इलाहाबाद हाईकोट

रिट ऑफ सर्टिओरीरी स्वाभाविक रूप से जारी नहीं की जाती बल्कि ऊपरी अदालतों के विवेक पर दी जाती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
रिट ऑफ सर्टिओरीरी स्वाभाविक रूप से जारी नहीं की जाती बल्कि ऊपरी अदालतों के विवेक पर दी जाती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि रिट ऑफ सर्टिओरारी ऊपरी अदालतों को निचली अदालतों, न्यायाधिकरणों या प्रशासनिक निकायों के निर्णयों पर पुनर्विचार करने और उन्हें रद्द करने के लिए प्रदान किय गया विवेक है, इसे स्वाभाविक रूप से जारी नहीं किया जाता है।केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 129 के तहत आदेश और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के बाद के आदेश को चुनौती को निस्तार‌ित करते हुए जस्टिस शेखर बी सराफ की पीठ ने कहा, “रिट ऑफ सर्टिओरारी स्वाभाविक रूप से जारी नहीं किया जाता है, बल्कि यह ऊपरी अदालतों के...

Krishna Janmabhoomi Suits | विवादित संपत्ति के स्पॉट इंस्पेक्शन के मथुरा कोर्ट के आदेश को लागू करने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका
Krishna Janmabhoomi Suits | विवादित संपत्ति के स्पॉट इंस्पेक्शन के मथुरा कोर्ट के आदेश को लागू करने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका

इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन दायर किया गया, जिसमें मथुरा अदालत के दिसंबर, 2022 के आदेश को लागू करने की मांग की गई। इसमें सिविल कोर्ट अमीन (जिन्हें अदालत के अधिकारी भी कहा जाता है) को विवादित स्थल का दौरा करने और सर्वेक्षण करने और श्री कृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह विवाद के संबंध में रिपोर्ट (मानचित्र के साथ) प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।यह आवेदन भगवान बाल श्रीकृष्ण विराजमान ठाकुर केशव देव जी ने अपने अगले मित्र और हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के माध्यम से शाही ईदगाह परिसर...

जहां कई व्यक्तियों के खिलाफ जांच हो, वहां प्रत्येक व्यक्ति के खिलाफ विस्तृत जांच करना हमेशा जरूरी नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
जहां कई व्यक्तियों के खिलाफ जांच हो, वहां प्रत्येक व्यक्ति के खिलाफ विस्तृत जांच करना हमेशा जरूरी नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

एमिटी यूनिवर्सिटी में बड़ी संख्या में फर्जी "ओडी" से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि जब बड़ी संख्या में व्यक्तियों के खिलाफ जांच की कार्यवाही की जा रही है, तो इसमें शामिल प्रत्येक व्यक्ति के खिलाफ विस्तृत जांच करना हमेशा आवश्यक नहीं होता है।"ओडी" प्रशिक्षण, सेमिनार, कार्यशालाओं या अन्य पाठ्येतर गतिविधियों में भाग लेकर छात्रों द्वारा अर्जित उपस्थिति है। यह एक ऑनलाइन प्रणाली है और ओडी केवल इसमें शामिल फैकल्टी के लॉगिन-आईडी और पासवर्ड का उपयोग करके ही प्रदान किया जा सकता...

CrPc की धारा 197 के तहत सुरक्षा का दावा करने के लिए दस्तावेज तैयार करना, धन का दुरुपयोग करना आधिकारिक कर्तव्य का हिस्सा नहीं: इलाहाबाद हाइकोर्ट
CrPc की धारा 197 के तहत सुरक्षा का दावा करने के लिए दस्तावेज तैयार करना, धन का दुरुपयोग करना 'आधिकारिक कर्तव्य' का हिस्सा नहीं: इलाहाबाद हाइकोर्ट

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने कहा कि दस्तावेज़ में हेरफेर करना या धन का दुरुपयोग करना सीआरपीसी की धारा 197 के तहत सुरक्षा का दावा करने के लिए लोक सेवक के आधिकारिक कर्तव्य का हिस्सा नहीं।सीआरपीसी की धारा 197 अधिकारी को अनावश्यक उत्पीड़न से बचाने का प्रयास करती है, जिस पर अपने आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान कार्य करते समय या कार्य करने के दौरान किए गए अपराध का आरोप है, सिवाय इसके कि सक्षम प्राधिकारी की पूर्व मंजूरी हो। अदालत को ऐसे अपराध का संज्ञान लेने से रोकती है।जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की...

यूपीजीएसटी | कर चोरी की मंशा साबित करने का बोझ सिर्फ विभाग पर है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
यूपीजीएसटी | कर चोरी की मंशा साबित करने का बोझ सिर्फ विभाग पर है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कर चोरी का इरादा साबित करने का बोझ पूरी तरह से विभाग पर है। कोर्ट ने कहा कि कर कानूनों में जुर्माना केवल महत्वहीन तकनीकी त्रुटियों पर नहीं लगाया जाना चाहिए जिनके कोई वित्तीय परिणाम नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि जुर्माना केवल वहीं लगाया जाना चाहिए जहां यह दिखाने के लिए ठोस सबूत हों कि एक करदाता जानबूझकर सिस्टम को धोखा देने की कोशिश कर रहा है, न कि अनजाने में हुई गलतियों के मामलों में। उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 129 के तहत पारित एक दंड...

वाणिज्यिक कर | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पर्याप्त कारण पर 1365 दिनों की देरी की माफी को बरकरार रखा
वाणिज्यिक कर | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पर्याप्त कारण पर 1365 दिनों की देरी की माफी को बरकरार रखा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपील दायर करने में वाणिज्यिक कर न्यायाधिकरण (Commercial Tax Tribunal) द्वारा 1365 दिनों की देरी की माफी को बरकरार रखा है क्योंकि अधिकारियों द्वारा इसे पर्याप्त रूप से समझाया गया था। संशोधनवादी-निर्धारिती ने अपील दायर करने में विभाग की ओर से 1365 दिनों की देरी को माफ करने के वाणिज्यिक कर न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मैसर्स अनिल इंटरप्राइजेज बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय पर भरोसा किया गया था। वाणिज्यिक कर आयुक्त,...

संशोधित नियम को पूर्वव्यापी रूप से लागू करके पेंशन से इनकार करना अनुच्छेद 14, 16 के तहत संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन: इलाहाबाद हाईकोर्ट
संशोधित नियम को पूर्वव्यापी रूप से लागू करके पेंशन से इनकार करना अनुच्छेद 14, 16 के तहत संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि संशोधित नियम को पूर्वव्यापी रूप से लागू कर पेंशन से इनकार करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है।जस्टिस अताउ रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने असंशोधित उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति और सेवा की शर्तें) नियमावली, 2008 के तहत निर्धारित राज्य विद्युत नियामक आयोग के सेवानिवृत्त सदस्यों की पेंशन बहाल करते हुए कहा,“असंशोधित नियम, 2008 के अनुसार याचिकाकर्ता को पेंशन के भुगतान से इनकार और नियम, 2008 के नियम 15...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2024 के चुनावों के समापन तक पीएम मोदी को राम मंदिर का उद्घाटन करने से रोकने की जनहित याचिका खारिज की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2024 के चुनावों के समापन तक पीएम मोदी को राम मंदिर का उद्घाटन करने से रोकने की जनहित याचिका खारिज की

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका (पीआईएल) को 'निरर्थक' बताते हुए खारिज कर दिया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित करने से रोकने की मांग की गई थी।एक्टिंग चीफ जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि प्राण प्रतिष्ठा समारोह पहले ही संपन्न हो चुका है, इसलिए जनहित याचिका निरर्थक हो गई।79 वर्षीय भोला दास द्वारा दायर जनहित याचिका में प्रार्थना की गई...

इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकारी वकील, मुख्य सरकारी वकील द्वारा ईमेल के माध्यम से नोटिस स्वीकार करने से इनकार के खिलाफ याचिका
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकारी वकील, मुख्य सरकारी वकील द्वारा ईमेल के माध्यम से नोटिस स्वीकार करने से इनकार के खिलाफ याचिका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्य सरकारी वकील से उनके नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें निर्देश दिया गया कि याचिकाओं/आवेदनों की सभी सॉफ्ट प्रतियां पेनड्राइव के माध्यम से उनके कार्यालय को दिए जाएं।मुख्य सरकारी वकील और यूपी राज्य के सरकारी वकील ने 11 अक्टूबर, 2023 को नोटिस प्रकाशित किया, जिसमें कहा गया कि ईमेल के माध्यम से भेजे गए किसी भी नोटिस की कोई भी पीडीएफ कॉपी स्वीकार नहीं की जाएगी। वकील को केवल यूएसबी/थंब ड्राइव के माध्यम से पीडीएफ प्रतियां प्रदान...

इलाहाबाद हाईकोर्ट का रजिस्ट्री अधिकारियों को निर्देश: विनम्र रहें, वकीलों/क्लर्कों के साथ धैर्यपूर्वक व्यवहार करें
इलाहाबाद हाईकोर्ट का रजिस्ट्री अधिकारियों को निर्देश: विनम्र रहें, वकीलों/क्लर्कों के साथ धैर्यपूर्वक व्यवहार करें

इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने अपने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे वकीलों और उनके क्लर्कों के साथ बातचीत करते समय धैर्य और अत्यधिक सम्मान पर जोर देते हुए विनम्र व्यवहार रखें।हाशिए पर मौजूद लोगों का प्रतिनिधित्व करने में वकीलों की उदार भूमिका को स्वीकार करते हुए रजिस्ट्रार जनरल ने अपने अधिकारियों से संयम और विनम्र शिष्टाचार बनाए रखने को कहा। इस संबंध में कल कार्यालय आदेश जारी किया गयाषअधिसूचना में कहा गया,"इस हाईकोर्ट के विभिन्न अनुभागों के सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को वकील और...

बचाव गवाह की पेशी | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 311 और 233 के दायरे की व्याख्या की (न्यायालय की शक्ति बनाम अभियुक्त का अधिकार)
बचाव गवाह की पेशी | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 311 और 233 के दायरे की व्याख्या की (न्यायालय की शक्ति बनाम अभियुक्त का अधिकार)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में मुकदमे के दौरान बचाव पक्ष के गवाहों की पेशी के संबंध में धारा 311 सीआरपीसी [महत्वपूर्ण गवाह को बुलाने या उपस्थित व्यक्ति की जांच करने की शक्ति] और धारा 233 सीआरपीसी [बचाव में प्रवेश] के दायरे के बीच अंतर को समझाया। कोर्ट ने जोर देकर कहा, "धारा 311 सीआरपीसी के तहत शक्ति केवल अदालतों में निहित है और धारा 233 सीआरपीसी के तहत अधिकार आरोपी के पास है और अदालत का हस्तक्षेप सीमित है।"संदर्भ के लिए, धारा 311 सीआरपीसी न्यायसंगत निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए किसी भी स्तर पर...

चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद पात्रता नियम बदल गए: हाइकोर्ट ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के अपात्र घोषित उम्मीदवार को मुआवजा देने का निर्देश दिया
चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद पात्रता नियम बदल गए: हाइकोर्ट ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के अपात्र घोषित उम्मीदवार को मुआवजा देने का निर्देश दिया

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने महीने की इलाहाबाद यूनिवर्सिटी को 50,000 रुपये का जुर्माने का भुगतान यदि पंजीकरण फॉर्म बंद होने के बाद मानदंड नहीं बदले गए होते तो उम्मीदवार को 50,000 रुपये दिए जाते, जो पात्र है।इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में दूसरे पोस्ट-ग्रेजुएट कोर्स में एडमिश चाहने वाले उम्मीदवार द्वारा दायर याचिका में जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा पहले ही आवेदन करने के बाद पात्रता मानदंड बदल दिया गया, इसलिए बदले हुए नियमों को पूरा करने में विफल रहने पर उसे अयोग्य नहीं ठहराया जा...

ज्ञानवापी मस्जिद के वुजुखाने का सर्वेक्षण करने के लिए ASI को निर्देश देने से इनकार के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से इलाहाबाद हाईकोर्ट जज ने खुद को अलग किया
ज्ञानवापी मस्जिद के वुजुखाने का सर्वेक्षण करने के लिए ASI को निर्देश देने से इनकार के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से इलाहाबाद हाईकोर्ट जज ने खुद को अलग किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस मनीष कुमार निगम ने वाराणसी जिला जज के आदेश (दिनांक 21 अक्टूबर, 2023) को चुनौती देने वाली सिविल पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को वज़ुखाना ('शिव लिंग' को छोड़कर) ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया गया था।मामला अब दूसरी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा और इस महीने के अंत तक सुनवाई होने की संभावना है।पुनर्विचार याचिका राखी सिंह (अधिवक्ता सौरभ तिवारी के माध्यम से)...

ज्ञानवापी मस्जिद के वुजुखाना का सर्वेक्षण करने से इनकार के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा इलाहाबाद हाईकोर्ट
ज्ञानवापी मस्जिद के वुजुखाना का सर्वेक्षण करने से इनकार के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट वाराणसी जिला जज के आदेश (दिनांक 21 अक्टूबर, 2023) को चुनौती देने वाली सिविल पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगा। उक्त आदेश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को वजुखाना (को छोड़कर) का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया गया था।जस्टिस मनीष कुमार निगम की बेंच मामले की सुनवाई करेगी।पुनर्विचार याचिका राखी सिंह (सौरभ तिवारी के माध्यम से) द्वारा दायर की गई, जो शृंगार गौरी पूजन वाद 2022 में वादी नंबर 1 (वर्तमान में वाराणसी न्यायालय में लंबित) है।वाराणसी कोर्ट के समक्ष...

पत्नी की वापसी के लिए पति के कहने पर हेबियस कॉर्पस रिट उपलब्ध नहीं: इलाहाबाद हाइकोर्ट
पत्नी की वापसी के लिए पति के कहने पर हेबियस कॉर्पस रिट उपलब्ध नहीं: इलाहाबाद हाइकोर्ट

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने कहा कि क्रिमिनल और सिविल कानून के तहत इस उद्देश्य के लिए उपलब्ध अन्य उपायों को देखते हुए पति द्वारा अपनी पत्नी को वापस पाने के लिए हेबियस कॉर्पस रिट (Habeas Corpus Writ) की आवश्यकता दुर्लभ और निश्चित रूप से उपलब्ध नहीं हो सकती।जस्टिस योगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी रिट आसानी से उपलब्ध नहीं हो सकती। इसका प्रयोग केवल असाधारण परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए, जब कोई बाध्यकारी मामला प्रस्तुत किया जाता है।कोर्ट ने कहा,“ऐसी स्थिति में जहां पति यह...

पूर्व विधायक सुनील केदार ने खुद दर्ज कराई FIR, ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियां साक्ष्य के विपरीत: बॉम्बे हाइकोर्ट ने NDCC बैंक धोखाधड़ी मामले में कांग्रेस नेता की सजा निलंबित की
पूर्व विधायक सुनील केदार ने खुद दर्ज कराई FIR, ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियां साक्ष्य के विपरीत: बॉम्बे हाइकोर्ट ने NDCC बैंक धोखाधड़ी मामले में कांग्रेस नेता की सजा निलंबित की

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में पाया कि ट्रायल कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस विधायक सुनील केदार को दोषी ठहराते समय पेश किए गए सबूतों के विपरीत टिप्पणियां कीं। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया कि केदार ने खुद एफआईआर दर्ज कराई थी।जस्टिस उर्मिला जोशी-फाल्के ने 153 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक घोटाला मामले में दोषी केदार की सजा निलंबित कर दी। यह बताया गया कि केदार ने दोषसिद्धि के खिलाफ अपनी अपील में विवादास्पद मुद्दे उठाए हैं।अदालत ने कहा,“ट्रायल कोर्ट की यह टिप्पणी कि कार्रवाई करने...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदुस्तान में गज़वा-ए-हिंद की स्थापना के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत दी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदुस्तान में 'गज़वा-ए-हिंद' की स्थापना के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत दी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में UAPA Act आरोपी (मोहम्मद अरकम) को जमानत दे दी, जिसे भारत में 'गज़वा-ए-हिंद' की स्थापना के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) संगठन को मजबूत करने में सक्रिय रूप से भाग लेने के आरोप में सितंबर, 2022 में गिरफ्तार किया गया।जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव-I की खंडपीठ ने उन्हें जमानत दे दी, क्योंकि उन्होंने कहा कि मामले में मुकदमा अभी भी लंबित है। इसके जल्द पूरा होने की कोई संभावना नहीं है। इस तथ्य के साथ कि अपीलकर्ता का कोई आपराधिक इतिहास और उसका नाम नहीं...

केंद्र सरकार एपोस्टिल कन्वेंशन से बंधी हुई है, अन्य देशों के एपोस्टिल दस्तावेज़ पर अविश्वास नहीं कर सकती: इलाहाबाद हाइकोर्ट
केंद्र सरकार एपोस्टिल कन्वेंशन से बंधी हुई है, अन्य देशों के एपोस्टिल दस्तावेज़ पर अविश्वास नहीं कर सकती: इलाहाबाद हाइकोर्ट

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने माना कि केंद्र सरकार विदेशी सार्वजनिक दस्तावेजों (Apostille Conventio) के लिए वैधीकरण (Ligalisation) की आवश्यकता को समाप्त करने वाले 5 अक्टूबर 1961 के कन्वेंशन से बंधी है, क्योंकि भारत इसका हस्ताक्षरकर्ता है। न्यायालय ने माना कि सरकार एपोस्टिल कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने वाले देशों द्वारा जारी किए गए एपोस्टिल दस्तावेजों पर अविश्वास नहीं कर सकती है।विदेशी सार्वजनिक दस्तावेजों के लिए वैधीकरण की आवश्यकता को समाप्त करने वाला 5 अक्टूबर, 1961 का कन्वेंशन, जिसे एपोस्टिल कन्वेंशन के...