ज्ञानवापी मस्जिद के वुजुखाने का सर्वेक्षण करने के लिए ASI को निर्देश देने से इनकार के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से इलाहाबाद हाईकोर्ट जज ने खुद को अलग किया

Shahadat

24 Jan 2024 7:36 AM GMT

  • ज्ञानवापी मस्जिद के वुजुखाने का सर्वेक्षण करने के लिए ASI को निर्देश देने से इनकार के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से इलाहाबाद हाईकोर्ट जज ने खुद को अलग किया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस मनीष कुमार निगम ने वाराणसी जिला जज के आदेश (दिनांक 21 अक्टूबर, 2023) को चुनौती देने वाली सिविल पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को वज़ुखाना ('शिव लिंग' को छोड़कर) ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया गया था।

    मामला अब दूसरी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा और इस महीने के अंत तक सुनवाई होने की संभावना है।

    पुनर्विचार याचिका राखी सिंह (अधिवक्ता सौरभ तिवारी के माध्यम से) द्वारा दायर की गई, शृंगार गौरी पूजन वाद 2022 में वादी नंबर 1 (वर्तमान में वाराणसी न्यायालय में लंबित) है।

    वाराणसी कोर्ट के समक्ष अपने आवेदन में, जिसे 21 अक्टूबर को खारिज कर दिया गया, सिंह ने प्राथमिक तर्क उठाया कि प्रश्न में संपत्ति (ज्ञानवापी परिसर) के धार्मिक चरित्र का पता लगाने के लिए वुज़ुखाना ('शिवलिंगम' को छोड़कर) का सर्वेक्षण आवश्यक है।

    हालांकि, उनका आवेदन खारिज करते हुए जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई, 2022 के अपने आदेश के जरिए उस क्षेत्र की विधिवत सुरक्षा करने का आदेश दिया, जहां 'शिव लिंग' पाए जाने की बात कही गई है। इसलिए एएसआई को क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का निर्देश देना उचित नहीं है, क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा।

    जिला जज ने यह भी नोट किया कि विशेष क्षेत्र को 2022 के मुकदमे में पारित 21 जुलाई, 2023 के आदेश के तहत उनकी अदालत द्वारा आदेशित एएसआई सर्वेक्षण के दायरे से भी बाहर रखा गया।

    अपनी पुनर्विचार याचिका में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वुज़ुखाने का सर्वेक्षण न्याय के हित में आवश्यक है। इससे वादी और प्रतिवादियों को समान रूप से लाभ होगा और वे न्यायोचित निर्णय पर पहुंचने के लिए अदालत की सहायता के लिए आएंगे।

    यह भी तर्क दिया गया कि जिला जज, अपने 21 अक्टूबर के आदेश में वुज़ुखाना के सर्वेक्षण के लिए निर्देश देने के लिए कानून द्वारा निहित अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने में विफल रहे।

    आगे यह प्रस्तुत किया गया कि अपने आदेश में जिला जज की अदालत ने यह कहने में गलती की कि 21 जुलाई, 2023 के आदेश में (ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण के लिए) उन्होंने जानबूझकर विधिवत संरक्षित क्षेत्र को सर्वेक्षण के दायरे से बाहर कर दिया, क्योंकि जिस आवेदन पर उक्त आदेश पारित किया गया, उसमें संरक्षित क्षेत्र के सर्वेक्षण की मांग करने वाली कोई प्रार्थना नहीं थी।

    गौरतलब है कि एएसआई पहले ही वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर चुका है और अपनी रिपोर्ट वाराणसी जिला न्यायाधीश को भी सौंप चुका है।

    एएसआई ने यह सर्वेक्षण वाराणसी जिला न्यायाधीश के 21 जुलाई, 2023 के आदेश के अनुसार यह निर्धारित करने के लिए किया कि क्या मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था।

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