मनोरंजन कर के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन मूवी टिकट बुकिंग में कोई फर्क नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
Amir Ahmad
8 Aug 2025 11:44 AM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र एंटरटेनमेंट ड्यूटी एक्ट की धारा 2(बी) में जोड़े गए सातवें प्रावधान की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी। इस प्रावधान के तहत सिनेमा मालिकों द्वारा ऑनलाइन मूवी टिकट बुकिंग के लिए वसूले जाने वाले अतिरिक्त शुल्क को भी मनोरंजन कर के दायरे में शामिल किया गया। अदालत ने कहा कि ऑनलाइन टिकट बुकिंग की प्रक्रिया ऑफलाइन टिकट बुकिंग से अलग नहीं है। इसे संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची II के प्रविष्टि 62 के तहत कर योग्य माना जा सकता है।
जस्टिस एम.एस. सोनक और जस्टिस जितेंद्र जैन की खंडपीठ संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें इस संशोधन को चुनौती दी गई थी। यह संशोधन सिनेमा मालिकों द्वारा ऑनलाइन टिकट बुकिंग पर वसूले जाने वाले अतिरिक्त शुल्क पर मनोरंजन कर लगाने से जुड़ा था।
अदालत ने कहा कि विधायिका को इस प्रकार का कानून बनाने का पूरा अधिकार है।
खंडपीठ ने कहा,
“विधायिका को विवादित प्रावधान बनाने का अधिकार है। सूची II की प्रविष्टि 62 में मनोरंजन पर कर और उससे संबंधित विषय शामिल हैं। कर निर्धारण के मापदंड तय करने का अधिकार राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है।"
अदालत ने रंगदारी विधेयक (Colourable Legislation) के तर्क को भी खारिज कर दिया और कहा कि केवल इसलिए कि संशोधन का उद्देश्य अत्यधिक सुविधा शुल्क वसूली को रोकना है, यह प्रावधान असंवैधानिक नहीं हो जाता।
याचिकाकर्ताओं का यह तर्क भी खारिज कर दिया गया कि ऑनलाइन बुकिंग कोई मनोरंजन का रूप नहीं है, इसलिए उस पर कर नहीं लगाया जा सकता।
अदालत ने स्पष्ट किया कि धारा 2(बी)(iv) कर माप का प्रावधान है और विवादित प्रावधान के जरिए 10 तक के शुल्क को बाहर रखा गया और 10 से अधिक के शुल्क को प्रवेश शुल्क के रूप में शामिल किया गया।
अदालत ने कहा कि ऑनलाइन टिकट बुकिंग और ऑफलाइन टिकट बुकिंग के बीच कोई वास्तविक अंतर नहीं है।
अदालत ने कहा,
“ऑनलाइन टिकट बुकिंग शुल्क सीधे मनोरंजन के टिकट खरीदने से जुड़ा है, जिसके बिना व्यक्ति थिएटर में प्रवेश नहीं कर सकता। मनोरंजन क्षेत्र के भीतर और बाहर का अंतर कृत्रिम है।”
नतीजतन सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं।
केस टाइटल: FICCI और अन्य. बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य

