SC के ताज़ा फैसले

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्या मामले में सुनाया फ़ैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्या मामले में सुनाया फ़ैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में आरोपी मुन्ना शुक्ला (पूर्व बिहार विधायक) और मंटू तिवारी की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी। कुल 8 आरोपियों में से, जबकि दो की ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषसिद्धि बरकरार रखी गई, कोर्ट ने 6 अन्य को संदेह का लाभ दिया और पटना हाईकोर्ट द्वारा उन्हें बरी करने के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार किया।जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने हत्या के मामले में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, मुन्ना शुक्ला और अन्य को...

BREAKING| TOLA ने इनकम टैक्स पुनर्मूल्यांकन की समयसीमा बढ़ाई; पुरानी व्यवस्था के तहत 2021 के बाद भी जारी किए जा सकेंगे नोटिस : सुप्रीम कोर्ट
BREAKING| TOLA ने इनकम टैक्स पुनर्मूल्यांकन की समयसीमा बढ़ाई; पुरानी व्यवस्था के तहत 2021 के बाद भी जारी किए जा सकेंगे नोटिस : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (3 अक्टूबर) को हाईकोर्ट के उन निर्णयों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया कि कराधान और अन्य कानून (कुछ प्रावधानों में छूट और संशोधन अधिनियम) (TOLA) 2021 इनकम टैक्स एक्ट के तहत पुनर्मूल्यांकन के लिए नोटिस जारी करने की समयसीमा नहीं बढ़ाएगा।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने हाईकोर्ट द्वारा पारित विभिन्न आदेशों के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा दायर 727 अपीलों को स्वीकार करते हुए निर्णय सुनाया।निर्णय के निष्कर्ष इस...

BREAKING| कैदियों को जाति के आधार पर काम देने की प्रथा समाप्त की जाए, जेल रजिस्टर में जाति का कॉलम हटाया जाए : सुप्रीम कोर्ट
BREAKING| कैदियों को जाति के आधार पर काम देने की प्रथा समाप्त की जाए, जेल रजिस्टर में जाति का कॉलम हटाया जाए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में जाति के आधार पर भेदभाव और श्रम विभाजन की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए।कोर्ट ने कई राज्यों के जेल मैनुअल के उन प्रावधानों को खारिज किया, जिनके अनुसार जेलों में उनकी जाति के आधार पर काम दिए जाते थे। कोर्ट ने कहा कि वंचित जातियों को सफाई और झाड़ू लगाने का काम और उच्च जाति के कैदियों को खाना पकाने का काम देना जातिगत भेदभाव और अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है।कोर्ट ने यूपी जेल मैनुअल के उन प्रावधानों पर आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया कि साधारण कारावास में जाने वाले...

BREAKING | निर्माण लागत पर GST इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया जा सकता, यदि भवन निर्माण किराए पर देने जैसी सेवाओं की आपूर्ति के लिए आवश्यक है: सुप्रीम कोर्ट
BREAKING | निर्माण लागत पर GST इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया जा सकता, यदि भवन निर्माण किराए पर देने जैसी सेवाओं की आपूर्ति के लिए आवश्यक है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि भवन का निर्माण किराए पर देने जैसी सेवाओं की आपूर्ति के लिए आवश्यक है तो यह CGST Act की धारा 17(5)(डी) के "प्लांट" अपवाद के अंतर्गत आ सकता है, जो यह प्रावधान करता है कि अचल संपत्ति निर्माण के लिए निर्माण सामग्री (प्लांट या मशीनरी के अलावा) के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं किया जा सकता।कोर्ट ने कहा,“यदि भवन का निर्माण किराए पर देने या लीज पर देने जैसी सेवाओं की आपूर्ति या भवन या उसके भाग के संबंध में अन्य लेन-देन की गतिविधि को अंजाम देने के लिए आवश्यक था, जो CGST...

S. 37 Arbitration Act | अपीलीय न्यायालय का दृष्टिकोण बेहतर होने पर ही किसी निर्णय को रद्द नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
S. 37 Arbitration Act | अपीलीय न्यायालय का दृष्टिकोण बेहतर होने पर ही किसी निर्णय को रद्द नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 (A&C Act) की धारा 34 के तहत उल्लिखित अवैधता से ग्रस्त न हो, तब तक अधिनियम की धारा 37 के तहत अपीलीय न्यायालयों द्वारा किसी निर्णय में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता या उसे रद्द नहीं किया जा सकता।जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने कहा कि निर्णय केवल इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता, क्योंकि अपीलीय न्यायालय का दृष्टिकोण आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के दृष्टिकोण से बेहतर है। इस निर्णय को तब तक नहीं छुआ जा सकता जब तक कि यह कानून...

BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पदों पर महिलाओं के लिए आरक्षण का आदेश दिया
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पदों पर महिलाओं के लिए आरक्षण का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में पदों पर महिलाओं के लिए आरक्षण होना चाहिए।कोर्ट ने निर्देश दिया कि DHCBA की आम सभा की बैठक यथाशीघ्र आयोजित की जाए, 10 दिन से अधिक नहीं। जी.बी. कोषाध्यक्ष का पद महिला सदस्यों के लिए आरक्षित करने की वांछनीयता पर विचार करेगी। कोषाध्यक्ष का पद आरक्षित करने के अलावा जी.बी. महिला सदस्यों के लिए बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों का एक और पद आरक्षित करने की वांछनीयता पर विचार करने के लिए स्वतंत्र होगी।इसके अलावा, कोर्ट ने आदेश दिया कि कार्यकारी...

Domestic Violence Act | धारा 25(2) को केवल धारा 12 के आदेश पारित होने के बाद हुई परिस्थितियों में परिवर्तन के आधार पर ही लागू किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
Domestic Violence Act | धारा 25(2) को केवल धारा 12 के आदेश पारित होने के बाद हुई परिस्थितियों में परिवर्तन के आधार पर ही लागू किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम, 2005 (DV Act) की धारा 12 के तहत पारित आदेश में परिवर्तन/संशोधन/निरसन केवल आदेश पारित होने के बाद हुई परिस्थितियों में परिवर्तन के आधार पर धारा 25(2) के माध्यम से किया जा सकता है।अदालत ने कहा,"एक्ट की धारा 25(2) को लागू करने के लिए एक्ट के तहत आदेश पारित होने के बाद परिस्थितियों में परिवर्तन होना चाहिए।"जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने कहा,"परिस्थितियों में परिवर्तन के कारण एक्ट की धारा 12 के तहत पारित...

S. 34 Arbitration Act | कानून का उल्लंघन मात्र आर्बिट्रल अवार्ड को अमान्य नहीं बनाता, कानून की मौलिक नीति का उल्लंघन अवश्य किया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
S. 34 Arbitration Act | कानून का उल्लंघन मात्र आर्बिट्रल अवार्ड को अमान्य नहीं बनाता, कानून की मौलिक नीति का उल्लंघन अवश्य किया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सार्वजनिक नीति के उल्लंघन के आधार पर मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम की धारा 34 के तहत आर्बिट्रल अवार्ड में न्यायिक हस्तक्षेप की गुंजाइश को स्पष्ट किया। साथ ही इस बात पर प्रकाश डाला कि यह बहुत सीमित है, विशेष रूप से 2015 के संशोधन के बाद।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि कानून का उल्लंघन मात्र अवार्ड में हस्तक्षेप करने के लिए पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह सार्वजनिक नीति के सबसे मौलिक पहलुओं, न्याय के...

सिविल जज भर्ती: सुप्रीम कोर्ट ने 3 साल की प्रैक्टिस या 70% LLB मार्क्स मानदंड पूरा न करने वाले उम्मीदवारों को बाहर करने के आदेश पर रोक लगाई
सिविल जज भर्ती: सुप्रीम कोर्ट ने 3 साल की प्रैक्टिस या 70% LLB मार्क्स मानदंड पूरा न करने वाले उम्मीदवारों को बाहर करने के आदेश पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 13 जून के आदेश पर रोक लगाई, जिसमें भर्ती प्रक्रिया को रोक दिया गया और सिविल जज जूनियर डिवीजन (एंट्री लेवल) भर्ती परीक्षा 2023 के लिए कट-ऑफ अंकों की पुनर्गणना करने का आदेश दिया गया।जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी की खंडपीठ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा दायर एसएलपी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा पारित निर्णय को चुनौती दी गई। उक्त निर्णय में प्रारंभिक परीक्षा में सफलतापूर्वक उत्तीर्ण होने वाले सभी उम्मीदवारों को बाहर करने का...

समान साक्ष्य पेश किए जाने पर एक आरोपी को दोषी और दूसरे को बरी नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
समान साक्ष्य पेश किए जाने पर एक आरोपी को दोषी और दूसरे को बरी नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जब दो आरोपियों के खिलाफ समान या एक जैसे साक्ष्य पेश किए गए हों, तो कोर्ट एक आरोपी को दोषी करार नहीं दे सकता और दूसरे को बरी नहीं कर सकता।ऐसा करते हुए कोर्ट ने यह पाते हुए कि समान अपराधों के लिए आरोपित अन्य सह-आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। उनके बरी किए जाने को चुनौती देने वाली कोई अपील दायर नहीं की गई, आरोपी/अपीलकर्ता को बरी कर दिया।जावेद शौकत अली कुरैशी बनाम गुजरात राज्य 2023 लाइव लॉ (एससी) 782 का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा,"जब दो आरोपियों के खिलाफ समान या...

इंटरनेट पर जानबूझकर बिना डाउनलोड किए चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना POCSO Act के तहत कब्जा माना जाएगा: सुप्रीम कोर्ट
इंटरनेट पर जानबूझकर बिना डाउनलोड किए चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना POCSO Act के तहत 'कब्जा' माना जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इंटरनेट पर बिना डाउनलोड किए बाल पोर्नोग्राफी देखना भी यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) की धारा 15 के अनुसार ऐसी सामग्री का "कब्जा" माना जाएगा।धारा 15 बाल पोर्नोग्राफिक सामग्री को प्रसारित करने के इरादे से संग्रहीत या रखने के अपराध से संबंधित है। निर्णय में यह भी कहा गया कि प्रसारित करने के इरादे का अंदाजा किसी व्यक्ति द्वारा सामग्री को डिलीट करने और रिपोर्ट करने में विफलता से लगाया जा सकता है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) और जस्टिस जेबी पारदीवाला की...

महाराष्ट्र लोक निर्माण विभाग में कार्यरत अस्थायी कर्मचारी दूसरे और चौथे शनिवार को अवकाश के हकदार : सुप्रीम कोर्ट
महाराष्ट्र लोक निर्माण विभाग में कार्यरत अस्थायी कर्मचारी दूसरे और चौथे शनिवार को अवकाश के हकदार : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र लोक निर्माण विभाग में कार्यरत अस्थायी कर्मचारियों को राहत देते हुए कहा कि वे सार्वजनिक अवकाश के साथ-साथ प्रत्येक माह के दूसरे और चौथे शनिवार को मिलने वाली छुट्टियों का लाभ पाने के हकदार हैं।इसमें प्रतिवादी राज्य के लोक निर्माण विभाग में कार्यरत कर्मचारी थे। 27 फरवरी 2004 को प्रतिवादी कर्मचारियों को कालेलकर अवार्ड के अनुसार परिवर्तित अस्थायी प्रतिष्ठान में रखा गया।वर्ष 1967 में लागू कालेलकर अवार्ड महाराष्ट्र राज्य में विभिन्न परियोजनाओं के तहत विभिन्न स्थानों या जिलों...

मोटर दुर्घटना दावे - चालक की लापरवाही को वाहन के यात्रियों पर आरोपित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
मोटर दुर्घटना दावे - चालक की लापरवाही को वाहन के यात्रियों पर आरोपित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सड़क दुर्घटना में मरने वाले मृतक के कानूनी उत्तराधिकारियों को इस आधार पर उनके उचित मुआवजे से वंचित नहीं किया जा सकता कि कार के चालक ने दुर्घटना में योगदान दिया।एक मिसाल का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा,"दुर्घटना में शामिल वाहन के चालक की लापरवाही को यात्रियों पर आरोपित नहीं किया जा सकता, जिससे यात्रियों या उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को दिए जाने वाले मुआवजे को कम किया जा सके।"वर्तमान मामले के संबंध में कोर्ट ने कहा कि कार के चालक को कोई दोष नहीं दिया जा सकता, जब वह ट्रक से...

लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विधिवत निर्वाचित उम्मीदवार को पदभार ग्रहण करने से नहीं रोका जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विधिवत निर्वाचित उम्मीदवार को पदभार ग्रहण करने से नहीं रोका जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

यह मानते हुए कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विधिवत निर्वाचित उम्मीदवार को निर्वाचित पदभार ग्रहण करने से नहीं रोका जा सकता, सुप्रीम कोर्ट ने झज्जर (हरियाणा) के जिला निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया कि वह निर्वाचित उम्मीदवार को सरपंच का प्रभार सौंपे, जिसे चुनाव जीतने के बावजूद पदभार ग्रहण करने से रोका गया था।यह ऐसा मामला था, जिसमें अपीलकर्ता संदीप कुमार ने हरियाणा के झज्जर जिले में असौदा (सीवान) के सरपंच पद के लिए पंचायत चुनाव जीता था, लेकिन वह पदभार ग्रहण करने में असमर्थ था। अपीलकर्ता के साथ तीन...

BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने बिना अनुमति के बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाई
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने बिना अनुमति के 'बुलडोजर कार्रवाई' पर रोक लगाई

"बुलडोजर कार्रवाई" के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया कि बिना अनुमति के देश में कोई भी तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए।न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों, जलाशयों पर अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा दंडात्मक उपाय के रूप में अपराध के आरोपी व्यक्तियों की इमारतों को ध्वस्त करने की कथित कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका पर यह निर्देश पारित किया।...

Arbitration | धारा 29ए(4) के तहत अवधि समाप्त होने के बाद भी आर्बिट्रल अवार्ड पारित करने के लिए समय बढ़ाने का आवेदन सुनवाई योग्य : सुप्रीम कोर्ट
Arbitration | धारा 29ए(4) के तहत अवधि समाप्त होने के बाद भी आर्बिट्रल अवार्ड पारित करने के लिए समय बढ़ाने का आवेदन सुनवाई योग्य : सुप्रीम कोर्ट

मध्यस्थता और सुलह अधिनियम (A&C Act) से संबंधित महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि आर्बिट्रल अवार्ड पारित करने के लिए समय बढ़ाने के लिए आवेदन बारह महीने या विस्तारित छह महीने की अवधि समाप्त होने के बाद भी दायर किया जा सकता है।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने कहा,"हम मानते हैं कि धारा 29ए(4) के साथ धारा 29ए(5) के तहत आर्बिट्रल अवार्ड पारित करने के लिए समय अवधि बढ़ाने का आवेदन बारह महीने या विस्तारित छह महीने की अवधि, जैसा भी मामला हो, के समाप्त होने के बाद भी...

न्यायालय कानून के शासन वाले देश में इस तरह की विध्वंस धमकियों को नजरअंदाज नहीं कर सकता: बुलडोजर कार्रवाही पर बोला सुप्रीम कोर्ट
न्यायालय कानून के शासन वाले देश में इस तरह की विध्वंस धमकियों को नजरअंदाज नहीं कर सकता: बुलडोजर कार्रवाही पर बोला सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी अपराध में कथित संलिप्तता कानूनी रूप से निर्मित संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार नहीं है। न्यायालय कानून के शासन वाले देश में इस तरह की विध्वंस धमकियों को नजरअंदाज नहीं कर सकता।न्यायालय ने कहा,“ऐसे देश में जहां राज्य की कार्रवाइयां कानून के शासन द्वारा संचालित होती हैं, वहां परिवार के किसी सदस्य द्वारा किए गए उल्लंघन के लिए परिवार के अन्य सदस्यों या उनके कानूनी रूप से निर्मित आवास के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती। अपराध में कथित संलिप्तता संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार...