दिल्ली कोर्ट ने हिज्बुल मुजाहिदीन के दो सदस्यों को टेरर फंडिंग और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में 12 और अन्य को 10 साल की सजा सुनाई

LiveLaw News Network

26 Oct 2021 11:56 AM GMT

  • दिल्ली कोर्ट ने हिज्बुल मुजाहिदीन के दो सदस्यों को टेरर फंडिंग और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में 12 और अन्य को 10 साल की सजा सुनाई

    दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को हिज्बुल मुजाहिदीन के दो सदस्यों मो. शफी शाह और मुजफ्फर अहमद डार को 12 साल और अन्य दो लोगों तालिब लाली और मुश्ताक अहमद लोन को 10 साल की कैद की सजा सुनाई।

    इन सभी पर भारत सरकार के खिलाफ आतंकी फंडिंग करने और युद्ध छेड़ने के आरोप हैं।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश परवीन सिंह ने आईपीसी के साथ-साथ यूएपीए के विभिन्न प्रावधानों के तहत चारों को दोषी ठहराए जाने के बाद सजा पर आदेश पारित किया।

    यह मामला इन आरोपों के साथ दर्ज किया गया था कि हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन (एचएम) को भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पड़ोसी देशों से नियमित रूप से धन प्राप्त हो रहा है और यह कि जम्मू कश्मीर प्रभावित राहत ट्रस्ट (जेकेएआरटी) नामक एक संगठन की आड़ में उक्त आतंकवादी संगठन भारत में आतंकवादी गतिविधियों को आगे बढ़ाने में सक्रिय रूप से शामिल है।

    दोषियों की सामाजिक आर्थिक रिपोर्ट पर विचार करते हुए न्यायालय ने कहा:

    "मुझे लगता है कि वह हाथ जो बंदूक देता है, वह बंदूक चलाने वाले हाथ के समान ही उत्तरदायी होता है। इस मामले में दोषियों पर केवल आरोप ही नहीं लगाया जा सकता बल्कि किसी भी प्रत्यक्ष आतंकवादी कृत्य के लिए दोषी ठहराया जा सकता है। यह सजा जीवन और संपत्ति के नुकसान के लिए जम्मू-कश्मीर राज्य में छद्म युद्ध जो दशकों से चल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप कई लोगों की जान चली गई और राज्य की संपत्ति का विनाश हुआ, उसके लिए है।"

    यह भी देखा गया कि जिन दोषियों को आतंकी वित्तपोषण के लिए दोषी ठहराया गया उन्होंने एचएम की गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराया। इसका उपयोग संपत्ति के विनाश और मानव जीवन लेने के लिए किया गया।

    कोर्ट ने कहा,

    "इस प्रकार केवल इसलिए कि वर्तमान मामले में अपराधी जीवन और संपत्ति के नुकसान के लिए सीधे जिम्मेदार नहीं हैं, यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि वे एचएम की आतंकवादी गतिविधियों के कारण जीवन के नुकसान और संपत्ति के विनाश के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। इसके विपरीत मैंने पाया कि पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के निर्देश पर इन दोषियों द्वारा चलाए जा रहे फंडिंग नेटवर्क पर एचएम द्वारा किए गए आतंकी कृत्यों के लिए अधिक जिम्मेदारी है, क्योंकि इस तरह के फंडिंग के अभाव में जो एचएम के कैडरों को वित्तपोषित करता है और रसद सहायता प्रदान करता है, उन आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देना संभव नहीं होता।"

    अदालत का यह भी विचार है कि जिन अपराधों के लिए दोषियों को दोषी ठहराया गया है, वे बहुत गंभीर प्रकृति के हैं, क्योंकि उन्होंने राष्ट्र के मूल में प्रहार करने की साजिश रची और उस साजिश को अंजाम देने के लिए कार्रवाई की गई।

    तदनुसार कोर्ट ने चारों को सजा सुनाते हुए आदेश दिया कि सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

    शीर्षक: एनआईए बनाम मोहम्मद शफी शाह और अन्य।

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