तकनीकी खामी से मिले अतिरिक्त मुनाफे को अनुचित लाभ नहीं माना जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

Amir Ahmad

16 Dec 2025 12:33 PM IST

  • तकनीकी खामी से मिले अतिरिक्त मुनाफे को अनुचित लाभ नहीं माना जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि ब्रोकर की प्रणाली में आई तकनीकी खामी के कारण यदि किसी ग्राहक को अधिक ट्रेडिंग मार्जिन दिखाई देता है। वह उसके आधार पर ट्रेड कर मुनाफा कमाता है तो उसे अनुचित लाभ नहीं कहा जा सकता।

    अदालत ने स्पष्ट किया कि मार्जिन की उपलब्धता केवल ट्रेडिंग का अवसर देती है, जबकि वास्तविक लाभ ग्राहक की जोखिम उठाने की क्षमता और ट्रेडिंग कौशल से उत्पन्न होता है।

    जस्टिस संदीप वी. मार्ने कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज के बायलॉज के तहत पारित अपीलीय मध्यस्थता अवार्ड को चुनौती दी गई थी।

    यह याचिका मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम 1996 की धारा 34 के अंतर्गत दाखिल की गई थी।

    मामला 26 जुलाई 2022 का है जब कोटक सिक्योरिटीज की प्रणाली में तकनीकी खराबी के कारण एक ग्राहक के खाते में वास्तविक 3,175.69 के बजाय कहीं अधिक ट्रेडिंग मार्जिन प्रदर्शित हो गया। इस गलत तरीके से दिखाए गए मार्जिन का उपयोग करते हुए ग्राहक ने कम समय में बड़े पैमाने पर फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ट्रेडिंग की।

    शुरुआत में उसे नुकसान हुआ लेकिन बाद में कुल मिलाकर उसने 1.83 करोड़ से अधिक का सकल मुनाफा कमाया। कोटक सिक्योरिटीज ने इसे मार्जिन के दुरुपयोग से प्राप्त लाभ बताते हुए उस पर दावा किया।

    अदालत ने ब्रोकर की इस दलील को खारिज कर दिया कि भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 71 और 163 के तहत वह इस मुनाफे को अपने पास रख सकता है।

    कोर्ट ने कहा कि मार्जिन वस्तु नहीं बल्कि मौद्रिक सुरक्षा है, इसलिए इसे गुड्स की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता और उक्त धाराएं इस मामले में लागू नहीं होतीं।

    अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि गलत तरीके से दिखाया गया मार्जिन स्वयं में मुनाफा पैदा नहीं करता, बल्कि केवल ट्रेडिंग का अवसर प्रदान करता है। यदि ग्राहक को नुकसान होता तो ब्रोकर उसे वसूल करता ऐसे में केवल मुनाफे पर एकतरफा दावा नहीं किया जा सकता।

    कोर्ट ने यह भी नोट किया कि कोटक सिक्योरिटीज ने समय पर जोखिम नियंत्रण उपाय लागू नहीं किए, काफी देर तक ट्रेडिंग की अनुमति दी ब्रोकरेज और अन्य शुल्क वसूले और बाद में समझौते का प्रस्ताव भी रखा जिससे उसकी अवैधता की दलील कमजोर पड़ती है।

    कोर्ट ने कहा कि ब्रोकर अपनी ही प्रणाली की विफलता से लाभ नहीं उठा सकता और यह मानना गलत होगा कि ग्राहक द्वारा मुनाफा रखना जोखिम प्रबंधन प्रणाली की पवित्रता को ठेस पहुंचाता है।

    अदालत ने यह निष्कर्ष निकाला कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण का यह मानना सही था कि ग्राहक ने कोई अनुचित लाभ नहीं उठाया।

    इन कारणों से हाईकोर्ट ने कोटक सिक्योरिटीज की याचिका खारिज की और ग्राहक के पक्ष में पारित मध्यस्थता अवार्ड को बरकरार रखते हुए मुनाफे की राशि ब्याज सहित भुगतान करने का आदेश कायम रखा।

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