हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
LiveLaw News Network
26 Oct 2020 9:54 AM IST
19 अक्टूबर 2020 से 23 अक्टूबर 2020 तक विभिन्न हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र.....
यूपी की फैमिली कोर्ट ने महिला को दिया निर्देश,अपने पति को 1000 रुपये मासिक गुज़ारा भत्ता दें
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की एक फैमिली कोर्ट ने एक महिला को निर्देश दिया है कि वह अपने पति को मासिक गुज़ारा भत्ते का भुगतान करें, पीटीआई ने इस संदर्भ की रिपोर्ट प्रकाशित की है। महिला जो एक सरकारी पेंशनभोगी है और उसका पति कई वर्षों से अलग रह रहे हैं। महिला के पति ने वर्ष 2013 में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत एक याचिका दायर अपनी पत्नी से भरण पोषण की मांग की थी। फैमिली कोर्ट ने उसकी याचिका को अनुमति देते हुए महिला को भरण पोषण के रूप में 1,000 रुपये प्रति माह का भुगतान करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि वह एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी है और उसे प्रति माह 12,000 रुपये पेंशन मिल रही है।
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कर्नाटक हाईकोर्ट ने फ्रैंकलिन टेम्पलटन इन्वेस्टमेंट्स को डेट फंड योजनाओं की समाप्ति की कार्यवाही को आगे बढ़ाने से रोका, कहा- यूनिट धारकों की सहमति के बिना कार्यवाही आगे नहीं बढ़ा सकते
कर्नाटक हाईकोर्ट ने शनिवार को फ्रैंकलिन टेम्पलटन इन्वेस्टमेंट्स (एफटी) को यूनिट धारकों की सहमति के बिना डेट फंड योजनाओं की समाप्ति की कार्यवाही को आगे बढ़ाने से रोक दिया है। चीफ जस्टिस एएस ओका और जस्टिस अशोक एस किनागी की खंडपीठ ने शनिवार को एफटी की छह डेट फंड योजनाओं की समाप्ति के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाने के लिए विशेष बैठक की। अदालत ने कहा कि वह योजनाओं को समाप्त करने के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर रही है, हालांकि एफटी को निर्णय के आधार पर अगला कदम उठाने से पहले यूनिट निवेशकों की सहमति लेनी होगी।
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ऑनलाइन शिक्षा: कर्नाटक हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर नोटिस जारी कर राज्य सरकार से ईडब्ल्यूएस श्रेणी के छात्रों को लैपटॉप/टैबलेट उपलब्ध कराने को कहा
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर निर्देश दिया है कि वह वंचित और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के स्कूली बच्चों को कम लागत वाले लैपटॉप, टैबलेट या किसी अन्य डिजिटल संसाधनों की खरीद और वितरण सुनिश्चित करने के लिए तत्काल योजना तैयार करे ताकि उन्हें ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने की सुविधा मिले। जस्टिस बी वी नागराकाटा और जस्टिस एन एस संजय गौड़ा की खंडपीठ ने यह नोटिस ए के संजीव नरहरण, अरविंद नरहरण और मुरली मोहन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया।
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने टीवी टुडे नेटवर्क को BARC के खिलाफ याचिका में अंतरिम राहत के लिए 5 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल की अनुशासन परिषद द्वारा अपने आचार संहिता के उल्लंघन के लिए टीवी टुडे नेटवर्क को उस पर लगाए गए 5 लाख रुपये के जुर्माने को जमा करने निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि "यदि राशि जमा की जाती है, तो नेटवर्क के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा।" न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई कर रही थी, जिसके बाद BARC की अनुशासन परिषद ने निष्कर्ष निकाला था कि याचिकाकर्ता नेटवर्क ने दर्शकों के कदाचार में लिप्त होने की चेतावनी जारी की थी।
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'गैंग रेप के मामले में मेडिकल पुष्टि की पूर्ण आवश्यकता नहीं है': मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पीड़िता और आरोपी के आपस मे शादी करने के बावजूद ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज की
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (16 अक्टूबर) को एक आदेश में कहा कि सामूहिक बलात्कार के मामलों में चिकित्सा सपुष्टिकरण (Medical Corroboration) अत्यंत आवश्यक नहीं है। न्यायाधीश अखिल कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट, जबलपुर द्वारा पारित 09.06.2020 के आदेश के खिलाफ एससी और एसटी अधिनियम की धारा 14-ए के तहत दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसके तहत नीचे की अदालत ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
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'दुष्कर्म पूरे समाज के खिलाफ किया गया अपराध है' : कर्नाटक हाईकोर्ट ने गैंग-रेप के लिए डेथ पेनल्टी की सिफारिश की
यह देखते हुए कि ''भारतीय दंड संहिता को 1860 के अधिनियम 45 द्वारा अधिनियमित किया गया था, और स्वतंत्रता के 74 वर्षों के बाद भी महिलाएं बलात्कारियों/ कानून के उल्लंघनकर्ताओं से सुरक्षित नहीं है'', कर्नाटक हाईकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376डी में संशोधन की सिफारिश की है ताकि 'गैंगरेप' के अपराध के लिए मृत्युदंड प्रदान किया जा सके। जस्टिस बी वीरप्पा और जस्टिस के नटराजन की खंडपीठ ने वर्ष 2012 में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी की छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में सात अभियुक्तों को दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए अपने फैसले में यह सिफारिश की है।
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[दिल्ली दंगा] दिल्ली की अदालत ने उमर खालिद और शरजील इमाम की रिमांड अवधि 20 नवंबर तक बढ़ाई
दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस द्वारा गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत दिल्ली दंगों के मामले में जेएनयू के छात्र नेता उमर ख़ालिद और शरजील इमाम की रिमांड अवधि बढ़ाने की मांग करने वाले एक आवेदन को अनुमति देते हुए रिमांड 20 नवंबर, 2020 तक बढ़ा दिया। सुनवाई में एसपीपी अमित प्रसाद ने अदालत को बताया कि रिमांड के लिए दो आवेदन आए थे। एक उमर खालिद और शरजील इमाम के लिए था और दूसरा फैजान खान के लिए था, जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार पहले जमानत दे दी।
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''यूएपीए के तहत कोई अपराध नहीं'' : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगा मामले के अभियुक्त को ज़मानत दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने फैजान खान को जमानत दे दी, जो दिल्ली दंगा मामले में एक आरोपी है और उसके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत केस बनाया गया था। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई की और पाया कि यूएपीए की धारा 43डी (5) के तहत दी गई शर्त/एम्बार्गो वर्तमान मामले में रिकॉर्ड पर आई सामग्री के अनुसार लागू नहीं होती हैं। वहीं जांच एजेंसी की स्टे्टस रिपोर्ट में भी गवाहों के मामूली बयानों को छोड़कर, यूएपीए के तहत बनने वाले अपराधों के गठन का खुलासा नहीं किया गया है।
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गुजरात हाईकोर्ट ने बलात्कार मामले में नाबालिग पत्नी द्वारा नाबालिग पति के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द की, माता-पिता पर मुकदमे की लागत लगाई
गुजरात हाईकोर्ट ने नाबालिग 'पत्नी' द्वारा एक लड़के के खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले को खारिज कर दिया है। जस्टिस एएस सुपेहिया ने उनका बचपन बर्बाद करने और उन्हें इस अपमानजनक विवाद में खींचने के लिए माता-पिता पर 30 हजार की लागत लगाई। जज ने कहा कि आईपीसी और POCSO के दुरुपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती है और ऐसे माता-पिता, जो इस तरह की रणनीति का सहारा लेते हैं, उन्हें बिना किसी जवाबदेही के आसानी से जाने नहीं दिया जा सकता है
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दिल्ली हाईकोर्ट ने रिपब्लिक टीवी पर "NEWS HOUR" ट्रेडमार्क का उपयोग करने से रोक लगाई, टैगलाइन 'Nation Wants to Know' का उपयोग करने की अनुमति दी
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को 'रिपब्लिक टीवी' को टैगलाइन 'NEWS HOUR' या किसी भी अन्य चिह्न का उपयोग करने से रोक कर 'टाइम्स नाउ' चैनल को अंतरिम राहत दी, जो कि कथित तौर पर उसके प्राइमटाइम डिबेट शो के लिए भ्रामक हो सकता है। हालांकि कोर्ट ने टाइम्स ग्रुप की याचिका पर अर्नब गोस्वामी और उनकी कंपनी एआरजी आउटलेयर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को टैगलाइन "Nation Wants to KNOW" का इस्तेमाल करने से रोक नहीं लगाई।
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सिविल मामलों में अंतरिम आदेशों का और विस्तार नहीं, जघन्य अपराधों में विचाराधीन कैदियों को अंतरिम जमानत: दिल्ली उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सूचित किया है कि दीवानी मामलों में पारित अंतरिम आदेशों का आगे कोई विस्तार नहीं किया जाएगा। इसी प्रकार, जघन्य अपराधों में शामिल विचाराधीन कैदियों को दी गई अंतरिम जमानतों का विस्तार नहीं किया जाएगा । यह फैसला मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले में अंतरिम आदेशों के पुनः विस्तार में लिया है।
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कैदी जेल में फोन की सुविधा का हकदार नहीं हैः इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार (20 अक्टूबर) को दिए गए एक आदेश में स्पष्ट कर दिया कि एक कैदी जेल में फोन सुविधा का हकदार नहीं है। न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता (मोहन सिंह) ने अदालत से उसे जेल में फोन रखने की सुविधा प्रदान करने का अनुरोध किया था। यह याचिका निम्नलिखित प्रार्थना के साथ दायर की गई थी: "आदरपूर्वक प्रार्थना की जाती है कि यह माननीय न्यायालय निम्न आदेश पारित करेंं।
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''आरोपी का 'क्रॉस टू एग्जामिनेशन' का अधिकार उसके वकील की अनुपस्थिति के कारण छीना नहीं जा सकता, कानूनी सहायता के लिए वकील प्रदान करना न्यायालय का कर्तव्य'' : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हाल ही में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा, "याचिकाकर्ता का प्रति परीक्षण ( क्रॉस-एग्जामिनेशन) का अधिकार उसके वकील की अनुपस्थिति के कारण विद्वत न्यायालय द्वारा बंद नहीं किया जा सकता, बल्कि ऐसी स्थिति में, अदालत को अभियुक्त को कानूनी सहायता वकील उपलब्ध कराने चाहिए थे । न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की एकल पीठ द्वारा पारित आदेश न्याय के हित में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत उच्च न्यायालय द्वारा अंतर्निहित शक्ति का प्रयोग करने का जीता जागता उदाहरण है।
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"130 साल पुरानी मस्जिद के प्रवेश द्वार से 10 मीटर पहले लगाए जाएंं बैरिकेड्स, ताकि उपासकों को न हो कोई परेशानी" : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार (20 अक्टूबर) को दिल्ली पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि 130 साल पुरानी मस्जिद के प्रवेश द्वार से कम से कम 10 मीटर पहले सड़क पर बैरिकेड्स लगाए जाएं ताकि मस्जिद के द्वार से प्रवेश करते समय मस्जिद के सामने उपासकों को कोई परेशानी न हो पाए। न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह की खंडपीठ ने यह निर्देश नई दिल्ली के दिल्ली कंटोनमेंट इलाके में स्थित राव तुला राम मार्ग पर बनी 'बसंत नगर मस्जिद' के सचिव की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
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आरोपों की जांच करना न्यायालयों के लिए आवश्यक, आजकल धारा 498ए के तहत पति के परिवार के सदस्यों के खिलाफ अस्पष्ट आरोप लगाने की प्रवृत्ति बन गई हैः बाॅम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महिला के ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करते हुए कहा कि आजकल, पति के परिवार के प्रत्येक सदस्य के खिलाफ अस्पष्ट और सर्वव्यापी आरोप लगाने की प्रवृत्ति बन गई है ताकि हर किसी को भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत आरोपी बनाया जा सके। महिला ने इस मामले में ससुरालवालों के खिलाफ प्रताड़ना का आरोप लगाया था। नागपुर पीठ के न्यायमूर्ति जेड.ए हक और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने निष्कर्ष निकाला कि न्यायालयों के लिए यह आवश्यक हो गया है कि ''आरोपों की सावधानीपूर्वक जांच करें और यह पता लगाए कि क्या आरोपों के तहत वास्तव में अपराध बनता है और कानून की आवश्यकताओं को कम से कम प्रथम दृष्टया पूरा किया जा रहा है।''
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'मीडिया पर सरकार का नियंत्रण अनुच्छेद 19 (1) (ए) पर हथौड़ा चलाने जैसे होगाः न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन ने सुशांत सिंह राजपूत मीडिया ट्रायल मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया
बॉम्बे हाईकोर्ट में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में मीडिया कवरेज के कारण हुए मीडिया ट्रायल के खिलाफ दायर जनहित याचिका में उल्लेखनीय तर्क और विमर्श हुए। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने पूरे दिन मामले की सुनवाई की। सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ भटनागर नेशनल ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन की ओर से पेश हुए और प्रेस के स्व-नियामक तंत्र की वकालत की। उन्होंने अदालत को बताया कि वर्तमान में मौजूद दिशा-निर्देश पर्याप्त हैं और प्रेस पर सरकारी नियंत्रण अनुचित हैं, अगर ऐसा किया गया तो यह खतरनाक हो सकता है।
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"महामारी के दौरान कमजोर वर्गों को किसी भी कठिनाई से बचाना राज्य की जिम्मेदारी" : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद झुग्गी बस्ती के विध्वंस पर रोक लगाई
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गाजियाबाद में स्थित एक स्लम क्षेत्र में विध्वंस करने से गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को रोकते हुए बुधवार को कहा, "जब पूरी दुनिया महामारी का सामना कर रही है, तो यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह सभी की रक्षा करे, विशेष रूप से कमजोर वर्गों की आबादी को किसी भी कठिनाई से बचाए जो उनकी दुर्दशा को प्रतिकूल रूप से बढ़ा सकती है।" मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ गाजियाबाद के कौशांबी में रैडिसन ब्लू होटल के पीछे भोवापुर बस्ती के निवासियों को बेदखल करने से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
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सभी तरह की फाइलिंग के लिए ए 4 साइज पेपर का उपयोग अनिवार्य करने के दिशा-निर्देश दिए जाने की मांंग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट मेंं जनहित याचिका दायर
एक वकील ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह उच्च न्यायालय में सभी याचिकाओंं की प्रस्तुति और उसके समर्थन मेंं दिए जाने वाले सहायक दस्तावेजों के लिए दोनोंं ओर प्रिंंटेड ए 4 आकार के कागज का उपयोग करने का निर्देश दे। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ के समक्ष जब मंगलवार को मामला आया तो अदालत ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह उचित निर्णय लेने के लिए मामले को प्रशासनिक पक्ष में मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखे।
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'यदि आप ही जांचकर्ता, अभियोजक और न्यायाधीश बन जाएंंगे तो हम यहांं क्यों हैं?' बॉम्बे हाईकोर्ट ने मीडिया ट्रायल पर चिंता व्यक्त की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को सुशांत सिंह राजपूत की मौत से संबंधित रिपोर्ट पर विनियम की मांग करते हुए दायर याचिकाओं पर सुनवाई की और ''मीडिया ट्रायल'' की प्रथा पर अपनी चिंता व्यक्त की। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ ने रिपब्लिक टीवी की तरफ से पेश अधिवक्ता मालविका त्रिवेदी से कहा कि, ''यदि आप जांचकर्ता, अभियोजक और न्यायाधीश बन गए हैं, तो हमारा क्या उपयोग है? हम यहां क्यों हैं?''
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लॉकअप में 5 पुलिसकर्मियों द्वारा महिला से गैंगरेप करने का आरोपः एनएचआरसी ने संज्ञान लेते हुए एमपी सरकार, डीजीपी व जेल प्रमुख को नोटिस जारी किया
मध्य प्रदेश के रीवा जिले के मंगावन इलाके में ''एक महिला से लॉकअप में पांच पुलिसकर्मियों द्वारा किए गए सामूहिक बलात्कार के आरोपों'' पर संज्ञान लेते हुए, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सोमवार (19 अक्टूबर) को मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और जेल महानिदेशक को नोटिस जारी किया है। आयोग ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस मामले की जाँच एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए,जो कम से कम उप महानिरीक्षक रैंक का होना चाहिए।
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सिक्किम हाईकोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों में केस फाइल करने के लिए A4 साइज़ का उपयोग किया जाएगा
सिक्किम हाईकोर्ट और उसके अधीनस्थ न्यायालयों के सामने सभी याचिकाएं, हलफनामे, अपील और अन्य कार्यवाही के ज्ञापन हेतु बेहतर गुणवत्ता वाले ए 4 साइज़ के कागज का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे संबंधित एक अधिसूचना उच्च न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड की गई है। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि छपाई केवल कागज के एक तरफ की जाएगी और गुणवत्ता कम से कम 85 जीएसएम की होगी। हाल ही में केरल उच्च न्यायालय ने फैसला किया था कि 2 नवंबर से पहले होने वाली सभी फाइलों को A4 शीट के दोनों ओर अनिवार्य रूप से टाइप / प्रिंट किया जाएगा।
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पुलिस की कथित हिरासत में गैंगरेप पीड़िता, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालत में पेश करने का आदेश दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक थाने में सामूहिक बलात्कार पीड़िता को हिरासत में लिए जाने के मामले का मंगलवार को संज्ञान लिया। एक दिन पहले अदालत ने राज्य पुलिस की, कथित घटना के तीन महीने बाद, वह भी अदालत के हस्तक्षेप पर, प्राथमिकी दर्ज करने के मामले में आलोचना की थी। जस्टिस शशिकांत गुप्ता और पंकज भाटिया की पीठ ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह लड़की को बुधवार को अदालत में पेश करे। पीठ ने एसएसपी, प्रयागराज, संबंधित पुलिस स्टेशन के वर्तमान एसएचओ और तत्कालीन एसएचओ, जिन्हें निलंबित कर दिया गया है, को बुधवार सुबह 10 बजे कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया।
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[संशोधित शेडयूल] AIBE-XV परीक्षा 24 जनवरी को होगी आयोजित, ऑनलाइन पंजीकरण 03 दिसंबर तक बढ़ाया
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआईबीई) की तारीख को स्थगित करने का फैसला किया है। अब परीक्षा 24 जनवरी, 2021 को आयोजित की जाएगी। इसी तरह, आवेदन प्राप्त करने की तारीख भी 03 दिसंबर, 2020 तक बढ़ा दी गई है। उल्लेखनीय है कि एआईबीई पहले 16 अगस्त को आयोजित होने जा रहा था। हालांकि, "वर्तमान महामारी की स्थिति और लगातार लॉकडाउन, कोरोना रोगियों की बढ़ती संख्या के प्रकाश में", बीसीआई ने परीक्षा की तारीख को स्थगित करने का फैसला लिया गया। बाद में निर्णय लिया गया कि परीक्षा 8 नवंबर को आयोजित की जाएगी।
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पटना हाईकोर्ट ने रद्द की बलात्कार और हत्या के दोषी की मौत की सजा
पटना हाईकोर्ट ने बलात्कार और हत्या के एक आरोपी को ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा रद्द कर दी है। ट्रायल कोर्ट ने अजीत कुमार को भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 366A, 120B, 302, 376 (D) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 6 (g) के तहत दोषी ठहराया था और उन्हें अपहरण का और नाबालिग से बलात्कार का दोषी पाया गया। अभियोजन का मामला इस प्रकार था: मार्च 2017 में आरोपी अजीत कुमार और विशाल कुमार ने मृतक, नाबालिग, जिसकी उम्र 18 साल से कम थी, को उसके वैध अभिभावक की सहमति के बिना, फुसलाकर अपने साथ ले गए। उसे अजित कुमार और विशाल कुमार, दोनों में से किसी एक द्वारा एक अन्य व्यक्ति, जो शायद गोविंद प्रसाद हो सकता है, के साथ अवैध संबंध के लिए फुसलाया गया। उन सभी ने नाबालिग सहमति व्यक्त की शारीरिक चोट के इरादे से नाबालिग के साथ गैरकानूनी कार्य किया गया था, और मृतक पर मिट्टी का तेल डालकर, उसे आग लगा दी थी। हालांकि इससे पहले, आम इरादे से, उन सभी ने एक साथ उसका यौन उत्पीड़न किया था।
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सरकार ने एससी/ एसटी/ ओबीसी, अल्पसंख्यक एवं महिला सदस्यों को हाईकोर्ट का जज बनाये पर विचार करने का अनुरोध किया : कानून मंत्रालय
केंद्रीय विधि मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट की बेंचों में अल्पसंख्यक/ कमजोर समुदायों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व की चिंताओं के जवाब में एक बार फिर कहा है कि न्यायपालिका में आरक्षण का प्रावधान नहीं है। हालांकि, मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सरकार हाईकोर्ट स्तर पर न्यायाधीशों की नियुक्तियों में ऐसे समुदायों का प्रतिनिधित्व बढ़ाये जाने पर जोर देती रही है, क्योंकि हाईकोर्ट से ही सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्तियां आम तौर पर होती हैं।
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न्यायिक आदेश के तहत रिमांड होम में रहने वाली नाबालिग लड़की को गैर कानूनी रूप से कारावास/डिटेंशन में नहीं माना जा सकता, हैबियस कार्पस याचिका सुनवाई योग्य नहीं : पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार (16 अक्टूबर) को कहा है कि यदि न्यायिक आदेश के तहत किसी लड़की को नाबालिग मानते हुए रिमांड होम भेजा गया है तो उसके रिमांड होम में रहने को गैरकानूनी कारावास/ डिटेंशन नहीं कहा जा सकता, इसलिए इस तरह के आदेश के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने आगे स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में याचिकाकर्ता न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ आपराधिक रिट याचिका दायर करके या न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए/ रिवीजन याचिका दायर करते हुए हाईकोर्ट का रूख कर सकता है।
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[तब्लीगी जमात] आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं; मुंबई कोर्ट ने 20 विदेशी नागरिकों को बरी किया
मुंबई स्थित अंधेरी की एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने सोमवार को कोरोनावायरस फैलाने और लॉकडाउन का उल्लंघन करने के आरोपी 20 विदेशी नागरिकों को बरी कर दिया। बरी किए गए विदेशी नागरिकों में से दस इंडोनेशिया के और अन्य दस किर्गिज गणराज्य के नागरिक हैं। मजिस्ट्रेट अदालत ने दो अलग-अलग आदेश पारित किए। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट आरआर खान ने पाया कि अभियोजन पक्ष के गवाहों ने खुद स्वीकार किया कि उन्होंने आरोपियों को प्राधिकरण द्वारा जारी किसी भी निर्देश या आदेश का उल्लंघन करते नहीं देखा। अदालत ने कहा कि अभियुक्तों द्वारा आदेशों के किसी भी उल्लंघन को प्रमाणित करने लिए अभियोजन पक्ष पास कोई सबूत नहीं है।
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प्रोफेशनल कार्य के लिए वकीलों को स्थानीय ट्रेनों में यात्रा करने की अनुमति देने पर विचार किया जाए : बाॅम्बे हाईकोर्ट ने राज्य से कहा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि वह वकीलों को उन प्रोफेशनल कार्य के लिए स्थानीय ट्रेनों में यात्रा करने की अनुमति देने पर विचार करे, जो कोर्ट की कार्यवाही से संबंधित नहीं हैं। न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा है कि वह पंजीकृत अधिवक्ता क्लर्कों के मामले पर भी विचार करे, जिन्हें कोर्ट फाइलिंग के अलावा अन्य कामों के लिए यात्रा करनी पड़ती है। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि वह वकीलों के मामले में सोमवार को ही निर्णय लेने की कोशिश करें।
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फैसला सुनाए जाने के बाद वेबसाइट पर अपलोड करने में हुई एक वर्ष से अधिक की देरी: सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को तलब किया
सुप्रीम कोर्ट ने यह देखते हुए कि 24 जनवरी, 2018 को सुनाया गया फैसला पटना हाईकोर्ट की वेबसाइट पर एक मई, 2019 को अपलोड किया गया, गुरुवार को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को तलब किया है और तथ्य की वास्तविकता के संबंध में एक रिपोर्ट जमा करने को कहा। "जैसाकि विद्वान वकील ने कहा है, मामले में 733 दिनों की देरी हुई है, (333 दिनों की नहीं, जैसाकि आवेदन और कार्यालय की रिपोर्ट में कहा गया है।" न्यायमूर्ति एसके कौल और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि इस पहलू को रजिस्ट्री द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए।
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हरियाणा विधिक सेवा प्राधिकरण ने ऑनलाइन मध्यस्थता के लिए वर्चुअल प्लेटफॉर्म लॉन्च किया
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती जस्टिस दया चौधरी ने 19 अक्टूबर 2020 को हरियाणा राज्य भर में आभासी मध्यस्थता के माध्यम से ऑनलाइन मध्यस्थता के लिए तैयार मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर के ऑनलाइन मध्यस्थता शुरू की जिसमें राज्य भर में सफल मध्यस्थता के लिए आवश्यक विभिन्न कदम शामिल हैं। ऑनलाइन मध्यस्थता का उद्देश्य मुकदमा करने वाले पक्षों को प्रशिक्षित मध्यस्थों की मदद से अपने विवादों को निपटाने का अवसर देकर राहत प्रदान करना है जो पक्षकारों को आपसी सहमत समाधान पर पहुंचने और वाद को समाप्त करने में मदद करते हैं ।
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राजस्थान हाईकोर्ट ने ड्रीम 11 के खिलाफ दायर याचिका को खारिज किया, कंपनी पर सट्टेबाजी और जुए का था आरोप
राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार (16 अक्टूबर) को ड्रीम 11 फैंटेसी प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ जनहित याचिका की प्रकृति की रिट याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस मंच पर खेला जा रहा गेम "सट्टेबाजी" के अलावा और कुछ नहीं है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स गेम्स संयोग के खेल हैं, इस प्रकार यह जुआ/सट्टेबाजी का अवैध कार्य है। चीफ जस्टिस इंद्रजीत महंती और जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल की खंडपीठ ने कहा कि,"चूंकि फैंटसी गेम का परिणाम प्रतिभागी के कौशल पर निर्भर करता है, संयोग पर नहीं और प्रतिभागी द्वारा बनाई गई आभासी टीम की जीत या हार भी वास्तविक दुनिया के खेल या घटना के परिणाम से स्वतंत्र है, हम मानते हैं कि प्रतिवादी नंबर 5 द्वारा प्रस्तावित ऑनलाइन फैंटसी गेम का फॉर्मेंट केवल कौशल का खेल है और उनके व्यवसाय को भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत संरक्षण प्राप्त है, जैसा कि विभिन्न न्यायालयों द्वारा बार-बार कहा जाता है और माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसकी पुष्टि की जाती है।"
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डॉक्टर को वीआरएस आवेदन की अनुमति दें और उसे चुनाव लड़ने दें; यदि वह हार जाता है, तो वीआरएस रद्द हो जाएगा: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य से कहा
राजस्थान उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (16 अक्टूबर) को राजस्थान राज्य और सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज और एसोसिएट अस्पताल को डॉक्टर के वीआरएस आवेदन की अनुमति देने और उसे नगर निकाय चुनाव में भाग लेने और उक्त उद्देश्य के लिए सेवानिवृत्त होने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की खंडपीठ ने आगे निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता / डॉक्टर नगर निकाय चुनाव में भाग नहीं लेता है या चुनाव में भाग लेने के बाद, वह चुनाव हार जाता है,
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विस्मृत किये जाने का अधिकार : केरल हाईकोर्ट ने रिपोर्ट किये गये अदालती आदेशों में इस्तेमाल निजी ब्योरे को सर्च इंजनों से हटाने की याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार की
"कोर्ट के निर्णयों को प्रकाशित करने का अधिकार यदि है, तो वह कोर्ट रिकॉर्ड्स के चुनींदा हिस्सों के प्रकाशन तक नहीं बढ़ाया जाता है। हालांकि, कोर्ट रिकॉर्ड्स के प्रकाशन का अधिकार हमेशा सम्पूर्ण या किसी खास हिस्से के प्रकाशन तक ही सीमित होगा, जो किसी शोध के लिए प्रासंगिक होगा, लेकिन कोर्ट के फैसलों के निचोड़ से याचिकाकर्ता के निजी विवरण के प्रकाशन का कोई व्यावहारिक उपयोग नहीं है, बल्कि यह आम जनता की नजर में याचिकाकर्ता की प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए है।"