BREAKING| तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी को मिली जमानत

Shahadat

26 Sep 2024 5:18 AM GMT

  • BREAKING| तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी को मिली जमानत

    सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका मंजूर की। यह मामला नकदी के बदले नौकरी के आरोपों से जुड़ा है।

    जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने 12 अगस्त, 2024 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और मुकदमे में देरी की चेतावनी दी थी।

    जस्टिस ओक ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जमानत के कड़े प्रावधान और मुकदमे में देरी एक साथ नहीं हो सकती।

    जस्टिस ओक ने कहा,

    "हमने नजीब और अन्य फैसलों का हवाला दिया। हमने जो कहा है, वह यह है कि जमानत की सख्त और उच्च सीमा और अभियोजन में देरी एक साथ नहीं हो सकती। इसलिए हमने नजीब और जमानत के मामले में दायरा थोड़ा बढ़ाया, लेकिन जमानत में बहुत कठोर शर्तें रखी गई।"

    तमिलनाडु के पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक सेंथिल बालाजी पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज है। उन पर आरोप है कि 2011 से 2016 के बीच राज्य के परिवहन मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान नौकरी के बदले पैसे देने के घोटाले में उनकी संलिप्तता थी।

    जून 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें इस घोटाले से जुड़े आरोपों में धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के तहत गिरफ्तार किया। बालाजी ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा जमानत देने से इनकार किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

    आरोप और गिरफ्तारी

    बालाजी पर तमिलनाडु परिवहन विभाग में नौकरी दिलाने के वादे के बदले नौकरी चाहने वालों से पैसे वसूलने के लिए अपने निजी सहायकों और भाई के साथ मिलकर एक योजना बनाने का आरोप है। उम्मीदवारों द्वारा कई शिकायतें दर्ज की गईं, जिन्होंने बड़ी रकम का भुगतान किया, लेकिन वादा किए गए पदों पर नौकरी नहीं मिली। इन आरोपों के आधार पर ED ने प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECIR) दर्ज की और जून 2023 में उनकी गिरफ्तारी की कार्यवाही की।

    सुप्रीम कोर्ट में दलीलें

    सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा के माध्यम से बालाजी ने तर्क दिया कि 2013 से 2021 के बीच उनके बैंक खाते में जमा 1.34 करोड़ रुपये उनकी कृषि आय और विधायक के रूप में वेतन से प्राप्त हुए थे। रोहतगी ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ने आय के इन वैध स्रोतों को नजरअंदाज किया और गलत तरीके से उन्हें कथित घोटाले के लिए जिम्मेदार ठहराया।

    बालाजी के बचाव ने आगे तर्क दिया कि जांच एजेंसियों द्वारा की गई तलाशी और जब्ती कार्रवाई त्रुटिपूर्ण थी। रोहतगी ने हार्ड डिस्क साक्ष्य में विसंगतियों की ओर इशारा किया, जहां अदालती कार्यवाही में सीगेट हार्ड डिस्क का उल्लेख किया गया, लेकिन वास्तव में एचपी हार्ड डिस्क बरामद की गई थी। उन्होंने दावा किया कि जब्त पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क में "सीएसएसी" नामक कोई भी आपत्तिजनक फाइल नहीं मिली, जिसमें कथित तौर पर घोटाले से 67 करोड़ रुपये की आय का विवरण दिया गया हो।

    रोहतगी ने यह भी बताया कि बालाजी 13 महीने से अधिक समय से जेल में बंद हैं और हिरासत में रहते हुए उनकी कोरोनरी बाईपास सर्जरी हुई है।

    बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि यह मुकदमे की शुरुआत में लंबी देरी के साथ मिलकर PMLA की धारा 45 के तहत बालाजी को जमानत के लिए योग्य बनाता है, जो बीमारी जैसी असाधारण परिस्थितियों में जमानत की अनुमति देता है।

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एडवोकेट जोहेब हुसैन द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए ED ने बालाजी के दावों का खंडन करते हुए कहा कि 1.34 करोड़ रुपये की नकद जमा राशि का उनके विधायक वेतन या कृषि आय से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि विधायक का वेतन सीधे बैंक अकाउंट में जमा किया जाता है और बालाजी द्वारा अपने चुनावी हलफनामों में घोषित आय उस राशि से काफी भिन्न है, जिसे वे अब कृषि आय के रूप में दावा करते हैं।

    ED ने तर्क दिया कि बालाजी के आवास से बरामद पेन ड्राइव में एक आपत्तिजनक "सीएसएसी.एक्सएलएसएक्स" फ़ाइल मिली थी, जिसमें घोटाले में कथित रूप से प्राप्त राशि का विवरण है। ED ने बालाजी को फंसाने वाले अन्य दस्तावेज और ईमेल भी पेश किए, जिसमें उनके कंप्यूटर पर मिली फाइलें शामिल हैं, जो कथित घोटाले के विस्तृत प्रबंधन को दर्शाती हैं।

    ED ने बालाजी के निरंतर प्रभाव पर जोर देते हुए कहा कि तमिलनाडु राज्य आरोपी की मदद कर रहा है और यह सुनिश्चित कर रहा है कि पूर्ववर्ती अपराध में मुकदमा समाप्त होने की संभावना नहीं है। ED ने यह भी कहा कि बालाजी पूर्ववर्ती अपराध में गवाहों और पीड़ितों के साथ समझौता कर रहा है।

    केस टाइटल- वी. सेंथिल बालाजी बनाम उप निदेशक

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