सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट प्रशांत भूषण के खिलाफ इंडियाबुल्स द्वारा दायर केस को रोहतक से दिल्ली ट्रांसफर किया

LiveLaw News Network

11 Feb 2020 7:42 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट प्रशांत भूषण के खिलाफ इंडियाबुल्स द्वारा  दायर केस को रोहतक से दिल्ली ट्रांसफर किया

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एडवोकेट प्रशांत भूषण द्वारा दायर की गई एक ट्रांसफर याचिका को मंज़ूरी दे दी। इस याचिका में प्रशांत भूषण ने इंडियाबुल्स वेंचर कैपिटल मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा उनके खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले को रोहतक, हरियाणा से दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

    मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने स्थानांतरण की अनुमति दी क्योंकि उत्तरदाता ने याचिका पर आपत्ति नहीं जताई है।

    भूषण ने याचिका में दावा किया था कि मानहानि का यह मुक़दमा उनके ख़िलाफ़ सिर्फ़ "बदले की कार्रवाई" है ताकि कंपनी की अवैध गतिविधियों को उजागर करने के उनके प्रयास पर रोक लगाई जा सके।

    इंडियाबुल्ज़ ने रोहतक के प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ इस आरोप में आपराधिक मानहानि का मुक़दमा दायर कर रखा है कि उन्होंने ट्विटर, इंस्टाग्राम और फ़ेसबुक सहित विभिन्न सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर कंपनी के ख़िलाफ़ कंटेंट प्रकाशित किया जिससे कंपनी कि प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है।

    ट्रांसफ़र याचिका में भूषण ने कहा था कि यह आपराधिक प्रक्रिया सिर्फ़ उनको परेशान करने के लिए शुरू की गई है क्योंकि वे सिटिज़ेंज़ विसलब्लो फ़ोरम के सचिव और साइनिंग अथॉरिटी हैं। इस फ़ोरम ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक पीआईएल (WPC 9887/2019) दाख़िल कर रखा है जिसमें इंडियाबुल्ज़ के मालिकों के ख़िलाफ़ विभिन्न ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों की जांच की मांग की गई है।

    भूषण ने याचिका में कहा था कि वह दिल्ली में वकालत करते हैं और हरियाणा जाकर इस मामले में पेश होना उनके लिए अनावश्यक मुश्किल पैदा करता है। उन्होंने कहा है कि कंपनी ने उनकी इसी स्थिति को ध्यान में रखकर उनके ख़िलाफ़ हरियाणा में मुक़दमा दायर किया है।

    विभिन्न उदाहरण देते हुए भूषण ने कहा है कि यह पहली बार नहीं है कि इंडियाबुल्ज़ ने उनकी ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की वजह से ऐसा किया है ताकि वह अपने ख़िलाफ़ जाँच को हतोत्साहित कर सके।

    उन्होंने कहा कि उन्होंने कंपनी के ख़िलाफ़ जो भी आरोप लगाए हैं उसका आधार सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कंपनी के दस्तावेज़, उसकी बैलेन्स शीट और आरओसी रिकॉर्ड हैं और कोई भी इसे देख सकता है और इसका विश्लेषण कर सकता है।

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