केरल हाईकोर्ट
धार्मिक/परंपरागत विवाह को 'कानूनी विवाह का रंग' माना जाता है, महिला IPC की धारा 498A के तहत क्रूरता के खिलाफ सुरक्षा की मांग कर सकती है: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने माना कि महिला भारतीय दंड संहिता की धारा 498A के तहत वैवाहिक क्रूरता के खिलाफ सुरक्षा की मांग कर सकती है, जब पक्षों के बीच या तो "धार्मिक या प्रथागत" विवाह होता है, जो "कानूनी विवाह का रंग" रखता है, भले ही ऐसा विवाह बाद में कानून के तहत अमान्य पाया गया हो।मामले के तथ्यों में कथित तौर पर 18 वर्षीय लड़की पर क्रूरता करने के आरोपी पति और ससुराल वालों ने अपनी सजा को चुनौती देते हुए कहा कि पक्षों के बीच कोई कानूनी विवाह नहीं था। केवल रजिस्ट्रेशन समझौता था, क्योंकि लड़की कथित तौर पर...
'यातना' पुलिस के आधिकारिक कर्तव्य का हिस्सा नहीं, ऐसे कृत्यों के लिए मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी की आवश्यकता नहीं: हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने माना कि मजिस्ट्रेट न्यायालय पुलिस कार्यालय द्वारा हिरासत में यातना के मामले में CrPC की धारा 197(1) के तहत राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना संज्ञान ले सकता है।जस्टिस के. बाबू ने तर्क दिया कि पुलिस अधिकारी द्वारा पुलिस थाने में किसी व्यक्ति को प्रताड़ित करना आधिकारिक कर्तव्य का हिस्सा नहीं माना जा सकता, इसलिए मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी की आवश्यकता नहीं है।कोर्ट ने कहा,"हम कैसे कह सकते हैं कि पुलिस अधिकारी द्वारा पुलिस थाने में किसी व्यक्ति को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना उसके...
केरल हाईकोर्ट ने दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग को 75 प्रतिशत दृष्टिबाधित लॉ स्टूडेंट की स्कॉलरशिप याचिका खारिज न करने का निर्देश दिया
केरल हाईकोर्ट अंतरिम आदेश में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग को निर्देश दिया कि वह 75 प्रतिशत दृष्टिबाधित प्रथम वर्ष के लॉ स्टूडेंट के स्कॉलरशिप आवेदन को इस आधार पर खारिज न करे कि उसने विशिष्ट दिव्यांगता पहचान पत्र (UDID) विवरण प्रस्तुत नहीं किया।ऐसा करते हुए न्यायालय ने प्रथम दृष्टया पाया कि याचिकाकर्ता जो कि NUALS, कोच्चि का स्टूडेंट है, उसको उन कारणों से उसे मिलने वाले लाभों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए, जो उसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं।जस्टिस वी जी अरुण ने केंद्र सरकार के वकील को मामले में...
Sec.349 BNSS: मजिस्ट्रेट किसी भी व्यक्ति को जांच के उद्देश्य से आवाज का नमूना देने का निर्देश दे सकता है: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट के लिए किसी भी व्यक्ति को Sec. 349 BNSSके तहत आवाज का नमूना देने का निर्देश देने के मानदंड को मजिस्ट्रेट की संतुष्टि माना कि जांच के उद्देश्य से इस तरह के नमूने की आवश्यकता है।"धारा 349 के तहत, मानदंड मजिस्ट्रेट की संतुष्टि है कि किसी भी व्यक्ति को BNSS के तहत जांच या कार्यवाही के प्रयोजनों के लिए फिर से अपनी आवाज का नमूना प्रदान करने का निर्देश देना समीचीन है। इसलिए, इस सवाल पर जोर दिया जा रहा है कि क्या अपराध की जांच के उद्देश्य से आवाज के नमूने की आवश्यकता है। ...
S.2(p)(iii) KAAPA | पुलिस द्वारा की गई शिकायत को आरोपी को ज्ञात गुंडा घोषित करने के लिए गिना जा सकता है, यदि कोई व्यक्तिगत शिकायत शामिल नहीं: हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने माना कि केरल असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 2007 (KAAPA) की धारा 2(पी)(iii) के तहत प्रतिबंध लागू नहीं होता है, यदि पुलिस अधिकारी को आरोपी के खिलाफ कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं है।जस्टिस राजा वैजयराघवन वी. और जस्टिस जोबिन सेबेस्टियन की खंडपीठ ने कहा कि यदि अपराध कर्तव्य निर्वहन में बाधा डालने से संबंधित है तो ऐसी शिकायत को अस्तित्व में नहीं कहा जा सकता है।संदर्भ के लिए अधिनियम की धारा 2(पी)(iii) के तहत जिन परिस्थितियों में किसी व्यक्ति को ज्ञात गुंडा के रूप में वर्गीकृत किया...
सुरेश गोपी चुनाव मामला: चुनाव आयोग ने त्रिशूर में EVM जारी करने की मांग को लेकर केरल हाईकोर्ट का रुख किया
निर्वाचन आयोग ने त्रिशूर विधानसभा क्षेत्र के संसदीय चुनाव में इस्तेमाल की गई EVM को जारी करने की मांग को लेकर केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वाले सुरेश गोपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में त्रिशूर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता। वह अब केंद्रीय मंत्रालय में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री के रूप में सेवारत हैं। चुनाव के परिणाम को चुनौती देते हुए आरोप लगाया गया था कि गोपी जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 के तहत उल्लिखित भ्रष्ट प्रथाओं में लिप्त...
केरल हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में मलयालम एक्टर बाबूराज को अग्रिम जमानत दी
केरल हाईकोर्ट ने मलयालम फिल्मों के एक्टर बाबूराज की यौन उत्पीड़न के आरोपों के संबंध में दायर अग्रिम जमानत याचिका कड़ी शर्तों के साथ मंजूर कर ली है। कोर्ट ने अभिनेता बाबूराज को दस दिन में जांच अधिकारी के सामने समर्पण करने का निर्देश दिया है।उसके खिलाफ इडुक्की के आदिमाली पुलिस स्टेशन में 01 जनवरी, 2018 से 31 दिसंबर, 2019 के बीच बलात्कार और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए अपराध दर्ज किया गया था। जमानत याचिका को मंजूरी देते हुए जस्टिस सीएस डायस ने सिद्दीकी बनाम केरल राज्य और अन्य के फैसले का...
केरल हाईकोर्ट ने केंद्र से अतिरिक्त फ़ंड के लिए वायनाड में राज्य सरकार के फ्लैश हरथल की आलोचना की
केरल हाईकोर्ट ने भूस्खलन के बाद पुनर्वास कार्यों के लिए अतिरिक्त सहायता देने में केंद्र की कथित अनिच्छा के विरोध में 19 नवंबर को वायनाड में हड़हड़ल आयोजित करने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के साथ मिलकर आने के लिए राज्य में माकपा के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार को आड़े हाथ लिया।जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार और जस्टिस केवी जयकुमार की खंडपीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि फ्लैश हरथल "जनविरोधी" हैं क्योंकि वे नागरिकों के जीवन और आजीविका को प्रभावित करते हैं। इसमें कहा गया है कि सरकार का आचरण...
केरल हाईकोर्ट ने वकील को हिरासत में प्रताड़ित करने के आरोपी पुलिस अधिकारी की संपत्ति कुर्क करने के खिलाफ अपील खारिज की
केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार (21 नवंबर) को वकील को हिरासत में प्रताड़ित करने के मामले में पुलिस अधिकारी द्वारा उसकी संपत्ति कुर्क करने के खिलाफ दायर अपील खारिज की।आरोप के अनुसार उस समय करुणागपल्ली थाने के पुलिस के सर्किल इंस्पेक्टर ने वकील के खिलाफ आंदोलन चलाने और उसके ट्रांसफर का कारण बनने के कारण उसके खिलाफ प्रतिशोध की भावना रखते हुए अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर उसे 5 सितंबर 2022 को करुणागपल्ली थाने ले गए और रास्ते में तथा हिरासत में प्रताड़ित किया। वकील ने मुआवजे के लिए करुणागपल्ली के उप...
सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश पर टिप्पणी को लेकर गोवा के राज्यपाल श्रीधरन पिल्लई के खिलाफ मामला खारिज
केरल हाईकोर्ट ने पूर्व राज्य BJP अध्यक्ष और वर्तमान गोवा के राज्यपाल पी.एस. श्रीधरन पिल्लई के खिलाफ IPC की धारा 505 (1) (बी) के तहत दर्ज मामला खारिज किया, जिसमें कथित तौर पर यंग इंडियन लॉयर्स एसोसिएशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से इनकार करने के तंत्री के फैसले का समर्थन करने वाले बयान दिए गए थे।जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने श्रीधरन पिल्लई के खिलाफ मामला खारिज किया, क्योंकि उन्होंने पाया कि वह BJP की युवा शाखा, युवा मोर्चा संस्थान समिति की एक...
केरल हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री के काफिले का विरोध करने का मामला खारिज किया
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को काला झंडा दिखाना या लहराना IPC की धारा 499 के तहत अपराध को आकर्षित करने के लिए मानहानि या अवैध कृत्य नहीं माना जा सकता है।कोर्ट ने आगे कहा कि भले ही किसी भी रंग का झंडा विरोध के रूप में प्रदर्शित किया जाता है लेकिन इस तरह के कृत्य को प्रतिबंधित करने वाले किसी भी कानून की अनुपस्थिति में इसे मानहानि नहीं माना जा सकता।मामले के तथ्यों में याचिकाकर्ताओं पर 09 अप्रैल, 2017 को मुख्यमंत्री के काफिले पर काला झंडा लहराने और पुलिस कर्मियों के खिलाफ बल प्रयोग करने का...
किसी अन्य अपराध में शामिल न होने की शर्त, जो मुकदमे के दौरान लागू होने का इरादा नहीं था: केरल हाईकोर्ट ने जमानत रद्द करने का फैसला खारिज करते हुए कहा
केरल हाईकोर्ट ने NDPS Act के तहत गिरफ्तार व्यक्ति की जमानत रद्द करने का आदेश खारिज किया। उक्त आदेश में कहा गया कि ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे पता चले कि आरोपी ने जांच या मुकदमे में हस्तक्षेप किया हो। सेशन जज ने इस आधार पर जमानत रद्द कर दी कि याचिकाकर्ता ने खुद को दूसरे अपराध में शामिल कर लिया। इस तरह जमानत की शर्त का उल्लंघन किया।जस्टिस के. बाबू ने कहा कि जमानत रद्द करने के लिए पर्याप्त कारण होने चाहिए।"सेशन जज ने याचिकाकर्ता को जमानत देते समय कभी भी यह शर्त नहीं मानी कि वह पूरे मुकदमे के दौरान...
राज्य की सीमाओं से बाहर अभियुक्तों की गिरफ़्तारी के लिए प्रोटोकॉल पर पुलिस के लिए सर्कुलर जारी: तमिलनाडु के DGP ने केरल हाईकोर्ट को बताया
तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक ने केरल हाईकोर्टको सूचित किया कि 13 नवंबर को एक नया सर्कुलर जारी किया गया, जिसमें राज्य की सीमाओं के बाहर अभियुक्तों की गिरफ़्तारी करते समय पालन किए जाने वाले विस्तृत दिशा-निर्देशों को रेखांकित किया गया।जस्टिस अनिल के. नरेंद्रन और जस्टिस मुरली कृष्ण एस. की खंडपीठ ने लोक अभियोजक को डीजीपी द्वारा जारी सर्कुलर प्रस्तुत करने के लिए समय दिया।न्यायालय डी के बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का आरोप लगाने वाली अवमानना याचिका...
भाभी द्वारा बॉडी शेमिंग प्रथम दृष्टया महिला के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला जानबूझकर किया गया आचरण, जो IPC की धारा 498A के तहत क्रूरता का कारण बनता है: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि भाभी द्वारा महिला के बॉडी शेमिंग करना प्रथम दृष्टया महिला के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाला जानबूझकर किया गया आचरण है, जो IPC की धारा 498A के तहत क्रूरता का अपराध बनता है।मामले के तथ्यों के अनुसार भाभी ने अपने खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कहा गया कि वह धारा 498A के तहत रिश्तेदार शब्द के दायरे में नहीं आती, जिससे क्रूरता का अपराध बनता है।जस्टिस ए. बदरुद्दीन ने कहा कि वैवाहिक घर में रहने वाले भाई-बहनों के पति-पत्नी भी धारा...
केरल हाईकोर्ट ने मंदिर के त्योहारों के दौरान हथियों के साथ क्रूरता को रोकने के लिए निर्देश जारी किए
केरल हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि केरल में हाथियों का परंपरा और धर्म के नाम पर मंदिरों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, लेकिन वास्तव में, यह उनकी भलाई के लिए किसी भी देखभाल या चिंता के बिना एक "व्यावसायिक शोषण" है। जस्टिस ए के जयशंकरन नांबियार और जस्टिस गोपीनाथ पी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। इस प्रकार केरल बंदी हाथी (प्रबंधन और रखरखाव) नियम, 2012 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए और वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र और अन्य बनाम भारत संघ (2016) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुपालन सुनिश्चित...
कर्नाटक हाईकोर्ट ने शादी के निमंत्रण पत्र पर 'नरेंद्र मोदी के लिए वोट' संदेश छापने के आरोप में आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाई
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को अपनी शादी के निमंत्रण पत्र पर कथित तौर पर एक संदेश छापने के लिए आरोपी के खिलाफ शुरू की गई सभी आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी, जिसमें लिखा था कि 'शादी में आप मुझे जो उपहार देंगे, वह नरेंद्र मोदी को वोट देना है।जस्टिस एम नागप्रसन्ना की सिंगल जज बेंच ने शिवप्रसाद की याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया। उत्तरदाताओं को नोटिस जारी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ताओं के लिए सुनवाई की अगली तारीख तक सीसी संख्या 238/2024 में आगे की सभी कार्यवाही पर रोक लगाने का अंतरिम...
आपराधिक और विभागीय कार्यवाही में आरोप और साक्ष्य समान हो तो आपराधिक मामले में बरी होने पर कर्मचारी विभागीय कार्यवाही से मुक्त हो जाता है: केरल हाईकोर्ट ने दोहराया
केरल हाईकोर्ट की एक खंडपीठ, जिसमें जस्टिस अनिल के नरेन्द्रन और जस्टिस पीजी अजितकुमार शामिल थे, उन्होंने सेवा से बर्खास्त किए गए पुलिस कांस्टेबल को बहाल करने के केरल प्रशासनिक न्यायाधिकरण के आदेश को बरकरार रखा। उस आदेश में कहा गया था कि केरल पुलिस अधिनियम, 2011 की धारा 101(8) उन्हीं तथ्यों के आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई को रोकती है, जिसके आधार पर आपराधिक कार्यवाही में बरी किया गया था। न्यायालय ने अन्य सभी सेवा लाभ प्रदान करते हुए बकाया वेतन को तीन वर्ष तक सीमित कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में...
मीडिया ट्रायल से धारणाएं बनती हैं, प्रचलित सार्वजनिक मान्यताओं से अलग फैसला होने पर न्यायिक नतीजों में अविश्वास पैदा होता है: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट की पांच जजों की पीठ ने अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग पर कोई दिशा-निर्देश तैयार किए जाने के संदर्भ में निर्णय लेते समय यह टिप्पणी की कि मीडिया ट्रायल से न्यायिक नतीजों में अविश्वास पैदा हो सकता है खासकर तब जब फैसला प्रचलित सार्वजनिक मान्यताओं से अलग हो।जस्टिस ए. के. जयशंकरन नांबियार, जस्टिस कौसर एडप्पागथ, जस्टिस मोहम्मद नियास सी. पी., जस्टिस सी. एस. सुधा, जस्टिस श्याम कुमार वी. एम. की पीठ अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग पर कोई दिशा-निर्देश तैयार किए जाने के संदर्भ में निर्णय ले रही...
जांच/ट्रायल लंबित रहने के दौरान किसी व्यक्ति के दोषी या निर्दोष होने के बारे में मीडिया द्वारा "निश्चित राय" देना अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत संरक्षित नहीं: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने माना कि किसी चल रहे आपराधिक मामले में अभियुक्त के दोषी या निर्दोष होने के बारे में मीडिया द्वारा की गई कोई भी अभिव्यक्ति संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत गारंटीकृत अभिव्यक्ति के अधिकार के तहत संरक्षित नहीं होगी। न्यायालय ने कहा कि केवल न्यायिक प्राधिकारी ही अभियुक्त के दोषी या निर्दोष होने के बारे में फैसला सुना सकता है।जस्टिस ए.के. जयशंकरन नांबियार, जस्टिस कौसर एडप्पागथ, जस्टिस मोहम्मद नियास सी.पी., जस्टिस सी.एस. सुधा और जस्टिस श्याम कुमार वी.एम. की पीठ के पांच जजों ने कहा...
वक्फ ट्रिब्यूनल के गठन के बाद भी वक्फ विवाद पर डिक्री देने के लिए दीवानी अदालत पर कोई रोक नहीं: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि वक्फ ट्रिब्यूनल के गठन के बाद भी, सिविल कोर्ट वक्फ विवाद से संबंधित उसके द्वारा पारित डिक्री को निष्पादित कर सकता है।जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने स्पष्ट किया कि वक्फ ट्रिब्यूनल के गठन के बाद भी, सिविल कोर्ट के पास अपने स्वयं के डिक्री के साथ-साथ वक्फ ट्रिब्यूनल द्वारा पारित किसी भी डिक्री को निष्पादित करने का अधिकार क्षेत्र है। वक्फ ट्रिब्यूनल के गठन के बाद भी, वक्फ विवाद के संबंध में सिविल कोर्ट द्वारा पारित डिक्री को निष्पादित करने या वक्फ ट्रिब्यूनल द्वारा पारित डिक्री को...