सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप, पिछले सप्ताह के खास जजमेंट/ऑर्डर पर एक नज़र

Supreme Court weekly round up

Update: 2020-02-17 03:45 GMT

'स‌िक्योरिटी के रूप में जारी किया गया चेक', अन्य सबूतों के अभाव में बचाव का आधार नहीं हो सकताः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि यह बचाव कि चेक, सिक्योरिटी के रूप में जारी किया गया था, अन्य सबूतों के अभाव में अनुमान का खंडन करने के लिए विश्वसनीय नहीं है। जस्टिस अशोक भूषण और ज‌स्टिस एमआर शाह की पीठ ने दोहराया कि जब एक बार चेक का निर्गमन स्वीकार कर लिया गया हो और चेक पर हस्ताक्षर भी स्वीकार कर लिए गया हो, तब शिकायतकर्ता के पक्ष में हमेशा एक अनुमान होता है कि कानूनी रूप से प्रवर्तनीय ऋण या देयता मौजूद है और उसके बाद यह अभियुक्तों पर है कि वह अनुमान को सबूतों के जरिए खंडित करें।

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बलात्कार के मामले में अभियुक्त को केवल पीड़िता की गवाही के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता, जब तक कि उसकी गवाही वास्तविक गुणवत्ता की न हो : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि बलात्कर केस के किसी आरोपी की सजा पीड़िता की एकमात्र गवाही के आधार पर नहीं हो सकती है, जब तक कि वह वास्तविक गवाह का टेस्ट पास न कर ले। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ ने फैसला दिया कि पीड़िता के एकमात्र साक्ष्य के आधार पर किसी अभियुक्त को दोषी ठहराने के लिए सबूत बिल्कुल भरोसेमंद, बेदाग और वास्तविक गुणवत्ता वाले होने चाहिए। राय संदीप उर्फ दीपू बनाम राज्य के मामले पर भरोसा करते हुए खंडपीठ ने दोहराया है कि वास्तविक (स्टर्लिंग) गवाह बहुत उच्च गुणवत्ता का होना चाहिए, जिसका बयान अखंडनीय होना चाहिए। ऐसे गवाह के बयान पर विचार करने वाली अदालत इस स्थिति में होनी चाहिए कि वह बिना किसी संदेह के इसके बयान स्वीकार कर ले।

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निर्भया केस : केंद्र की याचिका पर आदेश पढ़ने के दौरान जस्टिस भानुमति हुईं बेहोश, मामला 20 फरवरी तक स्थगित

दिल्ली गैंगरेप और हत्या के मामले में मौत की सजा के दोषियों को अलग अलग फांसी देने की मांग वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई करने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस आर बानुमथी, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना शामिल थे।

यह देखते हुए कि ट्रायल कोर्ट 17 फरवरी को डेथ वारंट की याचिका पर सुनवाई करेगी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका पर सुनवाई 20 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी। इस मामले में सुनवाई के बाद आदेश सुनाने से पहले जस्टिस बानुमथी बेहोश हो गईं। इसमें शामिल वकीलों ने सुझाव दिया कि बेंच अपने चैंबर में जाकर आदेश पारित कर सकती है।

जब जस्टिस भानुमति कुछ सेकंड के लिए बेहोश हो गईं तो उनके साथी जज और अदालत के कर्मचारी उनके पास दौड़कर आए। फिर उन्होंने चेंबर में ले जाने में सहायता की।

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सुप्रीम कोर्ट ने A4 साइज़ पेपर को दोनों ओर प्रिंट के साथ उपयोग करने की मंज़ूरी दी

सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार दस्तावेज फाइल करने के लिए ए 4 साइज़ के कागज़ को दोनों तरफ प्रिंट के साथ उपयोग करने की स्वीकृति दे दी । वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में सभी फाइलिंग के लिए पेपर की एक साइड प्रिंट का उपयोग किया जाता रहा है। इस आशय का निर्णय पर्यावरण हित में लिया गया है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय में कागज के उपयोग के युक्तिकरण के लिए समिति की एक बैठक जिसमें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) भी शामिल रहे, उसमें यह फैसला लिया गया।

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अगर क़रार पर उचित स्टाम्प शुल्क नहीं चुकाया गया है तो उस पर अदालत कार्रवाई नहीं कर सकती : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी क़रार में मध्यस्थता क्लाज़ पर उचित स्टाम्प का होना अनिवार्य है और अगर ऐसा नहीं है तो अदालत उस पर कार्रवाई नहीं कर सकती। वर्तमान मामले में क़रार से जुड़े एक पक्ष ने मध्यस्थता अधिनियम की धारा 11(6) के तहत कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की। दूसरे पक्ष ने इसका प्रतिवाद यह कहते हुए किया लीज़ का जो क़रार तैयार किया गया है।

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निचली अदालत के फ़ैसले की पुष्टि करते हुए प्रथम अपीलीय अदालत को सीपीसी के आदेश XLI नियम 31 की शर्तों का पालन करना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रथम अपीलीय अदालत को अपने निर्णय के बारे में अपने कारण बताने होंगे। जब प्रथम अपीलीय अदालत निचली अदालत के फ़ैसले को सही ठहराती है, तो उसे उम्मीद की जाती है कि वह सीपीसी के आदेश XLI नियम 31 की शर्तों का पालन करेगी और अगर इसका पालन नहीं किया जाता है तो इससे प्रथम अपीलीय अदालत के फ़ैसले में अस्थिरता आएगी। यह बात न्यायमूर्ति एए नज़ीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की बेंच ने कही।

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देय मुआवज़े का निर्धारण उस दिन से होता है जिस दिन दुर्घटना हुई : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कर्मचारी मुआवज़ा अधिनियम 1923 के तहत देय मुआवज़े का निर्धारण उस दिन से होता है जिस दिन दुर्घटना हुई। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि अधिनियम में 2009 में हुआ संशोधन (जिसने कर्मचारी के वेतन को ₹4000 तक सीमित किया गया था उसे हटा दिया) का प्रावधान उन दुर्घटनाओं पर लागू नहीं होता जो इस क़ानून के लागू होने के पहले हो चुकी हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के दो बच्चों वाली महिला को मातृत्व अवकाश देने से इनकार के फैसले में दखल से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के उस नियम में दखल देने से इंकार कर दिया है जिसमें दो या दो से अधिक बच्चों वाली महिला को इस आधार पर मातृत्व अवकाश देने से इनकार किया गया है कि उसके पहले ही दो या दो से अधिक बच्चे हैं। पीठ ने कहा कि यह राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय है।

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असम में हिरासत केंद्र : प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, 300 लोग तीन साल से ज्यादा समय से हिरासत में

सुप्रीम कोर्ट ने विदेशियों के न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित किए जाने के बाद असम में 6 हिरासत केंद्रों में रखे गए लोगों के संबंध में एमिकस क्यूरी और वकील प्रशांत भूषण द्वारा तैयार किए गए एक नोट पर केंद्र सरकार से विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

दरअसल मई 2019 में शीर्ष अदालत ने उन सभी घोषित विदेशियों को रिहा करने का आदेश दिया था जिन्हें 3 साल से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था। ऐसे लोगों को जमानत देने के लिए दो शर्तें रखी गई थीं। ये रिहाई एक लाख रुपये के मुचलके और सत्यापित पते और बायोमेट्रिक जानकारी देने पर मिलेगी। इसके अलावा, संबंधित व्यक्ति को हर हफ्ते में एक बार नामित पुलिस स्टेशन को रिपोर्ट करना अनिवार्य बनाया गया।

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उमर अब्दुल्ला की PSA के तहत हिरासत : सारा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया, दो मार्च को सुनवाई

जम्मू- कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की बहन की पब्लिक सेफ्टी एक्ट ( PSA) के तहत अपने भाई की नजरबंदी के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। शुक्रवार को जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने मामले को दो मार्च के लिए सूचीबद्ध किया है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पीठ ने अनुरोध किया कि ये मामला अवैध हिरासत का है इसलिए अदालत अगले हफ्ते ही केस की सुनवाई करे।

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निर्भया गैंगरेप हत्या : सुप्रीम कोर्ट ने दोषी विनय की राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के खिलाफ दाखिल अर्जी खारिज की

2012 के दिल्ली गैंगरेप और हत्या केस में मौत की सजा पाने वाले चार दोषियों में से एक विनय शर्मा की उस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है जिसमें राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा उसकी दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति आर बानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि विनय की ये दलील की राष्ट्रपति के सामने सारे दस्तावेज नहीं रखे गए, सही नहीं है।

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AGR का बकाया ना चुकाने पर नाराज सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया, 17 मार्च को MD को पेश होने को कहा

समायोजित सकल राजस्व (AGR) मामले में टेलीकॉम कंपनियों की सुप्रीम कोर्ट में संशोधन याचिका पर कड़ी नाराज़गी जाहिर करते हुए टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज समेत डिफॉल्ट करने वाली सभी टेलीकॉम कंपनियों के प्रंबंध निदेशकों को 17 मार्च को अदालत में पेश होने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने दूरसंचार विभाग के अधिकारी के खिलाफ अवमानना ​​नोटिस भी जारी किया है, जिसने कथित तौर पर एजीआर बकाया की वसूली के लिए अधिसूचना जारी की है।

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तमिलनाडु स्पीकर ने 11 विधायकों को अयोग्यता पर नोटिस जारी किया, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद की

द्रविड़ मुनेत्र कषगम यानी द्रमुक ( DMK) ने तमिलनाडु में 2017 में हुए विश्वास मत में मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी के खिलाफ मतदान करने वाले उप मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम समेत AIDMK के 11 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद कर दी है।

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि स्पीकर ने कार्यवाही शुरू कर दी है और वो कानून के मुताबिक कार्यवाही करेंगे । दरअसल शुक्रवार को हुई सुनवाई में तमिलनाडु के एडवोकेट जनरल ने पीठ को बताया कि तीन साल पुराने इस मामले में विधानसभा स्पीकर ने सभी 11 विधायकों को नोटिस जारी किया है इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई बंद कर दी।

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आरोपी बच्चों को किसी भी परिस्थिति में जेल या पुलिस लॉकअप में नहीं रखा जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और दिल्ली के अधिकारियों द्वारा कथित अपराध में शामिल नाबालिग बच्चों के साथ किये जा रहे बर्ताव को लेकर उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग को को नोटिस जारी किया है।

यह नोटिस तमिलनाडु में अनाथालयों में बच्चों के शोषण से जुड़े मुकदमे 'एक्सप्लॉयटेशन ऑफ चिल्ड्रेन इन ऑर्फनेज इन स्टेट ऑफ तमिलनाडु बनाम भारत सरकार' मामले में न्यायमित्र अर्पणा भट की उस मिसलेनियस एप्लीकेशन पर जारी हुआ है जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश और दिल्ली पुलिस द्वारा थानों में नाबालिगों को कथित हिरासत में रखने और उन्हें यातना दिये जाने की ओर न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराया है।

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लोक अभियोजकों की नियुक्ति के मामले में अंतिम सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मुद्दे तय किए

जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने लोक अभियोजकों / सहायक लोक अभियोजकों की नियुक्ति से संबंधित मुद्दे पर अंतिम सुनवाई के लिए सवाल तय कर लिए हैं। इस संबंध में ऑल इंडिया प्रॉसीक्यूटर्स एसोसिएशन और एक अन्य द्वारा रिट याचिका दायर की गई थी।

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हिन्दू विवाह कानून की धारा 25 के तहत स्थायी जीविका प्राप्त कर चुकी महिला की सीआरपीसी के तहत दायर गुजारा भत्ता याचिका मंजूर नहीं की जा सकती : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत एक पत्नी द्वारा दायर याचिका नहीं सुनी जा सकती, जिसे पहले हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25 के तहत स्थायी गुजारा भत्ता मंजूर किया गया था। इस मामले में तलाक की मांग करने वाली पत्नी की याचिका मंजूर कर ली गयी थी और इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील लंबित थी। कोर्ट ने तलाक की याचिकाओें को स्वीकार करते हुए पत्नी को हिन्दू विवाह कानून की धारा 25 के तहत स्थायी जीविका मंजूर की थी। सामानान्तर कार्यवाही में, पत्नी ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भी गुजारा भत्ता के लिए आवेदन लगाना उचित समझा था। इस अनुरोध को मजिस्ट्रेट ने ठुकरा दिया था और हाईकोर्ट ने इस आदेश के खिलाफ संशोधन याचिका की अनुमति दी थी।

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यह नहीं कहा जा सकता कि ऊंचे पदों पर बैठे लोगों ने जो निर्णय लिए हैं, वे सही हैं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि ऊंचे पदों पर बैठे लोग सही निर्णय लेते हैं। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने मेजर जेनरल के पद पर प्रोमोशन के लिए सूची में नहीं शामिल किए जाने को लेकर एक ब्रिगेडियर की याचिका पर यह बात कही।

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गार्गी कॉलेज में छात्राओं का यौन उत्पीड़न: सुप्रीम कोर्ट ने CBI जांच की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया, हाईकोर्ट जाने को कहा

दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के गार्गी कॉलेज में छात्राओं के साथ हुई घटना की जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है और याचिकाकर्ता को इस मामले में हाईकोर्ट जाने को कहा है। गुरुवार को याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के समक्ष उल्लेख करते हुए कहा कि इस संबंध में सीसीटीवी फुटेज भी हैं। लेकिन इस दौरान CJI ने कहा कि वो इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। शर्मा ने इस पर जवाब दिया कि यह मामला राजनीतिक प्रकृति का है और हाईकोर्ट में समय लग सकता है।

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अगर आरोपी का वकील नहीं है तो अदालत को या तो एमिकस नियुक्त करना होगा या लीगल कानूनी सेवा समिति को वकील नियुक्त करने के लिए आग्रह करना होगा : SC

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि जब किसी अभियुक्त का न्यायालय में कोई वकील पैरवी करने के लिए नहीं होता तो उसके लिए या तो एमिकस क्यूरी नियुक्त करना होगा या लीगल कानूनी सेवा समिति को इस मामले को संदर्भित करना होगा ताकि वो कोई वकील नियुक्त कर सके। इस मामले में तेलंगाना उच्च न्यायालय ने अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने की पुष्टि की थी, बावजूद इसके कि अपील की सुनवाई के दौरान वो अदालत के सामने वकील प्रस्तुत नहीं कर पाए थे।

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सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों की जानकारी अपलोड करने को कहा

राजनीति के अपराधीकरण से चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए राजनीतिक दलों को चुनाव के दौरान आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को टिकट देने पर अहम कदम उठाया है। जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ राजनीति के अपराधीकरण के "खतरनाक" प्रवृति को ध्यान में रखते हुए गुरुवार को निर्देश दिया कि सभी राजनीतिक दल लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर या नामांकन के दो सप्ताह के भीतर जो भी पहले हो, अपने उम्मीदवारों के आपराधिक केसों का विवरण प्रकाशित करने करे।

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निजता के आधार पर व्हाट्सएप पे के परीक्षण पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

सेंटर फॉर अकाउंटेब्लिटी एंड सिस्टमेटिक चेंज (CASC) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर फेसबुक की त्वरित भुगतान सेवा पायलट परियोजना व्हाट्सएप पे, द्वारा किए जा रहे कथित परीक्षणों को पूरी तरह से रोकने के लिए अंतरिम दिशा-निर्देश मांगे गए हैं जिसका भारत में एक मिलियन लोगों द्वारा उपयोग किया जा रहा है। आवेदन में यह आरोप लगाया गया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित डेटा स्थानीयकरण मानदंडों के उल्लंघन के बावजूद व्हाट्सएप ने अवैध रूप से अपनी भुगतान सेवाओं का बीटा परीक्षण जारी रखा है।

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सोशल मीडिया पर यौन उत्पीड़न वीडियो : सुप्रीम कोर्ट ने हितधारकों के साथ बैठक पर केंद्र को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा 

भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इंटरनेट आधारित मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर यौन हिंसा वाले वीडियो के व्यापक प्रसार के संबंध में मामले की सुनवाई को टाल दिया। मंगलवार को याचिकाकर्ता के लिए पेश वकील अपर्णा भट ने पीठ को सूचित किया कि साइबर पुलिस पोर्टल की स्थापना के बावजूद, सरकार द्वारा दिसंबर 2018 से याचिकाकर्ताओं या मध्यस्थों के साथ कोई बैठक नहीं की गई है। इसे लागू करने के लिए दिशा-निर्देश नहीं मांगे गए हैं।

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शाहीन बाग : असुविधा बढ़ाने के लिए जानबूझकर वैकल्पिक मार्ग बंद किए गए, भीम आर्मी के चंद्रशेखर ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दी

भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने बुधवार को एक आवेदन दायर कर सुप्रीम कोर्ट में शाहीन बाग आंदोलन के कारण मार्ग अवरुद्ध होने के लंबित मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। चंद्रशेखर ने आवेदन में यह कहा है कि शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन के कारण असुविधा वास्तव में अधिकारियों द्वारा वैकल्पिक मार्ग पर लगाए गए सड़क अवरोधों के कारण हो रही है।

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MP हाईकोर्ट जज पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर इस्तीफा देने वाली ADJ की बहाली पर CJI ने ' शांतिपूर्वक नतीजे' का संकेत दिया

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मध्य प्रदेश में एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की बहाली की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की, जिन्हें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस के गंगेले ( अब सेवानिवृत्त )पर यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद इस्तीफा देना पड़ा। भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने पीठ की अध्यक्षता करते हुए पूर्व एडीजे की वकील वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह से पूछा कि क्या वो किसी अन्य राज्य में काम करने को तैयार हैं, यदि उन्हें फिर से पद दिया जाए।

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तथ्य-संबंधी सवाल खड़े होने पर एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत दर्ज शिकायत निरस्त नहीं की जा सकती : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट (एनआई) एक्ट की धारा 138 के तहत चेक बाउंस की शिकायत निरस्त नहीं की जा सकती, जब तथ्य संबंधी विवादित सवाल उसमें निहित हों। इस मामले में हाईकोर्ट ने आरोपी की ओर से दायर याचिका में कहा था कि चूंकि कथित फर्जी रसीद के आधार पर एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया था, इसलिए शिकायत निरस्त की जाती है।

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CrPC की धारा 482: हाईकोर्ट 161 CrPC के तहत बयानों के मूल्यांकन के आधार पर आपराधिक कार्यवाही रद्द नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला दिया है कि CrPC की धारा 161 के तहत पुलिस अधिकारियों के समक्ष दर्ज बयानों के आधार पर आपराधिक कार्यवाही को रद्द नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ द्वारा दिए गए निर्णय में यह निर्धारित किया गया है कि केवल अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग रोकने और न्याय की सुरक्षा के लिए उच्च न्यायालय द्वारा CrPC की धारा 482 के तहत हस्तक्षेप किया जा सकता है।

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हम्पी क्षेत्र में अवैध निर्माण: सुप्रीम कोर्ट ने वीरुपपुरा गद्दी में निर्मित अवैध रेस्तरां, होटल और गेस्ट हाउसों को ढहाने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कर्नाटक सरकार को हम्पी विश्व विरासत स्थल के पश्चिम में तुंगभद्रा नदी के पास वीरुपपुरा गद्दी में निर्मित अवैध रेस्तरां, होटल और गेस्ट हाउसों को एक महीने के भीतर ढहाने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि ये निर्माण विजयनगर साम्राज्य के ऐतिहासिक स्मारकों के लिए खतरा बना हुआ है और 2009 में यूनेस्को की एक बैठक में वहां बड़े पैमाने पर अवैध निर्माणों का हवाला दिया था।

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राजीव गांधी हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से कहा, राज्यपाल से जानकारी लें, दोषियों की दया याचिका पर क्या कदम उठाया

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को कहा है कि वो राज्यपाल से संपर्क कर जानकारी ले कि दोषियों द्वारा राज्यपाल के समक्ष अनुच्छेद 161 के तहत दाखिल दया याचिका पर उन्होंने क्या कदम उठाया है। पीठ इस मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद करेगी। इससे पहले राज्य सरकार ने सोमवार को जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ को बताया था कि सरकार ने 2018 में दोषियों की दया याचिका को राज्यपाल के पास विचार के लिए भेज दिया था। पीठ ने कहा कि अदालत राज्यपाल को नोटिस जारी नहीं कर सकती क्योंकि इसलिए सरकार उनसे जानकारी ले सकती है।

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" पदोन्नति में SC/ST आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं " सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल

सुप्रीम कोर्ट में सात फरवरी को दिए गए सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण पर उस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है जिसमें कहा गया है कि पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। इस संबंध में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद और बहादुर अब्बास नकवी ने उत्तराखंड के मामले में दिए गए इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर कहा है कि ये निर्णय रिकॉर्ड के चेहरे पर स्पष्ट त्रुटि से ग्रस्त है। न्यायिक निर्णय ने न केवल संवैधानिक प्रावधानों को कमजोर किया है, और इस तरह से माननीय न्यायालय की दो संविधान पीठों द्वारा निर्धारित कानून के विरोधाभासी तरीके से संविधान के प्रावधानों की व्याख्या करने का प्रयास किया है, जो कि तय कानून के खिलाफ और न्यायिक औचित्य के खिलाफ है।

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सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट प्रशांत भूषण के खिलाफ इंडियाबुल्स द्वारा दायर केस को रोहतक से दिल्ली ट्रांसफर किया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एडवोकेट प्रशांत भूषण द्वारा दायर की गई एक ट्रांसफर याचिका को मंज़ूरी दे दी। इस याचिका में प्रशांत भूषण ने इंडियाबुल्स वेंचर कैपिटल मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा उनके खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले को रोहतक, हरियाणा से दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने स्थानांतरण की अनुमति दी क्योंकि उत्तरदाता ने याचिका पर आपत्ति नहीं जताई है।

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गंभीर एवं समाज के खिलाफ अपराध में पीड़ित और आरोपी के बीच समझौता प्राथमिकी/आरोप-पत्र निरस्त करने का वैध आधार नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि जब कथित अपराध समाज के खिलाफ हो तथा जो निजी प्रकृति के न हो वैसे मामलों में आरोपी और पीड़ित के बीच किया गया समझौता प्राथमिकी निरस्त करने का वैध आधार नहीं हो सकता। इस मामले में आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहित की धारा 493 तथा दहेज निषेध कानून की धारा 3 और 4 के तहत आरोप दर्ज किये गये थे। न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने कहा कि यद्यपि अपराध नन-कंपाउंडेबल हैं फिर भी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत ऐसे अपराधों में मुकदमों को निरस्त करने की उच्च न्यायालय की शक्तियां शीर्ष अदालत के विभिन्न फैसलों के आलोक में सुस्पष्ट है और इस मुद्दे का निर्धारण अब बाकी नहीं रहा है।

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स्वतंत्रता सेनानी ने फांसी पर लटकाकर मौत की सज़ा देने की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

निर्भया कांड में चार दोषियों को फांसी की सजा देने की संभावना के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक 88 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी द्वारा एक रिट याचिका दायर की गई है जिसमें मौत की सजा देने के लिए फांसी पर लटकाने की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। एस परमेश्वरम नमपोथरी नामक स्वतंत्रता सेनानी द्वारा दायर याचिका में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 354 (5) को चुनौती दी गई है। इस धारा में कहा गया है कि जब किसी भी व्यक्ति को मौत की सजा दी जाती है, तो उसे तब तक गर्दन से लटकाए रखा जाए जब तक वह मर नहीं जाता।

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शाहीन बाग में बच्चे की मौत : सुप्रीम कोर्ट ने धरने में बच्चों की भागीदारी पर केंद्र को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन में 30 जनवरी को एक शिशु की मौत के मद्देनजर प्रदर्शन और आंदोलन में बच्चों और शिशुओं को शामिल करने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान कार्रवाही में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह संज्ञान एक छात्रा द्वारा देश के मुख्य न्यायाधीश को लिखे गए पत्र पर लिया गया है जिसमें इस मुद्दे पर अदालत के हस्तक्षेप का आग्रह किया गया है।

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सबरीमला संदर्भ : 9 जजों की पीठ का फैसला, पुनर्विचार में कानून का सवाल भी भेजा जा सकता है, 17 फरवरी से सुनवाई

सबरीमला संदर्भ मामले में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि अदालत पुनर्विचार याचिकाओं में भी कानून के सवालों को बडी बेंच में भेज सकती है। पीठ ने कहा कि अब इस मामले में 17 फरवरी से रोजाना सुनवाई शुरू होगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST संशोधन कानून, 2018 को बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST संशोधन कानून, 2018 को बरकरार रखने का फैसला सुनाया है। SC/ST संशोधन कानून, 2018 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस, विनीत सरन और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने सोमवार को ये फैसला सुनाया है। पीठ ने कहा कि एक्ट में अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं है और न ही गिरफ्तारी से पहले अनुमति लेने की आवश्यकता है। हालांकि अदालत असाधारण मामलों में FIR रद्द कर सकती है।

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