[पंचायती राज अधिनियम] सरकारी विकास परियोजनाओं की स्थापना के लिए पंचायत से पूर्व परामर्श अनिवार्य नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
Amir Ahmad
5 Aug 2025 11:35 AM IST
![[पंचायती राज अधिनियम] सरकारी विकास परियोजनाओं की स्थापना के लिए पंचायत से पूर्व परामर्श अनिवार्य नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट [पंचायती राज अधिनियम] सरकारी विकास परियोजनाओं की स्थापना के लिए पंचायत से पूर्व परामर्श अनिवार्य नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2025/07/10/750x450_609202-750x450435912-justice-wasim-sadiq-nargal-jammu-and-kasmir-and-ladakh-high-court2.jpg)
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि पशु चिकित्सा और भेड़ विस्तार केंद्रों के निर्माण के लिए निविदा जारी करने में हलका पंचायत से पूर्व परामर्श न करना जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम 1989 का उल्लंघन नहीं है और न ही यह निविदा प्रक्रिया को अवैध बनाता है।
जस्टिस वसीम सादिक नरगल की पीठ ने कहा कि यद्यपि पंचायती राज अधिनियम स्थानीय शासन और सामुदायिक भागीदारी की परिकल्पना करता है। फिर भी कोई भी वैधानिक प्रावधान सभी सरकारी विकास परियोजनाओं विशेष रूप से राज्य की भूमि पर कार्यकारी निधि से शुरू की गई परियोजनाओं में पंचायतों से पूर्व परामर्श अनिवार्य नहीं करता है।न्यायालय ने कहा,
"याचिकाकर्ता ने 1989 के अधिनियम में ऐसे किसी प्रावधान का उल्लेख नहीं किया, जो ऐसे सार्वजनिक कार्यों के लिए निविदा जारी करने से पहले पंचायत से परामर्श को स्पष्ट रूप से अनिवार्य बनाता हो।"
यह मामला सरकार (राज्य के स्वामित्व वाली) के रूप में वर्गीकृत भूमि पर पशु मेडिकल और भेड़ कल्याण संबंधी बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए सरकार द्वारा वित्त पोषित एक परियोजना से संबंधित था, जो अधिनियम की धारा 4 के तहत पंचायत के अधीन नहीं थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया में पंचायत को दरकिनार करना विकेंद्रीकरण के मानदंडों का उल्लंघन है।
न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पंचायत की भूमिका महत्वपूर्ण होते हुए भी वीटो-संचालित नहीं है, जब तक कि उसे कानून द्वारा स्पष्ट रूप से सशक्त न किया जाए।
नगर परिषद रतलाम बनाम वर्दिचन [(1980) 4 एससीसी 162] में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए निर्णय ने इस बात की पुष्टि की कि विकेंद्रीकरण और कार्यकारी स्वायत्तता में सामंजस्य होना चाहिए:
"स्थानीय संस्थाओं के माध्यम से लोकतांत्रिक भागीदारी महत्वपूर्ण है लेकिन जब तक इसे वैधानिक प्रक्रिया के हिस्से के रूप में संहिताबद्ध नहीं किया जाता, ऐसी भागीदारी का अभाव कार्यकारी कार्रवाई को स्वतः ही दूषित नहीं कर सकता।"
न्यायालय ने पृथपाल सिंह बनाम जम्मू-कश्मीर राज्य मामले में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व निर्णय का भी समर्थन किया, जिसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निविदा प्रक्रियाओं में शामिल तकनीकी और वित्तीय जटिलताओं का प्रबंधन तकनीकी विशेषज्ञता के अभाव में अकेले हलका पंचायतों द्वारा नहीं किया जा सकता।
अंततः न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला,
"पंचायत के साथ औपचारिक परामर्श का अभाव पंचायती राज अधिनियम का उल्लंघन नहीं है। अधिक से अधिक यह समन्वय का एक चूका हुआ अवसर हो सकता है, लेकिन यह अपने आप में निविदा प्रक्रिया की वैधता को प्रभावित नहीं करता है।"
Tags Panchayati Raj ActJ&K Panchayati Raj ActJustice Wasim Sadiq Nargal
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