संपादकीय

दूसरी अपील में तथ्यों के निष्कर्ष में कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता जब तक कि तथ्य के निष्कर्ष विकृत न हों : सुप्रीम कोर्ट
दूसरी अपील में तथ्यों के निष्कर्ष में कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता जब तक कि तथ्य के निष्कर्ष विकृत न हों : सुप्रीम कोर्ट

किसी तथ्य के निष्कर्ष में दूसरी अपील के दौरान तब तक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता, जब तक कि उन निष्कर्षों को विकृत न किया गया हो। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह बात कही। इस मामले में वादी ने दावा किया कि अपने पिता की मृत्यु के समय वह नाबालिग था और उसके भाइयों ने उससे कुछ दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करा लिए और उसे नहीं पता था कि उन दस्तावेज़ों में क्या है और न ही उसने कोई दस्तावेज़ी क़रार किया है और न ही उसे यह समझ है कि उन दस्तावेज़ों में क्या है। अपने नाबालिग़ होने के समर्थन...

जानिए कब पुलिस रिपोर्ट पर विचार करते हुए मजिस्ट्रेट के लिए अपराध की सूचना देने वाले (Informant) को सुनना होता है अनिवार्य
जानिए कब पुलिस रिपोर्ट पर विचार करते हुए मजिस्ट्रेट के लिए अपराध की सूचना देने वाले (Informant) को सुनना होता है अनिवार्य

पिछले लेख में हमने जाना कि नाराजी याचिका (Protest Petition) क्या होती है और कौन कर सकता है इसे दाखिल। हम ने यह समझा कि "प्रोटेस्ट पिटीशन" (नाराजी याचिका) के सम्बन्ध में दंड प्रक्रिया संहिता, 1973, भारतीय दंड संहिता, 1860 या भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 या किसी अन्य अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं दिया गया है। हालाँकि, नाराजी याचिका की अवधारणा पीड़ित पक्ष या मामले की पुलिस को इत्तिला देने वाले पक्ष के लिए एक अहम् अधिकार के रूप में साबित हुई है। हम यह कह सकते हैं कि जब पुलिस किसी आपराधिक मामले...

निचली अदालत के फ़ैसले की पुष्टि करते हुए प्रथम अपीलीय अदालत को सीपीसी के आदेश XLI नियम 31 की शर्तों का पालन करना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
निचली अदालत के फ़ैसले की पुष्टि करते हुए प्रथम अपीलीय अदालत को सीपीसी के आदेश XLI नियम 31 की शर्तों का पालन करना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रथम अपीलीय अदालत को अपने निर्णय के बारे में अपने कारण बताने होंगे। जब प्रथम अपीलीय अदालत निचली अदालत के फ़ैसले को सही ठहराती है, तो उसे उम्मीद की जाती है कि वह सीपीसी के आदेश XLI नियम 31 की शर्तों का पालन करेगी और अगर इसका पालन नहीं किया जाता है तो इससे प्रथम अपीलीय अदालत के फ़ैसले में अस्थिरता आएगी। यह बात न्यायमूर्ति एए नज़ीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की बेंच ने कही। पीठ ने हाईकोर्ट के एक फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया जिसने प्रथम...

अज़ान के लिए लाउड स्पीकर बैन करने पर याचिका : दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगी
अज़ान के लिए लाउड स्पीकर बैन करने पर याचिका : दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगी

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को एक अवमानना ​​याचिका पर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। अदालत का यह निर्देश उसके पहले के आदेश के अनुपालन के संबंध में है, जिसमें अदालत ने रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउड स्पीकरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। वर्तमान अवमानना ​​याचिका संजीव कुमार ने लगाई है, जिसमें दावा किया गया है कि अदालत के उक्त आदेश के बाद भी दिल्ली में लगभग सभी मस्जिदें लाउड स्पीकर का उपयोग कर रही हैं, जो 2005 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा और 2019...

बॉम्बे हाईकोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस धर्माधिकारी ने इस्तीफा दिया
बॉम्बे हाईकोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस धर्माधिकारी ने इस्तीफा दिया

बॉम्बे हाईकोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्यरंजन धर्माधिकारी ने अपना इस्तीफा दे दिया है। न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने शुक्रवार को अपने कोर्ट में एक वकील से कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण नहीं बताया। उन्होंने अपने इस्तीफी की बात वकील से उस समय की जब वकील मैथ्यू नेदुम्परा ने एक याचिका का उल्लेख किया जिसमें अदालत से अगले सप्ताह इस पर सुनवाई करने की मांग की। न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने अदालत में कहा, "मैंने इस्तीफा दे दिया है। आज...

अगर आरोपी का वकील नहीं है तो अदालत को या तो एमिकस नियुक्त करना होगा या  लीगल कानूनी सेवा समिति को वकील नियुक्त करने के लिए आग्रह करना होगा : SC
अगर आरोपी का वकील नहीं है तो अदालत को या तो एमिकस नियुक्त करना होगा या लीगल कानूनी सेवा समिति को वकील नियुक्त करने के लिए आग्रह करना होगा : SC

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि जब किसी अभियुक्त का न्यायालय में कोई वकील पैरवी करने के लिए नहीं होता तो उसके लिए या तो एमिकस क्यूरी नियुक्त करना होगा या लीगल कानूनी सेवा समिति को इस मामले को संदर्भित करना होगा ताकि वो कोई वकील नियुक्त कर सके। इस मामले में तेलंगाना उच्च न्यायालय ने अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने की पुष्टि की थी, बावजूद इसके कि अपील की सुनवाई के दौरान वो अदालत के सामने वकील प्रस्तुत नहीं कर पाए थे। इस दृष्टिकोण को खारिज करते...

भारत में पहली बार कोर्ट रूम से लाइव स्ट्रीमिंग, कलकत्ता हाईकोर्ट ने दी अनुमति
भारत में पहली बार कोर्ट रूम से लाइव स्ट्रीमिंग, कलकत्ता हाईकोर्ट ने दी अनुमति

भारत के इतिहास में पहली बार कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पारसी महिलाओं और गैर-पारसी पुरुषों से पैदा हुए बच्चों को अग्नि मंदिर में पूजा स्थल में प्रवेश करने की अनुमति देने के एक मामले की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की मंज़ूरी दी। कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति लेने के लिए कलकत्ता के पारसी जोरास्ट्रियन एसोसिएशन (PZAC) के वकील फिरोज एडुल्जी ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि इस मामले की सुनवाई देश के सभी पारसियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और वे इसके परिणाम से लाभान्वित होंगे। ...

कानून के विद्यार्थियों को जस्टिस जोसेफ की सलाहः वकालत के पेशे को हल्के में ना लें
कानून के विद्यार्थियों को जस्टिस जोसेफ की सलाहः वकालत के पेशे को हल्के में ना लें

एनयूएएलएस, कोच्चि के 13 वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस केएम जोसेफ ने युवाओं के साथ कानून के अपने अनुभव साझा किया। जस्टिस जोसेफ ने कहा कि कानूनी पेशा रोजगार नहीं है, कानूनी पेशेवर के लिए 'सीखने का जुनून' बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, "वकालत के पेशे को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। आप किसी सर्जन से कम नहीं है, जिसकी कुशलता, परिश्रम और समर्पण पर किसी मरीज़ की ज़िदगी का दारोमदार होता है।" "एक वकील को च‌िंतनशील होना चाहिए। कल्पना और अंतर्ज्ञान की शक्ति...

CrPC की धारा 482: हाईकोर्ट 161 CrPC के तहत बयानों के मूल्यांकन के आधार पर आपराधिक कार्यवाही रद्द नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट
CrPC की धारा 482: हाईकोर्ट 161 CrPC के तहत बयानों के मूल्यांकन के आधार पर आपराधिक कार्यवाही रद्द नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला दिया है कि CrPC की धारा 161 के तहत पुलिस अधिकारियों के समक्ष दर्ज बयानों के आधार पर आपराधिक कार्यवाही को रद्द नहीं किया जा सकता है।न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ द्वारा दिए गए निर्णय में यह निर्धारित किया गया है कि केवल अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग रोकने और न्याय की सुरक्षा के लिए उच्च न्यायालय द्वारा CrPC की धारा 482 के तहत हस्तक्षेप किया जा सकता है।केस के तथ्य :अपीलकर्ता ने मध्य प्रदेश के जिला नरसिंहपुर के थाना करेली में...

कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका, एंटी-सीएए प्ले पर नाबालिग छात्रों से पूछताछ करने के मामले में पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग 
कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका, 'एंटी-सीएए प्ले' पर नाबालिग छात्रों से पूछताछ करने के मामले में पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग 

कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर नागरिकता संशोधन अधिनियम से संबंधित एक नाटक के संबंध में शाहीन एजुकेशन सोसायटी, बीदर के नाबालिग छात्रों से अवैध रूप से पूछताछ करने के मामले में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। याचिका वकील नयना ज्योति झावर और दक्षिण इंडिया सेल फॉर ह्यूमन राइट्स एजुकेशन एंड मॉनिटरिंग ने दायर की है और कहा है कि लगभग 85 बच्चे, जिनमें से कुछ 9 वर्ष से कम उम्र के हैं, उनसे पुलिस ने पूछताछ की थी। इससे बच्चों के लिए माहौल बहुत प्रतिकूल हो गया है और बच्चों...

क्या हम अपने मूल अधिकारों का परित्याग कर सकते हैं, जानिए सुप्रीम कोर्ट का मत
क्या हम अपने मूल अधिकारों का परित्याग कर सकते हैं, जानिए सुप्रीम कोर्ट का मत

भारत का संविधान अपने नागरिकों को (कुछ मामलों में गैर-नागरिकों को भी) कुछ मौलिक अधिकारों को लागू करने की गारंटी देता है। संविधान के अंतर्गत मौजूद मौलिक अधिकार, वैदिक काल से इस देश के लोगों द्वारा पोषित मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये अधिकार, मानवाधिकारों की बुनियादी संरचना के मद्देनजर कुछ मूलभूत गारंटियों का पैटर्न बुनते हैं।इसके अलावा यह अधिकार, राज्य पर सम्बंधित नकारात्मक दायित्वों को लागू करते हैं, ताकि इसके विभिन्न आयामों में व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिक्रमण न किया जा सके।...

दूसरी FIR यदि पहली जैसी ही है तो उसके आधार पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
दूसरी FIR यदि पहली जैसी ही है तो उसके आधार पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दूसरी प्राथमिकी के आधार पर किसी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा जारी रखने योग्य नहीं है, यदि उसकी बुनियाद भी पहली प्राथमिकी के समान हो।इस मामले में, शिकायतकर्ता ने पहली प्राथमिकी यह कहते हुए दर्ज करायी थी कि उसने आरोपी के पक्ष में कभी भी जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं किया था और आरोपी ने फर्जी जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी बनाकर उसकी भूमि गैर कानूनी तरीके से बेच दी थी। इस मामले में आरोपी के खिलाफ अंतत: मुकदमा चलाया गया था और उसे बाद में बरी कर दिया गया।उसके बाद उसने दंड प्रक्रिया संहिता की...

जज की पत्नी और बेटे की हत्या : गुरुग्राम की अदालत ने निजी सुरक्षा कर्मी को सुनाई मौत की सजा, कहा रक्षक ही भक्षक बने तो राहत नहीं 
जज की पत्नी और बेटे की हत्या : गुरुग्राम की अदालत ने निजी सुरक्षा कर्मी को सुनाई मौत की सजा, कहा रक्षक ही भक्षक बने तो राहत नहीं 

गुरुग्राम की एक अदालत ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्णकांत की पत्नी और बेटे की हत्या के दोषी पूर्व निजी सुरक्षा कर्मी( PSO) महिपाल को मौत की सजा सुनाई है।अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुधीर परमार ने शुक्रवार को ये फैसला सुनाते हुए इस केस को " दुर्लभतम से भी दुर्लभ" श्रेणी का अपराध माना और दोषी के साथ कोई नरमी नहीं बरती।न्यायाधीश ने सजा का ऐलान करते हुए कहा, " एक सरकारी कर्मचारी के रूप में, वह उनकी रक्षा करने के लिए जिम्मेदार था। इसके बजाय, उसने उनके विश्वास को भंग किया और उनकी हत्या...