कर्नाटक हाईकोर्ट ने फ्रैंकलिन टेम्पलटन इन्वेस्टमेंट्स को डेट फंड योजनाओं की समाप्त‌ि की कार्यवाही को आगे बढ़ाने से रोका, कहा- यून‌िट धारकों की सहमति के बिना कार्यवाही आगे नहीं बढ़ा सकते

Avanish Pathak

24 Oct 2020 8:33 AM GMT

  • कर्नाटक हाईकोर्ट ने फ्रैंकलिन टेम्पलटन इन्वेस्टमेंट्स को डेट फंड योजनाओं की समाप्त‌ि की कार्यवाही को आगे बढ़ाने से रोका, कहा- यून‌िट धारकों की सहमति के बिना कार्यवाही आगे नहीं बढ़ा सकते

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने शनिवार को फ्रैंकलिन टेम्पलटन इन्वेस्टमेंट्स (एफटी) को यून‌िट धारकों की सहमति के बिना डेट फंड योजनाओं की समाप्त‌ि की कार्यवाही को आगे बढ़ाने से रोक दिया है।

    चीफ जस्टिस एएस ओका और ज‌स्ट‌िस अशोक एस किनागी की खंडपीठ ने शनिवार को एफटी की छह डेट फंड योजनाओं की समाप्त‌ि के ‌खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाने के लिए विशेष बैठक की।

    अदालत ने कहा कि वह योजनाओं को समाप्त करने के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर रही है, हालांकि एफटी को निर्णय के आधार पर अगला कदम उठाने से पहले यूनिट निवेशकों की सहमति लेनी होगी।

    अदालत ने आदेश में कहा, "छह योजनाओं को बंद करने के ट्रस्टियों के निर्णय में अदालत दखल नहीं देगी।"

    अदालत ने कहा कि ट्रस्टी कंपनी के निदेशक मंडल ने योजनाओं को समाप्त करने का फैसला लिया है, इसलिए ट्रस्टी कंपनी यूनिट धारकों से सहमति लेने के वैधानिक नियमन से बंधी हुई है।

    न्यायालय ने आज से छह सप्ताह तक के लिए निर्णय के ऑपरेटिव हिस्से पर इस शर्त के साथ रोक लगा दी कि उत्तरदाताओं में से कोई भी नोटिस को लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाएगा।

    मामले में अगले छह सप्ताह तक यथास्थिति बनी रहनी चाहिए।

    अदालत ने 330 पृष्ठों के फैसले में कहा कि,

    "हम मानते हैं कि ट्रस्टियों के उक्त योजनाओं को बंद करने के निर्णय में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। हम मानते हैं और घोषणा करते हैं कि ट्रस्ट‌ियों द्वारा छह योजनाओं को समाप्त करने के निर्णय को, विनियमन 15 के सबक्लॉज सी के अनुसार, यूनिट धारकों की सहमति प्राप्त किए बिना लागू नहीं किया जा सकता है। इसलिए हम ट्रस्टी को 23 अप्रैल 2020 और 28 मई 2020 को जारी किए गएनोटिस के आधार पर, यूनिट धारकों की सहमति प्राप्त होने तक, आगे कोई कदम उठाने से रोकते हैं। यूनिट धारकों की सहमति प्राप्त करने और यह ट्रस्टियों के लिए आगे कदम उठाने के लिए खुलेगा। "

    पीठ ने यह भी कहा कि म्यूचुअल फंड्स विनियम के विन‌ियम 39 से 41 तक कानूनी और वैध हैं।

    * अदालत ने प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को छह सप्ताह के भीतर फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

    * इसने ट्रस्टियों को यूनिट धारकों को बैठकों के मिनटों की सही प्रतियां प्रदान करने का निर्देश दिया है।

    * यह माना गया है कि यूनिट धारकों को फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट कॉपी देने की आवश्यकता नहीं है।

    विशेष रूप से, अदालत ने यह भी देखा कि "सेबी को अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।"

    जुलाई में, सुप्रीम कोर्ट ने एफटी के फैसले के खिलाफ विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर याचिकाओं को कर्नाटक उच्च न्यायालय को स्थानांतरित कर दिया था।

    हाईकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 12 अगस्त से रोजाना मामले की सुनवाई शुरू की थी। सभी पक्षों की प्रस्तुतियां सुनने के बाद फैसला 24 सितंबर को सुरक्षित रखा गया था।

    चीफ ज‌स्ट‌िस एएस ओका ने 333-पृष्ठ के फैसले के ऑपरेटिव भाग को पढ़ने से पहले कहा, "यह सबसे लंबी वीडियो सुनवाई होनी चाहिए। इसे 25 दिनों के लिए आयोजित किया गया था। प्रतिभागियों ने लंदन / नई दिल्ली और चेन्नई से भाग लिया।",

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