सिविल जज भर्ती: सुप्रीम कोर्ट ने 3 साल की प्रैक्टिस या 70% LLB मार्क्स मानदंड पूरा न करने वाले उम्मीदवारों को बाहर करने के आदेश पर रोक लगाई

Shahadat

24 Sep 2024 8:13 AM GMT

  • सिविल जज भर्ती: सुप्रीम कोर्ट ने 3 साल की प्रैक्टिस या 70% LLB मार्क्स मानदंड पूरा न करने वाले उम्मीदवारों को बाहर करने के आदेश पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 13 जून के आदेश पर रोक लगाई, जिसमें भर्ती प्रक्रिया को रोक दिया गया और सिविल जज जूनियर डिवीजन (एंट्री लेवल) भर्ती परीक्षा 2023 के लिए कट-ऑफ अंकों की पुनर्गणना करने का आदेश दिया गया।

    जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी की खंडपीठ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा दायर एसएलपी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा पारित निर्णय को चुनौती दी गई। उक्त निर्णय में प्रारंभिक परीक्षा में सफलतापूर्वक उत्तीर्ण होने वाले सभी उम्मीदवारों को बाहर करने का आदेश दिया गया था, क्योंकि वे संशोधित भर्ती नियमों के तहत पात्रता मानदंड को पूरा नहीं करते थे।

    संशोधित भर्ती नियम मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा (भर्ती और सेवा की शर्तें) नियम, 1994 से संबंधित हैं, जिन्हें 23 जून, 2023 को संशोधित किया गया था। मुख्य संशोधन सिविल जज जूनियर डिवीजन परीक्षा में उपस्थित होने के लिए पात्रता मानदंड से संबंधित था। संशोधित नियम 7(जी) के अनुसार, उम्मीदवार परीक्षा के लिए पात्र होंगे यदि उनके पास कानून में एलएलबी की डिग्री है और आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि तक या तो वकील के रूप में लगातार 3 साल का प्रैक्टिस कर रहे हैं या फिर शानदार शैक्षणिक कैरियर के साथ उत्कृष्ट लॉ ग्रेजुएट हैं, जिन्होंने "पहले प्रयास में सभी परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं" और सामान्य और ओबीसी श्रेणियों के लिए कुल मिलाकर "कम से कम 70 प्रतिशत अंक" प्राप्त किए हैं।

    इससे पहले एलएलबी में 3 साल के व्यावहारिक अनुभव या किसी निर्धारित न्यूनतम कुल स्कोर की कोई आवश्यकता नहीं थी। SC/ST श्रेणियों के उम्मीदवारों के लिए कुल मिलाकर कम से कम 50% अंक आवश्यक हैं।

    मुकदमों का दौर

    मुकदमेबाजी तब शुरू हुई, जब दो वकीलों ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष संशोधित भर्ती नियमों को चुनौती दी। परीक्षा के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 18 दिसंबर, 2023 थी, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को 14 जनवरी, 2024 को होने वाली परीक्षाओं में भाग लेने के लिए अनंतिम अनुमति देने से इनकार कर दिया।

    इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका [1380/2023] दायर की गई। इसमें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से जवाब मांगा गया, जिसमें बताया गया कि सभी उम्मीदवारों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी। यह इस बात पर ध्यान दिए बिना है कि उम्मीदवार संशोधित भर्ती नियमों के तहत नए मानदंडों को पूरा करते हैं या नहीं।

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के इस निवेदन के आधार पर 15 दिसंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश के माध्यम से वर्तमान याचिकाकर्ताओं सहित सभी उम्मीदवारों को संशोधित नियमों के अनुसार प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में बैठने की अनंतिम अनुमति दी, जो हाईकोर्ट के समक्ष लंबित संशोधित भर्ती नियमों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के परिणाम के अधीन है।

    10 मार्च को प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम संशोधित नियमों के अनुसार घोषित किए गए।

    1 अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट ने रिट याचिका खारिज कर दिया और संशोधित भर्ती नियमों [डब्ल्यू.पी. नंबर 15150/2023: देवांश कौशिक बनाम मध्य प्रदेश राज्य] को बरकरार रखा। इसके बाद 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने भी मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रखा। मुकदमेबाजी का एक और दौर तब शुरू हुआ, जब कुछ उम्मीदवारों ने रिट याचिका [डब्ल्यू.पी. 12399/2024] दायर की और 10 मार्च के प्रारंभिक परिणामों को रद्द करने और संशोधित भर्ती नियमों के अनुसार अंकों का पुनर्मूल्यांकन करने का निर्देश मांगा।

    याचिका दो उम्मीदवारों द्वारा दायर की गई, जिसमें कहा गया कि वे संशोधित भर्ती नियमों के तहत पात्र थे, लेकिन प्रारंभिक परीक्षा में अनारक्षित श्रेणी के लिए 113 कट-ऑफ अंक दर्ज किए जाने के कारण वे मुख्य परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए। उन्होंने तर्क दिया कि संशोधित भर्ती नियमों के लागू होने के कारण जिन अभ्यर्थियों को प्रारंभिक परीक्षा में अयोग्य माना जाना चाहिए, यदि उन्हें बाहर कर दिया जाए तो प्रारंभिक परीक्षा में कट-ऑफ अंक पूर्व के 113 अंकों से काफी नीचे चले जाएंगे।

    इसने न्यायालय से संशोधित पात्रता मानदंड के अनुसार अंकों का पुनर्मूल्यांकन करने तथा संशोधित परिणामों के अनुसार मुख्य परीक्षा आयोजित करने का भी आग्रह किया। 7 मई, 2024 के आदेश के माध्यम से इन प्रार्थनाओं को खारिज कर दिया गया। हाईकोर्ट ने कहा कि अयोग्य उम्मीदवारों की छंटनी केवल 26 अप्रैल के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही शुरू हो सकती है, जिसमें संशोधित भर्ती नियमों को बरकरार रखा गया था।

    इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका [आर.पी. नंबर 620/2024], जिसे वर्तमान मामले में चुनौती दी जा रही है, हाईकोर्ट के समक्ष दायर की गई। पुनर्विचार याचिका में 7 मई, 2024 को पारित आदेश को यह कहते हुए उचित ठहराया गया कि चूंकि संशोधित नियमों को बरकरार रखने वाला सुप्रीम कोर्ट का आदेश 26 अप्रैल को पारित किया गया, इसलिए अयोग्य उम्मीदवारों की छंटनी केवल उसी समय से शुरू हो सकती है, न कि पूर्ववर्ती प्रारंभिक चरण से।

    7 मई को आदेश पारित करने वाली हाईकोर्ट की पीठ ने यह रुख अपनाया कि अभ्यर्थियों को पूर्वव्यापी प्रभाव से बाहर करने से भर्ती प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि कुछ अभ्यर्थियों को फिर से मुख्य परीक्षा में बैठने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

    10 मई को मुख्य परीक्षा के परिणाम घोषित किए गए।

    13 जून, 2024 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने संशोधित नियमों के तहत अयोग्य पाए गए "अभ्यर्थियों को बाहर करने" का आदेश दिया। इसका मतलब यह था कि जिन अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के माध्यम से अनंतिम रूप से अनुमति दी गई। इसलिए वे प्रारंभिक परीक्षा और फिर मुख्य परीक्षा में शामिल हुए उन्हें अब अयोग्य माना गया।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अमर नाथ की खंडपीठ ने त्रुटिपूर्ण होने के कारण 7 मई का अपना आदेश वापस ले लिया। इसने स्पष्ट किया कि प्रारंभिक परीक्षा के चरण से लेकर अब तक की पूरी भर्ती प्रक्रिया संशोधित नियमों की वैधता को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं के परिणाम के अधीन थी।

    न्यायालय ने जारी विज्ञापन के खंड 7(2) के अंतर्गत 1:10 के अनुपात को लागू करके कट-ऑफ अंकों की पुनर्गणना करने का भी आदेश दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि नए नियमों को लागू करने तथा अयोग्य उम्मीदवारों को छांटने के पश्चात पुनर्गणना किए गए कट-ऑफ के अनुसार पर्याप्त अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को नए कॉल लेटर जारी किए जाएंगे। जो उम्मीदवार पहली बार प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करेंगे, उन्हें नए सिरे से मुख्य परीक्षा में बैठने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। जब तक ये सुधारात्मक उपाय नहीं किए जाते, तब तक भर्ती प्रक्रिया रोक दी जाएगी।

    केस टाइटल: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट एवं अन्य बनाम ज्योत्सना दोहलिया एवं अन्य, एसएलपी(सी) नंबर 21353/2024

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