सिर्फ़ शिकायतें दर्ज करना, भले ही बाद में वे झूठी पाई जाएं, मानहानि नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
Shahadat
16 Dec 2025 10:12 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ़ शिकायतें दर्ज करना, भले ही बाद में वे झूठी पाई जाएं, अपने आप मानहानि का अपराध नहीं बन जाता।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि मानहानि साबित करने के लिए यह दिखाना होगा कि आरोप प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से लगाए गए या इस जानकारी या विश्वास के साथ लगाए गए थे कि ऐसे आरोपों से प्रतिष्ठा को नुकसान होगा।
कोर्ट ने कहा,
"सिर्फ़ शिकायतें दर्ज करना, भले ही बाद में वे झूठी पाई जाएं, अपने आप मानहानि नहीं है, खासकर जब ऐसी शिकायतें कानून के तहत अधिकारियों से की जाती हैं।"
जस्टिस कृष्णा ने एक कंपनी के डायरेक्टर की याचिका खारिज की, जिसमें चार महिला कर्मचारियों को मानहानि के अपराध से बरी करने को चुनौती दी गई।
उसने आरोप लगाया कि नौकरी छोड़ने के बाद महिलाओं ने क्लाइंट का गोपनीय डेटा और दस्तावेज़ चुरा लिए और फिर यौन उत्पीड़न की झूठी शिकायतें दर्ज करके बदला लिया, जिसके परिणामस्वरूप चार FIR दर्ज हुईं।
एमएम ने उसकी शिकायत यह कहते हुए खारिज की कि आपराधिक विश्वासघात के लिए कोई ज़िम्मेदारी नहीं सौंपी गई थी और मानहानि के लिए कोई बुनियादी सबूत नहीं था।
रिवीजन में ASJ ने एमएम का आदेश बरकरार रखा, लेकिन IPC की धारा 506 के तहत महिला को तलब करने का निर्देश दिया, इस आधार पर कि झूठे यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज करने की कथित ऑफिस की धमकी से आपराधिक धमकी का खुलासा हुआ।
याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि उस व्यक्ति के खिलाफ दर्ज चार FIR दुर्भावनापूर्ण थीं या नहीं, यह शिकायतों का विषय नहीं था और FIR के संबंध में उसके तर्क हाईकोर्ट के समक्ष उसकी याचिका के उद्देश्य के लिए प्रासंगिक नहीं थे।
कोर्ट ने कहा कि ASJ के आदेश में कोई कमी नहीं थी और IPC की धारा 182, 211, 406, 500, 506, 34 और 120B के तहत अपराधों के लिए महिलाओं को तलब करने का कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता, सिवाय एक महिला के जिसे IPC की धारा 506 के तहत सही ढंग से तलब किया गया।
कोर्ट ने कहा,
"एमएम के 02.03.2016 के आदेश को बरकरार रखने वाले ASJ के 16.03.2017 के आदेश में कोई कमी नहीं है। याचिका खारिज की जाती है।"
Title: RAJAN SAREEN v. STATE NCT OF DELHI & ORS

