निर्भया केस : दिल्ली हाईकोर्ट दोषियों की फांसी टालने के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को फैसला सुनाएगा

LiveLaw News Network

4 Feb 2020 2:33 PM GMT

  • निर्भया केस : दिल्ली हाईकोर्ट दोषियों की फांसी टालने के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को फैसला सुनाएगा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्भया केस में ट्रायल कोर्ट के 31 जनवरी के आदेश के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिकाओं पर बुधवार को फैसला सुनाएगा। 2012 के दिल्ली गैंगरेप और हत्या मामले में ट्रायल कोर्ट ने चार दोषियों की फांसी की सजा पर अगले आदेश तक रोक लगा थी, जिसके खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाईकोर्ट का रुख किया था।

    निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने रविवार को हुई विशेष सुनवाई के बाद केंद्र सरकार की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें पटियाला हाउस कोर्ट के दोषियों की फांसी टालने के आदेश जारी किए थे।

    इससे पहले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने 1 फरवरी को निर्धारित दोषियों की फांसी पर रोक लगा दी थी। इस बात का हवाला दिया गया था कि सभी दोषियों ने अभी अपने कानूनी उपायों का उपयोग नहीं किया है।

    जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता, दोषी मुकेश की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन और तीन दोषियों अक्षय, विनय और पवन की ओर ये वकील एपी सिंह की दलीलें सुनने के बाद ये फैसला सुरक्षित रखा।

    इस दौरान SG तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि दोषियों को अलग- अलग फांसी दी जा सकती है और ये दोषी पूरी न्यायिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वहीं रेबेका जॉन और एपी सिंह ने विभिन्न मामलों का उदाहरण देते हुए कहा कि इस तरह एक अपराध और एक फैसले के तहत अलग- अलग फांसी नहीं जा सकती।

    दरअसल शनिवार की शाम विशेष सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की याचिका पर चारों दोषियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। शनिवार शाम 5.30 बजे मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सुरेश कुमार कैत के समक्ष दलील दी कि दोषी लगातार कानून से खेल रहे हैं और सारे सिस्टम के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

    दोषी विनय की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है जबकि तीसरे दोषी अक्षय की दया याचिका लंबित है। तुषार ने कहा कि अगर इसी तरह ये प्रक्रिया चलती रही तो ये केस कभी खत्म नहीं होगा। इसलिए दोषियों को अलग- अलग फांसी दी जानी चाहिए। दोषी अदालत में मानव जीवन की बात करते हैं तो उस लड़की का क्या जिसकी जान ली गई है। पूरे देश को इंसाफ का इंतजार है।

    इन दलीलों के बाद पीठ ने नोटिस जारी किए और केस की सुनवाई रविवार तीन बजे निर्धारित की। दरअसल न्यायिक विभाग ने शुक्रवार के पटियाला हाउस कोर्ट के दोषियों की फांसी टालने के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी।

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