संपादकीय

क्रिमिनल ट्रायल : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कानून अभियुक्त को वैकल्पिक दलील अपनाने से नहीं रोकता
क्रिमिनल ट्रायल : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कानून अभियुक्त को वैकल्पिक दलील अपनाने से नहीं रोकता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून अभियुक्त को वैकल्पिक दलीलों को अपनाने से नहीं रोकता। कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी यह कहते हुए की है कि एक हत्या का अभियुक्त यह दलील दे सकता है कि वह उस करतूत में शामिल नहीं था, जिसके कारण मृतका की मौत हुई, लेकिन इससे वह उस तथ्य को स्थापित करने के अपने अधिकार से वंचित नहीं हो जाता कि उसके खिलाफ मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 300 के तहत वर्णित किसी अपवाद के दायरे में रखा जाये। इस मामले के अभियुक्त और उसकी मां के खिलाफ अभियुक्त की पत्नी की हत्या का मामला चला था।...

साक्ष्य विधि : क्या होती है एक ही संव्यवहार के भाग होने वाले तथ्यों की सुसंगति, जानिए रेस जेस्टे का सिद्धांत
साक्ष्य विधि : क्या होती है एक ही संव्यवहार के भाग होने वाले तथ्यों की सुसंगति, जानिए रेस जेस्टे का सिद्धांत

साक्ष्य विधि का कार्य उन नियमों का प्रतिपादन करना है, जिनके द्वारा न्यायालय के समक्ष तथ्य साबित और खारिज किए जाते हैं। किसी तथ्य को साबित करने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जा सकती है, उसके नियम साक्ष्य विधि द्वारा तय किये जाते हैं। साक्ष्य विधि अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण विधि है। समस्त भारत की न्याय प्रक्रिया भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की बुनियाद पर टिकी हुई है। साक्ष्य अधिनियम आपराधिक तथा सिविल दोनों प्रकार की विधियों में निर्णायक भूमिका निभाता है। इस साक्ष्य अधिनियम के माध्यम से ही यह तय...

मद्रास हाईकोर्ट ने फर्जी पत्रकार के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया कहा, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले कई लोग पत्रकार होने का दावा करते हैं
मद्रास हाईकोर्ट ने फर्जी पत्रकार के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया कहा, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले कई लोग पत्रकार होने का दावा करते हैं

मद्रास हाईकोर्ट ने 'फर्जी पत्रकारों 'के मुद्दे पर स्वत संज्ञान नोटिस लिया है और समस्या से निपटने के लिए तमिलनाडु सरकार, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और विभिन्न पत्रकार निकायों से जवाब मांगा है। जस्टिस एन .किरुबाकरन और जस्टिस पी. वेलमुरुगन की खंडपीठ ने 10 जनवरी को इस मुद्दे पर उस समय संज्ञान लिया, जब पीठ एक एस.सेकरन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में मूर्ति चोरी के मामले में उचित जांच की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह एक पाक्षिक पत्रिका चला रहा था जिसका नाम...

क्या सांसद/विधायक वकालत कर सकते हैं, जानिए अधिवक्ता अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट का विचार
क्या सांसद/विधायक वकालत कर सकते हैं, जानिए अधिवक्ता अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट का विचार

वकालत पेशे से जुड़ा हर व्यक्ति यह मानता और महसूस करता है कि वकील, मुखर प्रकृति के होते हैं और वे अपनी तार्किक सोच के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं। कानून की शिक्षा ग्रहण करने के पश्च्यात, उन्हें कानून को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है। अंतत: देश को कानून के शासन के अनुसार ही चलना होता है। यही कारण है कि हमारे संसद में और विभिन्न राज्यों के विधायी सदनों में हमे तमाम कानून के जानकार एवं वकील, सदस्य के रूप में दिखाई पड़ते हैं।जैसा कि हम जानते हैं, कानून बनाना विधायिका का कार्य है और इसमें...

यूएई को पारस्परिक देश घोषित किए जाने का क्या मतलब है? सेक्‍शन 44A सीपीसी का विश्लेषण
यूएई को पारस्परिक देश घोषित किए जाने का क्या मतलब है? सेक्‍शन 44A सीपीसी का विश्लेषण

आदित्य जैन, प्रणव शर्मासिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 44A पारस्परिकता के सिद्धांत अर्थात भारत में किसी विदेशी देश द्वारा पारित आदेश का निष्पादन करना और करने की विधि, का संक्षिप्‍त‌िकरण करती है। उक्त प्रावधान निम्नानुसार है: 44A-पारस्परिक क्षेत्र में कोर्ट द्वारा पारित निर्णयों का निष्पादन- (1) जहां किसी भी पारस्परिक क्षेत्र के उच्‍चतर न्यायालयों के आदेश की प्रमाणित प्रति जिला न्यायालय में दाखिल की गई हो, आदेश को (भारत) में वैसे ही निष्पादित किया जा सकता है, जैसे कि यह जिला न्यायालय...

बॉम्बे हाईकोर्ट के वकीलों ने CAA-NRC के खिलाफ प्रोटेस्ट में अपना समर्थन देने के लिए संविधान की प्रस्तावना पढ़ी
बॉम्बे हाईकोर्ट के वकीलों ने CAA-NRC के खिलाफ प्रोटेस्ट में अपना समर्थन देने के लिए संविधान की प्रस्तावना पढ़ी

सोमवार को लगभग सौ वकील बॉम्बे हाईकोर्ट के गेट नंबर 6 के बाहर इकट्ठा हुए और पूरे देश में हो रहे नागरिकता संशोधन अधिनियम, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए भारत के संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया। इस समूह का नेतृत्व नवरोज सरवई, मिहिर देसाई और गायत्री सिंह जैसे वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने किया। सीएए के खिलाफ वकीलों ने सभी अधिवक्ताओं को दोपहर 2 बजे (लंच के समय) हाईकोर्ट के बाहर इकट्ठा होने के लिए आमंत्रित किया और कहा- "सीएए, एनआरसी और एनपीआर के चल रहे विरोध...

आदर्श आचार संहिता के दौरान राजनीतिक विज्ञापनों पर अंकुश लगाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट
आदर्श आचार संहिता के दौरान राजनीतिक विज्ञापनों पर अंकुश लगाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने माना है कि आदर्श आचार संहिता के दौरान राजनीतिक विज्ञापनों पर प्रतिबंध न तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और न ही व्यापार करने की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने कहा है कि व्यवसायिक भाषा पर उक्त प्रतिबंध तर्क की कसौटी पर खरा उतरता है, क्योंकि यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए व्यापक सार्वजनिक हित के चलते लगाया गया है। याचिकाकर्ताओं ने चुनाव आयोग और दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा उनको जारी किए गए पत्रों को चुनौती दी थी। इन पत्रों में...

क्या वकीलों को है विरोध प्रदर्शन या न्यायालय का बहिष्कार करने का अधिकार?
क्या वकीलों को है विरोध प्रदर्शन या न्यायालय का बहिष्कार करने का अधिकार?

न्यायालय, न्याय का एक ऐसा मंदिर है जहाँ एक हर कोई अपने विवाद को सुलझाने/निपटाने के लिए आता है। वकील एवं न्यायिक अधिकारी ऐसे लोगों को न्याय दिलाने में एक अहम् भूमिका निभाते हैं। यह भी अपेक्षा की जाती है कि जब कोई व्यक्ति न्याय पाने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाए तो हमे उसके लिए ऐसी परिस्थितियों का निर्माण करना चाहिए जहाँ वो बिना किसी झंझट एवं परेशानी के अपने विवाद का निपटारा कर सके। हालाँकि, अक्सर ही हम देखते हैं की वकीलों द्वारा हड़ताल बुलाई जाती है, जहाँ वे सभी प्रकार के न्यायिक कार्य से विरत...