ताज़ा खबरें

दुकान में व्यवसाय करने के लिए लाइसेंस का अधिकार पार्टी को नीलामी प्लेटफॉर्म के आवंटन के अधिकार के रूप में नहीं देता: सुप्रीम कोर्ट
दुकान में व्यवसाय करने के लिए लाइसेंस का अधिकार पार्टी को नीलामी प्लेटफॉर्म के आवंटन के अधिकार के रूप में नहीं देता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि किसी विशेष दुकान में बिजनेस करने के लिए लाइसेंस, ऑक्‍शन प्लेटफॉर्म के आवंटन के लिए एक पक्ष को अधिकार नहीं देता है, विशेष रूप से, उनकी दुकान के सामने और/या बगल में।जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने कहा, "यहां तक कि हाईकोर्ट द्वारा उचित रूप से कहा गया है, दुकान में व्यवसाय करना और नीलामी मंच पर व्यवसाय करना, दोनों अलग और अलग हैं। केवल इसलिए कि किसी व्यक्ति के पास लाइसेंस है और वह किसी विशेष दुकान में व्यवसाय कर रहा है, वह अधिकार के रूप में...

बाध्यकारी निर्णय को चुनौती देने के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका सुनवाई योग्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
बाध्यकारी निर्णय को चुनौती देने के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका सुनवाई योग्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अदालत द्वारा पारित बाध्यकारी फैसले को चुनौती देने के लिए अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की संविधान पीठ ने उस फैसले में भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार की धारा 24(2) की व्याख्या की।याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत इस प्रकार थी,"उचित रिट, आदेश, निर्देश/दिशा-निर्देश जारी करें, जिसमें परमादेश की रिट भी शामिल है और प्रतिवादी को आदेश देने के लिए भूमि...

अतिरिक्त-न्यायिक स्वीकारोक्ति सबूत का एक कमजोर भाग है, इसकी स्वतंत्र पुष्टि की आवश्यकता : सुप्रीम कोर्ट
अतिरिक्त-न्यायिक स्वीकारोक्ति सबूत का एक कमजोर भाग है, इसकी स्वतंत्र पुष्टि की आवश्यकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि अतिरिक्त-न्यायिक स्वीकारोक्ति (Extra-Judicial Confession) साक्ष्य का एक कमजोर भाग है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले पर सुनवाई के दौरान देखा कि अतिरिक्त-न्यायिक स्वीकारोक्ति की विश्वसनीयता तब कम हो जाती है जब आसपास की परिस्थितियां संदिग्ध होती हैं। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कहा कि अदालतें आमतौर पर एक अतिरिक्त न्यायिक स्वीकारोक्ति पर कोई भरोसा करने से पहले एक स्वतंत्र विश्वसनीय पुष्टि की तलाश करेंगी।बेंच ने कहा,"यह कानून का स्थापित...

सीआरपीसी की धारा 313  : सुप्रीम कोर्ट ने अच्छी तरह से स्थापित 10 सिद्धांतों का सारांश दिया
सीआरपीसी की धारा 313 : सुप्रीम कोर्ट ने अच्छी तरह से स्थापित 10 सिद्धांतों का सारांश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) की धारा 313 के संबंध में स्थापित सिद्धांतों को संक्षेप में प्रस्तुत किया। यह प्रावधान आरोपी की जांच करने की शक्ति से संबंधित है। ट्रायल कोर्ट को अभियुक्त से मुकदमे के किसी भी स्तर पर प्रश्न पूछने की शक्ति निहित है, ताकि वह उसके विरुद्ध साक्ष्य में प्रकट होने वाली किन्हीं भी परिस्थितियों को स्पष्ट कर सके। एक बार अभियोजन पक्ष के गवाहों की जांच हो जाने के बाद और अभियुक्त को अपने बचाव के लिए बुलाए जाने से पहले अदालत का यह कर्तव्य है...

सीआरपीसी की धारा 319 का प्रयोग तभी किया जाना चाहिए जब किसी व्यक्ति के खिलाफ मजबूत और ठोस सबूत हो: सुप्रीम कोर्ट
सीआरपीसी की धारा 319 का प्रयोग तभी किया जाना चाहिए जब किसी व्यक्ति के खिलाफ मजबूत और ठोस सबूत हो: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत क्षेत्राधिकार का प्रयोग विवेकाधीन है। इसका प्रयोग तभी किया जाना चाहिए जब किसी व्यक्ति के खिलाफ मजबूत और ठोस सबूत हो।सीआरपीसी की धारा 319 के तहत एक आवेदन को खारिज करते हुए जस्टिस एएस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने जोर देकर कहा कि अदालत को धारा 319 सीआरपीसी के तहत असाधारण शक्ति का प्रयोग एक आकस्मिक तरीके से नहीं करना चाहिए।धारा 319 के तहत आवेदन एक अतिरिक्त अभियुक्त के रूप में अपीलकर्ता को बुलाने के लिए एक शिकायतकर्ता ने दायर...

SCBA सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और नीरज किशन कौल के खिलाफ प्रस्तावों पर विचार करने के लिए जनरल बॉडी मीटिंग बुलाएगा
SCBA सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और नीरज किशन कौल के खिलाफ प्रस्तावों पर विचार करने के लिए जनरल बॉडी मीटिंग बुलाएगा

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के एक वर्ग ने SCBA अध्यक्ष विकास सिंह द्वारा की गई टिप्पणी पर बार की ओर से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) से माफी मांगने पर सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और नीरज किशन कौल के व्यवहार पर नाखुशी जताई। SCBA के 235 सदस्यों ने "मुद्दे को जाने बिना और कार्यकारी समिति में किसी से परामर्श किए बिना" माफी मांगने के लिए सीनियर वकीलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश किया।पिछले गुरुवार को सीजेआई की अदालत में उस समय गरमा-गरम बहस हो गई जब सीनियर एडवोकेट विकास सिंह...

धारा 313 CrPC - अभियुक्त के लिखित बयान पर अभियोजन पक्ष के साक्ष्य के आलोक में विचार किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
धारा 313 CrPC - अभियुक्त के लिखित बयान पर अभियोजन पक्ष के साक्ष्य के आलोक में विचार किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक बार जब अभियुक्त की ओर से दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 313(5) के तहत लिखित बयान दर्ज किया जाता है और ट्रायल कोर्ट इसे एग्जिबिट के रूप में चिह्नित करता है, तो ऐसे बयान को धारा 313(1) सहपठित धारा 313(4) सीआरपीसी के तहत आरोपी के बयान के हिस्से के रूप में माना जाना चाहिए।कोर्ट ने कहा, "लिखित बयान (धारा 313 (5) के तहत) को अभियोजन पक्ष के साक्ष्य के आलोक में मामले की सत्यता या अन्यथा की पुष्टि करने के लिए और इस प्रकार के बयान की सामग्री को मामले की...

बेसिक डिग्री कोर्स किए बिना ओपन यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
बेसिक डिग्री कोर्स किए बिना ओपन यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि एक उम्मीदवार, जिसने बुनियादी डिग्री पाठ्यक्रम से गुजरे बिना मुक्त विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है, वह मान्य नहीं है।जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कहा कि क्या बुनियादी स्नातक पाठ्यक्रम से गुजरे बिना ओपन यूनिवर्सिटी से प्राप्त स्नातकोत्तर डिग्री स्वीकार्य है, इसका जवाब पहले ही एक अन्य फैसले - अन्नामलाई विश्वविद्यालय बनाम सरकार, सूचना और पर्यटन विभाग के सचिव में दिया गया था। बेंच ने कहा, "हाईकोर्ट ने एन रमेश बनाम सिबी...

अपहरण के शिकार बच्चे को चुप कराने के लिए डराना-धमकाना जीवन के लिए खतरा साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं: सुप्रीम कोर्ट
अपहरण के शिकार बच्चे को चुप कराने के लिए डराना-धमकाना जीवन के लिए खतरा साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह ए‌क फैसले में कहा, अपहृत बच्चे को मदद मांगने से रोकने के लिए डराना-धमकाना धमकी, जिसके कारण यह उचित आशंका है कि अपहरण किए गए व्यक्ति को चोटिल किया गया है या उसे मार दिया गया है, के तत्व को साबित नहीं करता है, जैसा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 364ए (फिरौती के लिए अपहरण, आदि) के तहत सजा को कायम रखने के लिए आवश्यक है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने फिरौती के लिए ए‌क बच्‍चे के अपहरण के दोषी चार व्यक्तियों ‌की धारा 364ए के तहत दोषसिद्धि को धारा...

अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने के आदेश को रद्द किया जा सकता है अगर ये दंडात्मक हो और अनुशासनात्मक कार्यवाही को रोकने के लिए हो : सुप्रीम कोर्ट
अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने के आदेश को रद्द किया जा सकता है अगर ये दंडात्मक हो और अनुशासनात्मक कार्यवाही को रोकने के लिए हो : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एक राजपत्रित अधिकारी को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने के लिए राष्ट्रपति को संप्रेषित करने के वाले पारित आदेश को रद्द कर दिया, जिसकी आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल के सदस्य (लेखाकार) के रूप में नियुक्ति विचार किया जा रहा था।जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ नेअनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को कानून की दृष्टि से टिकाऊ नहीं मानते हुए कहा कि आदेश प्रकृति में दंडात्मक था और संबंधित...

धारा 438, सीआरपीसी | क्या हाईकोर्ट, सेशन कोर्ट के समक्ष उपलब्ध उपचार को समाप्त नहीं किए बिना दायर अग्रिम जमानत याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा
धारा 438, सीआरपीसी | क्या हाईकोर्ट, सेशन कोर्ट के समक्ष उपलब्ध उपचार को समाप्त नहीं किए बिना दायर अग्रिम जमानत याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा

सुप्रीम कोर्ट पिछले हफ्ते इस प्रश्न पर विचार करने के लिए सहमत हो गया कि क्या हाईकोर्ट दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत के लिए दायर आवेदन पर इस आधार पर विचार करने से इनकार कर सकता है कि आवेदक ने पहले सत्र अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया था।जस्टिस मनोज मिश्रा और अरविंद कुमार की खंडपीठ ने एक अपील पर नोटिस जारी करते हुए कहा, "इस अपील में उठाया गया मुद्दा यह है कि क्या धारा 438 के तहत क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने वाले हाईकोर्ट के पास इस आधार पर इस तरह के आवेदन पर विचार नहीं...

न्यायपालिका की स्वतंत्रता सिर्फ एक सिद्धांत नहीं बल्कि एक नैतिक अनिवार्यता: जस्टिस हिमा कोहली
'न्यायपालिका की स्वतंत्रता सिर्फ एक सिद्धांत नहीं बल्कि एक नैतिक अनिवार्यता': जस्टिस हिमा कोहली

सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस हिमा कोहली हाल ही में कहा, “न्यायपालिका की स्वतंत्रता केवल एक सिद्धांत नहीं बल्कि नैतिक अनिवार्यता है। एक स्वतंत्र न्यायपालिका की प्रासंगिकता को, विशेष रूप से भारत जैसे देश में, जो न केवल 'लोकतांत्रिक गणराज्य' है, बल्कि संविधान में उसे 'संप्रभु, समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य' के रूप में वर्णित किया गया है, अतिरंजित नहीं किया जा सकता है।"ज‌स्टिस हिमा कोहली ने फिक्की की ओर से आयोजित एक सिंपोजियम में उक्त टिप्‍पणी की, जिसका विषय था-'स्वतंत्र न्यायपालिका:...

दिल्ली दंगा, 2020 : जस्टिस मदन लोकुर ने कहा, सच्चाई का पता लगाने के लिए स्वतंत्र जांच आयोग की जरूरत
दिल्ली दंगा, 2020 : जस्टिस मदन लोकुर ने कहा, सच्चाई का पता लगाने के लिए स्वतंत्र जांच आयोग की जरूरत

जस्टिस मदन लोकुर ने हाल ही में सुझाव दिया कि 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के ल‌िए उत्तरदायी सभी कारकों की निष्पक्ष जांच के लिए एक जांच आयोग की स्थापना की आवश्यकता है। साथ ही दंगों से पहले, दंगों के बीच और दंगों के बाद में राज्य और उसके तंत्र की प्रतिक्रिया की पर्याप्तता का भी निर्धारण किया जाना चाहिए।जस्टिस लोकुर ने कहा,"पूरा देश यह जानने का हकदार है कि फरवरी 2020 में यहां क्या हुआ था।" जस्टिस लोकुर 25 फरवरी को राजधानी में फरवरी 2020 में भड़की सांप्रदायिक हिंसा की...

सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और हेट स्पीच से निपटने के लिए कानून की जरूरत: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस रवींद्र भट
सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और हेट स्पीच से निपटने के लिए कानून की जरूरत: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस रवींद्र भट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज जस्टिस एस रवींद्र भट ने कहा कि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और हेट स्पीच के प्रसार से निपटने के लिए कानूनों की जरूरत है।जज ने पिछले महीने हार्वर्ड इंडिया सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि इस मुद्दे को हल करने के लिए एक कानून होना चाहिए और इसकी अनुपस्थिति में न्यायिक हस्तक्षेप होना चाहिए।उन्होंने कहा कि इंटरनेट के माध्यम से मीडिया का तेजी से प्रसार एक दोधारी तलवार रहा है। जबकि सोशल मीडिया ने सूचना प्रसार को आसान बना दिया है, गलत सूचना और फेक न्यूज में वृद्धि बोलने और...

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में 50% महिला आरक्षण की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में 50% महिला आरक्षण की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में महिलाओं के लिए पचास प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के लिए दायर एक याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने यह देखते हुए कि यद्यपि उम्मीदवार ने अपनी श्रेणी में क्वालिफाइंगि मार्क्स प्राप्त नहीं किए थे, लेकिन 'ओवरऑल मेरिट' में कुछ पुरुष उम्मीदवारों की तुलना में अधिक अंक प्राप्त किए होंगे, उक्त टिप्‍पणी की। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के कैडेटों के ‌लिए बना संयुक्त प्रशिक्षण संस्थान है,...

सुप्रीम कोर्ट ने भारत में जंगली जानवरों के ट्रांसफर/आयात की देखरेख के लिए समिति गठित की
सुप्रीम कोर्ट ने भारत में जंगली जानवरों के ट्रांसफर/आयात की देखरेख के लिए समिति गठित की

सुप्रीम कोर्ट ने पूरे भारत भर में जंगली जानवरों के ट्रांसफर या आयात के लिए त्रिपुरा हाईकोर्ट द्वारा गठित एक हाई पावर्ड कमेटी के अधिकार क्षेत्र को बढ़ा दिया है। यह आदेश जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने पारित किया।कर्नाटक राज्य के भीतर निजी व्यक्तियों और विशेष रूप से राधा कृष्ण मंदिर हाथी कल्याण ट्रस्ट को जंगली और बंदी हाथियों के ट्रांसफर/बिक्री/उपहार/सौंपने से संबंधित एक जनहित याचिका के संबंध में एक याचिकाकर्ता द्वारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था।जनहित याचिका में...

भारतीय न्यायपालिका को कभी भी विपक्षी दल की भूमिका निभाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू
भारतीय न्यायपालिका को कभी भी विपक्षी दल की भूमिका निभाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू

केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को कहा कि भारतीय न्यायपालिका को कभी भी विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। हालांकि "कुछ लोग" चाहते हैं कि वह ऐसी भूमिका निभाए।कानून मंत्री ने भुवनेश्वर में केंद्र सरकार के विधि अधिकारियों के कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए कहा,"कुछ लोग न्यायपालिका को विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाने के लिए मजबूर करना चाहते हैं। भारतीय न्यायपालिका इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी। मैं आपको बता सकता हूं कि भारतीय न्यायपालिका खुद भारतीय न्यायपालिका...

 भाईचारा अल्पसंख्यक का बहुसंख्यकों में समावेश नहीं है;  यह मतभेदों  का शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व है : जस्टिस एस रवींद्र भट
" भाईचारा अल्पसंख्यक का बहुसंख्यकों में समावेश नहीं है; यह मतभेदों का शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व है" : जस्टिस एस रवींद्र भट

हार्वर्ड केनेडी स्कूल और हार्वर्ड स्कूल ऑफ बिजनेस के छात्रों द्वारा आयोजित, वार्षिक हार्वर्ड इंडिया सम्मेलन का 20वां संस्करण 11 और 12 फरवरी, 2023 को आयोजित किया गया । इस साल, भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर, सम्मेलन की थीम, " विजन 2047: भारत स्वतंत्रता के 100 वर्षों में," में अगले 25 वर्षों के लिए आशाओं और चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया गया। वैश्विक मंच पर भारत की क्षमता सम्मेलन के कई पैनलों में गहन चर्चा का विषय थी, जिसमें व्यापार, कानून, नीति, सक्रियता, संस्कृति और शिक्षा जगत के...

शिवसेना विवाद । राज्यपाल के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के सवालों पर फिर से एक नज़र
शिवसेना विवाद । राज्यपाल के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के सवालों पर फिर से एक नज़र

शिवसेना में एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे समूहों के बीच विवाद के मामले में राज्यपाल की शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट में लंबी बहस हुई। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष यह मामला विचाराधीन है। सुनवाई के दौरान बेंच ने विश्वास मत हासिल करने और मुख्यमंत्री को शपथ दिलाने की राज्यपाल की शक्तियों से संबंधित कई सवाल किए, खासकर उन मामलों में जहां अयोग्यता के मुद्दे लंबित हैं या जहां सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ सदस्यों की ढेर...