"हम दिल्ली को लंदन जैसा बनाने की बात करते हैं लेकिन यह होगा कैसे?": दिल्ली हाईकोर्ट ने 'स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट' के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई का फैसला किया

LiveLaw News Network

26 Oct 2021 2:43 PM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका का संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग का विनियमन) अधिनियम, 2014 के खिलाफ एक याचिका पर 30 अक्टूबर को सुनवाई का फैसला किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हम कैसे दिल्ली को लंदन जैसा बनाने जा रहे हैं, जबकि हमारा शहर की योजना के पहलू पर ध्यान ही नहीं है।

    जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की खंडपीठ स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के तहत दिए गए विभिन्न लाभों के सबंध में दिल्ली के रेहड़ी-पटरी वालों द्वारा दायर याचिकाओं और स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के खिलाफ दायर याचिका पर भी सुनवाई कर रही है।

    यह देखते हुए कि स्ट्रीट वेंडिंग कई लोगों को रोजगार प्रदान करता है, विशेष रूप से समाज के निचले तबके को, कोर्ट ने उन लोगों के अधिकारों के संतुलन पर जोर दिया जो किराये पर दुकान लेते हैं, जो खरीदारी करते हैं, और जो रेहड़‌ी वाले हैं।

    इससे पहले, सितंबर 2021 में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट की योजना और उसके तहत बनाए गए नियम स्ट्रीट वेंडिंग को प्रोत्साहित करने के लिए संतुलन को बहुत झुकाते हैं।

    नेहरू प्लेस और कनॉट प्लेस जैसी जगहों का जिक्र करते हुए कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा, "आप कनॉट प्लेस में चल भी नहीं सकते क्योंकि वहां वेंडर्स का कब्जा है। यह एक व्यवसाय बन गया है। नेहरू प्लेस में भी ऐसा ही है, क्योंकि स्ट्रीट वेंडर्स ने इसे अपना स्थायी व्यवसाय बना लिया है। हमें नेहरू प्लेस में आग लगने की घटना का स्वत: संज्ञान लेना पड़ा था, मामला जस्टिस मनमोहन के समक्ष है। नेहरू प्लेस मार्केट की स्थिति झुग्गी की तरह है। एक विशेष क्षेत्र में अनुमेय विक्रेताओं की संख्या पर निर्णय लेने की आवश्यकता है।"

    कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि वह स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, 2014 को दी गई चुनौती पर गौर करेगा हालांकि, जस्टिस विपिन सांघी ने स्पष्ट किया कि कोर्ट स्ट्रीट हॉकिंग के खिलाफ नहीं है और यह प्रतिकूल मुकदमेबाजी का मामला नहीं है।

    वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने तर्क दिया कि स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, 2014 एक अद्भुत कानून है, हालांकि, वह इस बात से सहमत थे कि इसका कार्यान्वयन ठीक से नहीं किया जा रहा था। अदालत ने उनसे अधिनियम और अधिनियम की योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान अपने विचार रखने को कहा है।

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