सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

21 Aug 2021 6:23 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    सुप्रीम कोर्ट में 16 अगस्त 2021 से 20 अगस्त 2021 के बीच कुछ चुनिंदा ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    डिफ़ॉल्ट सजा को एक साथ चलाने के लिए निर्देशित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक दोषी को दी गयी डिफ़ॉल्ट सजा को एक साथ चलाने के लिए निर्देशित नहीं किया जा सकता है।

    इस मामले में, आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी के साथ पठित महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम की धारा 3(1)(ii),3(2) और 3(4) के तहत दोषी ठहराया गया था और उन्हें 7/10 साल की कारावास की सजा सुनाई गई थी।

    प्रत्येक मामले में पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया और जुर्माना न देने पर अतिरिकत तीन साल के कठोर कारावास का आदेश दिया गया। हालांकि सभी सजाओं को एक साथ चलाने का आदेश दिया गया था।

    केस: दुम्या उर्फ लखन उर्फ इनामदार बनाम महाराष्ट्र सरकार; क्रिमिनल अपील 818-820/2021

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    'इसे कार्यकारी को लागू करना है": सुप्रीम कोर्ट ने गो हत्या, हाथियों के शिकार, फसल की सुरक्षा के लिए जंगली जानवरों की हत्या/ धार्मिक प्रथाओं के ‌लिए पशु बलि के खिलाफ दायर याचिका को बंद किया

    यह देखते हुए कि यह प्रवर्तन का एक पहलू है और यह कार्यपालिका पर है कि वह उचित कार्रवाई करे, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गायों के वध, हाथियों के अवैध शिकार, फसल की सुरक्षा के लिए जंगली जानवरों की हत्या और धार्मिक प्रथाओं में पशु बलि पर चिंता जाहिर करते हुए याचिका का निस्तारण किया।

    जस्टिस एसके कौल और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा,

    "हमने याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत रूप से सुना और रिट याचिका की दलीलों का अध्ययन किया है। प्रार्थना बहुत व्यापक और विविध है। कोई निर्देश जारी करना मुश्किल होगा।"

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    विधवा ने 'ऑनर कि‌लिंग' मामले में आरोपी अपनी मां को दी गई जमानत रद्द करने की मांग की, सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

    एक विधवा ने अपने पति की 'ऑनर किलिंग' के मामले में अपनी मां को दी गई जमानत को रद्द करने करने के लिए याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने य‌ाचिक पर नोटिस जारी किया है।

    सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने याचिकाकर्ता विधवा की ओर से पेश सीन‌ियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह की दलीलें सुनने के बाद नोटिस जारी किया।

    सुनवाई के दौरान सीन‌ियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने कहा कि स्थिति दुखद है क्योंकि मामला टूटने की कगार पर है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के भाई, मां और अब पिता सहित तीनों आरोपियों को जमानत दे दी गई है, और सभी आदेश एक ही न्यायाधीश ने पारित किए हैं।

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    "वकीलों को प्रतिष्ठा संबंध के आधार पर नहीं बल्कि तथ्यों और कानून के साथ अच्छी तरह से तैयार किए गए विवरण और बहस के आधार पर मिलती है": सुप्रीम कोर्ट ने जूनियर वकील से कहा

    न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीश केवल उन वकीलों की सराहना करते हैं जो तथ्यों और कानून पर तैयार किए गए अपने संक्षिप्त विवरण के लिए अदालत में आते हैं और जो अच्छी तरह से बहस करते हैं। आगे कहा कि वकीलों को प्रतिष्ठा संबंध यानी बेटे या बेटी के आधार पर नहीं मिलती है।

    यह टिप्पणी तब आई जब जस्टिस चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ एक मामले की सुनवाई के लिए आगे बढ़ने के लिए तैयार थी, लेकिन वरिष्ठ वकील ने इस आधार पर स्थगन की मांग की कि वरिष्ठ अधिवक्ता किसी अन्य अदालत बहस कर रहे हैं।

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    'पीछे के दरवाजे से प्रवेश करने वाले छात्रों के लिए कोई सहानुभूति नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट काउंसलिंग के माध्यम से MBBS में एडमिशन लेने वाले छात्रों की याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने कुछ मेडिकल छात्रों द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि पीछे के दरवाजे से प्रवेश करने वाले छात्रों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं दिखाई जा सकती है।

    न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि प्राइवेट काउंसलिंग के माध्यम से किए जाने वाले मेडिकल में एडमिशन अवैध हैं।

    मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा ग्लोकल मेडिकल कॉलेज को जारी किए गए डिस्चार्ज आदेश को चुनौती देते हुए कुछ मेडिकल छात्रों ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और आदेश में एडमिशन दिए गए 67 छात्रों को डिस्चार्ज करने का निर्देश दिया गया था।

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    एक कॉमन कैरियर के खिलाफ उपभोक्ता की शिकायत पूर्व नोटिस दिए बिना सुनवाई योग्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कैरियर्स एक्ट, 1865 की धारा 6 के तहत पूर्व नोटिस नहीं दिया जाता है, तो एक आम कैरियर के खिलाफ उपभोक्ता शिकायत को बरकरार नहीं रखा जा सकता है।

    न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की बेंच ने कहा कि मुकदमा चलाने से पहले नोटिस देना आवश्यक है, न कि उसके बाद। इस मामले में, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने हिमाचल प्रदेश उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें एसोसिएटेड रोड कैरियर्स के खिलाफ उपभोक्ता शिकायत की अनुमति दी गई थी।

    केस : एसोसिएटेड रोड कैरियर्स बनाम कमलेन्द्र कश्यप (सीए 4412-4413/ 2010)

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    जैविक विज्ञान में बी.एड एचएसए (प्राकृतिक विज्ञान) पद के लिए वांछनीय योग्यताः सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि 'जैविक विज्ञान' में बी.एड डिग्री वाले उम्मीदवार केरल के सरकारी स्कूलों में हाई स्कूल असिस्टेंट (प्राकृतिक विज्ञान) के पद पर आवेदन करने के पात्र हैं।

    न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि 'जैविक विज्ञान' में बी.एड डिग्री हाई स्कूल असिस्टेंट (प्राकृतिक विज्ञान) के लिए योग्यता नहीं है।

    केस का शीर्षकः प्रवीण कुमार सीपी बनाम केरल लोक सेवा आयोग व अन्य (सीए नंबर 4846/2021)

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    'जांच सच का पता लगाने के लिए नहीं बल्कि सच को दफनाने के इरादे से की गई': सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में सभी आरोपियों को बरी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के हत्या मामले में सभी आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि इस मामले में जांच सच्चाई का पता लगाने के लिए नहीं बल्कि सच्चाई को दफनाने के इरादे से की गई थी।

    यह मामला वर्ष 2008 में पप्पू उर्फ नंद किशोर की हत्या से संबंधित है। अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि सहोदरा ने मृतक पीड़ित (जो उसका साला था) को सरकारी अस्पताल ले गया और पुलिस को झूठी सूचना दी कि जैसे पीड़ित पर जानलेवा हमला रुइया और कैलाश नाम के दो अन्य लोगों ने किया है।

    मामला: माधव बनाम मध्य प्रदेश राज्य: CrA 852 of 2021

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    सुप्रीम कोर्ट का अधिवक्ता महमूद प्राचा के खिलाफ CAT के अवमानना आदेश पर रोक लगाने से इनकार, माफी मांगने पर विचार करने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता महमूद प्राचा से केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ("CAT") के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका में बिना शर्त माफी मांगने पर विचार करने को कहा। कैट के आदेश में प्राचा को अवमानना ​​का दोषी ठहराया गया था, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।

    न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति एसआर भट की खंडपीठ ने कैट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा,

    ''जो कुछ हुआ, एक शर्त जिस पर हम चाहते हैं कि आप विचार करें, वह यह है कि कृपया बिना शर्त माफी मांगें। पूरी बात रफा दफा हो जाएगी, हम सभी गलतियां करते हैं। विचार यह है कि हम जल्द से जल्द सुधार करें।"

    केस टाइटल: महमूद प्राचा बनाम सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल

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    व्यक्तिगत स्वतंत्रता- केवल इसलिए कि गिरफ्तारी की जा सकती है क्योंकि यह वैध है, यह अनिवार्य नहीं है कि गिरफ्तारी की जानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा, केवल इसलिए कि गिरफ्तारी की जा सकती है क्योंकि यह वैध है, यह अनिवार्य नहीं है कि गिरफ्तारी की जानी चाहिए।

    जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता हमारे संवैधानिक जनादेश का एक महत्वपूर्ण पहलू है। इस मामले में, अपीलकर्ता के साथ 83 अन्य निजी व्यक्तियों को एक एफआईआर में शामिल करने की मांग की गई थी, जो सात साल पहले दर्ज की गई थी।

    अदालत के समक्ष, उसने प्रस्तुत किया कि वह पहले ही जांच में शामिल हो चुका है और कहा गया है कि आरोपपत्र दायर करने के लिए तैयार है। गिरफ्तारी मेमो जारी होने के बाद, उन्होंने उच्च न्यायालय के समक्ष अग्रिम जमानत आवेदन दायर किया, जिसे खारिज कर दिया गया और इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।

    केस- सिद्धार्थ बनाम उत्तर प्रदेश राज्य; एसएलपी (सीआरएल) 5442/2021

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    'बेहद स्वतंत्र और निष्पक्ष': भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने जस्टिस नवीन सिन्हा को विदाई देते हुए कहा

    भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने ज‌स्टिस नवीन सिन्हा के विदाई के मौके पर उनकी सार्वजनिक नैतिकता, न्याय, स्वतंत्रता, निष्पक्षता और अनाग्रहपूर्ण दृष्टिकोण की अंतर्निहित भावना की प्रशंसा की।

    मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया कानून के सिद्धांत के ज्ञान और आवेदन से परे है। ऐसी राय देने के लिए नैतिक साहस की जरूरत होती है जो कई लोगों को नाराज कर सकती है।

    उन्होंने कहा,

    "न्यायाधीशों के लिए इन बाहरी दबावों से प्रभावित नहीं होना अनिवार्य है। भाई सिन्हा त्रुटिहीन अखंडता, मजबूत नैतिकता और अपने सिद्धांतों पर हमेशा खड़े रहने वाले दृढ़ विश्वासी व्यक्ति हैं। वह बेहद स्वतंत्र और निष्पक्ष हैं। निष्पक्षता एक आसान गुण नहीं है, हमारे सामने मामलों को रखने या लागू करने के लिए। हम अक्सर अपना बोझ ले जाते हैं- हमारे आग्रह और पूर्वाग्रह, जो अनजाने में निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। हमारी सामाजिक स्थिति, परवरिश और जीवन के अनुभव अक्सर हमारे विचारों और धारणाओं को रंग देते हैं। "

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    चार्जशीट दाखिल करते समय जांच अधिकारी को प्रत्येक आरोपी को गिरफ्तार करने की आवश्यकता नहीं है: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को माना कि CrPC की धारा 170 चार्जशीट दाखिल करते समय प्रत्येक आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए प्रभारी अधिकारी पर दायित्व नहीं डालती है।

    अदालत ने कहा कि आरोप पत्र को रिकॉर्ड पर लेने के लिए एक पूर्व-आवश्यक औपचारिकता के रूप में एक आरोपी की गिरफ्तारी पर जोर देने की कुछ ट्रायल कोर्ट की प्रथा गलत है और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 170 के इरादे के विपरीत है।

    अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील में कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत का मानना ​​है कि जब तक व्यक्ति को हिरासत में नहीं लिया जाता, तब तक CrPC की धारा 170 के तहत चार्जशीट को रिकॉर्ड में नहीं लिया जाएगा।

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    एससी कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए तीन महिला न्यायाधीशों सहित नौ नामों की सिफारिश की

    सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार हाईकोर्ट की तीन महिला न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के लिए की गई है।

    मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल नागेश्वर राव की सदस्य वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना; न्यायमूर्ति हिमा कोहली, तेलंगाना हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश और गुजरात हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी के नामों की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के लिए सिफारिश की है।

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    कॉलेजियम की सिफारिशों की अटकलों वाली मीडिया रिपोर्टों से बेहद परेशान : सीजेआई रमाना

    भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना ने बुधवार को कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों के बारे में मीडिया की अटकलों से "बेहद परेशान" हैं।

    उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया "पवित्र" है और "इससे कुछ गरिमा जुड़ी हुई है"। उन्होंने कहा कि उदाहरण है कि ऐसी "गैर-जिम्मेदार रिपोर्टिंग और अटकलों" के कारण उज्ज्वल प्रतिभाओं के योग्य कैरियर की प्रगति समाप्त हो गई है।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश ने ऐसे गंभीर मामले पर अधिकांश वरिष्ठ पत्रकारों और मीडिया घरानों द्वारा संयम बरतने और अटकलें न लगाने पर दिखाई गई परिपक्वता और जिम्मेदारी की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसे पेशेवर पत्रकार और नैतिक मीडिया विशेष रूप से सुप्रीम कोर्ट और सामान्य रूप से लोकतंत्र की असली ताकत हैं।

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    'पीड़ित किरायेदार' SARFAESI कार्यवाही के खिलाफ किराया अधिनियम के किसी भी संरक्षण का हकदार नहींः सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़ित किरायेदार सरफेसी (SARFAESI) कार्यवाही के खिलाफ किराया अधिनियम के किसी भी संरक्षण का हकदार नहीं है। एक किरायेदार, जिसकी मकान में रहने की अनुमेय अवधि समाप्त हो चुकी हो, लेकिन उसने मकान खाली नहीं किया है, उसे "पीड़ित किरायेदार" कहा जाता है।

    जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ कहा, एक पंजीकृत इंस्ट्रूमेंट की अनुपस्थिति में यदि किरायेदार केवल एक अपंजीकृत इंस्ट्रूमेंट या कब्जे के डिल‌िवरी के साथ एक मौखिक समझौते पर निर्भर करता है तो किरायेदार संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत निर्धारित अवधि से अधिक के लिए सुरक्षित संपत्ति के कब्जे का हकदार नहीं है।

    मामला: हेमराज रत्नाकर सालियान बनाम एचडीएफसी बैंक लिमिटेड [सीआरए 843-844 ऑफ 2021]

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    पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख से संबंधित तबादलों और पोस्टिंग मामलों की सीबीआई जांच के खिलाफ महाराष्ट्र राज्य की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख से संबंधित तबादलों और पोस्टिंग मामलों की जांच करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो ("सीबीआई") को अनुमति देने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र राज्य द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी।

    पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद इस्तीफा दे दिया था।

    याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल चिटनिस से पूछा कि जब संवैधानिक न्यायालयों ने सीबीआई की जांच को मंजूरी दी है तो इस कोर्ट को सीबीआई जांच में क्यों दखल देना चाहिए।

    केस शीर्षक: महाराष्ट्र राज्य बनाम सीबीआई

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    सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को एनडीए एक्ज़ाम में बैठने की अनुमति देते हुए अंतरिम आदेश पारित किया

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महिलाओं को 5 सितंबर को होने वाली राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की प्रवेश परीक्षा देने की अनुमति देने के लिए अंतरिम आदेश पारित किया।

    परिणाम याचिकाओं के अंतिम निर्णय के अधीन होगा। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने कुश कालरा द्वारा दायर एक रिट याचिका में अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें महिला उम्मीदवारों को एनडीए परीक्षा में बैठने की अनुमति देने की मांग की गई थी।

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    पेगासस : सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक आयोग का गठन करने वाली पश्चिम बंगाल सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने से किया इनकार, पक्षकारों को नोट‌िस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पेगासस स्पाइवेयर मामले की जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित करने की अधिसूचना पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडबेंच ने हालांकि रिट याचिका पर नोटिस जारी किया था और इसमें शामिल सभी पक्षकारों, यू‌नियन ऑफ इंडिया, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालया और पश्चिम बंगाल राज्य की प्रतिक्रिया मांगी।

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    "हम एक सप्ताह या दस दिन बाद फिजिकल मोड में सुनवाई कर सकते हैं": सीजेआई एनवी रमाना ने सुप्रीम कोर्ट में जल्द ही फिर से फिजिकल मोड में सुनवाई शुरू करने के संकेत दिए

    भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना ने बुधवार को संकेत दिया कि सुप्रीम कोर्ट में फिजिकल सुनवाई जल्द ही फिर से शुरू हो सकती है।

    सीजेआई रमाना ने सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा कि,

    "हम एक सप्ताह या दस दिन बाद फिजिकल मोड में सुनवाई कर सकते हैं।"

    भारत के मुख्य न्यायाधीश ने ट्राई टैरिफ आदेश (TRAI Tariff Order) से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। जब मामले की सुनवाई चल रही थी, तभी सीजेआई ने वर्चुअल सुनवाई के दौरान आने वाली कुछ समस्याओं के बारे में कहा।

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    मोटर दुर्घटना मुआवजे के निर्धारण की प्रक्रिया एक सतत परमादेश से नहीं हो सकती, यह एक ही बार में होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुआवजे का निर्धारण करते समय, एक अदालत बीमा कंपनी को घायल दावेदार के कृत्रिम अंग के निरंतर रखरखाव का निर्देश नहीं दे सकती है।

    न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि इस तरह के मुआवजे के निर्धारण की प्रक्रिया, बोलचाल की भाषा में, निरंतर परमादेश द्वारा नहीं हो सकती है, और इस तरह का निर्धारण एक ही बार में होना चाहिए।

    इस मामले में, एक दावेदार द्वारा दायर अपील की अनुमति देते हुए, हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि उसे आजीवन वारंटी युक्त अच्छी गुणवत्ता का कृत्रिम अंग दिया जाएगा। यह भी निर्देश दिया गया था कि यदि कोई मरम्मत या प्रतिस्थापन किया जाना है, तो वह बीमा कंपनी द्वारा किया जाना चाहिए और यह कि पीड़ित से वर्ष में कम से कम दो बार कृत्रिम अंग के काम करने की स्थिति के बारे में एक ईमेल के साथ पूछताछ करनी चाहिए, जिसमें पता और टेलीफोन नंबर निर्दिष्ट हो।

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    केवल गैर-प्रतिनिधित्व या अभियुक्त के वकील की चूक के लिए आपराधिक अपील खारिज नहीं की जा सकती, सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई कोर्ट किसी आरोपी द्वारा दायर अपील को केवल इसलिए खारिज नहीं कर सकता कि आरोपी की ओर से प्रतिनिधित्व नहीं किया गया या उसके वकील ने कोई चूक की है।

    न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि यदि आरोपी अपने वकील के माध्यम से पेश नहीं होता है, तो कोर्ट न्याय मित्र नियुक्त करने के बाद ही मामले की सुनवाई के लिए बाध्य है।

    इस मामले में, मद्रास उच्च न्यायालय ने गैर-अभियोजन के लिए अभियुक्त की आपराधिक अपील को इस आधार पर खारिज कर दिया कि अपीलकर्ता की ओर से या तो व्यक्तिगत रूप से या रिकॉर्ड पर वकील के माध्यम से कोई प्रतिनिधित्व नहीं आया था।

    केस: के. मुरुगनंदम बनाम सरकार [एसएलपी (क्रिमिनल) डायरी 8150/2021]

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    सुप्रीम कोर्ट ने जजों की सुरक्षा के मामले में हलफनामा दाखिल नहीं करने पर राज्यों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्यों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन एडवोकेट्स वेलफेयर फंड में जमा करने के निर्देश दिए। दरअसल, राज्य न्यायाधीशों की सुरक्षा के उपायों के विवरण के बारे में शीर्ष अदालत को सूचित करने में विफल रहे।

    सीजेआई एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने राज्यों को 10 दिनों के भीतर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा, बशर्ते कि वे लागत जमा करें।

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    ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ाना सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का मजाक, कॉमन काज की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा

    सुप्रीम कोर्ट में 13 नवंबर, 2020 के उस आदेश को चुनौती देते हुए, जिसमें पूर्वव्यापी रूप से प्रवर्तन निदेशालय के वर्तमान निदेशक, संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल में संशोधन किया गया था, वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कॉमन कॉज द्वारा दायर एक याचिका में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि शक्ति को एक उचित तरीके से समझा जाना था, अनुचित तरीके से नहीं। दवे ने प्रस्तुत किया कि कार्यकाल विस्तार प्रकाश सिंह के मामले में शीर्ष न्यायालय के फैसले का मजाक है।

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    AIBE-XVI परीक्षा 24 अक्टूबर को आयोजित होगी; ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की समय सीमा 15 सितंबर तक बढ़ाई गई

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 24 अक्टूबर, 2021 को अखिल भारतीय बार परीक्षा-XVI (AIBE-XVI) आयोजित करने का निर्णय लिया है। काउंसिल ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फॉर्म की अंतिम तिथि भी 15 सितंबर, 2021 तक बढ़ा दी है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा विभिन्न बार काउंसिल, अधिवक्ताओं और यहां तक ​​​​कि कई छात्रों से प्राप्त अनुरोध के आधार पर यह निर्णय लिया गया है।

    इनमें वे छात्र भी शामिल हैं जिनकी एलएलबी की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं देश में COVID-19 महामारी की स्थिति के कारण विलंबित हो गईं। इसलिए वे जल्द से जल्द नामांकन और परीक्षा देने के लिए उत्सुक हैं।

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    आरबीआई की आरटीआई नोटिस के खिलाफ बैंकों की याचिकाएं: मामले जस्टिस नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच को भेजे गए

    सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ ने मंगलवार को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आरटीआई नोटिस को चुनौती देने वाली विभिन्न बैंकों द्वारा दायर रिट याचिकाओं के एक बैच को जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ को भेज दिया।

    जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने मामलों को जस्टिस राव की पीठ को भेज दिया क्योंकि उस पीठ ने पहले मामले में पिछले मुकदमों का निपटारा किया था। भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एक्सिस बैंक, आईसीआईसी बैंक आदि ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उन्हें धारा 11( 1) आरटीआई अधिनियम के तहत वित्तीय वर्ष 17-18 और वित्त वर्ष 18-19 के सालों की निरीक्षण रिपोर्ट या जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट के प्रकटीकरण के संबंध में दिए गए नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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    [जंतर मंतर और वैसी घटनाएं] अधिकारियों को ड्यूटी दी जाए कि पहले से घोषित घृणास्पद भाषणों को रोकें, सुप्रीम कोर्ट में य‌ाचिका

    दिल्ली के जंतर मंतर पर कथित सांप्रदायिक नारेबाजी और वैसी ही अन्य घटनाओं की पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई है, जिसमें सार्वजनिक स्‍थलों पर पूर्व-घोषित घृणास्पद भाषणों पर रोक लगाने की मांग की गई है।

    याचिका योजना आयोग की पूर्व सदस्य डॉ. सैयदा हमीद और दिल्ली विश्वविद्यालय और आईआईटी, दिल्ली के पूर्व अध्यापक प्रो आलोक राय ने दायर की है। उन्होंने अदालत से यह स्वीकार करने का आग्रह किया है कि पब्‍ल‌िक अथॉर‌िटीज़ के पास घृणास्पद भाषणों को रोकने का "देखभाल का कर्तव्य" है और जब वे संवैधानिक और वैधानिक कानूनों का उल्लंघन कर इस प्रकार के भाषणों की जानबूझकर अनुमति देते हैं, तो उनकी दायित्व की रूपरेखा को परिभाषित हो।

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    न्यायाधीशों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर की सुरक्षा व्यवस्था व्यवहारिक नहीं; न्यायालयों की सुरक्षा राज्यों पर छोड़ी जाए: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

    केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि न्यायाधीशों और अदालतों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (Central Industrial Security Force) या रेलवे सुरक्षा बल (Railway Protection Force) की तर्ज पर एक समर्पित राष्ट्रीय स्तर की सुरक्षा व्यवस्था व्यवहारिक नहीं है। केंद्र ने कुछ सप्ताह पहले झारखंड के धनबाद में एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की हत्या के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए स्वत: संज्ञान मामले में यह दलील दी।

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    पेगासस जासूसी मुद्दा: सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए दायर याचिका पर केंद्र को एडमिशन से पहले नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पेगासस जासूसी विवाद की जांच की मांग वाली याचिकाओं के एक बैच पर केंद्र सरकार को प्रवेश से पहले नोटिस जारी किया।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, ‌जस्टिस सूर्यकांत और ‌जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने पेगासस स्पाइवेयर के जरिए कार्यकर्ताओं, राजनेताओं, पत्रकारों और संवैधानिक इकाई के सदस्यों की कथित जासूसी की रिपोर्टों की न्यायिक जांच की मांग की विशेष जांच दल या अदालत की निगरानी में कराने की मांग कर रही याच‌िकाओं के बैच की सुनवाई 10 दिनों के लिए आगे बढ़ा दी है।

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    PMLA- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, उन मामलों में सुनवाई या जांच पर रोक नहीं होगी, जिनमें बिना शर्त कठोर कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया गया है

    सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई करते हुए, जिनमें प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्र‌िंग एक्ट (PMLA) के मामलों में गिरफ्तारी पर रोक का अंतरिम आदेश दिया गया था, कहा कि उन मामलों में सुनवाई या जांच पर कोई रोक नहीं होगी, जिनमें बिना शर्त कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया गया है।

    याचिकाकर्ताओं को जांच में सहयोग करने और उन्हें कानून के तहत उपलब्ध उपयारों का सहारा लेने की स्वतंत्रता देने का निर्देश देते हुए, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पूर्ण पीठ ने अपने आदेश में कहा, इस अदालत द्वारा पारित आदेश के संबंध में, यह बिना किसी कठोर कदम से संबंधित है। इस आदेश का परिणाम परीक्षण या जांच पर रोक नहीं है। यह कानून के अनुसार आगे बढ़ेगा। संबंधित मामलों में याचिकाकर्ता कानून के अनुसार उपचार का उपयोग कर सकते हैं।"

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    मोटर दुर्घटना दावा याचिका घायल दावेदार की मृत्यु पर समाप्त नहीं होती: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक मोटर दुर्घटना दावा याचिका घायल दावेदार की मृत्यु के बाद भी समाप्त नहीं होती है।

    न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी की पीठ ने कहा कि संपत्ति के नुकसान के संबंध में उत्तराधिकारियों और कानूनी प्रतिनिधियों के मुकदमा करने का अधिकार जीवित रहता है ।

    कोर्ट ने कहा कि संपत्ति के नुकसान में दवाओं, उपचार, आहार, परिचारक, डॉक्टर की फीस आदि खर्च तथा आय और भविष्य की संभावनाएं भी शामिल होंगी, जिससे संपत्ति में उचित वृद्धि हुई होती, लेकिन अचानक हुए खर्च को पूरा करने में घायल, जिसकी बाद में मौत हो गयी थी, की संपत्ति समाप्त हो गयी थी।

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    पति के इलाज के लिए पत्नी ने सहायता मांगी; अस्पताल ने 15% छूट दी; सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राष्ट्रीय नीति के तहत आवेदन करने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने पति के फेफड़ों के ट्रांसप्लांट के लिए वित्तीय सहायता मांगने वाली पत्नी से कहा कि वह भारत सरकार द्वारा 2021 में बनाई गई राष्ट्रीय नीति के तहत गंभीर बीमारियों के लिए वित्तीय सहायता के लिए आवेदन करे।

    न्यायमूर्ति नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की खंडपीठ ने कहा कि वे याचिकाकर्ता को वित्तीय सहायता के लिए प्रतिवादी 1-5 के लिए एक प्रतिनिधित्व करने की अनुमति देने से बेहतर कुछ नहीं कर सकते हैं, जिस पर विचार किया जा सकता है। पांच प्रतिवादियों में भारत संघ, पीएम केयर्स फंड, पीएम राष्ट्रीय राहत कोष, मध्य प्रदेश राज्य, मुख्यमंत्री राहत कोष और कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज शामिल हैं।

    केस का शीर्षक: शीला मेहरा बनाम भारत संघ एंड अन्य

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    गौरी लंकेश मर्डर केस: सुप्रीम कोर्ट 8 सितंबर को आरोपियों के खिलाफ KCOCA आरोपों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा

    सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले में दायर याचिका को अंतिम चरण की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। गौरी लंकेश की 2017 में बेंगलुरु में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

    इस मामले में गौरी लंकेश की बहन फिल्म निर्माता कविता लंकेश ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है। याचिका में कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती दी जिसने कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के तहत आरोपों को खारिज कर दिया।

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    "हमें एक नियुक्ति दिखाइए जो आपने की है": ट्रिब्यूनल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- पढ़ें पूरा कोर्ट रूम एक्सचेंज

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूछा कि हाल ही में पारित ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट, 2021 के पीछे केंद्र का तर्क क्या है, जबकि कोर्ट ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (रेशनलाइजेशन एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) ऑर्डिनेंस, 2021 को खारिज कर दिया था।

    भारत मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और ज‌स्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के गठन के लिए निर्देश मांगने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे जीएसटी अधिनियम के 4 साल बाद भी स्थापित नहीं किया गया है।

    पिछले बार, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से देश भर के न्यायाधिकरणों में रिक्तियों को समय पर भरने के संबंध में "स्पष्ट रुख" रखने को कहा था।

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    COVID-19 पीड़ितों के परिजन मुआवजा के हकदार: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिशानिर्देश तैयार करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को COVID-19 के कारण हुई लोगों की मौत के आश्रितों को अनुग्रह सहायता के भुगतान के लिए सिफारिशें करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया।

    न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसरण में दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के लिए चार सप्ताह का समय बढ़ाने की मांग करने वाली भारत सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

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    'पेगासस जासूसी मामले से संबंधित सभी मुद्दों की जांच के लिए विशेषज्ञों की समिति का गठन करेंगे': केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें कहा है कि केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित की जाएगी जो कथित पेगासस जासूसी मामले से संबंधित सभी मुद्दों की जांच करेगी।

    इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पेगासस के माध्यम से मोबाइल इंटरसेप्शन के सभी आरोपों से इनकार करते हुए प्रस्तुत किया कि,

    "कुछ निहित स्वार्थों द्वारा फैलाए गए किसी भी झूठी आख्यान को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के उद्देश्य से भारत सरकार विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगा जो इस मुद्दे के सभी पहलुओं की जांच करेगी।"

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    क्या कोई विलेख पूर्ण हस्तांतरण से संबंधित है या सशर्त बिक्री द्वारा मॉर्गेज? पार्टियों की मंशा तय करती है : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस बात पर विचार करने के लिए कि क्या कोई दस्तावेज पूर्ण बिक्री से संबंधित है या सशर्त बिक्री द्वारा मॉर्गेज किया गया है, पार्टियों के इरादे पर विचार किया जाना चाहिए।

    संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 58 सशर्त बिक्री द्वारा मॉर्गेज को निम्नानुसार परिभाषित करती है:

    "जहां गिरवी रखने वाला इस शर्त पर गिरवी रखी गई संपत्ति को प्रकट रूप से बेचता है कि एक निश्चित तिथि पर मॉर्गेज-राशि के भुगतान में चूक होने पर बिक्री पूर्ण हो जाएगी, या इस शर्त पर कि इस तरह के भुगतान किए जाने पर बिक्री रद्द हो जाएगी, या इस शर्त पर कि इस तरह के भुगतान पर खरीदार विक्रेता को संपत्ति हस्तांतरित करेगा, लेनदेन को सशर्त बिक्री द्वारा मॉर्गेज कहा जाता है और बंधक लेने वाले को सशर्त बिक्री द्वारा मॉर्गेजी (गिरवीदाता) कहा जाता है।"

    केस: भीमराव रामचंद्र खलाटे (मृतक) बनाम नाना दिनकर यादव (तानपुरा); सीए 10197/2010

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