विधवा बहू को अपने सास-ससुर को गुजारा भत्ता देने की जरूरत नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

Brij Nandan

18 April 2023 9:43 AM GMT

  • विधवा बहू को अपने सास-ससुर को गुजारा भत्ता देने की जरूरत नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    Widow Not Liable To Maintain In-Laws Under Section 125 CrPC: Bombay High Court

    अब विधवा बहू को अपने सास-ससुर को गुजारा भत्ता देने की जरूरत नहीं है। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की औरंगाबाद बेंच ने आदेश किया कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत सास-ससुर अपनी विधवा बहू से गुजारा भत्ता पाने के हकदार नहीं हैं।

    जस्टिस किशोर संत ने शोभा तिड़के नाम की 38 वर्षीय महिला की एक याचिका पर ये आदेश दिया। याचिकाकर्ता-शोभा ने स्थानीय अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी। स्थानीय अदालत ने महिला को मृत पति के माता-पिता को मेंटेनेंस देने को कहा था।

    महिला की याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 को पढ़ने से ये स्पष्ट है कि इस धारा में सास-ससुर का उल्लेख नहीं है। ऐसे में सास-ससुर याचिकाकर्ता से मेंटेनेंस पाने के हकदार नहीं हैं।

    केस के मुताबिक, शोभा के पति महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम में काम करते थे। वो वहां कंडक्टर थे। उनकी मृत्यु को गई थी। इसके बाद महिला ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग में काम करना शुरू किया। उसके ससुराल वालों ने इस आधार पर उससे मेंटेनेंस की मांग की कि वे वृद्ध हैं और उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है।

    मामला कोर्ट पहुंचा। महिला ने दावा किया कि उसके सास-ससुर के पास उनके गांव में जमीन और घर है। मृत पति की बहनें अपने माता-पिता को गुजाराभत्ता देने के लिए उत्तरदायी हैं। क्योंकि परिवार की संपत्ति में उनका भी हिस्सा है। साथ ही सास-ससुर को मुआवजे के तौर पर महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम से 1.88 लाख रुपये मिले हैं।

    ससुराल वालों का कहना था कि उनके बेटे की मौत के बाद याचिकाकर्ता ने सब कुछ अपने नाम कर लिया। इसलिए बहू सास-ससुर को मेंटेनेंस देने के लिए उत्तरदायी है।

    कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 में ससुर और सास का उल्लेख नहीं है। ऐसे में सास-ससुर याचिकाकर्ता से मेंटेनेंस पाने के हकदार नहीं हैं।

    आगे कहा कि मृतक पति एमएसआरटीसी में कार्यरत था, जबकि याचिकाकर्ता अब राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त है। इससे ये साफ है कि उसकी नियुक्ति अनुकंपा के आधार पर नहीं हुई है। ससुराल वालों को बेटे की मौत के बाद मुआवजे की राशि भी मिल चुकी है। साथ ही उनके के पास अपनी जमीन और अपना घर है। इसलिए ससुराल वाले बहू से मेंटेनेंस पाने के हकदार नहीं हैं।

    इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मेंटेनेंस देने के स्थानीय अदालत के आदेश को रद्द कर दिया।

    मामला संख्या - क्रिमिनल रिट पिटीशन नंबर 1092 ऑफ 2022

    केस टाइटल - संजय तिड़के की पत्नी शोभा बनाम रामराव तिड़के के पुत्र किशनराव और अन्य

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