स्तंभ

राम जन्मभूमि विवाद और कानूनी दांव-पेंच: पढ़िए सरकार और अदालत के क़दमों का अबतक का लेखा-जोखा
राम जन्मभूमि विवाद और कानूनी दांव-पेंच: पढ़िए सरकार और अदालत के क़दमों का अबतक का लेखा-जोखा

राम मंदिर पर विवाद का इतिहास आजाद भारत के इतिहास जितना ही विस्तृत है, कई मौकों पर यह मुद्दा या तो राजनीतिक या तो कानूनी लड़ाई में फंसा रहा है। हम आपको आज इस पुरे मुद्दे को संक्षेप में समझने का प्रयास करेंगे।आखिर यह पूरा मामला क्या है?यह विवाद उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में एक जमीन के एक भूखंड को लेकर है। यह विशेष स्थल, हिंदुओं में भगवान राम की जन्मभूमि माना जाता है, लेकिन यहाँ बाबरी मस्जिद भी स्थित रही है। सवाल यह भी उठता रहा है कि क्या मस्जिद बनाने के लिए यहाँ स्थित पहले के एक हिंदू मंदिर को...

NRC, नागरिकता अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट: जानिए कैसे इस मुद्दे पर दशकों से फंसा हुआ है पेंच
NRC, नागरिकता अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट: जानिए कैसे इस मुद्दे पर दशकों से फंसा हुआ है पेंच

आजकल सुप्रीम कोर्ट से लेकर केंद्र सरकार और अख़बारों की सुर्ख़ियों से लेकर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में एक मसला काफी ज्यादा बहस का मुद्दा बना रहा है। यह मुद्दा एनआरसी (NRC) का है। एनआरसी, जिसके असम राज्य के सम्बन्ध को हम मुख्य तौर पर देख रहे हैं, नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स के नाम से जाना जाता है। असं एक मात्रा ऐसा राज्य है, जहाँ ऐसा कोई रजिस्टर अस्तित्व में है। हम इस लेख के माध्यम से यह प्रयास करेंगे कि आपको इस पूरे मुद्दे के बारे में जानकारी दी जा सके।असम में पलायन की शुरुआत असम सरकार के...

एक देश-एक चुनाव : सरकार इसके लिए पहले जनमत बनाए और पूरा होमवर्क करके ही इस पर कोई निर्णय ले
एक देश-एक चुनाव : सरकार इसके लिए पहले जनमत बनाए और पूरा होमवर्क करके ही इस पर कोई निर्णय ले

बजट सत्र की शुरुआत के मौके पर संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में एक बार पुनः लोकसभा तथा विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की आवश्यकता पर बल दिया. प्रधानमंत्री ने भी पिछले कई मौकों पर “एक देश-एक चुनाव” के लिए जनमत बनाने की अपील की है. कहा जा रहा है कि 28 राज्यों वाले देश में हमेशा कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं,जिससे  दैनिक कार्यों में रुकावट आती है और विकास बाधित होता है. सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों एलेक्शन मोड में रहते हैं, आरोपों-प्रत्यारोपों  का सतत दौर चला करता है तथा...

यह सुप्रीम कोर्ट का आतंरिक मामला नहीं, न्यायालय की अस्मिता, स्वतंत्रता और स्वायत्तता का प्रश्न है
यह सुप्रीम कोर्ट का आतंरिक मामला नहीं, न्यायालय की अस्मिता, स्वतंत्रता और स्वायत्तता का प्रश्न है

बारह जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों  द्वारा प्रेस कांफ्रेंस करने की घटना जितनी अप्रत्याशित है उतनी ही विस्मयकारक और दुर्भाग्यपूर्ण। वरिष्ठ जज जब विकल्पहीन हो गए तो उन्हें अपना चैम्बर छोड़, जनता की अदालत में गुहार लगानी पड़ी। गनीमत रही कि उन्होंने मर्यादा बनाये रखी और आरोप-प्रत्यारोप की बजाय व्हिस्ल-ब्लोअर तक ही अपने को सीमित रखा।वरिष्ठ जजों के इस कदम पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं आई  हैं-आ रही हैं । कुछ ने सराहा, कुछ ने इसी बहाने न्यायपालिका में कथित मनमानेपन पर रोष-क्षोभ व्यक्त किया और...

जज लोया केस में तथाकथित ट्विस्ट पर टाइम्स नाऊ रिपोर्ट पूरी तरह से गुमराह करने वाली
जज लोया केस में तथाकथित 'ट्विस्ट' पर टाइम्स नाऊ रिपोर्ट पूरी तरह से गुमराह करने वाली

'टाइम्स नाउ' ने कैप्शन # जेजे लोया ट्विस्ट साथ एक कहानी चलायी है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने तहसीन पूनावाला पर मामला वापस लेने के लिए दबाव डाला था। समाचार चैनल द्वारा एक 'सनसनीखेज मोड़' के रूप में प्रस्तुत किया गया और इस तरह कहानी को स्पिन दिया गया  कि विशेष परिणाम प्राप्त करने के लिए पर्दे के पीछे  एक लॉबी काम कर रही है। जज लोया मामले को इससे प्रासंगिक माना जा रहा है क्योंकि यह व्यापक रूप से माना जाता है कि इस मामले के आवंटन के संबंध में शिकायत...

भारत के लोग आजादी के 70 वर्ष बाद भी अपनी भाषा में न्याय पाने से क्यों हैं वंचित ?
भारत के लोग आजादी के 70 वर्ष बाद भी अपनी भाषा में न्याय पाने से क्यों हैं वंचित ?

भारत दुनिया का अनोखा देश है इस बात को आप ऐसे समझ सकते हैं कि आज़ादी के 70 वर्ष बाद भी भारतीय अपनी भाषा में न्याय पाने से वंचित हैं। क्यों?  आज भी भारत के सुप्रीम कोर्ट  एवं हाई कोर्ट की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी ही है।पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दो बड़े फैसले दिए हैं जिनमे से एक है ‘तीन तलाक’ के मुद्दे पर और दूसरा ‘निजता के अधिकार’ पर। दोनों ही फैसले भारत के सामाजिक और राजनीतिक चिंतन पर महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रभाव डालेंगे। लेकिन जिस तरह से इन फैसलों को अकादमिक क्षेत्रों में लिया जायेगा,  क्या...

राजीव गाँधी हत्याकांड के कुछ सवाल जिनके उत्तर आज तक नहीं मिल पाए हैं
राजीव गाँधी हत्याकांड के कुछ सवाल जिनके उत्तर आज तक नहीं मिल पाए हैं

मैं न्यायमूर्ति डीपी वाधवा और न्यायमूर्ति सैयद शाह मोहम्मद कादरी के साथ सुप्रीम कोर्ट की उस तीन-सदस्यीय पीठ में शामिल था जो राजीव गाँधी हत्या के मामले में अपील की सुनवाई कर रहा था। एलटीटीई (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम) के 26 सदस्यों पर पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या करने का आरोप था और जांच एजेंसियों ने उन्हें दोषी पाया था और सुनवाई अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। जिस अपील की हम सुनवाई कर रहे थे वह सजा पाए अभियुक्तों ने दाखिल किया था और उन्होंने सुनवाई अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। हमने इनमें...

इलाहाबाद हाई कोर्ट भवन की भव्यता को बेरंग करता परिसर के अंदर फैला गंदगी का साम्राज्य
इलाहाबाद हाई कोर्ट भवन की भव्यता को बेरंग करता परिसर के अंदर फैला गंदगी का साम्राज्य

देश में न्यायपालिका के सबसे पुराने भवनों में एक इलाहाबाद हाई कोर्ट के विशाल भवन की भव्यता को देखते ही आप इसके मुरीद हो जाएंगे। औपनिवेशिक भारत की यह भव्य इमारत पिछले डेढ़ सौ सालों से वहाँ खड़ा है। उसने एक से एक ऐसी कानूनी व्यवस्थाएं दी होंगी जो देश के कानूनी इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ होगा। इस भवन में बैठकर पिछले डेढ़ सौ सालों में एक से एक जजों ने इस देश की तकदीर बदल देनेवाले फैसले दिए होंगे और असंख्य लोगों ने उसके फैसलों की दाद दी होगी, उसकी प्रशंसा की होगी, आलोचना की होगी। इस हाई कोर्ट के...

सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निरस्त करने वाले अध्यादेश पर एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश का हस्ताक्षर हास्यास्पद होने के अलावा भी बहुत कुछ है
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निरस्त करने वाले अध्यादेश पर एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश का हस्ताक्षर हास्यास्पद होने के अलावा भी बहुत कुछ है

यह बहुत ही अजीबोगरीब बात है कि भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश को समाप्त करने के लिए एक मुख्यमंत्री के साथ हाथ मिलाए। केरल के वर्तमान राज्यपाल सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं। लेकिन न्यायमूर्ति पी सदाशिवम को अब यह शर्मनाक स्थिति झेलनी पड़ रही है। राज्य के राज्यपाल की हैशियत से सदाशिवम को केरल सरकार के एक अध्यादेश पर हस्ताक्षर करना पड़ा है जिसमें दो स्व-वित्तपोषित मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश को नियमित करने का प्रावधान है। इन दोनों कॉलेजों में प्रवेश की...