PMLA Review: सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदनलाल चौधरी के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पीठ का पुनर्गठन किया

Shahadat

5 May 2025 5:58 AM

  • PMLA Review: सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदनलाल चौधरी के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पीठ का पुनर्गठन किया

    सुप्रीम कोर्ट 7 मई को विजय मदनलाल चौधरी के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। इस फैसले में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के विभिन्न प्रावधानों को बरकरार रखा गया था।

    उल्लेखनीय है कि जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस सीटी रविकुमार (रिटायर) और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ इस मामले को देख रही थी। हालांकि, जस्टिस रविकुमार के रिटायरमेंट के बाद पीठ के पुनर्गठन की आवश्यकता उत्पन्न हुई।

    अब जस्टिस कांत और जस्टिस भुयान के अलावा जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह को शामिल करके पीठ का पुनर्गठन किया गया। सुनवाई 7 मई को दोपहर 02:00 बजे होगी।

    मामले की पृष्ठभूमि

    वीएमसी का फैसला 27 जुलाई, 2022 को जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ द्वारा सुनाया गया था। इस निर्णय के माध्यम से धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के कुछ प्रावधानों को बरकरार रखा गया। इनमें शामिल हैं -

    (i) PMLA की धारा 5, 8(4), 15, 17 और 19, जो प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गिरफ्तारी, कुर्की, तलाशी और जब्ती की शक्ति से संबंधित हैं।

    (ii) PMLA की धारा 24, जो सबूत के रिवर्स बर्डन से संबंधित है (इस संबंध में न्यायालय ने कहा कि प्रावधान का अधिनियम के उद्देश्यों के साथ "उचित संबंध" है)।

    (iii) PMLA की धारा 45, जो जमानत के लिए "दोहरी शर्तें" प्रदान करती है (इस संबंध में यह कहा गया कि संसद 2018 में निकेश ताराचंद शाह में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भी प्रावधान को संशोधित करने के लिए सक्षम थी, जिसने शर्तों को खारिज कर दिया)।

    इस निर्णय के बाद तत्काल पुनर्विचार याचिकाएं (नंबर में 8) दायर की गईं।

    जस्टिस खानविलकर के रिटायर होने के बाद तत्कालीन सीजेआई एनवी रमना ने याचिकाओं पर विचार करने के लिए पीठ की अध्यक्षता की। 25 अगस्त, 2022 को नोटिस जारी करते हुए सीजेआई रमना की अगुवाई वाली पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि फैसले के कम से कम दो निष्कर्षों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है - पहला, प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ECIR; मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में FIR के बराबर) की कॉपी अभियुक्त को नहीं दी जानी चाहिए, दूसरा, निर्दोषता के अनुमान को उलटने का अधिकार बरकरार रखना।

    इसके बाद न्यायालय ने पुनर्विचार याचिकाओं की ओपन कोर्ट में सुनवाई के लिए आवेदन को अनुमति दी। नोटिस जारी होने के बाद से याचिकाओं को पहली बार 7 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया। इस तिथि पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर मामले को स्थगित करना पड़ा, जिन्होंने तैयारी और बहस के लिए कुछ समय मांगा।

    इसके बाद उल्लेख के अनुसार, मामले को 18 सितंबर को सूचीबद्ध किया गया, लेकिन 16 अक्टूबर के लिए फिर से सूचीबद्ध किया गया। उक्त तिथि पर जस्टिस कांत के अवकाश पर होने के कारण इस पर सुनवाई नहीं हो सकी।

    केस टाइटल: कार्ति पी चिदंबरम बनाम प्रवर्तन निदेशालय | आरपी (सीआरएल) 219/2022 (और संबंधित मामले)

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