लॉकअप में 5 पुलिसकर्मियों द्वारा महिला से गैंगरेप करने का आरोपः एनएचआरसी ने संज्ञान लेते हुए एमपी सरकार, डीजीपी व जेल प्रमुख को नोटिस जारी किया
LiveLaw News Network
21 Oct 2020 5:44 PM IST
मध्य प्रदेश के रीवा जिले के मंगावन इलाके में ''एक महिला से लॉकअप में पांच पुलिसकर्मियों द्वारा किए गए सामूहिक बलात्कार के आरोपों'' पर संज्ञान लेते हुए, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सोमवार (19 अक्टूबर) को मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और जेल महानिदेशक को नोटिस जारी किया है।
आयोग ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस मामले की जाँच एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए,जो कम से कम उप महानिरीक्षक रैंक का होना चाहिए।
एनएचआरसी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि-
''रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि एक 20 वर्षीय महिला ने आरोप लगाया है कि उसे इस साल मई के महीने में 10 दिनों के लिए लॉक-अप में रखा गया था और मध्य प्रदेश के रीवा जिले के मंगावन क्षेत्र के स्टेशन इंचार्ज और एसडीपीओ सहित पांच पुलिस कर्मियों ने उसके साथ बलात्कार किया गया था।''
कथित तौर पर, यह घटना मई के महीने में हुई और यह पांच महीने की अवधि के बाद जिला न्यायाधीश के संज्ञान में आई।
एनएचआरसी ने अपने बयान में कहा कि इस मामले में जेल वार्डन ने भी उच्च अधिकारियों को ''रिपोर्ट करने का साहस नहीं किया।''
एनएचआरसी ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि, ''पीड़ित महिला के साथ कथित तौर पर 9-21 मई के बीच बलात्कार किया गया था। इस दौरान एक महिला कांस्टेबल ने विरोध किया था, लेकिन उसके वरिष्ठों ने उसे फटकार लगा दी।''
अंत में, आयोग ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि,
''आयोग ने पीड़िता की कमजोर स्थिति पर विचार किया है। वह उस समय पुलिस हिरासत में थी ,जब कथित तौर पर 5 पुलिस कर्मियों द्वारा उस पर अत्यधिक क्रूरता की गई और यौन हमला किया गया था। यहां तक कि एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा किया गया विरोध प्रदर्शन भी बेकार साबित हुआ। पीड़ित महिला ने बहुत गंभीर आरोप लगाए हैं। कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लोक सेवक, जिन्हें नागरिकों और विशेषकर महिलाओं व समाज के कमजोर वर्ग के लोगों की सुरक्षा करनी चाहिए, ने कथित तौर पर एक महिला के खिलाफ जघन्य अपराध किया है।''
विशेष रूप से, एनएचआरसी द्वारा जारी एक अन्य बयान में, आयोग ने सूचित किया है कि आयोग के इस मामले (कथित तौर पर ''जेल के कैदियों के अधिकारों का उल्लंघन व अमानवीय व्यवहार करने'' ) में स्वत संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और जेल महानिदेशक, मध्य प्रदेश को नोटिस जारी किए गए हैं और और अधिकारियों से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
आयोग ने कहा, ''इस मामले में सभी सिमी कैदियों की वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति और उनके चिकित्सा उपचार रिकॉर्ड सहित एक विस्तृत रिपोर्ट चार सप्ताह के अंदर मांगी गई है।''
आयोग द्वारा जारी बयान में इस तथ्य का उल्लेख है कि,
''प्रतिबंधित संगठन सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) के छह सदस्यों ने एक सप्ताह पहले सेंट्रल जेल, भोपाल के अंदर भूख हड़ताल शुरू कर दी थी और अब उन्हें जेल के अस्पताल में भर्ती किया गया है। जिन कैदियों को देशद्रोह,सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने और हथियार एकत्रित करने के मामलों में दोषी पाया जाता है, उन्हें एनआईए और सीबीआई विशेष न्यायालयों सहित विभिन्न न्यायालयों ने वर्ष 2017 और 2018 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
मौजूदा मामले में चल रही वर्तमान कार्यवाही के अलावा आयोग ने कैदियों की शिकायत और उनकी स्वास्थ्य स्थितियों के संबंध में भी संज्ञान लिया है। कैदियों को भोजन और गरिमा का अधिकार है, जो कि मूल मानवाधिकार है। इसलिए राज्य, उनका कानूनन संरक्षक होने के नाते, अपनी वैध हिरासत में रखने गए विचाराधीन कैदियों को इस अधिकार से वंचित नहीं कर सकता है। समाचार रिपोर्ट से पता चला है कि वे सभी बेहतर भोजन , नियमित फ्रिस्किंग से छूट और हाई-सिक्योरटी ब्लाॅक से बाहर निकालने की मांग कर रहे हैं। "
अंत में, आयोग की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि,
''आयोग यहां बताना चाहता है कि COVID19 के प्रसार के बीच देश भर की जेलों में बंद कैदियों के बीच कोरोनोवायरस के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसलिए, यह आवश्यक है कि कैदियों को उचित भोजन उपलब्ध कराया जाए,ताकि उनका प्रतिरक्षा स्तर संतोषजनक बना रहे, जो कि डब्ल्यूएचओ और आईसीएमआर द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार भी आवश्यक है।''