संपादकीय
‘भारत का संविधान सुप्रीम है, संसद नहीं’: पूर्व जज जस्टिस एमबी लोकुर ने उपराष्ट्रपति की टिप्पणियों के विरोध में कहा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ टिप्पणियों के विरोध में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि भारत का संविधान सुप्रीम है।जस्टिस लोकुर ने लाइव लॉ के मैनेजिंग एडिटर मनु सेबेस्टियन को दिए इंटरव्यू में कहा,"भारत की संविधान सुप्रीम है। न्यायपालिका, कार्यपालिका, संसद सुप्रीम नहीं है।“दरअसल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि संसद सुप्रीम है।जस्टिस लोकुर ने कहा कि संविधान ने न्यायपालिका को यह जांचने का काम सौंपा है कि क्या कहीं विधायिका द्वारा बनाया कानून संविधान के विपरीत तो नहीं हैं या...
अनिल देशमुख को मिली जमानत को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को बॉम्बे हाईकोर्ट में मिली जमानत को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका खारिज की।बॉम्बे हाईकोर्ट ने अनिल देशमुख को बार मालिकों से कथित अवैध रिश्वत और महाराष्ट्र में पुलिस ट्रांसफर और पोस्टिंग में भ्रष्टाचार के मामले में जमानत दी थी।भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सीबीआई की विशेष अनुमति याचिका पर विचार नहीं किया।शुरुआत में,...
अस्थायी अधिग्रहण को कई वर्षों तक जारी रखना मनमाना होगा, यह संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत गारंटीकृत संपत्ति का उपयोग करने के अधिकार का उल्लंघन :सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने माना है कि, "अस्थायी अधिग्रहण को कई वर्षों तक जारी रखना मनमाना होगा और इसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत गारंटीकृत संपत्ति का उपयोग करने के अधिकार का उल्लंघन कहा जा सकता है। यहां तक कि लंबी अवधि के लिए अस्थायी अधिग्रहण को जारी रखना भी अनुचित कहा जा सकता है, जो भूस्वामियों के भूमि से निपटने और/या उपयोग करने के अधिकारों का उल्लंघन करता है।सिविल अपील की तथ्यात्मक पृष्ठभूमिबेंच ने एक सिविल अपील में उपरोक्त निर्णय पारित...
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ हिजाब मामले में जल्द सुनवाई का भरोसा दिया, याचिकाकर्ता ने कहा- 6 फरवरी से परीक्षाएं हैं, हिजाब पहनने वाली छात्राओं को परीक्षा नहीं देने दिया जाएगा
सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष हिजाब मामले की जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि मुस्लिम छात्राओं को केवल सरकारी कॉलेजों में आयोजित होने वाली परीक्षाओं में शामिल होने की अनुमति देने के लिए तत्काल अंतरिम निर्देश की आवश्यकता है।सीनियर वकील कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों का जिक्र कर रहे थे, जिसमें राज्य सरकार द्वारा सरकारी कॉलेजों में धार्मिक हेडस्कार्फ पहनने वाली मुस्लिम लड़कियों पर प्रतिबंध को बरकरार रखा गया...
कानून मंत्री ने कॉलेजियम सिस्टम पर फिर उठाया सवाल, पूर्व जज ने कहा था- सुप्रीम कोर्ट ने संविधान को हाईजैक कर लिया है
जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच चल रहे विवाद के बीच, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने हाईकोर्ट के एक पूर्व जज के बयान का समर्थन किया। हाईकोर्ट जज ने टिप्पणी की थी कि सुप्रीम कोर्ट ने जज की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम तैयार करके संविधान को 'हाईजैक' कर लिया है।रिजिजू ने ट्विटर पर दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज आरएस सोढ़ी के इंटरव्यू का एक वीडियो क्लिप साझा किया। इसमें जज ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर संविधान को 'हाईजैक' कर लिया...
धर्म गाय से पैदा होता है, जिस दिन गौहत्या बंद हो जाएगी, उस दिन धरती की समस्याएं खत्म हो जाएंगी: गुजरात कोर्ट
गुजरात के तापी जिले की एक अदालत ने हाल ही में महाराष्ट्र राज्य से मवेशियों को अवैध रूप से ले जाने के आरोप में एक 22 वर्षीय व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए कहा कि जिस दिन गाय के खून की एक बूंद भी धरती पर नहीं गिरेगी, उस पृथ्वी की सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा और पृथ्वी में भलाई स्थापित हो जाएगी। सत्र न्यायाधीश एसवी व्यास ने जिला न्यायालय तापी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि धर्म गाय से पैदा होता है क्योंकि धर्म वृषभ के रूप में होता है और गाय के पुत्र को वृषभ कहा जाता है।कोर्ट ने...
अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए मजबूत न्यायपालिका जरूरी : जस्टिस इंदिरा बनर्जी
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस लीगल स्टडीज (एनयूएएलएस) में आयोजित 16वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में बोलते हुए अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों के महत्व पर प्रकाश डाला। जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा,"न्यायपालिका संविधान की संरक्षक है। जब अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है, चाहे संवैधानिक, वैधानिक, संविदात्मक, या न्यायसंगत अधिकार हों और न्याय से इनकार किया जाता है, तो न्यायपालिका निर्णय लेने और राहत देने करने के लिए कदम उठाती है। अधिकारों को...
सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (16 जनवरी, 2023 से 20 जनवरी, 2023 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 - अभियुक्त का बयान दर्ज ना हो तो वसूली पर भरोसा नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के बयान के रिकॉर्ड के अभाव में साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत रिकवरी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने एक हत्या के...
सुप्रीम कोर्ट में आने वाले 33 फीसदी केस जमानत आवेदन, इस पर आत्मनिरीक्षण की जरूरत : जस्टिस एस के कौल
सुप्रीम कोर्ट के जज और नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस संजय किशन कौल ने शनिवार को वाराणसी में उत्तर प्रदेश राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित 'न्याय तक पहुंच बढ़ाने पर उत्तरी क्षेत्रीय सम्मेलन' शीर्षक से आयोजित वर्ष 2023 के लिए नालसा के पहले क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जमानत और सजा में छूट पर लंबित मामलों को निपटाने के लिए किसी तरह की क्रांति, लीक से हटकर सोच की जरूरत है, वरना न्यायपालिका को उन्हें निपटाने में 500 या 700 साल लगेंगे।जस्टिस कौल ने...
हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (16 जनवरी, 2023 से 20 जनवरी, 2023) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।न्यायिक अधिकारियों की पेंशन | वेतन का विशेष वेतन भाग पेंशन की गणना के लिए माना जाना चाहिए: केरल हाईकोर्ट केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि न्यायिक अधिकारियों को दिया जाने वाला विशेष वेतन उनके वेतन का एक हिस्सा है और इसे पेंशन की गणना के उद्देश्य से गिना जाना चाहिए।जस्टिस अनु शिवरामन की सिंगल जज पीठ...
मूल संरचना सिद्धांत एक चमकीला सितारा है जो संविधान की व्याख्या करने में मार्गदर्शन करता है: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ डी वाई चंद्रचूड़ ने 'मूल संरचना सिद्धांत' (basic structure doctrine) को चमकीला सितारा कहा " जो आगे का रास्ता कठिन होने पर संविधान के व्याख्याताओं और कार्यान्वयनकर्ताओं का मार्गदर्शन करता है और उन्हें एक निश्चित दिशा देता है।" 'मूल संरचना सिद्धांत' लगभग पांच दशक पहले सुप्रीम कोर्ट के 13-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के प्रसिद्ध फैसले में विकसित हुआ था। हाल ही में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस सिद्धांत पर निशाने साधते हुए कहा था कि इस फैसले ने एक बुरी मिसाल कायम...
इतिहास के कठिन समय में अनुच्छेद 226 और बुनियादी ढांचे के सिद्धांत ने लोगों की मदद की: जस्टिस एसके कौल
"हमारे इतिहास में कठिन समय में, यह अनुच्छेद 226 और बुनियादी ढांचे का सिद्धांत ने समाज और बड़े पैमाने पर लोगों की सहायता की है।“सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल ने गुरुवार (19 जनवरी) को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की। दरअसल, याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सवाल उठाया गया कि क्या सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के एक आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सीधी अपील के वैधानिक प्रावधान के कारण उच्च न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र को पूरी तरह से बाहर रखा गया है।गौरतलब है कि न्यायाधीश की यह टिप्पणी ऐसे...
साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 - अभियुक्त का बयान दर्ज ना हो तो वसूली पर भरोसा नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के बयान के रिकॉर्ड के अभाव में साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत रिकवरी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने एक हत्या के आरोपी को बरी कर दिया, जिसे निचली अदालत और हाईकोर्ट ने समवर्ती रूप से दोषी ठहराया था। बॉबी को अन्य आरोपियों के साथ आईपीसी की धारा 395, 365, 364, 201, 380, 302 और 302 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था।अपील में, बॉबी की ओर से उठाया गया तर्क यह था कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 27 के...
सीआरपीसी की धारा 125 के तहत बहू ससुर से मेंटेनेंस का दावा नहीं कर सकती: पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत बहू अपने ससुर से मेंटेनेंस का दावा करने की हकदार नहीं है।जस्टिस सुनील दत्ता मिश्रा की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम की धारा 19 के तहत मेंटेनेंस के लिए एक आवेदन का निर्णय करते समय फैमिली कोर्ट सीआरपीसी की धारा 125 को अंतरिम मेंटेनेंस प्रदान करने के लिए लागू नहीं कर सकता है।कोर्ट ने कहा,“सीआरपीसी की धारा 125 पत्नी, बच्चों, और माता-पिता के मेंटेनेंस के आदेश से संबंधित है। बहू सीआरपीसी की धारा...
चार्जशीट 'पब्लिक डॉक्यूमेंट' नहीं, जांच एजेंसियों को उन्हें वेबसाइटों पर अपलोड करने का निर्देश नहीं दे सकते: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि पुलिस और सीबीआई, ईडी जैसी जांच एजेंसियों को किसी मामले की चार्जशीट को पब्लिक प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता है, ताकि आम लोग उसे आसानी से ना पाने लगें।जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने आरटीआई कार्यकर्ता और खोजी पत्रकार सौरव दास की ओर से दायर एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया।पीठ ने यूथ बार एसोसिएशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एडवोकेट प्रशांत भूषण द्वारा किए गए भरोसे को "गलत" बताया, जिसमें पुलिस को...
महिला का बांझपन तलाक का आधार नहीं: कलकत्ता हाईकोर्ट
कलकत्ता हाईकोर्ट ने तलाक के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि महिला का बांझपन तलाक का आधार नहीं हो सकता।दरअसल, साल 2017 में पति ने पत्नी के बांझपन के आधार पर तलाक की याचिका दायर की थी।इसी मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि माता-पिता बनने के कई विकल्प हैं। इन परिस्थितियों में एक व्यक्ति को अपने जीवनसाथी के साथ खड़ा रहना चाहिए।कोर्ट ने यह भी कहा कि बांझपन के कारण मेंटल और फिजिकल हेल्थ संबंधित समस्याओं से जूझ रही पत्नी को छोड़ना ‘मानसिक क्रूरता’ माना जाएगा।इसके साथ ही...
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में जातिगत जनगणना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार किया; याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट जाने को कहा
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिहार राज्य में जातिगत जनगणना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।बिहार सरकार ने इस साल 7 जनवरी को जाति सर्वे शुरू किया था। पंचायत से लेकर जिला स्तर तक के सर्वे में मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से प्रत्येक परिवार का डाटा डिजिटल रूप से संकलित करने की योजना है।याचिका में सुप्रीम कोर्ट से जातिगत जनगणना करने की राज्य सरकार की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई थी।जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस विक्रम नाथ याचिकाकर्ताओं की ओर से वकीलों द्वारा किए...
कौन हैं एडवोकेट सौरभ कृपाल, जिनको कॉलेजिम ने जज बनाने की सिफारिश की
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र की आपत्ति को खारिज करते हुए सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाने की फिर से सिफारिश की।कोर्ट ने कहा, "कॉलेजियम ने सौरभ कृपाल की नियुक्ति के लिए 11 नवंबर 2021 की सिफारिश दोहराई है। उनकी नियुक्ति पांच साल से लंबित है। इस पर तेजी से निर्णय लेने की आवश्यकता है।“ कौन हैं सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल? सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल पूर्व चीफ जस्टिस बीएन कृपाल के बेटे हैं। आपको बात दें, सौरभ गे हैं और उनके पार्टनर स्विस नागरिक हैं। सरकार के ऐतराज की क्या...
“जमानत पर सुसंगत कानून होना चाहिए, दिल्ली दंगों के आरोपी अभी भी जेल में हैं, यूपी में हत्या के 13000 विचाराधीन कैदी “ : आशीष मिश्रा केस में दुष्यंत दवे
सुप्रीम कोर्ट को सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने लखीमपुर खीरी कांड के सिलसिले में आशीष मिश्रा की जमानत की सुनवाई में पीड़ितों के लिए पेश होते हुए बताया कि अगर मिश्रा को हत्या के आरोप में रिहा किया जाना है तो सुसंगत कानून हो और दिल्ली दंगों के आरोपी, साथ ही यूपी की जेलों में हत्या के आरोप में बंद 13,000 विचाराधीन कैदियों के साथ भी यही व्यवहार किया जाना चाहिए।उन्होंने आगे कहा, "केरल का पत्रकार (सिद्दीकी कप्पन) जो यूपी में एक दलित लड़की के बलात्कार मामले को कवर करने गया था, कई सालों से जेल में...
जमानत के संबंध में महत्वपूर्ण सवाल और उनके जवाब : भाग एक
प्रश्न. ज़मानत का अर्थ और उद्देश।इंग्लिश और अमेरिकी कानून में जमानत की संकल्पना का एक लंबा इतिहास रहा है। इंग्लैंड में, मध्यकाल के दौरान जमानत/Bail प्रथा का उद्भव हुआ, जिसके चलते जेल में बंद कैदियों के लिए किसी तीसरे पक्षकार द्वारा उसकी रिहाई और अदालत में उसकी पेशी की जिम्मेदारी ली जाती थी। इसकारण मध्ययुग में कई सारे कैदियों को इसी तर्ज पर जेलों से छोड़ा (bailout) जाने लगा। यद्यपि, अभियुक्त पश्चतवर्ती अवसर पर अदालत में पेश नहीं होता तो विचारण में जमानत दिलवाने वाले को उसके स्थान पर उपस्थित रहना...