संपादकीय
(दावों का त्याग) सीपीसी के आदेश 2 नियम 2 से संबंधित प्रतिबंध रिट याचिकाओं पर लागू नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश- 2 नियम-2 से संबंधित प्रतिबंध रिट याचिकाओं पर लागू नहीं हो सकता।कोर्ट उस रिट याचिका पर विचार कर रहा था, जिसमें यह मुद्दा उठाया गया था कि क्या पेंशन के निर्धारण के लिए क्वालिफाइंग सर्विस की गणना करते वक्त सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमिटी रूल्स 2000 लागू होने से पहले सुप्रीम कोर्ट विधिक सहयोग समिति और सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति में सेवा दे चुके याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को शामिल किया जा सकता है?इस मामले के...
सर्विस रिकॉर्ड में जन्मतिथि बदलने का कर्मचारी का अनुरोध नौकरी के अंतिम समय में नहीं माना जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि किसी कर्मचारी के सर्विस रजिस्टर में जो जन्मतिथि दर्ज हो जाती है उसमें नौकरी के अंतिम समय में बदलाव की मांग नहीं मानी जा सकती। न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि भले ही यह साबित करने के लिए अच्छे सबूत हों कि रिकॉर्ड में दर्ज जन्मतिथि गलत है तो भी सुधार का दावा अधिकार के तौर पर नहीं किया जा सकता। इस मामले में, कर्मचारी ने नौकरी शुरू करने की तारीख से 30 साल से अधिक समय के बाद, अपने सेवा रिकॉर्ड में जन्मतिथि सही करने का...
कानून के छात्रों के लिए इंटर्नशिप की व्यवस्था बार काउंसिल और लॉ स्कूलों द्वारा की जायेगी : दिल्ली हाईकोर्ट
एमिटी लॉ स्कूल के छात्र सुशांत रोहिल्ला की आत्महत्या के बाद स्वत: संज्ञान लेकर शुरू किये गये मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने दिल्ली हाईकोर्ट को आश्वस्त किया है कि काउंसिल और लॉ स्कूल सभी विधि छात्रों के लिए इंटर्नशिप की व्यवस्था करेंगे।न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति नज़मी वज़ीरी की खंडपीठ ने बीसीआई की ओर से पेश वकील का निवेदन इस प्रकार रिकॉर्ड पर लिया-"वह (बार काउंसिल) कोर्ट को आश्वस्त करता है कि अब से बार काउंसिल यह सुनिश्चित करेगा कि इंटर्नशिप एवं प्लेसमेंट की व्यवस्था बीसीआई और...
न्यायिक अधिकारियों के वेतन, पेंशन और भत्तों में बढ़ोतरी की सिफारिश
यदि द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों पर पूरी तरह अमल हुआ तो देश के सभी जूनियर सिविल जज अथवा प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के वेतन लगभग तीन गुना बढ़ जायेंगे।रेड़डी आयोग ने देश भर के न्यायिक अधिकारियों के वेतन, पेंशन और भत्तों में वृद्धि संबंधी अपनी अंतिम रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय को सौंप दी है, जिसके अनुसार जूनियर सिविल जज अथवा प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के वेतन में लगभग तीन गुना बढ़ोतरी होगी, साथ ही उन्हें नये-नये भत्ते भी मिलेंगे। इनके पेंशन में भी वृद्धि के प्रस्ताव हैं। ऑल...
सीआरपीसी की धारा 391 के तहत अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने की अर्जी पर तुरंत विचार किया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
सीआरपीसी की धारा 391 अतिरिक्त सबूत प्रस्तुत करने की अर्जी पर हाईकोर्ट द्वारा विचार किये जाने से प्रतिबंधित नहीं करती है।"सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने की मांग को लेकर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 391 के तहत दाखिल अर्जी पर तुरंत विचार किया जाना चाहिए। ऐसी अर्जी पर विचार के लिए अंतिम तौर पर सुने जाने वाली अपील का इंतजार नहीं किया जाना चाहिए।इस मामले में हाईकोर्ट ने हत्या के एक आरोपी की अपील के तहत सीआरपीसी की धारा 391 के अंतर्गत दाखिल अर्जी का यह कहते हुए निबटारा कर...
वकीलों के लिए विज्ञापन एवं लुभावने इश्तेहार पर ऑनलाइन पोर्टलों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किये
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने वकीलों के लिए विज्ञापन करने तथा लुभावने निवेदन करने वाले ऑनलाइन पोर्टलों को मंगलवार को अवमानना के नोटिस जारी किये। इस तरह की गतिविधियों से दूर रहने के उच्च न्यायालय के स्पष्ट दिशानिर्देशों की अवहेलना करके ये ऑनलाइन पोर्टल वकीलों के लिए विज्ञापन और लुभावने इश्तेहार कर रहे थे।न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन ने वकील यश भारद्वाज की अवमानना याचिका पर जारी नोटिस में कहा, "प्रतिवादी संख्या एक से 15 तक को नोटिस। प्रतिवादी ये कारण बताएं कि रिट याचिका संख्या 23328 (एमबी)/2018 में...
मोहन जोशी हाज़िर हो : उम्मीदों और कोर्ट तारीखों के बीच एक आम आदमी की कहानी
न्याय में देरी, न्याय से वंचित किये जाने के समान है (Justice delayed is justice denied)- यह बात हम सब शायद इतनी बार सुन चुके हैं कि अब इसे दोहराना निरर्थक, प्रभावहीन और बिलकुल रेगुलर सा लगता है. लेकिन इस उद्धरण से यह बात साफ़ होती है कि 'समय' और 'न्याय' का निश्चित तौर पर गहरा ताल्लुक है। अगर न्याय समय पर निश्चित नहीं किया जाये तो वह कहां तक न्याय है- यह सोचने का विषय है। यह बात हममें से किसी के लिए नई नहीं है कि हमारा सिस्टम लंबित फाइलों और विलम्बित न्याय से संघर्ष कर रहा है। हालांकि नेशनल...
खुद को नाबालिग साबित करने में नाकाम रहे "17 साल के लड़के" को दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप के मामले में सात साल की सज़ा सुनाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को 17 साल के एक लड़के को 16 साल की एक लड़की के साथ बलात्कार के आरोप में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और POCSO अधिनियम के तहत 7 साल के कारावास की सज़ा सुनाई। अदालत ने इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 के प्रावधानों को नज़रंदाज़ किया। न्यायमूर्ति विभू बखरू ने इस लड़के को आईपीसी और POCSO के तहत न्यूनतम 7 साल के कारावास की सज़ा सुनाई। अभियुक्त ने न तो निचली अदालत और न ही हाईकोर्ट में ख़ुद के नाबालिग़ होने का मामला उठाया। "अपीलकर्ता का नॉमिनल रोल 09.07.2019 को यह...
निर्भया केस : दिल्ली हाईकोर्ट दोषियों की फांसी टालने के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को फैसला सुनाएगा
दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्भया केस में ट्रायल कोर्ट के 31 जनवरी के आदेश के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिकाओं पर बुधवार को फैसला सुनाएगा। 2012 के दिल्ली गैंगरेप और हत्या मामले में ट्रायल कोर्ट ने चार दोषियों की फांसी की सजा पर अगले आदेश तक रोक लगा थी, जिसके खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाईकोर्ट का रुख किया था। निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने रविवार को हुई विशेष सुनवाई के बाद केंद्र सरकार की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें पटियाला हाउस...
वकील इस तरह बनाएं मुवक्किल के साथ अपने संबंध बेहतर, कुछ सुझाव
वकालत करने वाला हर शख्स इस बात को समझता है कि एक वकील को अपने मुवक्किल के प्रति विश्वास एवं वफादारी का प्रदर्शन करना चाहिए। इस तरह का संबंध यह सुनिश्चित करता है कि वकील हर समय अपने मुवक्किल के हितों को निरंतर आगे बढाता रहे। वकीलों को हितों के टकराव से बचने की कोशिश करनी चाहिए अन्यथा मुवक्किल को न्याय दिलाने में खलल पड़ सकता है। किसी भी परिस्थिति में मुवक्किल के हित को वकील द्वारा कमजोर नहीं किया जाना चाहिए। एक मुवक्किल के लिए न्याय तक पहुंच का मतलब अनिवार्य रूप से एक वकील तक पहुंच से भी है।...
केरल हाईकोर्ट का फैसला, बच्चों के भरण-पोषण के लिए पिता की पेंशन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है
केरल हाईकोर्ट ने माना है कि बच्चों के भरण-पोषण के भुगतान के लिए पिता की पेंशन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। जस्टिस के हरिलाल और जस्टिस सीएस डायस की एक खंडपीठ इस सवाल पर विचार कर रही थी कि क्या पिता के पेंशन संबंधी लाभों से बच्चों को देय रखरखाव के बकाये का भुगतान करने से छूट दी गई है। यह सवाल संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत दायर मूल याचिका में था, जिसमें एक एक्सक्यूशन कोर्ट के आदेशों को चुनौती दी गई थी, जिसने याचिकाकर्ता के नियोक्ता- केएसआरटीसी- को कोर्ट में रखरखाव के बकाया को जमा करने का...
अकारण किसी बच्चे को उसके बाप के प्यार से वंचित नहीं किया जा सकता; बॉम्बे हाईकोर्ट ने मिस्र के नागरिक की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका स्वीकार की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को मिस्र के नागरिक ख़ालिद क़ासिम की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका स्वीकार कर ली जो उसने अपनी पत्नी की बहन और मां के ख़िलाफ़ दायर की थी। उसने आरोप लगाया है कि इन दोनों ने उनके 11 महीने के बेटे कियान को छिपा रखा है। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनबी सूर्यवंशी की पीठ ने इस याचिका की सुनवाई की। याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता की पत्नी सौमी की मौत के बाद उसकी पत्नी की बहन पौलमि ने कोशिश की कि वह कियान को उसके साथ भारत में ही छोड़ दे और उसे अल्जीरिया की अपनी...
जानिए साक्ष्य अधिनियम में स्वीकृति का क्या अर्थ है
भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत स्वीकृति (Admission) को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। जब कोई व्यक्ति किसी तथ्य को मान लेता है या अपराध को स्वीकार कर लेता है तो उसे आम भाषा में इसे स्वीकृति कहा जाता है। साक्ष्य अधिनियम में इसे विस्तार से समझाया गया है। अधिनियम की धारा 17 के अनुसार- स्वीकृति वह (मौखिक या दस्तावेजी या इलेक्ट्रॉनिक रूप में अंतर्विष्ट) कथन है,जो किसी विवाधक तथ्य या सुसंगत तथ्य के बारे में कोई अनुमान इंगित करता है और जो ऐसे व्यक्तियों में से किसी के द्वारा ऐसी परिस्थितियों...
CAA पर बयानबाज़ी पर बंगाल की CM को राहत, अयोग्य करार देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर कथित बयानबाज़ी के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया।शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि वो इस पर सुनवाई नहीं करेंगे। लेकिन वो ये नहीं कह रहे कि मामला महत्वपूर्ण नहीं है। याचिकाकर्ता इस मामले को हाईकोर्ट ले जा सकते हैं।दरअसल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।याचिका में मांग की गई थी कि वो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हटाने के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को...
जानिए आजीवन कारावास का अर्थ और दंड के प्रकार
किसी भी आपराधिक विधि में शास्ति के रूप में दंड का प्रावधान रखा गया है, जिससे व्यक्ति इस तरह का अपराध करने से भयभीत रहे तथा समाज में शांति रहे और अपराध मुक्त समाज का निर्माण हो सके। भारत के दंड विधान में भी दंड का उल्लेख किया गया है, भारतीय दंड संहिता की धारा 53 में दंड के प्रकार बताए गए हैं तथा इसी दंड के प्रकारों में आजीवन कारावास का भी उल्लेख किया गया है। इस लेख के माध्यम से भारत में प्रचलित दंड एवं विशेष रूप से आजीवन कारावास को समझने का प्रयास किया जा रहा है। किसी समय समाज में बहुत तरह...
नागरिक द्वारा गहराई से संजोए गए अधिकार ही मौलिक अधिकार हैं, प्रतिबंध नहीं : जस्टिस रवींद्र भट
अधिकार, जो नागरिक गहराई से संजोते हैं, मौलिक हैं- यह प्रतिबंध नहीं हैं जो कि मौलिक हैं, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट ने ये अग्रिम जमानत को क्या सीमित अवधि के लिए होना चाहिए, इस पर फैसला सुनाते हुए याद दिलाया। न्यायाधीश ने महान न्यायविद और अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जोसेफ स्टोरी के एक उद्धरण को पुन: पेश किया: "व्यक्तिगत सुरक्षा और निजी संपत्ति पूरी तरह से विवेक, स्थिरता और न्याय की अदालतों की अखंडता पर निर्भर करती है।" उन्होंने कहा कि न्यायिक व्याख्या द्वारा अग्रिम जमानत देने के लिए...
जानिए साक्ष्य विधि में मरने से पहले दिए गए बयान का महत्व
भारतीय साक्ष्य अधिनियम में मृत्युकालिक कथन (Dying declaration) का अत्यधिक महत्व है। मृत्युकालिक कथन याने मरने से पहले दिया गया बयान। साक्ष्य अधिनियम की धारा 32(1) के अंतर्गत मृत्युकालिक कथन का वर्णन किया गया है तथा मृत्युकालिक कथन को साक्ष्य के अंदर अधिकारिता दी गई है। साक्ष्य अधिनियम में सुसंगत तथ्य क्या होंगे इस संबंध में एक पूरा अध्याय दिया गया है, इस अध्याय के अंदर ही धारा 32 का भी समावेश है। इस धारा के अंतर्गत यह बताने का प्रयास किया गया है कोई भी कथन मृत्युकालिक कथन है तो उसे सुसंगत माना...
लक्ष्मी अग्रवाल की वकील अपर्णा भट को छपाक में क्रेडिट देगा फॉक्स स्टार, अवमानना याचिका के बाद लिया फैसला
बॉलीवुड फिल्म छपाक के प्रोड्यूसर फॉक्स स्टार स्टूडियोज ने लक्ष्मी अग्रवाल की वकील अपर्णा भट को, फिल्म के निर्माण में दिए गए उनके योगदान के लिए, फिल्म में क्रेडिट देने का फैसला किया है। फॉक्स स्टार ने ये फैसला अपर्णा भट द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट में अवमानना एक अपील दायर किए जाने के बाद किया। अपील में फिल्म निर्माता पर दिल्ली हाईकोर्ट के 11 जनवरी, 2020 के आदेश का अनुपालन न करने का हवाला दिया गया है। उस आदेश के क्रम में जस्टिस प्रथिबा एम सिंह ने फिल्म के क्रेडिट में एक पंक्ति जोड़ने का...
किसी सिविल मामले में वकील कैसे बदला जा सकता है, जानिए सम्बंधित प्रकिया एवं प्रावधान
जब भी कोई व्यक्ति न्याय प्राप्त के इरादे से अदालत की तरफ देखता है तो उसे सबसे पहले एक वकील की आवश्यकता प्रतीत होती है। वो एक बेहतर वकील की तलाश में निकल पड़ता है जो उसके मामले को अदालत में उत्तम प्रकार से प्रस्तुत करे और हरसंभव प्रयास करे कि वह व्यक्ति न्याय प्राप्त करने में सफल हो। दूसरी ओर, एक वकील का धर्म अपने मुवक्किल को न्याय दिलाना ही होता है और ऐसा करते हुए उसे न्यायालय के अहम् एवं जिम्मेदार अधिकारी के रूप में कार्य करना होता है।एक मुवक्किल जब अपने वकील को स्वयं के मामले का अदालत में...
बोर्डिंग पास जारी करने के बाद यात्री को बोर्डिंग गेट तक एस्कॉर्ट करने के लिए एयरलाइंस बाध्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चेक-इन काउंटर पर बोर्डिंग पास जारी करने के बाद बोर्डिंग गेट तक पहुंचने के लिए हर यात्री को एस्कॉर्ट (अनुरक्षण) करने का दायित्व एयरलाइंस पर नहीं है। इंडिगो एयरलाइंस ने उपभोक्ता आयोग के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। आयोग ने एयरलाइंस को दो यात्रियों को मुआवजा देने का निर्देश दिया था, जिनकी अगरतला जाने वाली फ्लाइट छूट गई थी। राज्य उपभोक्ता आयोग, जिसके निर्णय को राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने बरकरार रखा था, उसने कहा था कि यह एयरलाइंस का दायित्व...