हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (25 अक्टूबर, 2021 से 29 अक्टूबर, 2021) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप।
पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।
आर्यन खान केस : बॉम्बे हाईकोर्ट ने आर्यन खान और अन्य आरोपियों को इन शर्तों पर ज़मानत दी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अभिनेता शाहरुख खान के पुत्र आर्यन खान को गुरुवार को जमानत देते हुए शर्त रखी कि कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना आर्यन देश से बाहर नहीं जाएंगे।
न्यायमूर्ति एनडब्ल्यू सांब्रे ने खान को एक लाख रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के एक या अधिक ज़मानतदार पेश करने पर आर्यन खान की ज़मानत मंज़ूर की। ये शर्तें मामले में सह-आरोपी अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा पर भी लागू होंगी। इन तीनों को गुरुवार को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी।
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कलकत्ता हाईकोर्ट ने दीवाली और अन्य त्योहारों पर पश्चिम बंगाल में पटाखों पर प्रतिबंध लगाया
कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिवाली/काली पूजा उत्सव पर पूरे पश्चिम बंगाल में ग्रीन पटाखों सहित सभी प्रकार के पटाखों के उपयोग/बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। शुक्रवार को दिया गया आदेश में छठ पूजा, गुरु नानक जयंती, क्रिसमस और नए साल के समारोहों सहित शेष सभी उत्सवों के लिए प्रभावी होगा।
कोर्ट ने आदेश में कहा कि त्योहारों में केवल मोम या तेल आधारित दीयों के उपयोग की अनुमति होगी। पुलिस को पटाखों के इस्तेमाल/बिक्री पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पब्लिक प्रासीक्यूटर द्वारा हत्या के मुकदमे में 'महत्वपूर्ण' चश्मदीद गवाह को शामिल नहीं करने के खिलाफ जांच के आदेश दिए
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (ग्वालियर खंडपीठ) ने सोमवार को प्रमुख सचिव, विधि और विधायी मामलों / जिला मजिस्ट्रेट, भिंड को एक लोक अभियोजक (पब्लिक प्रासीक्यूटर) के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया, जिसने एक हत्या के मुकदमे में 'महत्वपूर्ण' चश्मदीद गवाह/ मृतक के पिता को छोड़ दिया।
न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया की खंडपीठ ने लोक अभियोजक, भिंड को निर्देश दिया है कि वह जांच रिपोर्ट प्राप्त होने तक उक्त लोक अभियोजक को धारा 302, 307, 376 / पॉक्सो अधिनियम और अन्य सभी महत्वपूर्ण मामलों के तहत अपराध से जुड़े सभी सेशन ट्रायल वापस लें।
केस का शीर्षक - शिवसिंह तोमर बनाम मध्य प्रदेश राज्य
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लिव-इन रिलेशन को सामाजिक नैतिकता की धारणा के बजाय व्यक्तिगत स्वायत्तता की आंखों से देखने की जरूरत: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि लिव-इन संबंधों को सामाजिक नैतिकता की धारणा के बजाय व्यक्तिगत स्वायत्तता की आंखों से देखा जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति प्रिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने इंटरफेथ लिव-इन जोड़ों द्वारा दायर दो सुरक्षा की मांग वाली याचिकाओं पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की। शायरा खातून और उसके साथी (दोनों पिछले दो साल से अधिक समय से एक-दूसरे के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में हैं और दोनों शादी की आयु प्राप्त कर चुके हैं) और ज़ीनत परवीन और उसके साथी (दोनों पिछले 1 साल से रिलेशनशिप में हैं और दोनों शादी की आयु प्राप्त कर चुके हैं) द्वारा सुरक्षा की मांग की गई थी।
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केवल इस धारणा पर कि अपराध बढ़ सकता है, आरोपी के सिर पर तलवार लटकाने की अनुमति नहीं दी जा सकती: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जमानत पर विचार करते समय, केवल इस धारणा पर कि अपराध बढ़ सकता है, आरोपी के सिर पर तलवार लटकाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने कथित उर्वरक घोटाले से संबंधित प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देते हुए यह टिप्पणी की, "केवल प्रतिवादी की इस धारणा पर कि आज तक जो खुलासा हुआ है वह आइसबर्ग का सिरा हो सकता है और अपराध की आय बहुत अधिक हो सकती है, डैमोकल्स तलवार को याचिकाकर्ता के सिर पर लटकने की अनुमति नहीं दी जा सकती है जब उनके खिलाफ जांच में किसी गवाह को धमकाने का कोई आरोप नहीं है और जहां तक तथ्यात्मक मैट्रिक्स का सवाल है, यह ट्रायल का मामला है।"
केस का शीर्षक: अंकित अग्रवाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय
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दिल्ली हाईकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संबंधित नियमों की अधिसूचना जारी की
दिल्ली हाईकोर्ट ने अदालतों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) के उपयोग से संबंधित प्रक्रिया को समेकित, एकीकृत और सुव्यवस्थित करने वाले दिल्ली हाईकोर्ट नियम, 2021 से संबंधित अधिसूचना जारी की।
हाईकोर्ट ने यह अधिसूचना 26 अक्टूबर को आधिकारिक राजपत्र के माध्यम से जारी की। नियमों में पांच अध्याय और दो अनुसूचियां हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग वाले चैप्टर में वीसी की परिभाषाओं, सामान्य सिद्धांतों और प्रक्रिया के बारे में बताया गया है। साथ ही अनुसूचियों में आचार संहिता और वीडियो कॉन्फ्रेंस के लिए अनुरोध प्रपत्र निर्धारित किया गया।
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इंटरनेट ट्रेडमार्क उल्लंघन के मामले में भारतीय ग्राहकों और बाजार को टारगेट करने की विदेशी प्रतिवादियों की मंशा स्थापित होनी चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि इंटरनेट ट्रेडमार्क उल्लंघन के मामले में, भारतीय ग्राहकों और बाजार को टारगेट करने की विदेशी प्रतिवादियों की मंशा स्थापित होनी चाहिए। न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में अन्तरक्रियाशीलता को प्रतिवादियों के भारत में ग्राहकों को लक्षित करने के इरादे के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा, "ट्रेडमार्क अधिनियम और सीपीसी का संचालन वैधानिक रूप से केवल भारत की सीमाओं तक फैला हुआ है। इंटरनेट उल्लंघन के मामले में, निस्संदेह, न्यायालय का निर्णय, कभी-कभी भारत के बाहर स्थित संस्थाओं के खिलाफ काम कर सकता है। हालांकि, विदेशी प्रतिवादियों और भारत की गतिविधि के बीच आवश्यक संबंध के अस्तित्व के अधीन होगा। विशेष रूप से भारत को लक्षित करने की प्रतिवादियों की मंशा स्थापित होनी चाहिए।"
केस का शीर्षक: टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड बनाम हकुनामाता टाटा संस्थापक एंड अन्य
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आपराधिक अवमानना - "महिला न्यायाधीशों के लिए बार सदस्यों की ओर से अधिक विचारशीलता और संवेदनशीलता की आवश्यकता": मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता वाली अदालत द्वारा उसकी अदालत के समक्ष एक वकील के 'अवमाननापूर्ण आचरण' के संबंध में किए गए एक संदर्भ से निपटते हुए कहा कि एक महिला न्यायाधीश द्वारा किए गए मल्टीटास्किंग को देखते हुए बार सदस्यों की ओर से अधिक विचारशीलता और संवेदनशीलता की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति आनंद पाठक की बेंच ने कहा, "बार सदस्यों से यह उम्मीद की जाती है कि वे एक महिला न्यायाधीश द्वारा अपने घर, परिवार के साथ-साथ कोर्ट के कार्य यानी मल्टीटास्किंग की सराहना करेंगे और इसलिए इस संबंध में अधिक विचारशीलता और संवेदनशीलता की आवश्यकता है।"
केस का शीर्षक - संदर्भ में मध्य प्रदेश राज्य बनाम पंकज मिश्रा
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केरल हाईकोर्ट ने इलाज के लिए भारत आए पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ एफआईआर रद्द की, कहा-यह 'कानून का स्पष्ट दुरुपयोग'
केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को इलाज कराने केरल आए दो पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ विदेशी अधिनियम के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया। जस्टिस के हरिपाल ने यह देखते हुए कि पाकिस्तानी नागरिकों ने सभी प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं का पालन किया है, उनकी रिट याचिका को अनुमति दी।
कोर्ट ने कहा, "कल्पना की किसी भी सीमा तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ अपराध दर्ज करने के प्रतिवादियों के कार्य को उचित नहीं ठहराया जा सकता है ... मेरा विचार है कि वास्तव में दूसरे प्रतिवादी का कृत्य हमारे सिस्टम की बदनामी का कारण ही बना है। याचिकाकर्ताओं ने प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं का पालन करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरती थी।"
केस शीर्षक: इमरान मुहम्मद और अन्य बनाम केरल राज्य और अन्य।
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"हम दिल्ली को लंदन जैसा बनाने की बात करते हैं लेकिन यह होगा कैसे?": दिल्ली हाईकोर्ट ने 'स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट' के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई का फैसला किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका का संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग का विनियमन) अधिनियम, 2014 के खिलाफ एक याचिका पर 30 अक्टूबर को सुनवाई का फैसला किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हम कैसे दिल्ली को लंदन जैसा बनाने जा रहे हैं, जबकि हमारा शहर की योजना के पहलू पर ध्यान ही नहीं है।
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की खंडपीठ स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के तहत दिए गए विभिन्न लाभों के सबंध में दिल्ली के रेहड़ी-पटरी वालों द्वारा दायर याचिकाओं और स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के खिलाफ दायर याचिका पर भी सुनवाई कर रही है।
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"एक बार स्वीकार किया गया इस्तीफा वापस नहीं लिया जा सकता", इस्तीफे के बाद प्रोफेसर ने की जामिया मिल्लिया इस्लामिया में दोबारा ज्वाइन करने की मांग, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि एक बार स्वीकार किया गया इस्तीफा वापस नहीं लिया जा सकता है, सोमवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के एक पूर्व प्रोफेसर द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में इस्तीफा देने के एक साल बाद फिर से ड्यूटी पर आने की मांग की गई थी।
जस्टिस वी कामेश्वर राव ने मोहर्रम अली खान की याचिका खारिज की, जिन्हें 2007 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में गणित के प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया था।
केस शीर्षक: मोहर्रम अली खान बनाम जामिया मिलिया इस्लामिया और अन्य।
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'विवाह का इस्तेमाल लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने के एक उपकरण के रूप में किया जा रहा है': उत्तर प्रदेश सरकार ने 'लव जिहाद विरोधी' कानून का बचाव किया
उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म पविर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2020 का बचाव किया है। सरकार ने बचाव में कहा कि चूंकि विवाह का उपयोग किसी व्यक्ति के धर्म को उसकी इच्छा के विरुद्ध परिवर्तित करने के लिए एक साधन के रूप में किया जा रहा है, इसलिए कानून इस रोग को दूर करने का प्रयास करता है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिनियम के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के एक बैच के जवाब में दायर एक हलफनामे यह दलील पेश की है। हलफनामे में कहा गया है कि सामुदायिक हित हमेशा व्यक्तिगत हित पर प्रबल होगा, सरकार ने प्रस्तुत किया है कि कानून सार्वजनिक हित, सार्वजनिक व्यवस्था और समुदायिक हितों की रक्षा करना चाहता है।
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दिल्ली कोर्ट ने हिज्बुल मुजाहिदीन के दो सदस्यों को टेरर फंडिंग और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में 12 और अन्य को 10 साल की सजा सुनाई
दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को हिज्बुल मुजाहिदीन के दो सदस्यों मो. शफी शाह और मुजफ्फर अहमद डार को 12 साल और अन्य दो लोगों तालिब लाली और मुश्ताक अहमद लोन को 10 साल की कैद की सजा सुनाई।
इन सभी पर भारत सरकार के खिलाफ आतंकी फंडिंग करने और युद्ध छेड़ने के आरोप हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश परवीन सिंह ने आईपीसी के साथ-साथ यूएपीए के विभिन्न प्रावधानों के तहत चारों को दोषी ठहराए जाने के बाद सजा पर आदेश पारित किया।
शीर्षक: एनआईए बनाम मोहम्मद शफी शाह और अन्य।
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किसी चश्मदीद या स्वतंत्र गवाह की उम्मीद नहीं कर सकते क्योंकि अपराधी अकेले में बच्चों पर हमला करते हैंः मद्रास हाईकोर्ट ने POCSO के आरोपी की सजा बरकरार रखी
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया है कि एक आरोपी को केवल पीड़ित बच्चे की गवाही के आधार पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया जा सकता है, अगर यह गवाही 'ठोस, सुसंगत, भरोसेमंद है और न्यायालय के आत्मविश्वास को प्रेरित करती है।'
न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने कहा, ''इस तरह के मामलों में हम किसी प्रत्यक्षदर्शी या स्वतंत्र गवाह की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। अक्सर अपराधी बच्चे के अकेलेपन और बच्चों की उम्र की मासूमियत का फायदा उठाने की कोशिश करके अपराध करेगा। यह कानून का तय प्रस्ताव है कि जब पीड़ित का साक्ष्य ठोस, सुसंगत और विश्वास योग्य हो और न्यायालय के विश्वास को प्रेरित करता हो तो केवल पीड़ित के साक्ष्य के आधार पर ही आरोपी को दोषी करार दिया जा सकता है,बशर्ते एकमात्र गवाह के बयान से असहमत होने या उस पर अविश्वास करने का कोई कारण न हो।''
केस का शीर्षकः के रुबन बनाम राज्य
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यदि आरोपी पहले से ही इसी तरह के/विभिन्न अपराधों के लिए एक अन्य आपराधिक मामले में हिरासत में है तो अग्रिम जमानत याचिका सुनवाई योग्य नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने कहा कि यदि आरोपी पहले से ही इसी तरह के/विभिन्न अपराधों के लिए एक अन्य आपराधिक मामले में हिरासत में है तो अग्रिम जमानत याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा ने कहा कि यह उचित होगा कि सीआरपीसी की धारा 438 के तहत पेश किए गए सभी जमानत आवेदनों में एक फुटनोट जोड़ा जाए। यह उल्लेख करते हुए कि आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है और किसी अन्य मामले में हिरासत में नहीं है।
केस का शीर्षक: सुनील कलानी बनाम राजस्थान राज्य लोक अभियोजक के माध्यम से
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'जूनियर वकील जीविका के लिए चाय स्टॉल लगाने के लिए मजबूर': केरल हाईकोर्ट ने बार काउंसिल को स्टाइपेंड लागू करने में निष्क्रिय रहने पर फटकार लगाई
केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य बार काउंसिल को 2018 के सरकारी आदेश को कोर्ट के बार-बार निर्देश के बावजूद लागू करने में अनुचित देरी के लिए एक बार फिर से फटकार लगाई। राज्य सरकार द्वारा 2018 में पारित किए गए इस आदेश के अनुसार प्रत्येक जूनियर वकील को 5,000 का मासिक स्टाइपेंड देना का निर्देश दिया गया है।
न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने कार्यवाही के दौरान मौखिक रूप से टिप्पणी की: "यहाँ ऐसे वकील हैं जो ₹1,000 भी नहीं कमाते और उन्हें जीवन यापन करने के लिए चाय के स्टॉल चलाने पड़ते हैं। ऐसे वकील हैं जिन्हें मैं व्यक्तिगत रूप से जीवित रहने के लिए चाय बेचते हुआ देखता हूं। सरकार ने उन्हें एक छोटी राशि प्रदान करने का आदेश पारित किया, लेकिन बार काउंसिल ने अभी तक इस संबंध में कोई संशोधन या नियम नहीं बनाया।"
केस का शीर्षक: एडवोकेट धीरज रवि और अन्य बनाम केरल राज्य और अन्य
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सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत दिए गए बयानों में भिन्नता के संबंध में पुलिस अभियोक्ता/पीड़िता से पूछताछ नहीं कर सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण अवलोकन में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 161 (पुलिस द्वारा गवाहों की परीक्षा) और 164 (कबूलनामे और बयानों की रिकॉर्डिंग) के तहत दिए गए बयानों में भिन्नता के संबंध में बलात्कार पीड़ितों से पूछताछ करने की पुलिस अधिकारियों की प्रैक्टिस की निंदा की।
जस्टिस समित गोपाल ने विशेष रूप से कहा कि धारा 161 और धारा 164 के तहत पीड़िता के बयान में आए परिवर्तन के संबंध में उससे पूछताछ स्पष्ट रूप से उन अदालतों के प्रति अनादर को दर्शाता है, जिन्होंने धारा 164 के तहत बयान दर्ज किए हैं।
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सीआरपीसी की धारा 311- विशेषज्ञ की उपस्थिति की मांग करने वाले पक्ष को सटीकता के साथ यह दलील देने की आवश्यकता है कि विशेषज्ञ गवाह को अदालत के समक्ष क्यों बुलाया जाना चाहिए: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (इंदौर खंडपीठ) ने हाल ही में फैसला सुनाया कि सीआरपीसी की धारा 311 के तहत वैज्ञानिक विशेषज्ञ की उपस्थिति की मांग करने वाले पक्ष को सटीकता के साथ यह दलील देने की आवश्यकता है कि विशेषज्ञ गवाह को अदालत के समक्ष क्यों बुलाया जाना चाहिए।
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल और न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा की खंडपीठ द्वारा की गई क्योंकि इसने जोर देकर कहा कि सीआरपीसी की धारा 311 के तहत शक्ति लागू करने के लिए, यह पीठासीन न्यायाधीश (प्रत्येक मामले के तथ्यों में) द्वारा निर्धारित किया जाना है कि क्या किसी मामले का न्यायसंगत निर्णय के लिए नए साक्ष्य जरूरी है या नहीं।
केस का शीर्षक - अरुण कुमार दे बनाम मध्य प्रदेश राज्य
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जम्मू और कश्मीर में दूध गंगा और ममथ कुल में प्रदूषण : एनजीटी ने पानी की गुणवत्ता के लिए पांच सदस्यीय संयुक्त समिति गठित की
हाल ही में, नई दिल्ली में राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( एनजीटी) की मुख्य पीठ ने जम्मू और कश्मीर में झेलम नदी की दोनों सहायक नदियों दूध गंगा और ममथ कुल में प्रदूषण संकट पर ध्यान दिया है। याचिकाकर्ता की शिकायतों की जांच के बाद, एनजीटी को विश्वास हो गया कि इन दो जल निकायों के संदर्भ में जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन है।
तदनुसार, एनजीटी ने संबंधित अधिकारियों को उपचारात्मक कार्रवाई के लिए कई निर्देश जारी किए हैं, जिसमें स्थल का दौरा करने और पानी की गुणवत्ता विश्लेषण के आधार पर एनजीटी को एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए पांच सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन शामिल है। ट्रिब्यूनल ने इस मामले में अनुपालन और समन्वय सुनिश्चित करने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भूमिका को भी रेखांकित किया है।
केस: राजा मुजफ्फर भट बनाम भारत संघ और अन्य
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फैमिली कोर्ट द्वारा अवॉर्ड की गई भरण-पोषण राशि यथार्थवादी और उचित होनी चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट द्वारा अवॉर्ड की गई भरण-पोषण (Maintenance) राशि यथार्थवादी और उचित होनी चाहिए। ऐसे न्यायालयों द्वारा आदेश पारित करने वाले को स्पष्ट और अच्छी तरह से तथ्यों, विवाद और इसके निष्कर्ष को तर्कपूर्ण होना चाहिए।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने यह भी कहा कि एक पति या पत्नी को अंतरिम या स्थायी भरण-पोषण देने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वे अपनी शादी की विफलता के कारण वित्तीय बाधाओं में न फंसे हों।
केस शीर्षक: शीतल जोशन रॉय बनाम सौम्यजीत रॉय