हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (21 अप्रैल, 2025 से 25 अप्रैल, 2025) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।
गिफ्ट डीड का पंजीकरण मुस्लिम कानून के तहत संपत्ति की घोषणा या औपचारिक स्वीकृति के बिना वैध नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि केवल इसलिए कि मुस्लिम कानून के तहत उपहार पंजीकृत है, उपहार के अमान्य होने की संभावना को समाप्त नहीं करता है। अदालत ने कहा कि उपहार विलेख निष्पादित करते समय मुस्लिम कानून में जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि वैध उपहार के लिए आवश्यक सभी आवश्यक शर्तें मौजूद हैं।
अदालत अपीलीय अदालत द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दूसरी अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने कब्जे के साक्ष्य की कमी और उपहार विलेखों की अमान्यता का हवाला देते हुए उपहार को वैध घोषित करने के निचली अदालत के फैसले को उलट दिया।
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[POCSO Act] नशे में नाबालिग की छाती छूने की कोशिश बलात्कार का प्रयास नहीं: कलकत्ता हाईकोर्ट
कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि एक व्यक्ति द्वारा शराब के नशे में एक नाबालिग लड़की की छाती छूने की कोशिश यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) के तहत बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं आती, क्योंकि इसमें कोई 'प्रवेश की कोशिश' नहीं की गई थी। हालांकि यह कृत्य 'गंभीर यौन उत्पीड़न' के प्रयास की श्रेणी में आ सकता है।
जस्टिस अरिजीत बनर्जी और जस्टिस बिस्वरूप चौधरी की खंडपीठ ने कहा, “पीड़िता और मेडिकल रिपोर्ट के साक्ष्य से यह स्पष्ट नहीं होता कि आरोपी ने कोई बलात्कार किया या बलात्कार का प्रयास किया। पीड़िता ने बताया कि आरोपी शराब के प्रभाव में था और उसने उसकी छाती छूने की कोशिश की। यह बयान POCSO Act की धारा 10 के अंतर्गत गंभीर यौन उत्पीड़न के आरोप को समर्थन दे सकता है लेकिन यह बलात्कार के प्रयास का संकेत नहीं देता।”
टाइटल: Zomangaih @ Zohmangaiha बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
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एकनाथ शिंदे पर टिप्पणी मामले में कुणाल कामरा को गिरफ्तार न करें पुलिस: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस को निर्देश दिया कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर कथित रूप से की गई व्यंग्यात्मक टिप्पणी और गद्दार शब्द के इस्तेमाल को लेकर दर्ज (FIR) में कॉमेडियन कुणाल कामरा को गिरफ्तार न किया जाए।
जस्टिस सरंग कोतवाल और जस्टिस श्रीराम मोडक की खंडपीठ ने कहा कि यदि पुलिस को कामरा का बयान दर्ज करना है तो उसे चेन्नई (विलुपुरम के पास, जहां कामरा रहते हैं) जाकर स्थानीय पुलिस की मदद लेनी चाहिए।
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मुस्लिम पिता द्वारा बेटे को दी गई संपत्ति के उपहार (हिबा) में वास्तविक कब्जा देना जरूरी नहीं, पिता उसी संपत्ति में रह सकता है: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने हाल ही में कहा कि एक मुस्लिम पिता जो इस्लामी कानून के तहत हिबा के रूप में अपने बेटे को संपत्ति उपहार में देना है, वह उस संपत्ति में अपने बेटे के साथ रह सकता है। उसे वह निवास स्थान छोड़ने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कानून वास्तविक और भौतिक कब्जे की डिलीवरी को अनिवार्य नहीं मानता, बल्कि केवल संरचनात्मक कब्जे (Constructive Possession) की आवश्यकता होती है।
जस्टिस रोहित जोशी की एकल बेंच ने मोहम्मद शेख द्वारा अपने बेटे रहमान शेख को 11 जून 2005 को हिबा के रूप में संपत्ति ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली द्वितीय अपील को खारिज कर दिया।
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CGST Act की धारा 107(6) अदालत को अपील दायर करते समय प्री-डिपॉजिट माफ करने का विवेकाधिकार नहीं देती: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसके पास केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (CGST Act) की धारा 107(6) के तहत अपील दायर करने के लिए निर्धारित प्री-डिपॉजिट शर्त को माफ करने का कोई विवेकाधिकार नहीं है।
अधिनियम की धारा 107(6) के अनुसार, जहां तक स्वीकार की गई कर, ब्याज या जुर्माने की बात है तो पूरी राशि जमा करना अनिवार्य है। जहां तक विवादित राशि का सवाल है, वहां अपील के साथ कर की 10% राशि प्री-डिपॉजिट के रूप में जमा करनी होगी।
केस टाइटल: इंप्रेसिव डाटा सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड बनाम आयुक्त (अपील-I), केंद्रीय कर जीएसटी, दिल्ली
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केवल तीन तलाक प्रतिबंधित, तलाक-ए-अहसन नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार (23 अप्रैल) को कहा कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 केवल तत्काल और अपरिवर्तनीय "तीन तलाक" को प्रतिबंधित करता है। इसे "तलाक-ए-बिद्दत" भी कहा जाता है, लेकिन इस्लाम के तहत तलाक के पारंपरिक तरीके को प्रतिबंधित नहीं करता है, जिसे "तलाक-ए-अहसन" कहा जाता है।
जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस संजय देशमुख की खंडपीठ ने एक व्यक्ति और उसके माता-पिता के खिलाफ दर्ज FIR खारिज की। उन पर शिकायतकर्ता पत्नी को कथित तौर पर तलाक-ए-बिद्दत कहने का आरोप लगाया गया था।
केस टाइटल: तनवीर अहमद पटेल बनाम महाराष्ट्र राज्य (आपराधिक आवेदन 2559/2024)
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सेवानिवृत्ति के एक महीने से अधिक समय तक ग्रेच्युटी भुगतान में देरी पर 10% ब्याज लगेगा: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस रवींद्र वी घुगे और जस्टिस अश्विन डी भोबे की खंडपीठ ने माना कि नौरोसजी वाडिया कॉलेज को एक सेवानिवृत्त शिक्षक को 10% ब्याज के साथ ग्रेच्युटी का भुगतान करना था, क्योंकि उनके सेवानिवृत्ति लाभों में बिना किसी औचित्य के देरी की गई थी। अदालत ने कहा कि शैक्षणिक संस्थान एक महीने से अधिक समय तक ग्रेच्युटी नहीं रोक सकते, भले ही पेंशन गणना पर विवाद हो।
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बेची गई संपत्ति पर पुनर्ग्रहण कार्यवाही लागू नहीं की जा सकती, यह अनुच्छेद 300ए का उल्लंघन होगा: P&H हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि पंजीकृत सेल डीड के जरिए बेची गई संपत्ति को पुनर्ग्रहण कार्यवाही के माध्यम से वापस नहीं लिया जा सकता है, क्योंकि ऐसा करना अनुच्छेद 300-ए के तहत संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन होगा।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस विकास सूरी ने कहा, "किसी भी सुप्रा शर्त के कथित उल्लंघन पर, जो अन्यथा केवल विक्रय अनुबंध (अनुलग्नक पी-8) में मौजूद है और पंजीकृत हस्तांतरण विलेख (अनुलग्नक पी-9) में शामिल नहीं है, इस प्रकार, ग्रहण की शक्ति का तत्काल आह्वान, स्वाभाविक रूप से पूरी तरह से मनमाना है, साथ ही यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 300-ए में निहित संपत्ति के अधिकार के विरुद्ध भी है।"
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दो वयस्कों का एक-दूसरे को विवाह के लिए चुनना संवैधानिक अधिकार, परिवार या जाति की सहमति आवश्यक नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
व्यक्तिगत स्वायत्तता और संवैधानिक स्वतंत्रता को मजबूती से दोहराते हुए जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने नवविवाहित जोड़े द्वारा दायर सुरक्षा याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दो वयस्कों द्वारा एक-दूसरे को जीवनसाथी के रूप में चुनना एक संवैधानिक अधिकार है, जो परिवार या समुदाय की स्वीकृति पर निर्भर नहीं करता।
जस्टिस वसीम सादिक नारगल की एकल पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा के महत्व को दोहराते हुए कहा, “जब दो वयस्क आपसी सहमति से एक-दूसरे को जीवनसाथी के रूप में चुनते हैं तो यह उनकी पसंद की अभिव्यक्ति है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत मान्यता प्राप्त है। यह अधिकार संवैधानिक कानून से अनुमोदित है। इसे संरक्षित किया जाना चाहिए। यह वर्ग, सम्मान या सामूहिक सोच के विचारों के सामने नहीं झुक सकता। परिवार, समाज या जाति की सहमति आवश्यक नहीं है।”
केस टाइटल- अनामिका देवी बनाम जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश
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CBI की 'Undesirable Contact Men' सूची में नाम शामिल किए जाने के कारण RTI Act से अपवाद नहीं माना जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति का नाम खुफिया एजेंसी की Undesirable Contact Men (अवांछनीय संपर्क व्यक्ति) सूची में शामिल करना और उसका प्रकाशन समाचार पत्रों तथा आधिकारिक वेबसाइट पर करना प्रथम दृष्टया (Prima Facie) मानवाधिकारों का उल्लंघन है, जैसा कि सूचना का अधिकार एक्ट (RTI Act) की धारा 24(1) के तहत परिभाषित किया गया है।
प्रसंग के रूप में RTI Act की धारा 24(1) कहती है कि एक्ट उन खुफिया और सुरक्षा संगठनों पर लागू नहीं होता, जो द्वितीय अनुसूची में सूचीबद्ध हैं। हालांकि, इस धारा में यह अपवाद दिया गया कि यदि जानकारी भ्रष्टाचार या मानवाधिकार हनन से संबंधित है तो वह अधिनियम के दायरे से बाहर नहीं मानी जाएगी।
केस टाइटल: Vinod Kumar Bindal बनाम Central Information Commissioner & Others (W.P.(C) 3171/2018)
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S.498 IPC | क्रूरता आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने पर निर्भर नहीं, गंभीर मानसिक या शारीरिक चोट पहुंचाना अपराध को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त: जेएंड के हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में दिए गए फैसलो में धारा 498ए आईपीसी के सुरक्षात्मक दायरे की और मजबूत किया। कोर्ट के समक्ष दायर दो याचिकाओं धारा 498ए और 109 आईपीसी के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी, जिन्हें रद्द करते हुए कोर्ट ने कहा कि “यदि पति या उसके रिश्तेदारों का आचरण किसी महिला को गंभीर चोट पहुंचाने के इरादे से किया जाता है यह धारा 498ए आईपीसी के अर्थ में क्रूरता होगी, भले ही वह आत्महत्या करने के लिए प्रेरित हुई हो या ना या खुद को गंभीर चोट पहुंचाया हो या ना।”
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धारा 19 जेजे एक्ट | बाल न्यायालय स्वतंत्र मूल्यांकन को दरकिनार नहीं कर सकता कि क्या किशोर पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जा सकता है: तेलंगाना हाईकोर्ट ने दोहराया
तेलंगाना हाईकोर्ट ने दोहराया है कि कानून से संघर्षरत बच्चे पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जाना चाहिए या नहीं, यह निर्धारित करते समय बाल न्यायालय/सत्र न्यायालय अधिनियम की धारा 15 के तहत बोर्ड द्वारा मूल्यांकन रिपोर्ट पर भरोसा करके स्वतंत्र मूल्यांकन के अपने कर्तव्य से बच नहीं सकता।
न्यायालय ने रेखांकित किया कि बाल न्यायालय का "एक वयस्क के रूप में बच्चे पर मुकदमा चलाने की आवश्यकता के बारे में स्वतंत्र मूल्यांकन करने का अनिवार्य कर्तव्य" है।
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RTI Act की धारा 19(8)(b) के तहत मुआवजा केवल वास्तविक क्षति या हानि सिद्ध होने पर ही मिलेगा: पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने सूचना के विलंबित प्रेषण के कारण मुआवजे की मांग करने वाली याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (RTI Act) की धारा 19(8)(b) के तहत मुआवजा केवल उसी स्थिति में दिया जा सकता है, जब याचिकाकर्ता यह सिद्ध कर सके कि उसे सूचना में हुई देरी के कारण वास्तविक क्षति या हानि हुई है।
जस्टिस राजेश कुमार वर्मा की अध्यक्षता में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता ने मुआवजे की मांग के लिए अपने द्वारा झेली गई हानि या क्षति का कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया। इसके अतिरिक्त, याचिकाकर्ता ने दिनांक 16.08.2019 के उस आदेश को भी चुनौती नहीं दी, जिसमें राज्य सूचना आयोग ने बिना मुआवजा दिए अपील का निपटारा कर दिया था।"
टाइटल: अमित आनंद बनाम बिहार सूचना आयोग एवं अन्य
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कृषि भूमि सुधार अधिनियम के तहत भूमि पर कब्जे के अधिकार के निर्धारण पर विवादों का निपटारा सिविल कोर्ट नहीं कर सकते: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि जहां किसी मुकदमे में कब्जे के अधिकार का दावा किया जाता है या उस पर विवाद होता है और इसे कृषि सुधार अधिनियम के तहत नियुक्त अधिकारी या प्राधिकारी को संदर्भित किया जा सकता है तो सिविल कोर्ट को ऐसे विवाद का निपटारा करने से रोक दिया जाता है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि निचली अदालतों ने आदेश 7 नियम 11 सीपीसी के तहत मुकदमे को खारिज करने में गलती की है। इसने कहा कि कृषि सुधार अधिनियम का गलत इस्तेमाल किया गया और वादी के स्वामित्व और कब्जे के दावे को सिविल न्यायालय द्वारा संबोधित किया जाना चाहिए।
केस टाइटल: गुलजार बेगम और अन्य बनाम राजा बेगम और अन्य, 2025
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'गांव की आम भूमि' के अंतर्गत न आने वाले परित्यक्त जलमार्गों को निजी संपत्ति के रूप में हस्तांतरित किया जा सकता है: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नाले के जलमार्ग को बाधित करने वाली कथित ग्राम पंचायत की भूमि को एक निजी डेवलपर को हस्तांतरित करने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है, यह देखते हुए कि जलमार्ग को बहुत पहले ही छोड़ दिया गया था।
पंजाब ग्राम साझा भूमि (विनियमन) नियमों का हवाला देते हुए जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस विकास सूरी ने कहा, "शामलात देह में उपयोग में नहीं आने वाले परित्यक्त पथ या जलमार्ग को निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार बिक्री द्वारा हस्तांतरित किया जा सकता है।"
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घोषणा किए जाने के 2 वर्ष के भीतर कोई निर्णय पारित नहीं किया जाता है तो भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही समाप्त हो जाएगी: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि यदि घोषणा किए जाने के दो वर्ष के भीतर कोई निर्णय पारित नहीं किया जाता है तो भूमि अधिग्रहण की पूरी कार्यवाही समाप्त हो जाएगी, जब तक कि न्यायालय द्वारा उस पर रोक न लगा दी जाए। याचिकाकर्ता ने इस आधार पर कार्यवाही को चुनौती दी थी कि उसकी भूमि सार्वजनिक उद्देश्य के लिए अधिग्रहित की गई थी लेकिन कोई अंतिम निर्णय पारित नहीं किया गया, जिससे संपूर्ण अधिग्रहण कार्यवाही प्रभावित हुई।
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सोशल मीडिया पोस्ट को लाइक करना उसे पोस्ट करने या शेयर करने के बराबर नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि किसी पोस्ट को लाइक करना उसे पोस्ट या शेयर करने के बराबर नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 [इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए दंड] के तहत अपराध नहीं होगा।
जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि किसी पोस्ट या संदेश को तब प्रकाशित कहा जा सकता है, जब उसे पोस्ट किया जाता है। किसी पोस्ट या मैसेज को तब प्रसारित कहा जा सकता है जब उसे शेयर या रीट्वीट किया जाता है।
केस टाइटल - इमरान खान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य 2025 लाइव लॉ (एबी)
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अस्थाई शिक्षक गैर-सरकारी शिक्षण संस्थान अधिनियम के तहत बर्खास्तगी को चुनौती दे सकते हैं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि राजस्थान गैर-सरकारी शिक्षण संस्थान अधिनियम, 1989 (Rajasthan Non-Government Educational Institutions Act) की धारा 19 के तहत अस्थायी कर्मचारियों की बर्खास्तगी के मामले में भी अपील सुनवाई योग्य है, क्योंकि अधिनियम की धारा 18 के तहत दिए गए आदेश का पालन नियमित और अस्थायी कर्मचारियों दोनों के मामले में किया जाना चाहिए।
अधिनियम की धारा 18 संस्थानों में कर्मचारियों को हटाने, बर्खास्त करने या पद कम करने की प्रक्रिया मुहैया करती है।
केस टाइटल: प्रबंध समिति, डी.ए.वी. उच्च माध्यमिक विद्यालय बनाम सौरभ उपाध्याय, तथा अन्य संबंधित याचिकाएं
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मेडिकल बीमा दावे के निपटान में देरी मुआवज़ा मांगने का आधार हो सकती है, लेकिन यह आपराधिक अपराध नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
मेडिकल बीमा दावों के निपटान में देरी का सामना करने वाले रोगियों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि दावों के निपटान की प्रक्रिया में देरी मानसिक उत्पीड़न के लिए मुआवज़ा मांगने का आधार हो सकती है, लेकिन यह आपराधिक अपराध नहीं है।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने टिप्पणी की, "यह दर्ज करना उचित होगा कि मरीजों द्वारा अपने अंतिम बिलों का निपटान करने में कथित उत्पीड़न की ऐसी घटनाएं कोई अनकही कहानी नहीं हैं, बल्कि मरीजों को अक्सर इसका सामना करना पड़ता है। उनका उत्पीड़न इस तथ्य से और भी बढ़ जाता है कि वे किसी बीमारी के उपचार के दौरान आघात से उबरते हैं, लेकिन छुट्टी के लिए भी बीमा कंपनी के साथ बिलों का निपटान करने के लिए लंबी प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। मरीजों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा यह उत्पीड़न और मानसिक आघात, जिन्हें अपेक्षित अनुमोदन प्राप्त करने के लिए बीमा कंपनी के साथ मामले को आगे बढ़ाने के लिए मजबूर किया जाता है, जो बीमा कंपनियों की ओर से देरी से भरा होता है, अच्छी तरह से समझा जा सकता है। कई मंचों और न्यायालयों द्वारा बीमा कंपनी से अनुमोदन प्राप्त करने की इस प्रणाली पर बहुत गुस्सा व्यक्त किया गया, लेकिन ऐसी स्थिति मानसिक उत्पीड़न के लिए मुआवजे की मांग करने का आधार हो सकती है, लेकिन यह किसी भी आपराधिक अपराध के बराबर नहीं है।"
केस टाइटल: शशांक गर्ग बनाम राज्य और अन्य (CRL.M.C. 3583/2018)