कैदियों को फर्लो की अनुमति देने का उद्देश्य सामाजिक पुनर्वास, केवल अधिक समय तक बाहर रुकने के आधार पर लगातार फर्लो से इनकार करना उचित नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
Amir Ahmad
1 Aug 2025 5:49 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि फर्लो के दौरान अधिक समय तक बाहर रुकने की पुरानी घटनाएं विशेष रूप से अगर वे एक दशक पहले हुई हों, अपने आप में फर्लो अवकाश से बार-बार इनकार करने का आधार नहीं हो सकतीं, खासकर जब से दोषी को तब से रिहा ही नहीं किया गया हो।
कोर्ट ने दोहराया कि इस प्रकार का इनकार फर्लो की मूल भावना यानी सुधार और सामाजिक पुनःएकीकरण के उद्देश्य को विफल करता है।
जस्टिस अनिल एल. पंसारे और जस्टिस एम.एम. नेर्लीकर की खंडपीठ आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषी द्वारा दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत 2010 में दोषी ठहराया गया। 18 नवंबर 2014 के बाद से उसे फर्लो पर रिहा नहीं किया गया। उसका फर्लो आवेदन 2010 से 2014 के बीच की चार बार अधिक रुकने की घटनाओं के आधार पर खारिज कर दिया गया।
प्रशासन ने 02.12.2024 की सरकारी अधिसूचना और उसके तहत नियम 4(d)(ii) का हवाला दिया यह तर्क देते हुए कि बार-बार फर्लो अवधि से अधिक रुकना याचिकाकर्ता को अयोग्य बनाता है।
कोर्ट ने यह ध्यान दिया कि याचिकाकर्ता ने 2010 से 2014 के बीच फर्लो की अवधि से अधिक रुकने की चार घटनाएं की थीं, परंतु उसके बाद एक दशक से अधिक समय से उसे फर्लो पर रिहा ही नहीं किया गया।
कोर्ट ने कहा कि पुराने आधारों पर लगातार फर्लो से इनकार करना इस प्रावधान के उद्देश्य को विफल करता है।
कोर्ट ने कहा,
“तथ्य यह है कि 2014 से याचिकाकर्ता को फर्लो पर रिहा नहीं किया गया। फर्लो अवकाश का उद्देश्य सुधार और सामाजिक पुनःएकीकरण है। इसलिए यदि वर्षों तक फर्लो अवकाश से इनकार किया जाए तो यह फर्लो अवकाश प्रदान करने के नियमों के उद्देश्य और भावना को विफल कर देगा।”
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के उस कथन पर भी ध्यान दिया, जो उसके वकील के माध्यम से दिया गया कि वह जेल में सौंपे गए कार्य को करने को तैयार है। यह भी वह कारण है, जिसे फर्लो से इनकार करने के आदेश में उल्लेखित किया गया था।
कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि फर्लो कोई महज़ रियायत नहीं, बल्कि एक सुधारात्मक साधन है। अतः कोर्ट ने इनकार के आदेश को कानून के अनुरूप नहीं पाया और उसे रद्द कर दिया।
इस प्रकार, कोर्ट ने विवादित आदेश को रद्द कर दिया और संबंधित प्राधिकरण को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को मांगी गई अवधि के लिए फर्लो पर रिहा किया जाए।
टाइटल : शंकर बनाम अधीक्षक, केंद्रीय जेल, नागपुर एवं अन्य

