में विस्तृत विवेचना की गई और अनुच्छेद 21 के अंतर्गत...

भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 7: भारत के संविधान के अंतर्गत प्राण और दैहिक स्वतंत्रता
भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 7: भारत के संविधान के अंतर्गत प्राण और दैहिक स्वतंत्रता

पिछले आलेख में भारत के संविधान से संबंधित स्वतंत्रता के अधिकार पर दिए गए अनुच्छेद 19 का अध्ययन किया गया था, इस आलेख में भारत के संविधान अनुच्छेद-21 के अंतर्गत दिए गए प्राण और दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लेख किया जा रहा है।प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद-21भारत के संविधान के भाग 3 मूल अधिकार के अंतर्गत अनुच्छेद 21 सर्वाधिक महत्वपूर्ण अनुच्छेद है। यदि महत्ता के दृष्टिकोण से इस अनुच्छेद को देखा जाए तो समस्त मूल अधिकारों का निचोड़ हमें इस अनुच्छेद के अंतर्गत प्राप्त होता है। शब्दों...

भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 6: भारत के संविधान के अंतर्गत स्वतंत्रता का अधिकार
भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 6: भारत के संविधान के अंतर्गत स्वतंत्रता का अधिकार

भारत के संविधान से संबंधित पिछले आलेख में लोक सेवाओं में समानता के संदर्भ में उल्लेख किया गया था, इस आलेख में भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 से लेकर 22 तक दिए गए स्वतंत्रता के अधिकार के संदर्भ में चर्चा की जा रही है।स्वतंत्रता का अधिकारभारतीय स्वतंत्रता संग्राम लड़ने का एक मूल लक्ष्य यह भी था कि भारत के नागरिकों को स्वतंत्रता के अधिकार मिले जो अधिकार उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के होते हुए नहीं मिल पा रहे थे। स्वतंत्रता व्यक्ति का नैसर्गिक अधिकार है और इस प्रकार के नैसर्गिक अधिकार को किसी भी शासन...

भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 5: भारत के संविधान के अंतर्गत लोक सेवाओं में अवसर की समानता
भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 5: भारत के संविधान के अंतर्गत लोक सेवाओं में अवसर की समानता

पिछले आलेख में भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत विधि के समक्ष समान संरक्षण के संदर्भ में चर्चा की गई थी, इस आलेख में लोक सेवाओं में अवसर की समानता के अधिकार के संबंध में चर्चा की जा रही है जिसका उल्लेख भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 के अंतर्गत किया गया है।लोक सेवाओं में अवसर की समानता (अनुच्छेद 16)लोक सेवाएं अर्थात सरकारी नौकरी। भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 के अंतर्गत भारत क्षेत्र के अंतर्गत किसी भी नागरिक के बीच कोई भी सरकारी नौकरी अर्थात लोक सेवाओं में किसी प्रकार का ऐसा भेदभाव नहीं...

भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 3: भारत के संविधान में मूल अधिकार क्या होतें हैं
भारत का संविधान (Constitution of India) भाग 3: भारत के संविधान में मूल अधिकार क्या होतें हैं

पिछले आलेख में भारत का राज्य क्षेत्र तथा भारत की नागरिकता के संबंध में सारगर्भित उल्लेख किया गया था, इस आलेख में भारत के संविधान के भाग-3 में दिए गए मूल अधिकारों पर एक संक्षिप्त चर्चा के माध्यम से जानकारी प्रेषित की जा रही है। मूल अधिकारभारत के संविधान के भाग-3 के अंतर्गत अनुच्छेद 12 से लेकर अनुच्छेद 35 तक मूल अधिकारों का उल्लेख किया गया है। इन मूल अधिकारों को मनुष्य के नैसर्गिक अधिकार भी कहे जाते हैं। ऐसे अधिकार जो किसी मनुष्य को जन्मजात प्राप्त होते हैं, कोई भी स्वतंत्रता किसी भी मनुष्य को दी...

भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 26: भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत उद्यापन, लूट और डकैती के अंतर्गत अपराध
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 26: भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत उद्यापन, लूट और डकैती के अंतर्गत अपराध

पिछले आलेख में चोरी से संबंधित विषय का अध्ययन किया गया था, इस आलेख में उद्यापन, लूट और डकैती के अपराधों पर प्रकाश डाला जा रहा है। भारतीय दंड संहिता 1860 के अध्याय 17 के अंतर्गत संपत्ति से जुड़े हुए अपराधों के अंतर्गत उल्लेख किया गया है क्योंकि राज्य का यह परम कर्तव्य है कि वह अपनी सीमा में रहने वाले व्यक्तियों की संपत्ति की रक्षा करें। संपत्ति से जुड़े अपराधों की सूची में चोरी,उद्यापन, लूट, डकैती, आपराधिक दुर्विनियोग,आपराधिक न्यास भंग, रिष्टि का उल्लेख मिलता है। संपत्ति से जुड़े हुए अपराधों के...

भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 25: भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत चोरी का अपराध क्या होता है
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 25: भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत चोरी का अपराध क्या होता है

भारतीय दंड संहिता सीरीज के अंतर्गत लिखे जा रहे आलेखों में पिछले आलेख में दास बनाने और मनुष्य को खरीदने बेचने के संदर्भ में उल्लेखित अपराधों पर चर्चा की गई थी, इस आलेख में चोरी के अपराध के संदर्भ में उल्लेख किया जा रहा है।चोरी प्राचीन समय से चलता आ रहा एक प्रसिद्ध अपराध है। हर समाज हर परिस्थिति में यह अपराध घटित होता रहा है। वर्तमान में भी यह अपराध चारों ओर देखने को मिलता है। भारतीय दंड संहिता भारत की सीमा में केवल व्यक्तियों के शरीर की ही रक्षा हेतु दंड विधान का निर्माण नहीं करती है अपितु यह दंड...

भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 24 : बंधुआ मजदूरी और दास बनाने तथा व्यक्तियों को खरीदने बेचने के अपराध
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 24 : बंधुआ मजदूरी और दास बनाने तथा व्यक्तियों को खरीदने बेचने के अपराध

किसी समय मनुष्यों को खरीद बेच कर दस बनाने जैसी प्रथा प्रचलित रही थी। मनुष्य खरीदे और बेचे जाते थे, एक समय था जब राजा महाराजा जमीदार और साहूकार लोग निर्धन और कमजोर लोगों को अपने यहां दास के रूप में रख लिया करते थे। जैसा कि हमें स्वतंत्रता पूर्व के लेखकों की कहानियों में भी यह प्राप्त होता है। थोड़े से कर्ज के रुपयों के लिए लोगों को सारे जीवन के लिए दास बना लिया जाता था, उन से बलपूर्वक श्रम और बेगार लेते थे। लोगों पर अत्याचार किया जाता था। भारत का संविधान समानता तथा प्रतिष्ठा के जीवन का उल्लेख...

भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 22 :  मारपीट के अपराध के अंतर्गत गंभीर चोट पहुंचाने पर क्या हैं प्रावधान
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 22 : मारपीट के अपराध के अंतर्गत गंभीर चोट पहुंचाने पर क्या हैं प्रावधान

पिछले आलेख में मारपीट के दौरान साधारण चोट पहुंचाने पर होने वाले अपराधों के संबंध में उल्लेख किया गया था, इस आलेख के अंतर्गत स्वेच्छा से गंभीर चोट कारित करने के संबंध में उल्लेख किया जा रहा है। गंभीर चोटभारतीय दंड संहिता के अंतर्गत धारा 320 गंभीर चोट की परिभाषा प्रस्तुत कर रही है। दंड सहिंता सभी प्रकार की चोट को गंभीर चोट नहीं मानती है, गंभीर चोट के लिए एक विशेष प्रारूप तैयार किया गया है जिसके अंतर्गत ही किसी चोट को गंभीर चोट माना जाता है।जब कोई चोट इस प्रारूप के अंतर्गत होती है तब वह गंभीर चोट...

भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 21 : भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत मारपीट से संबंधित अपराध
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 21 : भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत मारपीट से संबंधित अपराध

पिछले आलेख में मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधियों की सूची में गर्भपात और शिशुओं से संबंधित अपराध के विषय में उल्लेख किया गया है, इस आलेख में मारपीट के परिणामस्वरूप होने वाली उपहति के विषय में चर्चा की जा रही है। विचारों में मतभेद से जीवन के सामान्य अनुक्रम में अनेक ऐसे मामले हो जाते हैं जिनमें लोग एक दूसरे के प्रति हिंसक होकर मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। कभी-कभी विवाद गाली गलौज से शुरू होकर मारपीट तक जाता है तथा मारपीट से होते हुए हत्या तक पहुंच जाता है। ऐसे विवादों में अपराधिक मानव वध और...

भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 20 : भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत गर्भपात और शिशुओं से संबंधित अपराध
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 20 : भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत गर्भपात और शिशुओं से संबंधित अपराध

भारतीय दंड संहिता सीरीज के अंतर्गत पिछले आलेख में आत्महत्या का दुष्प्रेरण तथा हत्या के प्रयास के अपराध के संबंध में चर्चा की गई थी, अब इस आलेख में गर्भपात और शिशुओं से संबंधित अपराध पर सारगर्भित चर्चा की जा रही है।भारतीय दंड संहिता 1860 एक अत्यंत विषाद ग्रंथ है। भारत के राज्य द्वारा अपने नागरिकों को किस प्रकार की सुरक्षा दी जाएगी इसका पूरा उल्लेख इस दंड संहिता के अंतर्गत मिलता है। भारतीय दंड संहिता केवल जीवित व्यक्तियों के ही प्राणों की रक्षा नहीं करती है अपितु गर्भ में रहने वाले व्यक्तियों की...

भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 19 : भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आत्महत्या का दुष्प्रेरण और हत्या का प्रयास
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 19 : भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आत्महत्या का दुष्प्रेरण और हत्या का प्रयास

पिछले आलेख में मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के संबंध में भारतीय दंड संहिता के अध्याय 16 के अंतर्गत उतावलेपन द्वारा और उपेक्षा द्वारा मृत्यु कार्य करने तथा दहेज मृत्यु के संबंध में चर्चा की गई थी, इस आलेख में अध्याय 16 के अंतर्गत जीवन के लिए संकटकारी अपराध आत्महत्या का दुष्प्रेरण तथा हत्या का प्रयास अपराध के संबंध में उल्लेख किया जा रहा है। आत्महत्या का दुष्प्रेरणजैसा कि पिछले आलेख में उल्लेख किया गया है भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत किसी अपराध को कारित करना ही अपराध नहीं है अपितु इस...