हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

10 Aug 2025 10:00 AM IST

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (04 अगस्त, 2025 से 08 अगस्त, 2025) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    आदर्श हिंदू पत्नी परित्याग के बाद भी धर्म के मुताबिक रहती है; मंगलसूत्र और सिंदूर रखती है, क्योंकि विवाह एक अमिट संस्कार है: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने क्रूरता के आधार पर एक पति की तलाक की अपील को खारिज करते हुए, हाल ही में पत्नी के आचरण की प्रशंसा करते हुए उसे एक 'आदर्श भारतीय महिला' बताया, जिसने लगभग दो दशकों तक परित्यक्त रहने के बावजूद, एक पत्नी के रूप में अपने धर्म का पालन किया, अपने ससुराल वालों के साथ रहना जारी रखा और अपने वैवाहिक जीवन के प्रतीकों को कभी नहीं त्यागा।

    न्यायालय ने कहा कि, हिंदू अवधारणा के अनुसार, विवाह "एक पवित्र, शाश्वत और अटूट बंधन" है और "एक आदर्श भारतीय पत्नी, अपने पति द्वारा परित्यक्त होने पर भी, शक्ति, गरिमा और सदाचार का प्रतीक बनी रहती है।"

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    Order 6 Rules 17 CPC| अपीलीय स्तर पर प्रस्तावित संशोधन के जरिए याचिका में स्वीकृति के प्रभाव को कम नहीं किया जा सकता: झारखंड हाईकोर्ट

    झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि अपीलीय स्तर पर याचिकाओं में संशोधन की अनुमति तब नहीं दी जा सकती जब अपीलकर्ता पक्ष देरी के लिए ठोस कारण प्रस्तुत करने में विफल रहता है और सुनवाई के दौरान पूर्व में स्वीकृत संशोधन को लागू नहीं करता है।

    इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने कहा कि सीपीसी का आदेश VI नियम 17 न्यायालय को कार्यवाही के किसी भी चरण में विवेकाधीन अधिकार प्रदान करता है, जिससे वह किसी भी पक्ष को अपनी याचिकाओं में ऐसे तरीके से और ऐसी शर्तों पर परिवर्तन या संशोधन करने की अनुमति दे सकता है जो न्यायोचित हों।

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    स्वीकृत पदों पर 15 वर्ष से अधिक लगातार सेवा देने वाले अस्थायी कर्मचारी बिहार पेंशन नियमों के तहत पेंशन के हकदार: झारखंड हाईकोर्ट

    झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की पीठ ने कहा कि नियमित वेतन वाले स्वीकृत पदों पर 15 वर्ष से अधिक की निरंतर सेवा देने वाले अस्थायी कर्मचारी बिहार पेंशन नियम, 1950 (झारखंड राज्य द्वारा अपनाए गए) के नियम 59 के अंतर्गत पेंशन के हकदार हैं।

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    दिल्ली हाईकोर्ट ने 'उदयपुर फाइल्स' फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार किया, आरोपी की अंतरिम राहत की याचिका खारिज की

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार (7 अगस्त) को "उदयपुर फाइल्स: कन्हैया लाल टेलर मर्डर" की रिलीज़ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जो शुक्रवार, यानी 8 अगस्त को रिलीज़ होने वाली है। अदालत ने मामले के एक आरोपी मोहम्मद जावेद की फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की अंतरिम राहत की याचिका खारिज कर दी। हालांकि, अदालत ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) द्वारा फिल्म के प्रमाणन को मंज़ूरी देने के आदेश के खिलाफ मुख्य याचिका पर नोटिस जारी किया।

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    मनोरंजन कर के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन मूवी टिकट बुकिंग में कोई फर्क नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र एंटरटेनमेंट ड्यूटी एक्ट की धारा 2(बी) में जोड़े गए सातवें प्रावधान की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी। इस प्रावधान के तहत सिनेमा मालिकों द्वारा ऑनलाइन मूवी टिकट बुकिंग के लिए वसूले जाने वाले अतिरिक्त शुल्क को भी मनोरंजन कर के दायरे में शामिल किया गया। अदालत ने कहा कि ऑनलाइन टिकट बुकिंग की प्रक्रिया ऑफलाइन टिकट बुकिंग से अलग नहीं है। इसे संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची II के प्रविष्टि 62 के तहत कर योग्य माना जा सकता है।

    केस टाइटल: FICCI और अन्य. बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य

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    अभियुक्त के दोषसिद्धि के बाद आत्मसमर्पण न करने पर भी सजा के निलंबन की याचिका सुनवाई योग्य: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी आपराधिक मामले में दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली आपराधिक पुनर्विचार याचिका के साथ दायर की गई सजा के निलंबन की याचिका हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई योग्य है भले ही दोषी ने दोषसिद्धि के बाद आत्मसमर्पण न किया हो।

    जस्टिस सुमीत गोयल ने कहा, "दोषसिद्धि के निर्णयों के विरुद्ध आपराधिक पुनर्विचार याचिका (साथ ही सजा के निलंबन के लिए आवेदन आदि) इस हाईकोर्ट के समक्ष विचारणीय है, बशर्ते याचिकाकर्ता अभियुक्त ने आत्मसमर्पण न किया हो या हिरासत में न रहा हो, क्योंकि हाईकोर्ट के मौजूदा नियमों/आदेशों में ऐसी विचारणीयता को प्रतिबन्धित करने वाला कोई नियम नहीं है।"

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    महाराष्ट्र अपार्टमेंट स्वामित्व अधिनियम के तहत रखरखाव शुल्क फ्लैट मालिकों के प्रस्ताव द्वारा संशोधित नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि कॉन्डोमिनियम में अपार्टमेंट मालिकों को महाराष्ट्र अपार्टमेंट स्वामित्व अधिनियम, 1970 की धारा 10 के अनुसार अपने अविभाजित हित के अनुपात में साझा क्षेत्रों के लिए रखरखाव शुल्क का भुगतान करना होगा। न्यायालय ने कहा कि इस वैधानिक आवश्यकता को अपार्टमेंट मालिकों के संघ द्वारा पारित प्रस्तावों द्वारा संशोधित या रद्द नहीं किया जा सकता है जो इकाई के आकार की परवाह किए बिना समान शुल्क लगाने की मांग करते हैं।

    केस टाइटल: सचिन मालपानी एवं अन्य बनाम नीलम पाटिल एवं अन्य

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    'यूपी सरकार पाप कर रही है' : बांके बिहारी मंदिर अध्यादेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार (6 अगस्त) को वृंदावन (मथुरा) स्थित ऐतिहासिक बांके बिहारी मंदिर की देखरेख के लिए यूपी सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश की कड़ी आलोचना जारी रखी और कहा कि सरकार "पाप" कर रही है। यह टिप्पणी उस समय आई है जब दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने भी बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए अध्यादेश लाने में यूपी सरकार की "अत्यधिक जल्दी" पर सवाल उठाया था।

    जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने आज मौखिक रूप से तीखी टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार से कहा कि वह मंदिर प्रबंधन को कानूनी तरीकों से नियंत्रित करने की कोशिश न करे और मंदिर को “अकेला छोड़ दे”।

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    औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 17बी के तहत 'रोज़गार' में स्व-रोज़गार भी शामिल है, जहां कर्मचारी पर्याप्त कमाई करता है: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 17बी के तहत "रोज़गार" शब्द में स्व-रोज़गार भी शामिल है जहां कामगार पर्याप्त आय अर्जित करता है। जस्टिस एस मनु ने एक रिट याचिका में एक अंतरिम आवेदन पर निर्णय देते हुए कहा कि यदि कोई कामगार लाभ कमाने वाले व्यवसाय या स्व-रोज़गार में लगा हुआ है, तो वह औपचारिक रोज़गार के अभाव में धारा 17बी के तहत लाभों का दावा नहीं कर सकता।

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    घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पत्नी का साझा घर में रहने का अधिकार, तलाकशुदा जोड़े के बीच वैवाहिक घर के बंटवारे पर कोई रोक नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 17 के तहत एक विवाहित महिला का साझा घर में रहने का अधिकार, दीवानी कार्यवाही में पति के बंटवारे या स्वामित्व अधिकारों के प्रवर्तन की मांग करने के वैध अधिकार को रद्द या निरस्त नहीं कर सकता।

    जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने पारिवारिक न्यायालय के फैसले के खिलाफ एक तलाकशुदा महिला की अपील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि वह और उसका पूर्व पति मुकदमे वाली संपत्ति में 50-50% हिस्से के हकदार हैं।

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    एक हाईकोर्ट से दूसरे हाईकोर्ट में मामला ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना कि उसे किसी मामले को एक हाईकोर्ट से दूसरे हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं है। चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने कहा, "जहां तक उपरोक्त तीनों मामलों को किसी अन्य हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की प्रार्थना का संबंध है, उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस उद्देश्य के लिए इस न्यायालय को ऐसी कोई शक्ति प्राप्त नहीं है। याचिकाकर्ता उपयुक्त मंच से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र है।"

    केस टाइटल: रवनीत कौर बनाम पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट, चंडीगढ़ एवं अन्य।

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    सूर्यास्त के बाद तिरंगा न उतारना अपराध नहीं, लेकिन फ्लैग कोड का उल्लंघन: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान इसे फहराने के बाद लगभग 2 दिनों तक राष्ट्रीय ध्वज को कम करने में विफल रहने के लिए एक व्यक्ति के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।

    जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने विचार किया कि क्या भारतीय ध्वज संहिता (Flag Code of India), 2002 के भाग-III, धारा III, नियम 3.6 के साथ पठित राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम (National Honour Act), 1971 के अपमान की रोकथाम की धारा 2 (a) के तहत अपराध किए गए थे।

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    [पंचायती राज अधिनियम] सरकारी विकास परियोजनाओं की स्थापना के लिए पंचायत से पूर्व परामर्श अनिवार्य नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

    जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि पशु चिकित्सा और भेड़ विस्तार केंद्रों के निर्माण के लिए निविदा जारी करने में हलका पंचायत से पूर्व परामर्श न करना जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम 1989 का उल्लंघन नहीं है और न ही यह निविदा प्रक्रिया को अवैध बनाता है।

    जस्टिस वसीम सादिक नरगल की पीठ ने कहा कि यद्यपि पंचायती राज अधिनियम स्थानीय शासन और सामुदायिक भागीदारी की परिकल्पना करता है। फिर भी कोई भी वैधानिक प्रावधान सभी सरकारी विकास परियोजनाओं विशेष रूप से राज्य की भूमि पर कार्यकारी निधि से शुरू की गई परियोजनाओं में पंचायतों से पूर्व परामर्श अनिवार्य नहीं करता है।

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    मात्र स्कूल सर्टिफिकेट से ही तय नहीं हो सकती अपहरण पीड़िता की आयु: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को नाबालिग लड़की के अपहरण के आरोप से बरी करने के निचली अदालत का फैसला बरकरार रखते हुए कहा कि मात्र स्कूल द्वारा जारी सर्टिफिकेट यदि उसके पीछे कोई ठोस दस्तावेज या साक्ष्य न हो, तो वह किसी पीड़िता की आयु निर्धारित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

    कोर्ट ने कहा कि स्कूल सर्टिफिकेट केवल उस स्थिति में स्वीकार्य हो सकता है, जब वह स्कॉलरशिप रजिस्ट्रेशन में दर्ज प्रविष्टियों पर आधारित हो और वह प्रविष्टियां एडमिशन फॉर्म में माता-पिता द्वारा दर्ज जानकारी पर आधारित हों। लेकिन इस मामले में न तो कोई एडमिशन फॉर्मस न ही स्कॉलरशिप रजिस्ट्रेशन और न ही कोई अंकपत्र रिकॉर्ड पर लाया गया था। साथ ही स्कूल स्टाफ का भी कोई साक्ष्य नहीं दिया गया।

    केस टाइटल: रईसुद्दीन बनाम राज्य राजस्थान एवं अन्य संबंधित याचिकाएं

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    S.223 BNSS | 'शिकायतकर्ता और गवाहों के बयान दर्ज किए बिना अभियुक्त को नोटिस जारी नहीं किया जा सकता': इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह स्पष्ट किया कि कोई भी मजिस्ट्रेट भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 223 के तहत किसी संभावित अभियुक्त को शिकायतकर्ता और गवाहों, यदि कोई हो, के बयान दर्ज किए बिना नोटिस जारी नहीं कर सकता। जस्टिस रजनीश कुमार की पीठ ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-द्वितीय, लखनऊ द्वारा इस प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए अभियुक्त (आवेदक-राकेश कुमार चतुर्वेदी) को जारी किए गए नोटिस को रद्द कर दिया।

    Case title - Rakesh Kumar Chaturvedi vs. State Of U.P. Thru. Addl. Chief Secy. Deptt. Of Home Lko. And Another 2025 LiveLaw (AB) 294

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    Maintenance Case| पत्नी अपने पति की वास्तविक आय/संपत्ति का पता लगाने के लिए बैंक अधिकारियों को गवाह के तौर पर बुलाने की मांग कर सकती है: दिल्ली हाईकोर्ट

    यह देखते हुए कि पतियों द्वारा अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए अपनी वास्तविक आय को छिपाना असामान्य नहीं है, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी अपने पति की वास्तविक आय/संपत्ति के बारे में अपने दावों की पुष्टि के लिए बैंक अधिकारियों सहित गवाहों को बुलाने के लिए बैंक अधिकारियों को गवाह के तौर पर बुलाने की मांग कर सकती है।

    जस्टिस रविंदर डुडेजा ने याचिकाकर्ता-पत्नी की याचिका स्वीकार की, जिसमें फैमिली कोर्ट ने प्रतिवादी-पति की वास्तविक आय के संबंध में अपने दावों की पुष्टि के लिए बैंक अधिकारियों सहित गवाहों को बुलाने के लिए CrPC की धारा 311 के तहत उसकी अर्जी खारिज कर दी थी।

    Case title: NJ v. AJ

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    गैर-जमानती अपराध से जुड़े शिकायत मामले में केवल समन जारी होने पर अग्रिम ज़मानत याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के तहत अग्रिम ज़मानत के दायरे को स्पष्ट करते हुए कहा कि गैर-ज़मानती अपराध के आरोप से जुड़े किसी शिकायत मामले में केवल समन जारी होने पर अग्रिम ज़मानत याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती, क्योंकि ऐसे मामले में पुलिस द्वारा बिना वारंट के गिरफ़्तारी की कोई आशंका नहीं होती।

    जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने कहा, "...जब ज़मानती वारंट जारी किया जाता है तो हालांकि अभियुक्त को ज़मानती वारंट के अनुसरण में गिरफ़्तारी का डर हो सकता है, लेकिन उसे ज़मानत देने की तत्परता पर रिहा कर दिया जाएगा। इसलिए ऐसे मामलों में भी अग्रिम ज़मानत स्वीकार नहीं की जा सकती क्योंकि गिरफ़्तारी और नज़रबंदी की कोई आशंका नहीं होती।"

    Case title - Asheesh Kumar vs. State of U.P. and Another 2025 LiveLaw (AB) 293

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    सेवा में आने से पहले दो बच्चे हुए हों तो तीसरे बच्चे पर मातृत्व अवकाश से इनकार नहीं: हिमाचल हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी की दो संतानें उसकी सेवा में आने से पहले जन्मी हों और तीसरी संतान सेवा में आने के बाद हो, तो ऐसी स्थिति में केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972 के नियम 43(1) के तहत मातृत्व अवकाश से इनकार नहीं किया जा सकता।

    न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने टिप्पणी की: "याचिकाकर्ता ने सेवा में आने से पहले दो बच्चों को जन्म दिया था, लेकिन तीसरे बच्चे के लिए, जो सेवा में रहते हुए पैदा हुआ, पहली बार मातृत्व अवकाश की मांग की गई है। यदि ऐसा है, तो याचिकाकर्ता द्वारा की गई यह मांग स्वीकार की जानी चाहिए।"

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