[दिल्ली दंगा] दिल्ली की अदालत ने उमर खालिद और शरजील इमाम की रिमांड अवधि 20 नवंबर तक बढ़ाई

LiveLaw News Network

24 Oct 2020 10:06 AM IST

  • [दिल्ली दंगा] दिल्ली की अदालत ने उमर खालिद और शरजील इमाम की रिमांड अवधि 20 नवंबर तक बढ़ाई

    Delhi Court Extends Remand Of Umar Khalid And Sharjeel Imam Till 20 November

    दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस द्वारा गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत दिल्ली दंगों के मामले में जेएनयू के छात्र नेता उमर ख़ालिद और शरजील इमाम की रिमांड अवधि बढ़ाने की मांग करने वाले एक आवेदन को अनुमति देते हुए रिमांड 20 नवंबर, 2020 तक बढ़ा दिया।

    सुनवाई में एसपीपी अमित प्रसाद ने अदालत को बताया कि रिमांड के लिए दो आवेदन आए थे। एक उमर खालिद और शरजील इमाम के लिए था और दूसरा फैजान खान के लिए था, जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार पहले जमानत दे दी।

    आवेदन पढ़ने के बाद न्यायाधीश ने काउंसलर्स के साथ-साथ आरोपियों को सूचित किया कि रिमांड 20 नवंबर तक बढ़ा दिया जाएगा। इस समय खालिद की ओर से पेश हुए एडवोकेट त्रिदीप पाइस ने कोर्ट के समक्ष निवेदन करने की मांग की।

    पाइस ने अदालत का ध्यान 14 सितंबर के उस आवेदन पर दिलवाया, जिसमें पुलिस हिरासत की मांग की गई थी और 24 सितंबर के आवेदन में न्यायिक हिरासत की मांग की गई थी । दोनों आवेदनों की तुलना करने के बाद उन्होंने कोर्ट में पेश किया कि इसकी कॉपी की गई है।

    पाइस ने अदालत में कहा-

    "कंप्यूटर के लिए भगवान का शुक्र है। दस्तावेज़ की कॉपी-पेस्ट की गई है। दिमाग का कोई प्रयोग बिल्कुल नहीं किया गया है। यहां तक कि टाइपोग्राफिकल त्रुटियों को भी कॉपी किया गया है।"

    यह प्रस्तुत इसके बाद उन्होंने अदालत को सूचित किया कि खालिद ने जांच के हर कदम पर सहयोग किया है। उसने स्वेच्छा से भाग लिया और यहां तक कि खुद को रिमांड से 11 घंटे पहले उपलब्ध कराया था । इसके अलावा, आज राज्य द्वारा जो आधार सूचीबद्ध किए गए थे, वे 30 दिन पहले के समान थे और इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया था ।

    "उसके फरार होने का सवाल ही नहीं उठता । उन्होंने इसके लिए खुद को दो शहरों से उपलब्ध कराया। यहां उनका मकान है, उन्होंने यहां से पीएचडी की। उसके फरार होने का सवाल कहां है"?

    इमाम की ओर से पेश हुए एडवोकेट सुरभि धर ने यह निवेदन किया कि दिल्ली पुलिस के आवेदन में आरोपियों के बारे में कोई दावा नहीं किया गया था और इमाम का एफआईआर की सामग्री से कोई लेना-देना नहीं था; यह सिर्फ उसे सलाखों के पीछे रखने के लिए था।

    कोर्ट ने इन दलीलों को सुनने के बाद अर्ज़ी को अनुमति दे दी और खालिद और इमाम दोनों की रिमांड 20 नवंबर तक बढ़ा दी।

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