"क्या संविधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों पर फिल्म बनाने का कोई नियम-विरोध है : बॉम्बे हाईकोर्ट ने CBFC से पूछा, कहा- 'अजेय' फिल्म देखें और प्रमाणन पर निर्णय लें
Amir Ahmad
1 Aug 2025 5:57 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को निर्देश दिया कि वह 'अजेय' फिल्म को देखकर उस पर प्रमाणन (सर्टिफिकेशन) को लेकर विधिसम्मत निर्णय ले। यह फिल्म उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित एक पुस्तक पर आधारित है।
जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ ने नाराजगी जताई कि CBFC ने 17 जुलाई को अदालत में यह कहकर आश्वासन दिया कि वह नियमों के अनुसार निर्णय लेगा। फिर भी उसने फिल्म देखे बिना ही फिल्म निर्माताओं का आवेदन अस्वीकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि CBFC ने फिल्म देखे बिना केवल ईमेल भेजकर उनका आवेदन खारिज किया।
CBFC का कहना था कि उसने फिल्म की स्क्रिप्ट और संवाद के आधार पर निर्णय लिया और फिल्म को देखना आवश्यक नहीं है।
कोर्ट ने इस पर टिप्पणी की कि प्रधानमंत्री पर आधारित फिल्म पहले ही सार्वजनिक डोमेन में है।
अदालत ने कहा,
“क्या ऐसा कोई नियम है कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति पर आधारित फिल्म को प्रमाणन नहीं मिल सकता? प्रधानमंत्री पर भी तो फिल्म बनी है। साथ ही, जिस किताब पर यह फिल्म आधारित है, वह पिछले 8 वर्षों से सार्वजनिक है। हमें दोपहर 3 बजे तक बताइए कि आप फिल्म देखेंगे या नहीं।”
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने यह भी कहा कि CBFC को निष्पक्ष होना चाहिए, क्योंकि इससे कई लोगों की आजीविका जुड़ी है। फिल्म पर भारी लागत खर्च की गई है।
खंडपीठ ने कहा,
“फिल्म देखने में झिझक क्यों है? 15 दिन पहले हमने आदेश दिया, फिर भी आपने कोई निर्णय नहीं लिया। हम इस मामले को गुरुवार के लिए रखते हैं, आप बुधवार तक निर्णय लीजिए।”
CBFC ने यह कहते हुए एक सप्ताह का समय मांगा कि बोर्ड के सभी सदस्य देश के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं और सभी को इकट्ठा कर फिल्म दिखाना कठिन हो रहा है।
हालांकि, खंडपीठ ने यह मांग ठुकरा दी और कहा कि याचिकाकर्ता पहले ही बता चुके हैं कि CBFC अदालत के 17 जुलाई के आदेश की अवहेलना कर रहा है।
खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा,
“हमें अवमानना का नोटिस जारी करना चाहिए क्या, मिस्टर खांडेपारकर? आप लोग बहुत आगे बढ़ रहे हैं अब। आप हमारा समय बर्बाद कर रहे हैं। 134 बयान हैं। अब वक्त है कि आप (CBFC) अपनी जिम्मेदारी लें।”
अंततः, जब CBFC की ओर से बताया गया कि फिल्म 6 अगस्त (बुधवार) तक देख ली जाएगी और उसी दिन निर्णय ले लिया जाएगा, तो अदालत ने आदेश में कहा,
“CBFC ने फिल्म देखे बिना ही आपत्ति जताते हुए ईमेल के जरिए आवेदन खारिज कर दिया। 17 जुलाई को CBFC ने कहा था कि वह दो कार्यदिवस के भीतर प्रमाणन पर निर्णय लेगा, पर ऐसा नहीं हुआ। हमने 21 जुलाई को CBFC द्वारा जारी पत्र का अवलोकन किया, जिससे स्पष्ट है कि फिल्म देखी ही नहीं गई। आज CBFC के CEO के निर्देश पर कहा गया कि फिल्म 6 अगस्त तक देख ली जाएगी और उसी दिन निर्णय लिया जाएगा। हम यह स्पष्ट करते हैं कि CBFC का निर्णय पूरी तरह विधिसम्मत कारणों पर आधारित होना चाहिए।”
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि CBFC को आदेश की वेबसाइट पर अपलोड होने का इंतजार किए बिना तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

