बॉम्बे हाईकोर्ट

क्या जाति जांच समितियां स्वतः संज्ञान लेकर जाति प्रमाणपत्रों को मान्य करने वाले अपने ही आदेशों को वापस ले सकती हैं? बॉम्बे हाईकोर्ट की बड़ी बेंच करेगी फ़ैसला
क्या जाति जांच समितियां स्वतः संज्ञान लेकर जाति प्रमाणपत्रों को मान्य करने वाले अपने ही आदेशों को वापस ले सकती हैं? बॉम्बे हाईकोर्ट की बड़ी बेंच करेगी फ़ैसला

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार (4 अगस्त) को यह मामला एक बड़ी पीठ को सौंप दिया ताकि यह तय किया जा सके कि क्या जाति जांच समिति (सीएससी) को जाति प्रमाणपत्रों को वैधता प्रदान करने वाले अपने ही आदेशों को इस आधार पर स्वतः वापस लेने का अधिकार है कि वे धोखाधड़ी, गलत बयानी या तथ्यों को छिपाने के कारण दूषित थे। ज‌स्टिस मनीष पिताले और ज‌स्टिस यशवराज खोबरागड़े की खंडपीठ ने इसी मुद्दे पर विभिन्न खंडपीठों के अलग-अलग विचारों को देखते हुए, यह राय व्यक्त की कि इस मुद्दे को एक बड़ी पीठ के माध्यम से 'आधिकारिक रूप से'...

Mumbai Police
"पुलिस किसी का पक्ष क्यों ले रही है?", बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुस्लिम परिवार की FIR दर्ज करने से इनकार करने पर पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (5 अगस्त) को पुणे पुलिस के एक थाना प्रभारी (SHO) के आचरण पर हैरानी जताई, जिन्होंने एक मुस्लिम परिवार की शिकायत पर इस आधार पर FIR दर्ज करने से इनकार कर दिया कि एक हिंदू परिवार द्वारा रोड रेज के एक मामले में उनके खिलाफ पहले ही FIR दर्ज की जा चुकी है। अदालत ने पुणे के पुलिस आयुक्त को संबंधित अधिकारी के खिलाफ 'कड़ी' कार्रवाई करने का आदेश दिया।जस्टिस रवींद्र घुगे और जस्टिस गौतम अंखड की खंडपीठ ने कहा कि रोड रेज की शुरुआत हिंदू परिवार - केसवानी परिवार - के घर के बाहर हॉर्न...

एल्गर परिषद मामले के आरोपी ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया, बीमार पिता से मिलने के लिए अंतरिम ज़मानत मांगी
एल्गर परिषद मामले के आरोपी ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया, बीमार पिता से मिलने के लिए अंतरिम ज़मानत मांगी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार (6 अगस्त) को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को भीमा कोरेगांव एल्गर परिषद मामले के आरोपी रमेश गायचोर द्वारा दायर याचिका पर निर्देश प्राप्त करने और जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। गायचोर ने अपने बीमार पिता से मिलने के लिए अस्थायी ज़मानत मांगी है।जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस राजेश पाटिल की खंडपीठ ने NIA को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ़्ते का समय दिया।गाइचोर ने स्पेशल कोर्ट के 1 जुलाई, 2025 के आदेश को चुनौती दी, जिसने उनकी अंतरिम ज़मानत याचिका खारिज कर दी थी।गाइचोर के अनुसार उनके...

प्राथमिक न्यायालय ज़िला परिषद और पंचायत समितियों अधिनियम के तहत अधिकारियों के विरुद्ध वाद दायर करने की नोटिस अवधि को माफ नहीं कर सकता : बॉम्बे हाईकोर्ट
प्राथमिक न्यायालय ज़िला परिषद और पंचायत समितियों अधिनियम के तहत अधिकारियों के विरुद्ध वाद दायर करने की नोटिस अवधि को माफ नहीं कर सकता : बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि महाराष्ट्र ज़िला परिषद और पंचायत समितियां अधिनियम की धारा 280 तथा महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम की धारा 180 के तहत वाद दायर करने से पूर्व अनिवार्य नोटिस देने की जो शर्त है, उसे प्राथमिक न्यायालय माफ नहीं कर सकता। यह स्थिति दीवानी प्रक्रिया संहिता (CPC) की धारा 80(2) से अलग है, जो सीमित विवेकाधिकार प्रदान करती है। कोर्ट ने कहा कि इन प्रावधानों का अनुपालन न होने की स्थिति में वाद सुनवाई योग्य नहीं माना जाएगा।जस्टिस शैलेश पी. ब्रह्मे ने यह टिप्पणी उस सिविल...

क्या संविधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों पर फिल्म बनाने का कोई नियम-विरोध है : बॉम्बे हाईकोर्ट ने CBFC से पूछा, कहा- अजेय फिल्म देखें और प्रमाणन पर निर्णय लें
"क्या संविधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों पर फिल्म बनाने का कोई नियम-विरोध है : बॉम्बे हाईकोर्ट ने CBFC से पूछा, कहा- 'अजेय' फिल्म देखें और प्रमाणन पर निर्णय लें

बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को निर्देश दिया कि वह 'अजेय' फिल्म को देखकर उस पर प्रमाणन (सर्टिफिकेशन) को लेकर विधिसम्मत निर्णय ले। यह फिल्म उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित एक पुस्तक पर आधारित है।जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ ने नाराजगी जताई कि CBFC ने 17 जुलाई को अदालत में यह कहकर आश्वासन दिया कि वह नियमों के अनुसार निर्णय लेगा। फिर भी उसने फिल्म देखे बिना ही फिल्म निर्माताओं का आवेदन अस्वीकार कर दिया।कोर्ट...

कैदियों को फर्लो की अनुमति देने का उद्देश्य सामाजिक पुनर्वास, केवल अधिक समय तक बाहर रुकने के आधार पर लगातार फर्लो से इनकार करना उचित नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
कैदियों को फर्लो की अनुमति देने का उद्देश्य सामाजिक पुनर्वास, केवल अधिक समय तक बाहर रुकने के आधार पर लगातार फर्लो से इनकार करना उचित नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि फर्लो के दौरान अधिक समय तक बाहर रुकने की पुरानी घटनाएं विशेष रूप से अगर वे एक दशक पहले हुई हों, अपने आप में फर्लो अवकाश से बार-बार इनकार करने का आधार नहीं हो सकतीं, खासकर जब से दोषी को तब से रिहा ही नहीं किया गया हो। कोर्ट ने दोहराया कि इस प्रकार का इनकार फर्लो की मूल भावना यानी सुधार और सामाजिक पुनःएकीकरण के उद्देश्य को विफल करता है।जस्टिस अनिल एल. पंसारे और जस्टिस एम.एम. नेर्लीकर की खंडपीठ आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषी द्वारा दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई कर...

बिना स्टांप वाले एग्रीमेंट के आधार पर अस्थायी निषेधाज्ञा नहीं दी जा सकती, भले ही प्रतिवादी ने इसे मान लिया हो: बॉम्बे हाईकोर्ट
बिना स्टांप वाले एग्रीमेंट के आधार पर अस्थायी निषेधाज्ञा नहीं दी जा सकती, भले ही प्रतिवादी ने इसे मान लिया हो: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि अगर कोई समझौता बिना स्टांप और रजिस्ट्री के है, तो उस पर भरोसा करके अंतरिम रोक का आदेश नहीं दिया जा सकता। भले ही प्रतिवादी मान ले कि उसने समझौता किया है, लेकिन ऐसे दस्तावेज़ कानून में मान्य नहीं होते जब तक कि भारतीय स्टाम्प अधिनियम के तहत सही तरह से स्टांप और पंजीकरण न हो।जस्टिस एसजी चपलगांवकर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें ट्रायल कोर्ट और अपीलीय अदालत द्वारा पारित समवर्ती आदेशों को चुनौती दी गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ अस्थायी निषेधाज्ञा दी गई थी,...

अवैध मंजूरी के कारण भ्रष्टाचार के आरोपी लोक सेवक को सेवामुक्त करने से मंजूरी मिलने के बाद दूसरे मुकदमे पर रोक नहीं लगती: बॉम्बे हाईकोर्ट
अवैध मंजूरी के कारण भ्रष्टाचार के आरोपी लोक सेवक को सेवामुक्त करने से मंजूरी मिलने के बाद दूसरे मुकदमे पर रोक नहीं लगती: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी लोक सेवक के विरुद्ध भ्रष्टाचार के लिए सक्षम प्राधिकारी से वैध मंजूरी के बिना अभियोजन शुरू किया जाता है तो पूरा मुकदमा ही अमान्य हो जाता है यदि बाद में वैध मंजूरी प्राप्त कर ली जाती है तो नए मुकदमे पर रोक नहीं लगती। न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस तरह से सेवामुक्त करने से समाज में गलत संदेश जाएगा।जस्टिस उर्मिला जोशी फाल्के एडीशनल सेशन जज द्वारा प्रतिवादी के पक्ष में पारित सेवामुक्ति आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थीं। प्रतिवादी पर...

तलाक की कार्यवाही में पत्नी द्वारा पति पर नपुंसकता का आरोप लगाना मानहानि नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
तलाक की कार्यवाही में पत्नी द्वारा पति पर नपुंसकता का आरोप लगाना मानहानि नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महिला, उसके भाई और पिता के खिलाफ मानहानि का मामला खारिज करते हुए कहा कि तलाक की याचिका या FIR में पत्नी द्वारा अपने पति को 'नपुंसक' बताना मानहानि नहीं माना जाएगा।जस्टिस श्रीराम मोदक की एकल पीठ ने कहा कि पत्नी द्वारा यह आरोप लगाना कि उसका पति नपुंसक है और इससे उसे मानसिक क्रूरता हुई है, उचित है।जज ने 17 जुलाई को पारित आदेश में कहा,"हिंदू विवाह याचिका में नपुंसकता के आरोप अत्यंत प्रासंगिक हैं। अर्थात्, जब पत्नी यह आरोप लगाती है कि नपुंसकता के कारण पत्नी को मानसिक...

पति का दोस्त उसका रिश्तेदार नहीं, उस पर IPC की धारा 498ए के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट
पति का दोस्त उसका रिश्तेदार नहीं, उस पर IPC की धारा 498ए के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने हाल ही में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज FIR खारिज करते हुए फैसला दिया कि पति का पुरुष मित्र उसका रिश्तेदार नहीं है। इसलिए उस पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498ए के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।जस्टिस अनिल पानसरे और जस्टिस महेंद्र नेर्लिकर की खंडपीठ ने कहा कि उनके समक्ष प्रस्तुत आवेदकों में से एक पति का दोस्त है, जिसका नाम शिकायतकर्ता पत्नी ने अपने पति और उसके माता-पिता के खिलाफ दर्ज FIR में दर्ज किया।जजों ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऑपरेशन सिंदूर की प्रशंसा वाले संदेशों पर हंसने वाली इमोजी के साथ प्रतिक्रिया देने वाली महिला के खिलाफ FIR रद्द करने से इनकार किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऑपरेशन सिंदूर की प्रशंसा वाले संदेशों पर 'हंसने वाली इमोजी' के साथ प्रतिक्रिया देने वाली महिला के खिलाफ FIR रद्द करने से इनकार किया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (29 जुलाई) कहा कि व्हाट्सएप ग्रुप में 'ऑपरेशन सिंदूर' के जश्न पर 'हंसने वाला इमोजी' भेजना, भारतीय ध्वज को जलाने और प्रधानमंत्री को रॉकेट पर बैठे हुए दिखाने वाला वीडियो स्टेटस डालना भारत की संप्रभुता, अखंडता और एकता को खतरे में डालने और दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का अपराध होगा। जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस राजेश पाटिल की खंडपीठ ने पेशे से शिक्षिका फराह दीबा (46) के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया। फराह ने पुणे में तब हंगामा मचा दिया था जब...

[धारा 438 BNSS ] पुनर्विचार अधिकार क्षेत्र की सीमा से बाहर जाकर आदेश पारित नहीं कर सकता सेशन कोर्ट: बॉम्बे हाईकोर्ट
[धारा 438 BNSS ] पुनर्विचार अधिकार क्षेत्र की सीमा से बाहर जाकर आदेश पारित नहीं कर सकता सेशन कोर्ट: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 438 के तहत सेशन कोर्ट को केवल अधीनस्थ आपराधिक कार्यवाहियों में पारित आदेशों की वैधता की जांच करने और उनके प्रवर्तन को रोकने तक ही सीमित अधिकार है। वह किसी संपत्ति के कब्जे की यथास्थिति में बदलाव लाने वाले आदेश पारित नहीं कर सकता, विशेषकर जब मूल कार्यवाही सार्वजनिक शांति बनाए रखने के उद्देश्य से BNSS की धारा 164 के तहत हो।जस्टिस वल्मीकि मेनेज़ेस की एकल पीठ आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता...

बिना पर्याप्त कारण के केवल लागत लगाना अत्यधिक विलंब को माफ़ करने का औचित्य नहीं सिद्ध कर सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट
बिना पर्याप्त कारण के केवल लागत लगाना अत्यधिक विलंब को माफ़ करने का औचित्य नहीं सिद्ध कर सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि उचित और विश्वसनीय स्पष्टीकरण के अभाव में केवल लागत लगाकर बहाली आवेदन दायर करने में हुई अत्यधिक देरी को माफ़ नहीं किया जा सकता और ऐसा करना प्रतिपक्षी के अर्जित अधिकारों की अवहेलना होगी।जस्टिस वृषाली वी. जोशी मूल प्रतिवादी द्वारा दायर सिविल पुनर्विचार आवेदन पर सुनवाई कर रही थीं, जिसमें जिला न्यायाधीश के उस आदेश को चुनौती दी गई। इसमें 2325 दिनों की देरी को माफ़ कर दिया गया और वादी द्वारा दायर सिविल अपील को बहाल करने की अनुमति दी गई।आवेदकों (मूल प्रतिवादियों) ने तर्क दिया...

सरोगेसी के समान विचार के लिए बच्चे को जन्म देने के लिए पुरुष के साथ लिव-इन समझौता, स्वतंत्र सहमति नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बलात्कार का मामला रद्द करने से इनकार किया
सरोगेसी के समान विचार के लिए बच्चे को जन्म देने के लिए पुरुष के साथ लिव-इन समझौता, स्वतंत्र सहमति नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बलात्कार का मामला रद्द करने से इनकार किया

एक व्यक्ति के साथ एक साल तक 'रहने' और कुछ राशि लेकर उसके बच्चे को जन्म देने के लिए कथित सहमति, स्वतंत्र सहमति नहीं है क्योंकि यह सरोगेसी का एक रूप है, जो भारत में प्रतिबंधित है, बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार की एफआईआर को खारिज करने से इनकार करते हुए यह फैसला सुनाया। जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस संजय देशमुख की खंडपीठ ने आवेदक अमित राम ज़ेंडे की दलील को खारिज कर दिया, जिन्होंने दावा किया था कि उन्होंने पीड़िता के साथ एक समझौता किया था, जो उनके घर पर घरेलू सहायिका के रूप में...

केवल PFI सेमिनारों में भाग लेना और फिजिकल ट्रेनिंग लेना UAPA के तहत आतंकवादी कृत्य नहीं माना जाएगा: बॉम्बे हाईकोर्ट
केवल PFI सेमिनारों में भाग लेना और फिजिकल ट्रेनिंग लेना UAPA के तहत आतंकवादी कृत्य नहीं माना जाएगा: बॉम्बे हाईकोर्ट

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) द्वारा आयोजित सेमिनारों में भाग लेने और कराटे आदि जैसी फिजिकल ट्रेनिंग में भाग लेने मात्र से कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के प्रावधान लागू नहीं होंगे, जो आतंकवादी कृत्य के लिए दंडनीय है, यह फैसला बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने हाल ही में PFI के सक्रिय सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार तीन लोगों को जमानत देते हुए दिया।जस्टिस नितिन सूर्यवंशी और जस्टिस संदीपकुमार मोरे की खंडपीठ ने कहा कि आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने 21 सितंबर, 2022 को सैय्यद फैसल...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई हवाई अड्डे पर तुर्की की कंपनी सेलेबी को बदलने का अंतिम फैसला लेने से रोकने वाला अंतरिम आदेश रद्द किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई हवाई अड्डे पर तुर्की की कंपनी सेलेबी को बदलने का अंतिम फैसला लेने से रोकने वाला अंतरिम आदेश रद्द किया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस सप्ताह मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (एमआईएएल) को शहर के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ग्राउंड और ब्रिज हैंडलिंग सेवाओं के लिए तुर्की स्थित सेलेबी एविएशन होल्डिंग की सहायक कंपनी सेलेबी एनएएस की जगह लेने की बोलियों पर अंतिम निर्णय लेने से रोकने वाले अपने पिछले आदेश को रद्द कर दिया। सिंगल जज जस्टिस सोमशेखर सुंदरेशन ने उल्लेख किया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में सेलेबी एविएशन होल्डिंग द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें भारत के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवाब मलिक के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के लिए समीर वानखेड़े के पिता की याचिका खारिज की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवाब मलिक के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के लिए समीर वानखेड़े के पिता की याचिका खारिज की

बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और सीनियर एनसीपी नेता नवाब मलिक के खिलाफ पूर्व एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े और उनके परिवार के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक बयान देने के आरोप में अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने से इनकार किया।जस्टिस महेश सोनक और जस्टिस जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने समीर के पिता ध्यानदेव द्वारा दायर अवमानना याचिका खारिज करते हुए मौखिक रूप से कहा,"हमारे कंधे बहुत चौड़े हैं, आपके भी कंधे चौड़े हो सकते हैं या आपके पास मानहानि का मुकदमा दायर करने...

मानव स्वास्थ्य से ज़्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कबूतरों की बीट के दुष्प्रभावों की चर्चा की ; कबूतरखानों को गिराने पर रोक जारी रहेगी
'मानव स्वास्थ्य से ज़्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं': बॉम्बे हाईकोर्ट ने कबूतरों की बीट के दुष्प्रभावों की चर्चा की ; 'कबूतरखानों' को गिराने पर रोक जारी रहेगी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार (24 जुलाई ) को मुंबई में कबूतरखानों को गिराने के बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के फैसले के पक्ष और विपक्ष में दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई के दरमियान कहा कि अगर कबूतरों के प्रजनन और उन्हें कबूतरखानों में इकट्ठा करने से कोई खतरा है या ऐसे खतरे की संभावना है तो यह निश्चित रूप से गंभीर सामाजिक चिंता का विषय है।जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने कबूतरों और कबूतरों की बीट से मनुष्यों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का संज्ञान लिया, जो...

पत्नी के रंग और खाना बनाने की क्षमता पर तंज कसना उच्च स्तर की प्रताड़ना नहीं, आत्महत्या के लिए उकसावा या क्रूरता नहीं मानी जा सकती: बॉम्बे हाईकोर्ट
पत्नी के रंग और खाना बनाने की क्षमता पर तंज कसना उच्च स्तर की प्रताड़ना नहीं, आत्महत्या के लिए उकसावा या क्रूरता नहीं मानी जा सकती: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में 27 साल पुराने मामले में एक व्यक्ति को बरी करते हुए कहा कि यदि कोई महिला आत्महत्या कर ले, तो उसके रंग-रूप या खाना बनाने की क्षमता को लेकर उसे ताना देना इस हद तक की प्रताड़ना नहीं मानी जा सकती कि उस पर धारा 498-A (दांपत्य प्रताड़ना) और धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) लगाई जाए।जस्टिस श्रीराम मोडक की एकल पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता पति द्वारा अपनी पत्नी को उसके गहरे रंग को लेकर और ससुर द्वारा उसके भोजन पकाने के तरीके को लेकर ताने देना भले ही प्रताड़ना हो सकता है, लेकिन...

गाज़ा का मुद्दा हमारा नहीं, पहले देश के लोगों के लिए बोलिए: बॉम्बे हाईकोर्ट ने फिलीस्तीन पर विरोध की अनुमति से किया इनकार
गाज़ा का मुद्दा हमारा नहीं, पहले देश के लोगों के लिए बोलिए: बॉम्बे हाईकोर्ट ने फिलीस्तीन पर विरोध की अनुमति से किया इनकार

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को गाज़ा में इज़राइल द्वारा किए जा रहे कथित नरसंहार के विरोध में प्रदर्शन की अनुमति मांगने वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] की याचिका खारिज की।अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले अपने देश के नागरिकों के लिए देशभक्ति दिखाइए।"चीफ जस्टिस रविंद्र घुगे और जस्टिस गौतम अंकद की खंडपीठ ने कहा कि भारत में पहले से ही कई गंभीर समस्याएं हैं। ऐसे में पार्टी को उन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, जो भारत के नागरिकों को प्रभावित करते हैं।जस्टिस घुगे ने...