हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

23 April 2023 4:30 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (17 अप्रैल, 2023 से 21 अप्रैल, 2023) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    धारा 166, एमवीए 1988: कुंवारे हिंदू पुरुष की मोटर दुर्घटना में मृत्यु के कारण दिए गए मुआवजे पर उसकी मां ‌का पहला दावाः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक कुंवारे हिंदू पुरुष की मोटर दुर्घटना में मृत्यु के कारण मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 166 के तहत दिए गए मुआवजे पर उसकी मां पहला दावा रखती है। जस्टिस जीएस अहलूवालिया की पीठ ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के आधार पर, मृत अविवाहित हिंदू की मां क्लास-1 की एक मात्र वारिस है। अधिनियम के तहत दिए गए मुआवजे पर उसका पहला दावा है।

    केस टाइटलः मनोज कुमार व अन्य बनाम HDFC Insurance और अन्य। (MA-155/2019)

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    केरल शिक्षा नियमों के फॉर्म 27 के माध्यम से निर्दिष्ट होने पर संस्थान की अल्पसंख्यक स्थिति का आह्वान करने वाले हेडमास्टर की नियुक्ति स्वीकार की जा सकती है: हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि जब हेडमास्टर को सीनियरटी को दरकिनार कर नियुक्त किया जाता है तो ऐसी नियुक्ति केवल तभी स्वीकार की जा सकती है जब नियुक्ति आदेश में यह संकेत दिया गया हो कि नियुक्ति संस्थान के अल्पसंख्यक दर्जे को लागू करके की जा रही है।

    जस्टिस पी वी कुन्हीकृष्णन की एकल पीठ ने कहा कि जब शैक्षणिक संस्थान का प्रबंधक अपने अल्पसंख्यक अधिकारों के प्रयोग में सीनियरटी की अनदेखी करके हेडमास्टर की नियुक्ति करता है तो इसे केईआर (केरल शिक्षा नियम) के फॉर्म 27 के तहत नियुक्ति आदेश में स्पष्ट किया जाना चाहिए। प्रपत्र के पैरा 3 में यह उल्लेख किया गया कि उक्त पद पर पदोन्नति के लिए योग्य और पात्र कोई अन्य उम्मीदवार नहीं है।

    केस टाइटल: जेवियर टी.जे बनाम केरल राज्य

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    आरोपी जब अंतरिम जमानत पर हो, तब उसके खिलाफ केवल एफआईआर दर्ज होना जमानत की शर्तों का उल्लंघन नहीं: जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि एक आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना उसकी अंतरिम जमानत शर्तों का उल्लंघन नहीं करता है, क्योंकि यह कानूनी प्रक्रिया में केवल एक प्रारंभिक कदम है और जरूरी नहीं कि यह आपराधिक गतिविधि का संकेत दे।

    जस्टिस संजय धर की पीठ ने कहा, "याचिकाकर्ता के जमानत आवेदन के लंबित रहने के दौरान जब वह अंतरिम जमानत पर था, उसके खिलाफ केवल एक एफआईआर दर्ज करना, अंतरिम जमानत की शर्तों का उल्लंघन नहीं हो सकता। ऐसा इसलिए है क्योंकि केवल एफआईआर दर्ज करने का मतलब यह नहीं है कि याचिकाकर्ता की विध्वंसक गतिविधियों में या किसी अपराध या किसी आपराधिक गतिविधि में संलिप्तता रही हो, जिससे जमानत की शर्तों में से एक का उल्लंघन होता है"।

    केस टाइटलः जांबाज अहमद दास बनाम यूटी ऑफ जेएंडके

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    ऑर्डर 8 रूल 9 सीपीसी | लिखित बयान जमा कर चुका प्रतिवादी कोर्ट की अनुमति के बिना प्रतिवाद दायर नहीं कर सकता: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने हाल ही में माना कि दीवानी मुकदमे में प्रतिवादी लिखित बयान जमा करने के बाद प्रतिवाद दायर नहीं कर सकते हैं। कोर्ट की अनुमति अपवाद होगी। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने रमेश चंद अर्दवतिया बनाम अनिल पंजवानी में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया। उन्होंने कहा, सीपीसी के ऑर्डर 8 के उक्त प्रावधान, सुप्रीम कोर्ट के पूर्वोक्त निर्णयों के आलोक में कोई संदेह नहीं छोड़ते हैं कि एक प्रतिवादी लिखित बयान दर्ज कराने के बाद अलग से प्रतिवाद दाखिल नही कर सकता। अदालत की अनुमति के अलावा, ऐसा किसी परि‌स्थिति में नहीं किया जा सकता है।"

    केस टाइटल: श्री अंबरम बनाम श्री जादुलाल व अन्य

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    विदेश में घटी घेरलू हिंसा पर भारतीय अदालतें संज्ञान ले सकती हैं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने घरेलू हिंसा से जुड़े एक मसले पर अहम फैसला सुनाया है। बेंच ने कहा कि घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत विदेश में घटी घरेलू हिंसा पर भारत में न्यायिक मजिस्ट्रेट संज्ञान ले सकते हैं। इसक मतलब ये है कि भारत में कोई अदालत घरेलू हिंसा के किसी मामले पर संज्ञान ले सकती है, भले ही कथित अपराध दूसरे देश में हुआ हो। जस्टिस जीए सनप की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा कि अधिनियम एक सामाजिक लाभकारी कानून है। कानून निर्माताओं ने भारत के बाहर हुई घरेलू हिंसा को ध्यान में रखते हुए अधिनियम की धारा 27 को परिभाषित किया है।

    मामला संख्या - क्रिमिनल एप्लीकेशन (एपीएल) नंबर 1576 ऑफ 2022

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    सूरत की सेशन कोर्ट ने मानहानि मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार किया, कहा- उन्हें शब्दों के चयन में अधिक सावधान रहना चाहिए था

    सूरत की सेशन कोर्ट ने 'मोदी उपनाम' मानहानि मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से दायर अर्जी को खारिज कर ‌दिया। कोर्ट ने फैसले में कहा, राहुल गांधी को शब्दों के चयन में अधिक सावधान रहना चाहिए था, जिसका लोगों के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

    सेशन जज रॉबिन मोगेरा ने कहा कि गांधी के मुंह से निकला कोई भी निंदात्मक शब्द व्यथित व्यक्ति को मानसिक पीड़ा देने के लिए पर्याप्त है। मौजूदा मामले में ऐसे व्यक्तियों, जिनके 'मोदी' उपनाम हैं, की तुलना चोरों से करने से निश्चित रूप से शिकायतकर्ता यानि भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी को मानसिक पीड़ा होगी और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान होगा।

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    कोर्ट फोटोकॉपी, काल्पनिक दस्तावेजों के आधार पर पक्षकार को गवाह का क्रॉस एक्ज़ामिनेशन करने निर्देश नहीं दे सकता : दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक दीवानी मुकदमे के एक पक्षकार को निर्देश दिया गया था कि वह फोटोकॉपी किए गए दस्तावेजों के आधार पर विरोधी पक्ष के गवाह का क्रॉस एक्ज़ामिनेशन करे। जस्टिस तुषार राव गेडेला ने कहा कि निचली अदालत द्वारा निर्देशित प्रक्रिया "कानून से अलग" है और आदेश "न्यायिक जांच का सामना नहीं कर सकता।" अदालत ने कहा, "काल्पनिक दस्तावेजों के आधार पर क्रॉस एक्ज़ामिनेशन करने के लिए एक गवाह का एक्ज़ामिनेशन करने का अधिकार देते समय संभवतः विधायिका की मंशा नहीं हो सकती, जो अभी तक यह निर्धारित नहीं किया गया है कि वे कानून में स्वीकार्य हैं या अस्वीकार्य हैं।" .

    केस टाइटल : एस गुरबचन सिंह और अन्य बनाम गीता इस्सर

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    अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर से अवगत होने के कारण देश से भागे व्यक्तियों को अग्रिम जमानत देना उचित नहीं: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि उन परिस्थितियों में अग्रिम जमानत देना उचित नहीं होगा, जहां अभियुक्त अपने खिलाफ दर्ज गैर-जमानती अपराध से पूरी तरह वाकिफ होने के कारण देश से भाग गया हो। अदालत ने यह भी कहा कि एक अभियुक्त जो विदेश में है, उसकी ओर से दायर जमानत आवेदन पर विचार करते समय, अदालतों को यह शर्त लगाने पर विचार करना चाहिए कि जब भी आवश्यक हो, अभियुक्त पुलिस अधिकारी द्वारा पूछताछ के लिए उपलब्ध होगा और अभियुक्त न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना भारत से बाहर नहीं जाएगा।

    केस टाइटल: अनु मैथ्यू बनाम केरल राज्य

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    यौन अपराधों की पीड़िता को हर स्तर पर सुनवाई का अधिकार, लेकिन उसे प्रतिवादी के रूप में शामिल करने की कोई कानूनी आवश्यकता नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने माना है राज्य या आरोपी की ओर से शुरू की गई किसी भी आपराधिक कार्यवाही में कि यौन अपराधों के पीड़ित को पक्ष के रूप में शामिल करने की कोई कानूनी आवश्यकता नहीं है।

    जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने जगजीत सिंह और अन्य बनाम आशीष मिश्रा @ मोनू और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला दिया और कहा कि एक पीड़ित के पास सभी आपराधिक कार्यवाहियों में शामिल होने का "स्वच्छंद अधिकार" है, मगर यह पीड़ित को मामले में पक्षकार बनाने का अपने आप में कोई कारण नहीं है, जब तक कि दंड प्रक्रिया संहिता में ऐसा विशेष रूप से प्रदान नहीं किया गया हो।

    टाइटल: सलीम बनाम द स्टेट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एंड एएनआर।

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    कर्नाटक संशोधन, जिसके तहत कार्यकारी प्राधिकरण को विलंबित जन्म/मृत्यु पंजीकरण पर निर्णय लेने की शक्ति प्रदान की गई, अल्‍ट्रा वायर्सः कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने कर्नाटक जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) नियम, 2022, जिसके जरिए जन्म और मृत्यु नियम, 1999 के नियम 9 में संशोधन किया गया है और राजस्व अधिकारियों को जन्म और मृत्यु के विलंबित पंजीकरण के लिए आवेदन पर निर्णय लेने की शक्तियां प्रदान की गई हैं, को अल्ट्रा वायर्स घोषित कर दिया है।

    राज्य सरकार ने नियम 9 के उप-नियम (3) में संशोधन के जर‌िए "एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट या एक प्रेसिडेंसी मजिस्ट्रेट" को "एक सहायक आयुक्त (उप-मंडल मजिस्ट्रेट)" से प्रतिस्‍थापित कर दिया था। राज्य सरकार ने प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट की शक्ति को हटाकर उसे सहायक आयुक्त की दया पर छोड़ दिया था।

    केस टाइटल : सुदर्शन वी बिरादर और कर्नाटक राज्य

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    हिंदू उत्तराधिकार एक्ट की धारा 6 (1) के अपवाद न्यायालय के आदेशों के उल्लंघन में हस्तांतरित संपत्तियों पर लागू नहीं होता: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि हिंदू उत्तराधिकार एक्ट की धारा 6 (1) के तहत किए गए अपवाद का लाभ उस व्यक्ति द्वारा उठाया जा सकता है, जिसने कानूनी रूप से संपत्तियों को हस्तांतरित किया है और यदि अलगाव अदालत के उल्लंघन में किया गया है तो लाभ नहीं बढ़ाया जा सकता है। एक्ट की धारा 6 (1) को वर्ष 2005 में संशोधित किया गया और यह 20 दिसंबर 2004 से पहले की गई संपत्ति के अलगाव के अपवाद के साथ पूर्वव्यापी रूप से हिंदू पुरुष की बेटी को सहदायिक का दर्जा प्रदान करता है।

    केस टाइटल: थिरकव्वा और अन्य बनाम रत्नव्वा और अन्य

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    उत्तरदाताओं को नोटिस और सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद ही मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण धारा 166 के तहत अवॉर्ड पारित कर सकता है: जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, शोपियां द्वारा एक व्यक्ति के खिलाफ उसे बिना किसी नोटिस के दिए गए मुआवजे के एक फैसले को रद्द करते हुए कहा कि एक व्यक्ति किसी अपराध के लिए न्यायिक कार्यवाही द्वारा संपत्ति या स्वतंत्रता का नुकसान नहीं उठा सकता है, जब तक कि उसके पास उसके खिलाफ मामले का जवाब देने का उचित अवसर न हो।

    जस्टिस वसीम सादिक नरगल ने कहा, "प्रतिवादियों को आवेदन का नोटिस देने और उन्हें सुनवाई का अवसर देने के बाद ही और मामले की उचित जांच करने के बाद ही, ट्रिब्यूनल मुआवजे की राशि का निर्धारण करते हुए, जो उचित प्रतीत होता हो और उत्तरदाताओं द्वारा देय हो, एक अवॉर्ड पारित कर सकता है। यह तय कानून है कि जब एक पार्टी सुनवाई का मौका दिए बिना, उसके पीछे एक अवॉर्ड पारित किया जाता है तो यह कानूनी रूप से अमान्य है। "

    केस टाइटल: गुलाम नबी तुरे बनाम फारूक अहमद ठोकर एंड अदर

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    अविवाहित बेटी किसी भी धर्म की हो, उसे अपने पिता से विवाह का उचित खर्च प्राप्त करने का अधिकार: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट के समक्ष हाल ही में विचार के लिए प्रश्न पेश हुआ कि क्या क्या एक ईसाई बेटी अपने पिता की अचल संपत्ति या उससे होने वाले मुनाफे से अपनी शादी का खर्च प्राप्त कर सकती है? और कोर्ट ने इसका सकारात्मक जवाब दिया।

    जस्टिस अनिल के नरेंद्रन और जस्टिस पीजी अजीतकुमार ने हिंदू दत्तक ग्रहण और भरणपोषण अधिनियम, 1956 के प्रावधानों के साथ-साथ इस्माईल बनाम फातिमा और अन्य (2011) में उक्त पहलू पर मुस्लिम स्थिति का भी अध्ययन किया और कहा, "अपने पिता से शादी के ल‌िए उचित खर्च पाने का एक अविवाहित बेटी का अधिकार धार्मिक रंग में नहीं रंगा है। यह हर अविवाहित बेटी का अधिकार है, भले ही उसका धर्म कुछ भी हो। किसी व्यक्ति को धर्म के आधार पर इस प्रकार के अधिकार का दावा करने से रोका नहीं जा सकता है।"

    केस टाइटल: XXX और अन्य बनाम YYY

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    पोक्सो एक्ट के तहत 'पेनिट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट' को साबित करने के लिए स्‍खलन पूर्वशर्त नहीं: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

    आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा पॉक्सो एक्ट की धारा 3 के तहत परिभाषित 'पेनिट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट' के अपराध को साबित करने के लिए केवल पेनिट्रेशन आवश्यक है। कोर्ट ने उक्त टिप्पणियों के साथ बलात्कार के एक मामले में आरोपी की दोषसिद्धि को बरकरार रखा।

    2016 में छह साल की बच्ची के साथ गंभीर यौन उत्पीड़न और बलात्कार करने के लिए आरोपी को निचली अदालत ने दस साल की अवधि के लिए कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। अपील में दोषी की ओर से तर्क दिया गया कि चिकित्सा साक्ष्य से पता चलता है कि पीड़ित लड़की के साथ यौन संबंध नहीं बना ‌था, क्योंकि जांच में वीर्य का पता नहीं चला था।

    केस टाइटल: मिरियाला वजीराम बनाम आंध्र प्रदेश

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    विधवा बहू को अपने सास-ससुर को गुजारा भत्ता देने की जरूरत नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    अब विधवा बहू को अपने सास-ससुर को गुजारा भत्ता देने की जरूरत नहीं है। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की औरंगाबाद बेंच ने आदेश किया कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत सास-ससुर अपनी विधवा बहू से गुजारा भत्ता पाने के हकदार नहीं हैं।

    जस्टिस किशोर संत ने शोभा तिड़के नाम की 38 वर्षीय महिला की एक याचिका पर ये आदेश दिया। याचिकाकर्ता-शोभा ने स्थानीय अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी। स्थानीय अदालत ने महिला को मृत पति के माता-पिता को मेंटेनेंस देने को कहा था।

    केस टाइटल - संजय तिड़के की पत्नी शोभा बनाम रामराव तिड़के के पुत्र किशनराव और अन्य

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    सीपीसी के आदेश XXIII नियम 3 को निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत शिकायतों से निपटने के लिए लागू नहीं किया जा सकता: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि सीपीसी के आदेश XXIII नियम 3 के प्रावधानों को निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (आईएन एक्ट) की धारा 138 के तहत शिकायत से निपटने के लिए आयात नहीं किया जा सकता। सीपीसी के उक्त प्रावधान में यह निर्धारित किया गया कि जब पक्षों ने किसी विवाद को पूरी तरह या आंशिक रूप से निपटाने की व्यवस्था की है तो अदालत संतुष्ट होने पर इस तरह के प्रभाव के लिए डिक्री पारित करेगी और उसे रिकॉर्ड करेगी।

    केस टाइटल: मोहम्मद अशरफ वानी बनाम मुज़म्मिल बशीर।

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    दिल्ली हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट को हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी(1) के तहत पहले प्रस्ताव का रिकॉर्ड 18 महीने तक रखने का निर्देश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी पारिवारिक अदालतों के न्यायाधीशों को निर्देश दिया है कि वे हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13बी(1) के तहत दाखिल प्रथम प्रस्ताव के रिकॉर्ड को दाखिल करने की तारीख से 18 महीने के लिए बनाए रखें। हाईकोर्ट द्वारा 15 अप्रैल को सीपीसी की धारा 123 के तहत नियम समिति की सिफारिशों पर अभ्यास निर्देश जारी किए गए हैं, जो परिवार न्यायालयों के न्यायाधीशों द्वारा सूचना और अनुपालन के लिए दिल्ली हाईकोर्ट (मूल पक्ष) नियम, 2018 और सहायक मामलों को भी देखता है।

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    महिलाओं का यौन उत्पीड़न सार्वभौमिक समस्या, 'अस्वस्थ मानवीय संबंध' की अभिव्यक्ति: औद्योगिक न्यायाधिकरण ने आईआईटी दिल्ली के लिए POSH दिशानिर्देश जारी किए

    दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट के एक औद्योगिक न्यायाधिकरण ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में यौन उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए सुझाव और दिशानिर्देश जारी किए हैं। न्यायाधिकरण ने कहा है कि महिलाओं का यौन उत्पीड़न एक सार्वभौमिक समस्या है और "अस्वास्थ्यकर मानवीय संबंध" की अभिव्यक्ति है।

    पीठासीन अधिकारी अजय गोयल ने कहा, हालांकि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2013 (POSH Law) मौजूद है, लेकिन बदमाशी, उत्पीड़न, अवांछित यौन ध्यान और व्यवहार के बारे में "अधिक जागरूकता" पैदा करना महत्वपूर्ण है।

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    लोक सेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार संबंधित जनहित याचिका पर विचार करने से पहले कोर्ट को याचिकाकर्ता की साख की बावत संतुष्ट होना चाहिएः इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि लोक सेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार संबंधित जनहित याचिका पर विचार करने से पहले कोर्ट को उस व्यक्ति की साख की बावत संतुष्ट होना चाहिए, जिसने कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की है।

    जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने राज्य सरकार के एक बर्खास्त कर्मचारी द्वारा राज्य सरकार के वर्तमान कर्मचारी (प्रतिवादी संख्या 6) के खिलाफ अन्य बातों के अलावा उनकी कथित भ्रष्ट गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

    केस टाइटलः रीवन सिंह बनाम स्टेट ऑफ यूपी, प्रधान सचिव के माध्यम से, जेल प्रशासन और सुधार सेवाएं, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ और अन्य [CRIMINAL WRIT-PUBLIC INTEREST LITIGATION No. - 1 of 2023]

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    ज्ञानवापी विवाद से संबंधित 7 लंबित मुकदमों को समेकित करने और एक साथ सुनवाई करने पर फैसला वाराणसी जिला जज करेंगे

    वाराणसी जिला जज ने कहा है कि वह इस बात का निर्णय करने के लिए तैयार हैं कि वाराणसी में विभिन्न न्यायालयों के समक्ष लंबित ज्ञानवापी से संबंधित सात वादों को समेकित किया जाए और जिला जज की अदालत में एक साथ सुनवाई की जाए। जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने जिला जज के न्यायालय में समान मुद्दों को उठाने वाले लंबित मुकदमों के समेकन की मांग करते हुए उनके समक्ष दायर 7 स्थानांतरण आवेदनों से निपटते हुए यह आदेश पारित किया।

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    मोटर दुर्घटना में माता-पिता की मृत्यु पर वयस्‍क, कमाऊ बच्चे भी 'आश्रितता के नुकसान' के हकदार: जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि भले ही माता-पिता की मृत्यु के बाद मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुआवजे का दावा कर रही संतानें वयस्क और कमाने वाली हैं, फिर भी वे 'निर्भरता के नुकसान' के आधार पर मुआवजे का दावा करने के हकदार हैं।

    जस्टिस एमके चौधरी ने अपीलकर्ताओं/दावेदारों की ओर से दायर दो अलग-अलग दावा याचिकाओं में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, रामबन द्वारा पारित एक सामान्य निर्णय द्वारा पारित दो पुरस्कारों से उत्पन्न अपीलों की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

    केस टाइटल: जमाल दीन और अन्य बनाम न्यू इंडिया एश्योरेंस।

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    राइफल क्लब या एसोसिएशन के मेंबर केवल टार्गेट प्रैक्टिस, प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए तीसरा फायर आर्म्स रख सकते हैं: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि राइफल क्लब या राइफल एसोसिएशन के मेंबर के पास टार्गेट प्रैक्टिस या किसी प्रतियोगिता में भागीदारी के लिए सीमित अवधि के अलावा कोई तीसरा हथियार नहीं हो सकता है। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया कि ऐसा मेंबर आर्म्स एक्ट 1959 की धारा 3(2) के तहत छूट का दावा करके दो से अधिक फायर आर्म्स नहीं रख सकता।

    केस टाइटल: सचिव और अन्य के माध्यम से मल्होत्रा बनाम भारत संघ।

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