हाईकोर्ट

कैश फॉर क्वेरी मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने महुआ मोइत्रा की अर्जी पर तत्काल आदेश देने से किया इनकार
कैश फॉर क्वेरी मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने महुआ मोइत्रा की अर्जी पर तत्काल आदेश देने से किया इनकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा की उस अर्जी पर कोई तत्काल आदेश पारित करने से इनकार किया, जिसमें उन्होंने मांग की कि लोकपाल में उनके खिलाफ लंबित कार्यवाही के दौरान भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को छह अक्टूबर को होने वाली सुनवाई में न सुना जाए।मोइत्रा ने यह प्रार्थना इस आधार पर की कि दुबे ने लोकपाल की कार्यवाही से संबंधित गोपनीय सूचनाएं और दस्तावेज़ मीडिया में लीक किए।जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि इस स्तर पर मोइत्रा की अर्जी पर कोई आदेश...

न्यायपालिका पर आपत्तिजनक टिप्पणी: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने श्रीनगर SSP को लगाई फटकार
न्यायपालिका पर आपत्तिजनक टिप्पणी: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने श्रीनगर SSP को लगाई फटकार

जम्मू-कश्मीर-लद्दाख हाईकोर्ट ने निरोधात्मक हिरासत आदेश रद्द करते हुए श्रीनगर के तत्कालीन SSP इम्तियाज़ हुसैन की कड़ी निंदा की। अदालत ने कहा कि SSP द्वारा तैयार किए गए डोज़ियर में न्यायपालिका के खिलाफ़ की गई टिप्पणियां अवमाननापूर्ण और लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने वाली हैं।जस्टिस मोक्ष खजूरिया काज़मी की सिंगल बेंच ने पाया कि SSP ने अपने डोज़ियर में लिखा था,"जब भी विषय (हिरासत में लिए गए व्यक्ति) को गिरफ़्तार किया गया, उसने अदालत से जमानत ले ली या हिरासत आदेश को चुनौती दी, क्योंकि वह प्रभाव...

सिर्फ़ संदेह के आधार पर जनप्रतिनिधि को निलंबित करना जनता के हितों के विपरीत : राजस्थान हाईकोर्ट
सिर्फ़ संदेह के आधार पर जनप्रतिनिधि को निलंबित करना जनता के हितों के विपरीत : राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने जैतारण नगरपालिका बोर्ड के चेयरमैन का निलंबन आदेश रद्द करते हुए कहा कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि को बिना ठोस आरोप या प्रमाण के केवल संदेह या शिकायत के आधार पर निलंबित करना न केवल उसे चुनने वाली जनता की इच्छा के खिलाफ़ है, बल्कि उसके स्वयं के हितों को भी नुकसान पहुंचाता है।जस्टिस कुलदीप माथुर की सिंगल बेंच ने कहा कि जनप्रतिनिधि से अपेक्षा की जाती है कि वे शासकीय अधिकारियों की सलाह और रिपोर्ट के आधार पर कार्य करें। यदि कोई फ़ाइल अधिकारियों द्वारा जांच-परख कर रखी जाती है तो सामान्य...

दिल्ली हाईकोर्ट ने समीर वानखेडे के Ba*ds of Bollywood पर मानहानि मामले की सुनवाई योग्यता पर उठाए सवाल
दिल्ली हाईकोर्ट ने समीर वानखेडे के Ba*ds of Bollywood पर मानहानि मामले की सुनवाई योग्यता पर उठाए सवाल

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (26 सितंबर) को आईआरएस अधिकारी समीर वानखेडे से सवाल किया कि उनका नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज Ba**ds of Bollywood जिसे आर्यन खान ने निर्देशित किया, में कथित अपमानजनक प्रस्तुति के खिलाफ दायर मानहानि मुकदमा दिल्ली में कैसे योग्य ठहरता है।सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस पुरुषिंद्र कुमार कौरव ने वानखेडे के सीनियर एडवोकेट संदीप सेठी से मुकदमे की वजह पूछी। सेठी ने कोर्ट को बताया कि वेब सीरीज पूरे देश में उपलब्ध है और दिल्ली में भी इसे देखा जा सकता है। साथ ही इस पर बनाए गए मेम्स विशेष...

परंजय गुहा ठाकुरता पर अडानी ग्रुप की रिपोर्टिंग रोकने वाला गैग ऑर्डर लागू नहीं होगा: दिल्ली कोर्ट
परंजय गुहा ठाकुरता पर अडानी ग्रुप की रिपोर्टिंग रोकने वाला गैग ऑर्डर लागू नहीं होगा: दिल्ली कोर्ट

दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने गुरुवार (25 सितम्बर) को कहा कि सीनियर जर्नालिस्ट परंजय गुहा ठाकुरता पर अडानी एंटरप्राइजेज से जुड़ी रिपोर्टिंग को रोकने वाला एकपक्षीय गैग ऑर्डर तब तक लागू नहीं होगा, जब तक सीनियर सिविल जज इस मामले में नए आदेश पारित नहीं कर देते।डिस्ट्रिक्ट जज सुनील चौधरी ने स्पष्ट किया,"ठाकुरता फिलहाल इस आदेश का पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं। उन्हें भी अन्य पत्रकारों के साथ 26 सितम्बर को दोपहर 2 बजे सीनियर सिविल जज के समक्ष सुनवाई में शामिल किया जाएगा। अदालत ने कहा कि सीनियर सिविल जज...

सोशल मीडिया की टिप्पणियां हमें चुटकी भर नमक की तरह स्वीकार: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
सोशल मीडिया की टिप्पणियां हमें चुटकी भर नमक की तरह स्वीकार: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि अदालतों की कार्यवाही के लाइव-स्ट्रीम से बनाए गए रील्स और मीम्स के जरिए न्यायपालिका पर की जाने वाली सोशल मीडिया टिप्पणियों को नियंत्रित करना संभव नहीं है। अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे कमेंट्स को वह चुटकी भर नमक के साथ लेती है और इनके साथ जीना सीख लिया है।चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सारफ की खंडपीठ जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता एडवोकेट अरिहंत तिवारी ने दलील दी कि लाइव-स्ट्रीम कार्यवाही से बने वीडियो और मीम्स लोगों को न्यायपालिका...

COVID के दौरान सीमा अवधि बढ़ाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश PMLA के तहत कुर्की की कार्यवाही पर भी लागू: दिल्ली हाईकोर्ट
COVID के दौरान सीमा अवधि बढ़ाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश PMLA के तहत कुर्की की कार्यवाही पर भी लागू: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि COVID-19 महामारी के मद्देनजर सीमा अवधि बढ़ाने के सुप्रीम कोर्ट के स्वतःसंज्ञान से दिए गए निर्देश PMLA की धारा 8 के तहत न्यायिक प्रक्रिया और संपत्तियों की कुर्की की पुष्टि पर भी लागू होते हैं।जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा:“यह स्पष्ट है कि सीमा अवधि विस्तार के लिए संज्ञान (सुप्रा) के संबंध में माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उद्देश्य न्यायिक और अर्ध-न्यायिक कार्यवाहियों के संबंध में सभी सामान्य और विशेष कानूनों के तहत...

क्या अब UCC लागू करने का समय नहीं आ गया?: दिल्ली हाईकोर्ट ने बाल विवाह की आपराधिकता पर इस्लामी और भारतीय कानूनों में मतभेदों की ओर इशारा किया
'क्या अब UCC लागू करने का समय नहीं आ गया?': दिल्ली हाईकोर्ट ने बाल विवाह की आपराधिकता पर इस्लामी और भारतीय कानूनों में मतभेदों की ओर इशारा किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने बाल विवाह की वैधता और आपराधिकता पर इस्लामी और भारतीय कानूनों में मतभेदों की ओर इशारा करते हुए कहा, "क्या अब समान नागरिक संहिता (UCC) की ओर बढ़ने का समय नहीं आ गया?"जस्टिस अरुण मोंगा ने इसे "बार-बार होने वाला विवाद" बताते हुए कहा कि इस्लामी कानून के तहत यौवन प्राप्त करने वाली नाबालिग लड़की कानूनी रूप से विवाह कर सकती है। हालांकि, भारतीय आपराधिक कानून के तहत ऐसा विवाह पति को भारतीय न्याय संहिता (BNS) और POCSO Act, या दोनों के तहत अपराधी बनाता है।अदालत ने कहा,"इससे एक गंभीर...

BBMB के पास कोई अधिकार क्षेत्र नहीं: अतिरिक्त पानी छोड़ने को चुनौती देने वाली याचिका पर पंजाब सरकार का जवाब
BBMB के पास कोई अधिकार क्षेत्र नहीं: अतिरिक्त पानी छोड़ने को चुनौती देने वाली याचिका पर पंजाब सरकार का जवाब

पंजाब सरकार ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दलील दी कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) को बाध्यकारी समझौतों के तहत प्रत्येक राज्य को आवंटित हिस्से से अधिक पानी छोड़ने का कोई अधिकार नहीं है।यह दलील चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ के समक्ष पंजाब सरकार द्वारा दायर याचिका में दी गई, जिसमें BBMB की 23 अप्रैल, 2025 की बैठक के विवरण को चुनौती दी गई। इसमें गंभीर पेयजल संकट और यमुना नहर की मरम्मत का हवाला देते हुए हरियाणा को 8,500 क्यूसेक तक अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्णय लिया गया...

रिया चक्रवर्ती इंटरव्यू के बाद राजदीप सरदेसाई के खिलाफ किए गए मानहानिकारक ट्वीट्स मामले में टीवी टुडे को ₹5 लाख का हर्जाना देने का आदेश
रिया चक्रवर्ती इंटरव्यू के बाद राजदीप सरदेसाई के खिलाफ किए गए मानहानिकारक ट्वीट्स मामले में टीवी टुडे को ₹5 लाख का हर्जाना देने का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने टीवी टुडे नेटवर्क को 5 लाख रुपये हर्जाने के रूप में देने का आदेश दिया है। मामला 2020 में एंकर राजदीप सरदेसाई द्वारा अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती का इंटरव्यू लेने के बाद एक्स (पूर्व में ट्विटर) यूजर अनुराग श्रीवास्तव द्वारा किए गए मानहानिकारक ट्वीट्स से जुड़ा है।जस्टिस पुरषेन्द्र कुमार कौरेव ने कहा कि श्रीवास्तव के “आपत्तिजनक ट्वीट्स” अत्यंत मानहानिकारक थे और उन्होंने पर्याप्त अवसर दिए जाने के बावजूद इन्हें साबित नहीं किया। कोर्ट ने इसे “गैर-जिम्मेदाराना कृत्य” बताते हुए टीवी टुडे...

आयात चरण में छूट प्रमाणपत्र प्रदान न करने पर नियोक्ता ठेकेदार द्वारा भुगतान किए गए कस्टम ड्यूटी की प्रतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
आयात चरण में छूट प्रमाणपत्र प्रदान न करने पर नियोक्ता ठेकेदार द्वारा भुगतान किए गए कस्टम ड्यूटी की प्रतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (मध्यस्थता अधिनियम) की धारा 37 के तहत हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPPCL) द्वारा दायर अपील खारिज की, जिसमें ऑरेंज बिजनेस सर्विस इंडिया टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में दिए गए आर्बिट्रेशन निर्णय को बरकरार रखा गया। अदालत ने कहा कि ADB द्वारा वित्त पोषित परियोजना के लिए माल के आयात के समय नियोक्ता द्वारा छूट प्रमाणपत्र प्रदान न करने के कारण नियोक्ता ठेकेदार द्वारा भुगतान किए गए कस्टम ड्यूटी की प्रतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी...

S.138 NI Act | मुआवज़ा न चुकाने के कारण दोषी को ज़मानत नहीं मिल पाती तो अदालत को 90 दिनों में अपील का फ़ैसला करना होगा: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
S.138 NI Act | मुआवज़ा न चुकाने के कारण दोषी को ज़मानत नहीं मिल पाती तो अदालत को 90 दिनों में अपील का फ़ैसला करना होगा: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि यदि अपीलीय न्यायालय को यह विश्वास हो जाता है कि परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (NI Act) की धारा 138 के अंतर्गत कोई दोषी, धारा 148 के अंतर्गत मुआवज़े की 20% राशि जमा करने में वास्तव में असमर्थ है। परिणामस्वरूप, ज़मानत नहीं पा सकता है तो अपील का फ़ैसला अधिकतम 90 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए।NI Act की धारा 148, धारा 138 के अंतर्गत चेक अनादर के लिए दोषसिद्धि के विरुद्ध अपील में अपीलकर्ता (चेक जारीकर्ता) को निचली अदालत द्वारा दिए गए...

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बलात्कार आरोपी की बरी बरकरार रखी, कहा– पीड़िता के शरीर पर चोट के निशान न होना सहमति दर्शाता है
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बलात्कार आरोपी की बरी बरकरार रखी, कहा– पीड़िता के शरीर पर चोट के निशान न होना सहमति दर्शाता है

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बलात्कार मामले में आरोपी की बरी (acquittal) को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल सबूतों में पीड़िता के शरीर पर किसी भी प्रकार की चोट या हिंसा के निशान नहीं पाए गए, जिससे यह प्रतीत होता है कि उसने प्रतिरोध नहीं किया और वह सहमति से इस कृत्य में शामिल थी।पीड़िता ने 2013 में शिकायत दी थी कि उसके पति के काम पर होने और बच्चों के स्कूल में रहने के दौरान उसका चचेरा भाई घर में घुसकर बलात्कार कर गया।उसने आरोप लगाया कि आरोपी ने उसके कपड़े फाड़े, बलात्कार किया और धमकी दी कि...

पोर्टल से न्यूज़ हटाने का मामला: अडानी एंटरप्राइजेज ने हाईकोर्ट में कहा-   न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्ट्स हटाने के लिए कोई नया अनुरोध नहीं करेंगे
पोर्टल से न्यूज़ हटाने का मामला: अडानी एंटरप्राइजेज ने हाईकोर्ट में कहा- न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्ट्स हटाने के लिए कोई नया अनुरोध नहीं करेंगे

अडानी एंटरप्राइजेज ने गुरुवार (25 सितंबर) को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि वह डिजिटल न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा कंपनी से संबंधित मीडिया रिपोर्टों के संबंध में कोई नया अनुरोध नहीं करेगा।जस्टिस सचिन दत्ता के समक्ष अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट अनुराग अहलूवालिया ने यह दलील दी।अदालत डिजिटल न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म न्यूज़लॉन्ड्री और पत्रकार रवीश कुमार की उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें केंद्र सरकार के उस निर्देश को चुनौती दी गई। इसमें डिजिटल न्यूज़...

बाबरी मस्जिद का निर्माण ही मूलतः अपवित्रीकरण का कार्य था: पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अयोध्या फैसले के निष्कर्षों का खंडन किया
'बाबरी मस्जिद का निर्माण ही मूलतः अपवित्रीकरण का कार्य था': पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अयोध्या फैसले के निष्कर्षों का खंडन किया

पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अयोध्या विवाद पर अपनी टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण ही मूलतः अपवित्रीकरण का कार्य था।सीजेआई ने न्यूज़लॉन्ड्री के पत्रकार श्रीनिवासन जैन के साथ एक साक्षात्कार के दौरान यह टिप्पणी की, जिसके कुछ अंश सोशल मीडिया पर साझा किए गए। इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या दिसंबर 1949 में मस्जिद के अंदर मूर्तियां रखने जैसे अपवित्रीकरण के कृत्यों के लिए हिंदू पक्ष जवाबदेह हैं, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मस्जिद का निर्माण ही...