तलाक की कार्यवाही में पत्नी द्वारा पति पर नपुंसकता का आरोप लगाना मानहानि नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

Shahadat

1 Aug 2025 11:04 AM IST

  • तलाक की कार्यवाही में पत्नी द्वारा पति पर नपुंसकता का आरोप लगाना मानहानि नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महिला, उसके भाई और पिता के खिलाफ मानहानि का मामला खारिज करते हुए कहा कि तलाक की याचिका या FIR में पत्नी द्वारा अपने पति को 'नपुंसक' बताना मानहानि नहीं माना जाएगा।

    जस्टिस श्रीराम मोदक की एकल पीठ ने कहा कि पत्नी द्वारा यह आरोप लगाना कि उसका पति नपुंसक है और इससे उसे मानसिक क्रूरता हुई है, उचित है।

    जज ने 17 जुलाई को पारित आदेश में कहा,

    "हिंदू विवाह याचिका में नपुंसकता के आरोप अत्यंत प्रासंगिक हैं। अर्थात्, जब पत्नी यह आरोप लगाती है कि नपुंसकता के कारण पत्नी को मानसिक क्रूरता का सामना करना पड़ा है तो उसका ये आरोप लगाना निश्चित रूप से उचित है। इसलिए नपुंसकता के आधार भले ही प्राथमिक रूप से आवश्यक न हों, लेकिन ये आरोप उनके वैवाहिक जीवन के बीच घटी घटनाओं पर आधारित हैं। इस प्रकार ये अत्यंत आवश्यक हैं। उपेक्षा और इनकार दर्शाने के लिए भरण-पोषण याचिका पर भी नपुंसकता के ये आरोप प्रासंगिक हैं।"

    जज ने कहा कि पत्नी का कहना है कि पति संभोग करने में सक्षम नहीं है और पति के अनुसार इन आरोपों से उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है। जज ने यह भी कहा कि पति ने उस प्रमाण पत्र का भी हवाला दिया, जिसमें यह दर्शाया गया कि उक्त विवाह से एक पुत्र उत्पन्न हुआ है।

    जज ने कहा कि इस याचिका में वह यह तय नहीं कर रहे हैं कि नपुंसकता का आरोप सही है या गलत और पति संभोग करने में सक्षम है या नहीं। जज ने कहा कि केवल यह तय किया जाना चाहिए कि क्या ये आरोप सद्भावना के बिना लगाए गए हैं और क्या ये आरोप लगाने वाले के हितों की रक्षा के लिए नहीं हैं।

    जज ने आगे कहा,

    "इस न्यायालय का मानना है कि जब वैवाहिक संबंध से उत्पन्न मुकदमेबाजी दोनों पति-पत्नी के बीच हो तो पत्नी द्वारा अपने हितों के समर्थन में ये आरोप लगाना उचित है। किसी भी न्यायालय द्वारा किसी भी तरह से कोई न्यायिक निष्कर्ष नहीं दिया गया। इसलिए इस न्यायालय का मानना है कि ये आरोप भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के अपवाद नौवें के अंतर्गत आते हैं।"

    जज एक महिला, उसके भाई और पिता द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रहे थे, जो सभी 3 अप्रैल, 2024 को पारित सेशन कोर्ट के आदेश को चुनौती दे रहे थे, जिसके तहत मजिस्ट्रेट अदालत को महिला के पति द्वारा दायर शिकायत पर पुनर्विचार करने के लिए कहा गया था।

    गौरतलब है कि मजिस्ट्रेट ने 15 अप्रैल, 2023 के आदेश द्वारा पत्नी और उसके भाई व पिता के खिलाफ पति की मानहानि की शिकायत को इस आधार पर पहले ही खारिज कर दिया था कि पत्नी का यह आरोप कि पति नपुंसक है, तलाक लेने के उसके आधारों में से एक है। हालाँकि, पति ने सेशन कोर्ट में इस आदेश का विरोध किया, जिसने मजिस्ट्रेट को पति की याचिका पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया।

    सेशन कोर्ट के आदेश से व्यथित होकर पत्नी, उसके भाई और पिता ने जस्टिस मोदक की हाईकोर्ट की पीठ के समक्ष इसे चुनौती दी, जिन्होंने कहा कि FIR, तलाक और भरण-पोषण याचिकाओं में पति के विरुद्ध पत्नी द्वारा लगाए गए नपुंसकता के आरोपों को मानहानि नहीं माना जा सकता, क्योंकि यह मानहानि के नौवें अपवाद के अंतर्गत आता है।

    सेशन कोर्ट का आदेश रद्द करते हुए जज ने कहा,

    "IPC की धारा 500, 506 और धारा 34 के तहत अपराधों के लिए दायर शिकायत खारिज की जाती है।"

    Case Title: PVG vs VIG (Criminal Writ Petition 2686 of 2024)

    Next Story