पति का दोस्त उसका रिश्तेदार नहीं, उस पर IPC की धारा 498ए के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट
Shahadat
1 Aug 2025 10:59 AM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने हाल ही में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज FIR खारिज करते हुए फैसला दिया कि पति का पुरुष मित्र उसका रिश्तेदार नहीं है। इसलिए उस पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498ए के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।
जस्टिस अनिल पानसरे और जस्टिस महेंद्र नेर्लिकर की खंडपीठ ने कहा कि उनके समक्ष प्रस्तुत आवेदकों में से एक पति का दोस्त है, जिसका नाम शिकायतकर्ता पत्नी ने अपने पति और उसके माता-पिता के खिलाफ दर्ज FIR में दर्ज किया।
जजों ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक प्रेमिका या यहां तक कि एक महिला जिसके साथ किसी पुरुष ने विवाह के बाहर प्रेम संबंध या यौन संबंध बनाए हैं, उसे रिश्तेदार नहीं माना जाना चाहिए। जजों ने कहा कि 'रिश्तेदार' शब्द अपने दायरे में एक 'स्थिति' लाता है, जो "रक्त, विवाह या गोद लेने" द्वारा प्रदान की जाती है।
जजों ने 29 जुलाई को पारित आदेश में कहा,
"इसलिए हमें यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि IPC की धारा 498-ए के तहत परिभाषित 'रिश्तेदार' शब्द की व्याख्या करते समय भी यही समानता लागू होगी। एक दोस्त को रिश्तेदार नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वह न तो रक्त संबंधी होता है और न ही उसका विवाह या गोद लेने के माध्यम से कोई संबंध है। इसलिए इन तथ्यों पर विचार करते हुए और IPC की धारा 498-ए को स्पष्ट रूप से पढ़ने पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि पति का दोस्त IPC की धारा 498-ए के तहत पति के 'रिश्तेदार' की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आएगा।"
महिला द्वारा 13 जून, 2022 को दर्ज कराई गई FIR के अनुसार, उसके पति का दोस्त अक्सर उनके ससुराल आता था और पति को पत्नी के माता-पिता से कार और प्लॉट की मांग करने के लिए उकसाता था। दोस्त पर यह भी आरोप लगाया गया कि उसने मांग पूरी न करने पर शिकायतकर्ता पत्नी के साथ पति पर सहवास न करने का दबाव डाला था। दोस्त पर यह भी आरोप लगाया गया कि उसने मांगें पूरी न होने पर पति को पत्नी को उसके ससुराल से बाहर निकालने के लिए उकसाया।
हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि चूंकि आवेदक एक दोस्त है और पति का 'रिश्तेदार' होने का दर्जा नहीं रखता, इसलिए उस पर IPC की धारा 498ए के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। इसलिए उसने चंद्रपुर पुलिस द्वारा उसके खिलाफ दायर FIR और आरोपपत्र भी रद्द कर दिया।
Case Title: NMM vs State of Maharashtra (Criminal Application 1619 of 2023)

