पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी क्या है और कब दी जाती है
Shadab Salim
28 Nov 2021 12:00 PM IST
कानून की दुनिया में पॉवर ऑफ अटॉर्नी एक बेहद प्रसिद्ध शब्द है। हमें यह जानकारी होनी चाहिए कि पॉवर ऑफ अटॉर्नी क्या है और कब दी जाती है क्योंकि यह अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज है।
पॉवर ऑफ अटॉर्नी एक विधिक दस्तावेज है जिसे किसी एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को अपनी संपत्ति के संबंध में दिया जाता है। आमतौर पर ऐसी पॉवर ऑफ अटॉर्नी संपत्ति के संबंध में ही दी जाती है। अन्य मामलों में भी पॉवर ऑफ अटॉर्नी दी जा सकती है।
कानून द्वारा एक व्यक्ति को अनेक अधिकार दिए गए हैं, उन अधिकारों को उपयोग करने के लिए ऐसा व्यक्ति अपने को मिले अधिकार को पॉवर ऑफ अटॉर्नी के जरिए किसी दूसरे व्यक्ति को दे सकता है। जो व्यक्ति अधिकार देता है उसे अधिकारदाता कहा जाता है और जिस व्यक्ति को अधिकार मिलता है उसे अधिकारग्रह्यता कहा जाता है।
जैसे कि किसी जमीन का मालिक उस जमीन की देखरेख, उसे बेचने, उसे किराए पर देने, उसे गिरवी रखने से संबंधित सभी अधिकार रखता है। पॉवर ऑफ अटॉर्नी के जरिए ऐसा मालिक अपने सभी अधिकारों को किसी दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित कर देता है। ऐसा दस्तावेज पॉवर ही पॉवर ऑफ अटॉर्नी कहलाता है।
पॉवर ऑफ अटॉर्नी का शाब्दिक अर्थ है कोई ऐसा दस्तावेज जो किसी व्यक्ति को किसी दूसरे व्यक्ति का एजेंट बनाता है। आज व्यावसायिक युग में और संचार के युग में दिन प्रतिदिन पॉवर ऑफ अटॉर्नी का प्रचलन बढ़ रहा है। अपने अधिकारों को प्रयोग करने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति को पॉवर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से अधिकारों का हस्तांतरण किया जाता है।
जैसे कोई व्यक्ति अमेरिका में रहता है और उसकी संपत्ति भारत में स्थित है तो ऐसा व्यक्ति अपनी संपत्ति की देखरख और उसके संबंध में कोई निर्णय लेने हेतु उसका विधिक प्रतिनिधि स्थापित कर देता है।
कैसे करें पॉवर ऑफ अटॉर्नी:-
सर्वप्रथम तो पॉवर ऑफ अटॉर्नी का रजिस्टर्ड होना अत्यंत आवश्यक है। भारतीय रजिस्ट्रेशन अधिनियम के अंतर्गत ऐसी पॉवर ऑफ अटॉर्नी को रजिस्टर्ड किए जाने का आदेश दिया गया है और कोई भी पॉवर ऑफ अटॉर्नी तब तक सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं की जा सकती जब तक उसे रजिस्टर्ड नहीं किया जाता है पर यदि रजिस्टर्ड नहीं किया जाए तो कम से कम ऐसी पॉवर ऑफ अटॉर्नी को नोटरीराइज़ तो करवाया ही जा सकता है।
अनेक कार्य किसी व्यक्ति द्वारा पॉवरऑफ अटॉर्नी की नोटरी होने के पश्चात भी हो जाते हैं जैस किसी व्यक्ति के बैंक खाते का संचालन करने का अधिकार उस व्यक्ति को प्राप्त हो सकता है जिसे ऐसी पॉवर ऑफ अटॉर्नी दे दी गई है। अर्थात यदि कोई व्यक्ति अपने बैंक खाते का संचालन करने हेतु किसी दूसरे व्यक्ति को एजेंट के रूप में प्रस्तुत करता है तथा उसकी ओर से चेको पर साइन करने खाते से रुपए निकालने इत्यादि काम करने के लिए अधिकृत करता है।
यदि पॉवर ऑफ अटॉर्नी रजिस्टर्ड नाल हो तो कम से कम नोटरीराइज़ तो होना ही चाहिए। ₹1000 के स्टांप पर ऐसी पॉवर ऑफ अटॉर्नी को नोटरीराइज़ होना चाहिए पर यदि कोई पॉवर ऑफ अटॉर्नी रिवोकेबल नहीं है तब ऐसी पॉवर ऑफ अटॉर्नी को रजिस्टर्ड ही होना चाहिए अर्थात जिस पॉवर ऑफ अटॉर्नी को कैंसिल नहीं किया जा सकता जो एक स्थाई पॉवर ऑफ अटॉर्नी है ऐसी पॉवर ऑफ अटॉर्नी को रजिस्टर्ड दस्तावेज होना चाहिए जिसका रजिस्ट्रेशन भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत सब रजिस्टार दफ्तर में किया जाता है।
किन किन कार्यों में पॉवर ऑफ अटॉर्नी का उपयोग किया जा सकता है:-
पॉवर ऑफ अटॉर्नी का उपयोग हर उस कार्य में किया जा सकता है जिस कार्य में किसी व्यक्ति की संपत्ति से जुड़ा मामला है। जैसे कि किसी वाहन के संबंध में पॉवर ऑफ अटॉर्नी दी जा सकती है, किसी बैंक खाते के संचालन के संबंध में पॉवर ऑफ अटॉर्नी दी जा सकती है, किसी बीमा पालिसी के संबंध में पॉवर ऑफ अटॉर्नी दी जा सकती है, किसी अचल संपत्ति के संबंध में भी पावर ऑफ अटॉर्नी दी जा सकती है।
ऐसी पॉवर ऑफ अटॉर्नी पर उस व्यक्ति के हस्ताक्षर होना चाहिए जिसके द्वारा निष्पादित की का रही है। बगैर हस्ताक्षर के पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं हो सकती।
मकान जमीन के संबंध में दी गई पॉवर ऑफ अटॉर्नी:-
ऐसी पॉवर ऑफ अटॉर्नी जो मकान और जमीन के संबंध में दी जाती है इसमें मकान के जमीन का मूल मालिक अपने और से वह सभी विधिक अधिकारों को किसी अन्य व्यक्ति को सौंप देता है जिसका नाम पॉवर ऑफ अटॉर्नी में अधिकारग्रह्यता तौर पर दर्ज किया जाता है।
पॉवर ऑफ अटॉर्नी का अधिकारग्रह्यता व्यक्ति इस दस्तावेज के जरिए उस व्यक्ति की संपत्ति का विक्रय भी कर सकता है, उस पर निर्माण भी कर सकता है और उन सभी अधिकारों का प्रयोग कर सकता है जिन अधिकारों का प्रयोग उस संपत्ति के मालिक द्वारा किया जाता है अर्थात एक प्रकार से पावर ऑफ अटॉर्नी का अधिकारग्रह्यता उस संपत्ति का मालिक हो जाता है।
कौन व्यक्ति करते हैं पावर ऑफ अटॉर्नी:-
कोई भी व्यक्ति पॉवर ऑफ अटॉर्नी कर सकता है जो किसी बीमारी से जूझ रहा है या फिर किसी कारणवश अपनी संपत्ति की देखरेख नहीं कर पा रहा है। जैसे कि कोई बीमार व्यक्ति, कोई बूढ़ा व्यक्ति या कोई ऐसा व्यक्ति जो अपने जीवन की अति व्यवस्था के कारण अपनी संपत्ति की देखरेख नहीं कर पाता है या फिर व्यापार-व्यवसाय के उद्देश्य से अधिकतर समय संपत्ति से दूर रहता है।
हालांकि यह सिद्धांत केवल औपचारिक है पॉवर ऑफ अटॉर्नी किए जाते समय इन सिद्धांतों पर ध्यान नहीं दिया जाता किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी व्यक्ति को पावर आफ अटार्नी लिखी जा सकती है। केवल ऐसा व्यक्ति पागल या 18 वर्ष से कम आयु का व्यक्ति नहीं होना चाहिए।
पॉवर ऑफ अटॉर्नी को रद्द करना:-
पॉवर ऑफ अटॉर्नी को किसी भी समय रद्द किया जा सकता है। जैसे किसी वसीयत को किसी भी समय रद्द किया जा सकता है पर कुछ पॉवर ऑफ अटॉर्नी ऐसी होती है जिसे दोबारा रद्द नहीं किया जा सकता और वह स्थाई पॉवर ऑफ अटॉर्नी होती है उसकी शर्तों में लिख दिया जाता है कि इस पॉवर ऑफ अटॉर्नी को दोबारा रद्द नहीं किया जाएगा और यह पॉवर ऑफ अटॉर्नी अंतिम पावर ऑफ अटॉर्नी है। इस प्रकार की पावर ऑफ अटॉर्नी एक सेल्स डेट के हिसाब से कार्य करती है।
पॉवर ऑफ अटॉर्नी के प्रकार:-
पॉवर ऑफ अटॉर्नी के मुख्य रूप से दो प्रकार हैं। पहला सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी और दूसरा स्पेसिफिक पॉवर ऑफ अटॉर्नी।
सामान्य पॉवर ऑफ अटॉर्नी:-
सामान्य पॉवर ऑफ अटॉर्नी वह होती है जिसके अंतर्गत मालिक द्वारा अपने समस्त अधिकारों को किसी दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित कर दिया जाता है। ऐसी पॉवर ऑफ अटॉर्नी अनिश्चित समय के लिए होती है। इस ही पॉवर ऑफ अटॉर्नी में स्थाई किए जाने की शर्त भी लिख दी जाती है।
स्पेसिफिक पॉवर ऑफ अटॉर्नी:-
यह पॉवर ऑफ अटॉर्नी एक विशेष प्रकार की होती है जो किसी निश्चित समय अवधि के लिए लिखी जाती है। या फिर किसी कार्य के पूर्ण होने तक लिखी जाती है और उसके पश्चात पॉवर ऑफ अटॉर्नी को रद्द कर दिया जाता है निश्चित की गई समय अवधि के बीत जाने पर ऐसी पॉवर ऑफ अटॉर्नी स्वतः रद्द हो जाती है। निश्चित किए गए उद्देश्य के पूर्ण हो जाने पर भी ऐसी पॉवर ऑफ अटॉर्नी स्वतः रद्द हो जाती है।